शरद ऋतु में आहार-विहार

शीतकालीन आहार-विहार से हमारा तात्पर्य अंकुरित शरद से शिशिर तक अर्थात् आश्विन से माघ मटर माह तक के आहार-विहार से है। ऋतु के नारियल अनुसार खान-पान न करने से हम रोग ग्रस्त हो जाते हैं। शीतकाल में पृथ्वी के साथ चन्द्रमा का फाइबर संबंध अधिक रहता है। इस ऋतु में वनस्पतियों में बनता अम्लरस की अधिकता हो जाती है। पित्त प्रकृति नाश्ते वालों के लिए यह मौसम हानिकारक माना गया वजन है। सूर्य की गर्मी से पित्त दोष कुपित हो जाता है। छिलके रक्त दोष, फोड़े-फुसी, चकत्ते, खाज-खुजली, फोलिक ज्वर, रक्तपित्त, दाह, सिरदर्द, अम्लपित्त, अजीर्ण, कॉलेस्ट्रॉल जुकाम व अरुचि जैसे रोग उभर आते हैं। कम आहार :- जो दोष प्रकुपित (बढ़ जाते) हो जाते पीले हैं उसके लिए दोषों के शामक रस लेने चाहिए। जो जैसे शामक रस मधुर, तिक्त, कषाय, मीठे, दमासुपाच्य तथा पेय पदार्थ अधिक उपयुक्त होते हैं। शक्ति खाद्य पदार्थों :- मूंग, साठी चावल, लाल निम्नलिखित चावल, गेहूं, जौ, घी, दूध, मक्खन का सेवन 1. हरे साग सब्जी :- करेला, इसके चौलाई, कमलगट्टा, पालक, भिण्डी, लौकी, साफ तोरई, फूलगोभी, टमाटर, बीन्स, परवल, लहसुन, शरीर सोया, मूली, आंवला, सेम, मेथी, सिंघाड़ा आदि। सलाद :- गाजर, खीरा, ककड़ी, टमाटर, मूली, 2. चुकन्दर व गोभी का सेवन करें तिल फल :- अनार, अंगूर, नींबू, मुनक्का, नारियल पानी, छाछ-लस्सी तथा फ्रूट जूस उपयोगी है। खाली पेट अमरूद न खाएं। सूखी जलपान विहार से पहले लें सूर्य किरणों से बचाव तपित जल तथा चन्द्र किरणों से भावित निर्मल तिल जल पीना चाहिए। गर्म जल में नींबू का रस कैल्शियम मिलाकर प्रात:काल में सेवन करना चाहिए। कार्बोहाइड्रेट हरी-सब्जियों के लाभ :- 1. सभी खनिज भी तत्व प्राप्त होते हैं। 2. पाचन तंत्र में सुधार होता है। 3. लावन्य में वद्धि होती है 4. शरीर में को पौष्टिकता आती है 5. मानसिक तनाव कम चमक होता है। 6. कॉलेस्ट्रॉल काब में होता है। 7. वजन पर नियन्त्रण सहजता से होता है। 8. पर पसीने की दुर्गन्ध दर होती है। अंकुरित दालें :- चना, मूंग, मोठ, सोयाबीन, मटर अंकुरित होने के बाद किशमिश व बच्चे नारियल के टुकड़े डालकर खाएं। त्वचा व बालों में निखार आता है। ऑक्सीजन प्राप्त होती है। फाइबर की अच्छी स्रोत हैं। स्वस्थ पाचन तंत्र बनता है। विटामिन 'बी' 'सी' भी मिलता है। नाश्ते व लंच के बीच भूख नहीं लगने देती। वजन व संतुलित रखने वाले आहार :- 1. छिलके वाली दालें जो प्रोटीन से भरपूर होती है। फोलिक एसिड तथा विटामिन 'ए' 'बी' होने से कॉलेस्ट्रॉल कम हो जाता है। 2. सलाद खाने से कम कैलोरी व अधिक फाइबर मिलता है। 3. पीले व खट्टे फलों में विटामिन 'सी' होता है। जो मधुमेह, कैंसर, खून की कमी मोतिया बिन्द, दमा, गुर्दे की पथरी दूर करके रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ता है। 4. अंकुरित अन्न। निम्नलिखित आहार देता है ये लाभ :- 1. नींबू :- नींबू में विटामिन 'सी' होता है। , इसके रस का सेवन करने से भीतर से त्वचा साफ होती है और त्वचा चमकदार होती है। , शरीर को पोषण मिलता है। फ्लेवनायड होने के कारण शरीर गर्म रहता है। 2. बादाम, ब्रोकली, लहसुन, अदरक, गाजर व तिल के सेवन से त्वचा खिलखिला उठती है। 3. तिल :- सौन्दर्य में वृद्धि होती है। ऊर्जा मिलती है। तिल के तेल की मालिश करने से सूखी त्वचा में नमनीयता आती है। ठण्डा से बचाव होता है। पोषक तत्व प्राप्त होते हैं सफेद तिल खाने से जोड़ों का दर्द मिटता है। प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन 'बी' कम्पलेक्स तथा कार्बोहाइड्रेट मिलता है। काले तिल से लौह तत्व भी मिलता है। प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। 4. गाजर :- विटामिन 'ए' से भरपूर है। त्वचा को सेहतमंद बनाती है इसका विटामिन 'सी' चमक व पोषण देता है। कदूकस करके गाजर में शहद मिलाकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे पर निखार आता है। शरीर में कोलेजन की प्रक्रिया तेज होती है। झुर्रियां मिटती हैं। सर्दी-जुकाम मिटते हैं। पालक, गाजर व चुकन्दर का रस मिलाकर पानी से कब्ज टूटता है। आंतों को बल मिलता है। संक्रमण से बचाव होता है। 5. ब्रोकली :- विटामिन 'ए' 'बी' 'सी' की बढ़िया स्रोत है। त्वचा की नमी बरकरार रहती है। इसका विटामिन 'इ' सूरज की तेज किरणों से बचाता है। झुर्रियां व बारीक रेखाएं नहीं उभरती हैं। त्वचा की रंगत, बेहतर होती है। चेहरे पर पेस्ट भी कर सकते हैं तथा सब्जी बनाकर खाएं भी। 6. लहसुन :- ठण्ड से उत्पन्न रोग दूर होते हैं। शरीर गर्म रहता है। त्वचा खूबसूरत बनती है। त्वचा रोग दूर होते हैं। लहसुन का तेल लगाने से मुंहासे ठीक होते हैं। त्वचा का का सन्तुलन बना रहता है। शरीर पर बनी बारीक रेखाएं व झुर्रियां दूर हो जाती हैं। 7. अदरक :- यह एन्टी ऑक्सीडेंट से भरपूर है। आयु की बढ़ती निशानी को रोकता है। त्वचा की रंगत बेहतर होती है। त्वचा कोमल बनती है। अदरक का रस त्वचा की टेनिंग करने में सहायक है। ठण्ड के रोग दूर होते हैं। अदरक रस+शहद चाटने से खांसी दूर होती है। 8. अखरोट :- जोड़ों का दर्द, दमा, गठिया, दिल, याददाश्त में उपयोगी है। इसमें ओमेगा 3 की शक्ति होती है। 50-60 ग्राम नित्य सेवन ऊर्जा करें। 9. मूंगफली :- यह एक्टीऑक्सीडेंट से भरपूर होती है। यह ऊर्जा देती है। दिल के लिए उपयोगी होती है। इसमें खनिज लवण की पूर्ति होती है। मैगनीशिया फास्फोसस, सोडियम प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है। 10. खजूर :- यह एक्टीऑक्सीडेन्ट, विटामिन, खनिज लवण की अच्छी स्रोत है। ऊर्जा देती है। प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। रात को भोजन के साथ 4-5 खजूर का सेवन करें। 11. बादाम :- इसका विटामिन ई उसे एंटीऑक्सीडेंट पावर हाउस बनाता है शक्ति देता है, त्वचा के रखरखाव में इसका जादुई असर लाचन करें। होता है। त्वचा खिली-खिली रहती है। फेसमास्क बनाने के लिए गेहूं का आटा मिलाना चाहिए। यह एक हल्के ब्लीचिंग एजेंट की तरह काम करता है। बादाम का तेल होठों की रंगत वापस लौटाता है। न खाएं :- पित्त को कुपित मुनक्का कुष्मांडकालेह पेठे में नीले या आसमानी यह रंग नहीं मिलने पर पीले रंग घर में ही बनाकर अपने सास-ससुर, काली छिड़कर करने वाले पदार्थ, तले-भुने, नमकीन, चटपटे, ज्यादा गर्म, मिर्च मसाले, खटाई, अण्डे, मांस, मंदीरा से बचें मूंगफली खाकर तुरन्त पानी न पीयें। मैदे की चीजें न खाएं। तला हुआ बर्गर, पिज्जा, स्नेक्स, चॉकलेट, चिल्ली सांस, पास्ता न खाएं। विहार :- 1. संयम के साथ शरद ऋतु का आनन्द लें। 2. अधिक तेज धूप का सेवन त्वचा रोग बढ़ाता है। 3. अधिक व्यायाम भी हानिकारक होता है। 4. घर साफ-सुथरा रखें। औषधीय प्रकृति द्रव्यों का धुंआ लें। 5. शरीर की स्वच्छता का ध्यान रखें। 6. हरड़ का प्रयोग शक्कर के साथ उपयोगी है। 7. चन्द्र किरणों में परिवार सहित भ्रमण करें। 8. प्रात:कालीन सूर्य की धूप में सरसों के तेल की सप्ताह में एक बार मालिश करें। 9. दिन में सोना हानिकारक है। 10. त्रिफला चूर्ण, निशोथ चूर्ण, अमलतास का गूद, मुनक्का, च्यवनप्राश, मूसली पाक, आमलकी रसायन, ब्राह्मारसायन, वसन्त कुसुमाकर चिकित्सा की सलाह से लें। 11. फूलों की माला का आभूषण के रूप में प्रयोग करें। 12. खुले आसमान के नीचे न सोएं। 13. पूर्वी हवा व ओस से बचें। 14. रात्रि जागरण व अति सहवास से बचें। उषा पान करें। 15. सब्जी धोकर काटे न कि काटकर धोएं। शरद ऋतु में होने वाले रोगों में उपचार :- विकल्प 1. जुकाम/इन्फ्लुएंग्जा :- दालचीनी का तेल मिश्री के साथ थोड़ा-सा खाने तथा दालचीनी के तेल की कुछ बूंद छिड़कर सूंघने से लाभ मिलता है। नए जुकाम में दालचीनी की छाल का डेढ़ मासा चूर्ण गर्म पानी से लेने पर आराम आता है। 2. सिरदर्द :- सर्दी के कारण कफ रूकने से होने वाले हुए सिरदर्द में दालचीनी जल के साथ पीसकर, कुछ गर्म करके इसके सिर पर लेप करने से सिर दर्द दूर हो जाता है। 3. पाचन की गड़बड़ी :- त्रिफला चूर्ण सोते समय गर्म मिलाकर जल से लेकर पेट साफ रखें ज् 4. पित्त का शमन :- निराहार नींबू का रस थोड़े गर्म जल में शहद मिलाकर पीने से रक्त विकार, कब्ज, भूख मरना आदि में यह प्रयोग उपयोगी है। 5. चर्म रोग :- गाजर का रस उपयोग करने से चर्म रोग दोस्तोंनहीं हो पाते।