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उच्च रक्तचाप आज के जीवनशैली में आए बदलावों के कारण होने वाली बीमारियों में सबसे सामान्य समस्या बन गया है। यह इस तरह से प्रत्येक घर में प्रवेश कर गया है कि इस विषय में आज के समय में सभी जानते हैं कि घर में, दफ्तर में, आस-पडोस, रिश्तेदारी में कोई न कोई व्यक्ति आपको इससे पीड़ित मिलेगा। परन्तु ज्यादातर मरीजों को उच्च रक्तचाप के कारणों के बारे में पता नहीं होता है। इस वजह से वह इससे अपना बचाव नहीं कर पाते हैं। प्रत्येक वर्ष मरीजों की संख्या बढ़ ही रही है घट नहीं रहीं। इसको या भी कहते हैं। उच्च रक्तचाप में धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ जाता है। इस बड़े दबाव के कारण, रक्त की धमनियों में रक्त का प्रवाह बना रहे इस कारण हृदय को सामान्य से अधिक काम करने की आवश्यकता पड़ती है। सामान्य रक्तचाप 120/80 मि.मि. माना जाता है। रक्तचाप थोड़ा बहुत बढ़ने पर आपको खास लक्षण नजर नहीं आएंगे। अगर में अधिक बढ़ जाता है तो आपको निम्नलिखित लक्षण देखने को मिल सकते हैं : 1. सिर में दर्द  2. चक्कर  3. घबराहट  4. अनिद्रा या नींद का ठीक प्रकार से नींद न आना  5. दिल की धड़कन का बढ़ना  6. दृष्टि में तकलीफ होना  7. नाक से खून आना आदि, 8. कुछ लोगों को गुस्सा तेज आने लगता है। नम स काइ लक्षण मिलते हैं या आपकी उम्र 40 या उससे अधिक जांच अवश्य करायें। रक्तचाप महिला-पुरुष किसी को भी हो सकता है। रक्तचाप होने पर दवा का उपयोग तो अवश्य करें लेकिन साथ ही साथ कुछ बदलाव अपनी जीवनशैली में जरूर लायें जिससे आपको दवा के साथ और अच्छा लाभ मिलेगा। आइये जानते हैं क्या है वह 10 तरीके जिससे आप उच्च रक्तचाप से बचाव व नियंत्रण कर सकते हैं : 1. शरीर का सन्तलित वजन : यदि आप भारी शरीर के स्वामी हैं तो आपको अपना वजन सन्तुलित करना होगा क्योंकि वजन बढ़ने पर या अधिक वजन के कारण भी उच्च रक्तचाप कि तकलीफ हो सकती है। वजन को नियंत्रण करने के लिए सुबह-शाम की सैर और हल्का व्यायाम करना, तली-भुनी चीजें व मीठा की कम मात्रा में सेवन लाभदायी है। 2. व्यायाम : नियमित रूप से व्यायाम करना भी उच्च रक्तचाप से बचने में फायदेमंद हो सकता है। यहां पर व्यायाम का मतलब बहत सारी व्यायाम से नहीं हो अपित नित्य हल्के व्यायाम करने से है। 3. सन्तुलित भोजन : सन्तुलित भोजन जिसमें किसी भी एक प्रकार के आहार पर जोर न दिया गया हो। साधारणतः हम आहार के विषय में केवल स्वास्थ्य पर चले जाते हैं परन्तु खाने में उन सब चीजों पर भी ध्यान देना चाहिए जो कि पौष्टिक हो। 'अति सर्वदा वर्जयते' अर्थात् अति का त्याग सब जगह करना चाहिए। खाने में हमें सब प्रकार की चीजों का सेवन करना चाहिए। ऐसा न हो कि आपकी थाली में केवल तली-भुनी चीजें ही हों या फास्ट फूड या जंक फड हो। आपकी थाली में दाल, रोटी, सब्जी, चावल आदि की मौजदगी ही उसे सन्तुलित करती है। 4. उच्च रक्तचाप : उच्च रक्तचाप में सोडियम की मात्रा का कम सेवन करें। नमक से सोडियम मिलता है। इसलिए या तो कम मोडियम वाला नमक उपयोग करें नहीं तो नमक बाद ऊपर से डालकर न लें। फड का भी उपयोग कम करें अपितु ताजे खाने में रुचि रखें। फूड में मौजूद ' भी खाने में सोडियम बढा देते हैं। 5. मद्य सेवन : मद्य का अधिक सेवन भी उच्च प्प रक्तचाप को बढ़ाता है। मद्य का प्रयोग कम साथ ही कभी-कभी का नियम बना लें। मद्य को यदि आप लेना पंसद करते हैं तो कुछ अवसरों पर ही हा कम साथ ही नियंत्रित मात्रा में लें। आपको उच्च रक्तचाप से बचाव व नियंत्रण में मद्य का कम से कम सेवन करना चाहिए।  6. स्ट्रेस, चिंता : अत्यधिक चिंता करना या स्ट्रेस लेना भी उच्च रक्तचाप को आमंत्रण देने जैसा ही है। यदि कोई स्थिति आपके वंश में नहीं तो चिन्तन से कोई लाभ नहीं और यदि है तो उसको चिता से नहीं अपितु कार्यशील होने से किया जा सकता है। मानसिक तौर पर किए जाने वाले सतत् नकारात्मक विचार व चिन्तन उच्च रक्तचाप को नियंत्रण में आने नहीं देते। 7. चाय-कॉफी : चाय-कॉफी रोजमर्रा की जिंदगी का अभिन्न अंग है। दिन की शुरुआत से लेकर कोई भी महत्वपूर्ण चर्चा चाय या कॉफी के बिना नहीं होती है। लेकिन चाय-कॉफी का अत्यधिक सेवन भी उच्च रक्तचाप से पीडित रोगियों के लिए लाभदायी नहीं है।