स्वास्थ्य और सुंदरता दोनों प्राकृतिक देन है, इन्हें बनाए रखना मनुष्य के आचरण, नियमित दिनचर्या उत्तम जीवन शैली, संतुलित आहार व अपनी साफ-सफाई पर निर्भर करता है। व्यक्ति दिनचर्या, ऋतुचर्या, आहार-विहार को नियंत्रित करके स्वास्थ्य निर्माण कर सकता है। इससे शरीर तो स्वस्थ रहता ही है और चेहरे पर भी गजब की आभा झलकती है, परंत आधुनिक जीवन शैली में व्यक्ति अपने खान-पान और स्वास्थ्य रक्षक प्रक्रियाओं की अवहेलना करता है। समय का अभाव होने के कारण सभी कार्य जल्दी-जल्दी टी सम्पन्न करने की कोशिश में अपने स्वास्थ्य से * खिलवाड़ कर रहा है जिसके कारण हमारे शरीर में । * विभिन्न प्रकार के रोग उत्पन्न हो जाते हैं। " खाना खाने के पश्चात् ठीक प्रकार से कुल्ला न । करने से मुखगत रोग उत्पन्न हो जाते हैं। जैसे मसूड़ों में सूजन, दांतों में कीड़ा लगना, मसूड़ों से खून आना, ग्रंथियों में सूजन इत्यादि रोग उत्पन्न हो सकते हैं। खाना खाने के पश्चात् ठीक प्रकार से कुल्ला अवश्य करना चाहिए और रात को सोने से पहले दांतों को ठीक प्रकार से साफ करके सोना चाहिए अन्यथा दाता पर पपड़ा जमना, मसूड़ा से खुन आना व दांत में कीड़े लग सकता हैं। आधुनिक युग में दातुन के स्थान पर टूथब्रश और पेस्ट ने स्थान बना लिया है, जो हम फास्ट फूड रिफाइंड भोजन में खाते हैं वो दांतों व मसूड़ों पर आसानी से चिपक जाते हैं। जिसके कारण मुख में बैक्टीरिया पनप कर दांतों और मसूड़ों को नुकसान पहुंच सकता है और पायरिया जैसी बीमारी उत्पन्न हो जाती है। जब भी सोते समय दूध या मिठाई का सेवन करें तो टूथब्रश करना अति आवश्यक है। दुध रात भर मसूड़ों पर जमकर बैक्टीरिया उत्पन्न होने के कारण मुखगत ग्रंथियों में एकत्र होकर सड़न पैदा करते हैं जिससे पायरिया जैसी बीमारियां उत्पन्न होती हैं। अगर हम सुबह-शाम नित्य टूथब्रश का इस्तेमाल नियमित रूप से ठीक ढंग से करें तो बीमारियों से बचा जा सकता है। हम घरेलू नुस्खे इस्तेमाल कर बीमारियों से बच सकते हैं। समयमसूड़ों में सूजन आने पर :- 1. कत्थे के टुकड़ों चुनाव को मुख में रखकर धीरे-धीरे घुलने दें और इसको जाएं अंदर न निगले मुख में जितनी देर तक रख सकते हैं, उसको मुख में रखें। यह मसूड़ों के अल्सर व भिगो स्पोज्जी गम्स के लिए अति लाभदायक है। ही 2, कत्थे को पानी में घोलकर, कत्थे पानी से कुल्ला या गरारे करें। 3. गूलर की छाल का बिल्कुल काढ़ा बना कर उससे कुल्ला करने से मुखगत रोग, जैसे स्पीजी गम्स (मसूड़ों की सूजन) ठीक होती टॉन्सिल्स है। 4. बबूल का पत्तियों के काढ़ से गरार करने है। 4. बबूल की पत्तियों के काढ़े से गरारे करने पानी स मुखगत राग, जस से मुखगत रोग, जैसे स्पोंजी गम्स, गले में सूजन करेंजैसे रोग शांत हो जाते हैं। 5. जामुन व लोध्र उसका छाल के काढ़े से कुल्ला करें या इनकी दातुन करने पर से ब्लीडिंग गम्स और स्पोंजी गम्स में तुरंत आराम नमक । आता है। 6. पानी में फिटकरी मिलाकर कुल्ला करें और तुरंत दर्द व स्पोंजी गम्स से आराम पाएं। पर 7. स्फटिका भस्म व गैरिक भस्म 250 ग्राम गरम। बराबर मात्रा में ले और सुबह-शाम पानी से भोजन हल्दी पश्चात् ग्रहण करें। 8. आमलकी चूर्ण 2 ग्राम नमक सुबह-शाम पानी के साथ लें। 9. फिटकरी (फला व गैरिक भस्म मिलाकर अंगुली से मंजन बनाकर करें तत्पश्चात नमक के गुनगुने पानी से कुल्ला सावधानियां करें। 10. अजवाइन, सूखा पुदीना, फिटकरी को तथा मिलकर मसूड़ों पर मालिश करें तत्पश्चात् अजवाइन के पानी से कुल्ला करें। 11, हल्दी पाउडर, फिटकरी को सरसों के तेल में पेस्ट 3 बनाकर मसूड़ों पर मालिश करें, मसूड़ों की सूजन, सेवन खून आना तुरंत बंद होता है और दर्द में भी आराम गले भी आराम गले आता है। दालचीनी दांतों के ऊपर पपड़ी जमने पर :- 1. खान मिलाकर वाले सर्डि को पानी में मिलाकर दिन में दो-तीन बार गरारे करें। 2. खाने वाला सोडा + फिटकरी फूला + नमक को मिलाकर मंजन करें व दांतों पर रखकर ठीक प्रकार से सुबह-शाम दो बार रगड़ें। लगाकर दांत में दर्द व छेद होने पर :- 1. लौंग को सावधानी गरम करके उसके अगले भाग को पीस कर सुराख 2में भर कर रूई लगाएं। 2. हींग को सुराख में भर होने सकते हैं। 3. विडंग पेड़ की छाल को पीसकर चर्म रोग एवं डेंगू-चिकनगुनिया विशेषांक या न लगाएं, जहां पर दर्द हो। 4. जिस दांत में दर्द हो उस पर बबूल के गोंद को लगाएं। 5. काली मिर्च के काढ़े से कुल्ला करने पर दांत दर्द पर तुरंत आराम आता है। 6. कुलफा के स्वरस में भीगी रूई को दर्द वाले दांत पर दर्द निवारण होता है। 7. नीम के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारे करें व नीम पट्टी स्वरस को रूई में भिगोकर दांत पर रखें। सावधानियां :- 1. कच्चे फल, सब्जी, सलाद खाने के पश्चात् कुल्ला अवश्य करें। 2. ब्रुश को समय-समय पर बदलते रहें। 3. सही ब्रुश का चुनाव करें, जिससे भली प्रकार से दांत साफ हो जाएं व मसूड़ों की मालिश भी हो जाए। 4. ब्रुश सकते करने के पश्चात् अपने टूथब्रुश को नमक पानी में भिगो कर रखें। 5. अधिक ठंडी व गरम चीजें न ही खाएं न ही पिएं। 6. अधिक गरम खाना खाने के पश्चात अधिक ठंडी वस्तु का सेवन बिल्कुल न करें। 7. टूथब्रश करने के पश्चात अंगली से मसडों की मालिश अवश्य करें। टॉन्सिल्स में दर्द :- 1. चाय पत्ती व नमक को पानी में उबाल कर दिन में तीन-चार बार गरारे करें। 2. वनफ्शे को उबाल कर काढ़ा बनाकर लोध्र उसका गरारे करें तथा वनफ्शे को गरम-गरम गले पर बांधे। 3. हल्दी, अजवाइन, आटे की चोकर, नमक को पानी में उबालकर उससे दिन में कुल्ला चार-पांच बार गरारे करें। 4. अरण्डी के पत्तों पर सरसों का तेल या अरण्डी का तेल लगाकर गरम-गरम टॉन्सिलस पर बांधे। 5. आम्ल चूर्ण व हल्दी को पानी में उबालकर उसमें चुटकी भर नमक मिलकर गरारे करें। 6. तुलसी पत्र (4-5), काली मिर्च, दालचीनी, सौंफ की चाय बनाकर धीरे-धीरे व गरम-गरम पिएं। सावधानियां - 1 तरल भोजन का सेवन करें तथा भोजन के पश्चात् गरम पानी के गरारे अवश्य करें। 2. अत्यंत ठंडे खाद्य पदार्थों जैसे, आइसक्रीम, कोल्डड्रिंक का सेवन न करें। 3 खटी चीजें व अचार, सॉस, हरी चटनी का सेवन न करें। गले में गले में दर्द :- 1. तुलसी पत्र, सौंफ, लौंग, दालचीनी को उबलाकर उसमें नींबू और शहद मिलाकर गरम-गरम पिएं। 2. हल्दी, अजवाइन को उबालकर उसमें नमक डाल कर दिन में चार-पांच बार गरारे करें। 3. मुलेठी को मुख में रखकर धीरे-धीरे चूसें। 4. गले पर सरसों का तेल लगाकर कपड़े से धीरे-धीरे सेक करें। सावधानी :- 1. अधिक जोर लगाकर न बोलें। 2. कटु, खट्टे रस का सेवन न करें। 3. आराम न होने पर उचित चिकित्सक से संपर्क करें।
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