मोटापा और मधुमेह सरल नुस्खे


मोटापा (Obesity) और मधुमेह (Diabetes) दोनों का नाता मां-बेटे जैसा है। मोटापा मां है और डायबिटीज संतान बेटा-बेटी है। डायबिटीज कब होगा? इसका पता नहीं चलता। जबकि गर्भवती को संतान कब होगी इसकी अंदाजन तारीख सभी को मालम होती है। मां या सास कहेगी कि देख बेटी अब दसवां बैठ गया है, अब कभी भी दस पंद्रह दिन में तू मां बन सकती है। मां बनना सुखद समाचार है। डायबिटीज में ऐसा नहीं होता। यह एक डरावना छुपा रूस्तम है। जब कभी किसी बीमारी के कारण खून की जांच, पेशाब की जांच (Blood & Urine Test) की जाती है, तभी इस डरावनी डायबिटीज का पता चलता है और इसकी चिकित्सा मरते दम तक करनी पड़ती है। प्रसति (Delivery) हो जाने के बाद स्त्री पीडा मक्त हो जाती है। डायबिटीज रोग में माथे पर हमेशा के लिए चिंता से Tension से भरी तीक्ष्ण धारवाली तलवार लटकती रहती है। मोटापा और डायबिटीज के लक्षण या निदान बताने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि अब लोग जानते हैं कि यह क्यों हआअपनी जिहवा के गलाम होकर जो आया सो खा लिया। पेट में ठस-ठस के भरा गया। पेट क्या अनाज भरने का गोदाम है? क्रिमीशरीर में रस, रक्त, मांस, मेद, अस्थि , मज्जा और वीर्य सात धातूयें हैं। शरीर के प्रति अपनी लापरवाही के कारण मेद धातु की आगे की धातुयें बनना कम हो जाती हैं। इसी कारण फैट-चर्बी बढ़ जाने से पेट नगाड़े जैसा, चूतड़ और नितम्ब छोटे मटके जैसे और पतली कमर टुन-टुन जैसी मोटी हो जाती है। मोटापा और डायबिटीज को काबू में रखने के लिये हमारे आयुर्वेद में असंख्य वनस्पतियां और खनिज द्रव्य हैं। में अपने घर में आसानी से कर सकें ऐसे द्रव्यों के बारे में बता रहा हूं। 1. विजयसार : संस्कृत में बीजक कहते हैं। गुजरती में बियो, मराठी में बिबला और अंग्रेजी में इंडियन कायनो ट्री (INDIANKINO TREE) कहते हैं। लेटिन में टेरीकाप मासुपियम (Pterocarpus Marsupiyam) कहते हैं। विजयसार मधुमेह हर और मूत्र संग्रहणीय है। इसका लेखन गुण होने के कारण मेदो रोग, स्थौल्य यानि की मोटापा (Obesity) में तथा डायबिटीज मधुमेह में अत्यंत उपयोगी है। विजयसार के कांड का सार का काढ़ा पीने से रक्त शर्करा (Blood Sugar) तथा मधुमेह के कारण जन्मे उपद्रव भी मिटते हैं तथा बार-बार मूत्र प्रवृति भी नहीं होती। विजयसार के बहुत सारे गुण हैं जैसे कि त्वचा के रोग, योनि रोग, बालों का झड़ना, अतिसार, सूजन को मिटाता है और कृमिहन भी है। वैद्य मनोरमा के कर्ता श्री शोढल जी ने कहा है कि : 'स्थौल्य नाशार्थम अविस्थूल शरिये यः तिल तैलं प्रगे पिबेव। पिबेदसनसारस्य क्वाथं वा मधुसंयुतम।।' अर्थात् 'विजयसार के क्वाथ में शहद पीने से अति स्थूल शरीर वाले व्यक्ति भी सुख जाते हैं।' भाव प्रकाश में कहा गया है कि : 'बीजकः कुष्ठ विसर्प क्षित्रमेह गुद क्रिमीन। हन्ति श्लेष्मा स्रपितं च त्वच्यः केश्यो रसायन:।' अर्थात् 'विजयसार त्वचा के लिये हितकारी, केशों को घटाने वाला, बुढ़ापा और व्याधि मिटाने वाला, कोढ़, विसर्प, सफेद दाग, प्रमेह, भूदरोग, क्रिमी, कपूविकार, रक्त्त विकार तथा पित्त विकार दूर करता है। इसकी त्वचा (छिलका) का काढा तथा गोंद उपयोग में आते हैं। कई फार्मेसियां इसकी घनवटी भी बनाती हैं। ज्ञानवृद्ध, अनुभवी चिकित्सक के मार्गदर्शन में मधुमेह और मोटापा वाले तथा श्लोक में निर्दिष्ट रोग वाले रोगी अवश्य इस निरापद औषधि का प्रयोग करें। मामेजवा : हिंदी में नाही मामेजवा और गुजरती में मामेजवा, मराठी में कड़वी नाही के नाम से पौधे को पहचाना जाता है। इसका लेटीन नाम अनिकोस्टेमा लिटोरेल (Enicostemma Littorate Blume) हैसंस्कृत में मामज्जक, नाग जिव्हा, तीक्ष्ण पत्रा और नाही नाम से इसकी पहचान है। नाही का यह पौधा रक्त शुद्धि करता है, सूजन-शोथ मिटाता है, त्वचा के रोग, कब्ज, यकृत (Liver) रोग, कृमि तथा सभी प्रकार के ज्वर के लिए उपयोगी है। यह मूत्र व संस्थान प्रमेह (Diabetes) में, श्वास करके मधुप्रमेह में अत्यंत ही उपयोगी है। इसके साथ-साथ शाररस्थ विषों को दूर करता है और मोटापा-मेदोरोग (Obesity) को भी अवश्य मिटाता है। इसके पंचांग का चूर्ण बनाकर या काढ़ा बनाकर ले सकते हैं। चूर्ण एक से तीन ग्राम और काढ़ा पचास मि.लि. से सौ मि. लि. ले सकते हैं। यह पौधा आपके आस-पास के खेत-खलिहान जंगलों में सहज मिल सकता है। आचार्य प्रियव्रत शर्मा जी ने अपने द्रव्यगण विज्ञान में लिखा है कि 'नाही तू कथिंता विक्ता लहवी पित्त-कफा पहा। मधुमेह तथा कृष्ठे रासयते विषम ज्वरे।।' अर्थात् 'नाही कड़वी, हल्की, पित्त और कफ को नष्ट करने वाली तथा मधुमेह (Diabetes) और कुष्ठ (skin Disease) को मिटने वाली है।' गिलोय : ताजी गिलोय मिले तो उसका स्वरस निकालकर समभाग जल मिलाकर सुबह-शाम पीने से मोटापे और मधुमेह में लाभ होता है। सुखी गिलोय का काढ़ा बनाकर 10 से 50 मि. ली. ले सकते हैं। स्वरस की मात्रा 20 से 30 मि.ली. है। गिलोय का बना बनाया चूर्ण विश्वसनीय फार्मेसी का लेकर 2 से 3 ग्राम जल के साथ दो बार सेवन करें।



गिलोय का सत्व भी मिलता है। सत्व स्वाद रहित होता है। शहद के साथ सुबह-शाम चाटने से अवश्य लाभ होता है। गिलोय कभी न सूखने वाली लता है। इसे अमृता भी कहते हैं। अमृत की छींटें समुद्र मंथन के वक्त देव-दानव संग्राम के कारण पृथ्वी पर पड़े उसमें से गिलोय का प्रदुर्भाव हुआ। सुखी गिलोय का 2 से 3 फुट का एक टुकड़ा घर में कहीं भी लटका दीजिये। आठ दस दिन में ही अपने आप धागे जैसे तंतु गिलोय में से निकलेंगे और कुछ दिनों में पर्ण भी फूटेंगें। यह लता जिस पेड़ पर चढ़ेगा उस पेड़ के गुण को अपने में समा लेगा और अपना गुण नहीं छोड़ेगा। नीम के पेड पर चढ़ी गिलोय औषधि प्रयोगों में उत्तम मानी जाती है। यह त्रिदोष हर है। गिलोय. आंवला और हल्दी तीनों सममात्रा में लेकर नियमित सुबह-शाम जल के साथ सेवन करें। इससे डायबिटीज में लाभ होगा और डायबिटीज के कारण होने वाले त्वचा व्याधि, आंख के रोग, बाल झड़ना इत्यादि में अवश्य लाभ होगा। गिलोय त्रिफला (हरड, बहेडा और आंवला) समप्रमाण में लेकर काढ़ा बनाकर गगल या शद्ध फ्रिज शिलाजीत 500 मि.ली. ग्राम मिलाकर दो बार पीने से मोटापा कम होता है। 4. सदाबहार : डायबिटीज के लिये सुबह तथा रात को 20 से 25 मि.ली. सदाबहार के पत्तों का स्वरस समभाग जल में मिलाकर पीने से मूत्र में शर्करा एवं रक्त शर्करा निश्चित रूप से काबू में आती है तथा अन्य उपद्रव नहीं होते। जिनको ' कैंसर, कर्कट रोग में किरणा चिकित्सा के कारण शरीर में जलन होती है, माथे के बाल झड़ जाते हैं उसमें " सदाबहार के दस पंद्रह पुष्प चबाकर खाने से पंद्रह-बीस दिन में आराम होता है। सफेद जांबली और रक्तवर्णक के पुष्प वाले सदाबहार के पो होते हैं। कोई भी प्रयोग करे। इस पौधे पर बारह मास पुष्प आते रहते हैं। इसलिये इसे बारह मासी सदा-सुहागन भी कहते हैं। यह कफ वातशामक आर उष्ण वार्य तथा कट विपाकी होने से मोटापा भी कम करती है। संदिग्ध औषधि संशोधन समिति के अध्यक्ष वैद्य श्री घापालाल भाई अपने ऋगणा सदाबहार के पत्तों का उपयोग करने को कहते थे। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्री मोरारजी देसाई भी डायबिटीज याबटाज के लिये इस पौधे का स्वरस पनि का कहत था श्याह जीरा : इसको कृष्ण जीरक भी कहते हैं। निधंह ग्रंथों में मधप्रमेह, डायबिटीज के बारे में श्याह जीरा या कृष्ण जीरक के विषय में यह डायबिटीज में उपयोगी है या नहीं। कुछ भी उल्लेख मेरे देखने में नहीं आया। किन्तु हमारे गुजरात में मोटापा एवं डायबिटीज मधुप्रमेह वाले श्याह जीरा पांच ग्राम जितना सुबह-शाम जल के साथ अवश्य लेते हैं। कई-कई लोग इसमें समभाग मथा चूण आर अजवायन चूणे भी मिलाते हैं। यह निर्दोष है। प्रयोग करने से कोई नुकसान नहीं है। गट कलौंजी नाम से भी पहचाना जाता है। DESE नसों की कमजोरी दूर करता है। बाध्य वीर्यवर्धक और बलदायक है। नेत्रों को 'सममात्रा हितकारी और गैस अफारा दुर करता है। यह . 4 साथ सभी लक्षण डायबिटीज में होते हैं। बेल : भगवान भोलेनाथ शिव को प्रिय बेल, महादेव को चढ़ाये हुए बेल के पत्ते-बिल्व का " जिसे निर्भाल्य कहते हैं, सोमवार या मंगलवार को घर लाकर सूती कपडे में या खदर के कपडे में लपेटकर पानी के मटके के पास रख लिजिए। शद्ध फ्रिज में मत रखें। दो-तीन बार पत्तों पर ठंडे जल बार का छिटकाव करें। सुबह तथा रात को 20 से 25 मि.ली. रस निकालकर समभाग जल मिलाकर तथा पीने से डायबिटीज में फायदा होता है। अगर ज्यादा मात्रा में बिल्व पत्र मिलते हैं तो उसको छांव में सुखाकर चूर्ण बनाकर पांच-पांच ग्रा ग्राम चूर्ण जल के साथ ले सकते हैं। बाजार जिनको ' में या गांव में बेल पत्र आसानी से मिल सकते हैं। किन्तु मैंने महादेव जी को चढ़ाए हुए बिल्व चढ़ाए हुए बिल्व पत्र उपयोग करने १ को इसलिए कहा है कि यह बिल्व पत्र भगवान के आशीर्वाद से पूर्ण जांबली भरे हुए होते हैं। भोलेनाथ कि कृपा होने से फायदा होता ही है। शिलाजीत : सभी शिलाजीत को पहचानते हैं। विश्वसनीय फार्मेसी से शिलाजीत गीला या सुखा कोई भी लेकर 500 मि.ली. या 500 मिया । मि.ली. या 1 ग्राम जितना शिलाजीत गाय के दूध में मिलाकर सेवन कर सकते हैं। गाय का दध अध्यक्ष उपलब्ध ना होने पर शहद मिलाएं। कोष्ण जल सदाबहार के साथ भी सुबह एवं रात को ले सकते हैं। अगर पूर्व इसमें अच्छी गुणवत्ता वाला क्वाथ डायबिटीज जोपान में खाते हैं वो आधाजो पान में खाते हैं वो आधा-आधा ग्राम मिलाए पापा 1- जाय तो सोने पे सहागाडायबिटीज नियंत्रित । होगा। मोटापा भी कम होगा और रक्त शुद्ध होगा। दोगा मोटापा भी कहोगा और न श दोगा। त्वचा विकार नहीं होंगे। कव्थे को संस्कत में खहिर कहते हैं। भाव प्रकाश में कहा है कि में 'खहिर: शीतलो दन्तयः कण्डकासारूचि प्रणत। हमारे तिक्तः कषायो मेदोध्नः कृति मेह ज्वरव्रणान। श्वित्रशोयाम पित्तानपांड कष्ठ कफान हरेत। इसका मतलब यह है कि 'कथ्या शीतल. दोनों मिलेगीको हितकारी कदवा कला और खजली खांसी. अरुचि. मोटापा कमि पेमद कोई डायबिटीज, ज्वर, व्रण, श्वेत कुष्ठ, सूजन, आम , 'पित्त, रक्त विकार, कोढ़ और कफ को नष्ट करता है। शिलाजीत के बारे में भाव प्रकाश जा DESE TEENAM कहते हैं कि को 'शिलाजं कटु तिक्तोष्णं कटुपाकम् रसायनम्। यह . छेदि योगवहम् हन्ति कफमेदाश्गशर्करा। मूत्रकृच्छ क्षयं श्वासम् वाताईसि च पांडुताम्। का " " अपस्मारम् तथोन्मादम् शोथकुष्ठोहर क्रिमीन्।' मंगलवार अर्थात् शिलाजीत तीखा, कडवा, उष्ण, पाक कपडे में तीखा, रसायन यानि व्याधि और बुढ़ापा दूर । करने वाला मल तोड़ने वाला, योगपति यानि जल अपने गुणों के साथ अन्य गुणों को बढ़ाने वाला. 25 कफ, मोटापा, पथरी. मधप्रमेह पेशाब की मिलाकर तकलीफ, क्षय, श्वास, वात रोग, अर्श पांड रोग अगर अपस्मार, उन्माद, सूजन, कष्ठ. उदर रोग और क्रिमी को मिटाता है। दूध मोटापा और डायबिटीस के लिए बहुत सारे दध प्रयोग हैं। हम जो आसानी से घर पर कर सकें जल जस हा नुस्ख मन यहा बताए ह एक या दा प्रयोग अगर करन स एक-दा महान करक देख बाद में मूत्र तथा रक्त परीक्षण कराकर देख लीजिए, कितना मिलाए पापा - फायदा हुआ। नियंत्रित पथ्य पालन अर । हा एसा चाकत्सा हा का । ही ऐसी चिकित्सा है। कहा है कि 'पथ्य पाले जो में रागा उस आषध का क्या काम, पथ्य ना पाल रागा ता ७ रोगी तो औषध करें क्या काम। । संकल्प कीजिए आपके परिवार को आपकी । जरूरत समझकर ही सही निरामय जिंदगी जीने । का प्रयास अवश्य कीजिए। सफलता अवश्य दोनों मिलेगी। अंत में यह बताना जरूरी है कि सिर्फ खजली मेदस्वी लोग डायबिटीज का शिकार नहीं होते। कृश-दुबल, चिता से पीडित लोग भी आम , 'डायबिटीज के रोगी होते हैं। इसीलिए हमेशा नष्ट ध्यान रखें कि चिंता से चतुराई घटे चिंता समान।