महिला रोग एंडोमीट्रियोसिस


विभिन्न महिला रोगों में गर्भाशय की कष्टदायक बीमारी है एंडोमीटियोसिस। यह शब्द एंडोमिटी से बना है जिसका अर्थ है गर्भाशय की भीतरी सतह को स्तरित करने वाली श्लेष्मिक झिल्ली रहती महिलाओं के गर्भाशय, फेलोपियन ट्यब्स व ओवरीज से जडी ऐसी समस्या है जिसके कारण महिला की शिकार हो जाती है। यह समस्या किसी भी लड़की या महिला को पहली फ्रस्टशन माहवारी से अंतिम माहवारी तक कभी भी हो सकती है, भले ही उसके बच्चे हुए हो या न हुए हो (इससे पीड़ित काफी महिलाएं बच्चे पैदा करने से अक्षम रहती हैं) बच्चेदानी की Tissue Linina को Endometrium कहते है। आर उस पर सोजिश (Inflammation) हो जाए तो उसे Endometriosis या Merits कहते हैं औरत के शरीर में जब कोई प्रक्रिया घटती है तो कारण हार्मोन्स ही होते हैं, चाहे ओवरी से अंडाणु का निकलना हो या गर्भधारण हो या न हो पर हार्मोन्स अपना काम करते रहते हैं। एंडोमीट्रियोसिस की स्थिति तब पैदा होती है जब भ्रूण के अंदर बढ़ने नियन्त्रण वाले Tissues की परत गर्भाशय से बाहर निकलने लगती है। ऐसी स्थिति तब पैदा होती है जब मासिक स्राव के समय का खन फेलोपियन ट्यूब से बाहर निकलकर श्रोणि के दूसरे हिस्सों में चिपक जाता है। आम तौर पर श्रोणि की दरारों में पाया जाता है। यह अंडाशय पर या उसके नीचे की ओर गर्भाशय के पीछे, गर्भाशय को यथास्थान रखने वाले Tissue पर या मलद्वार या मूत्राशय पर होता है। कुछ लोग मानते हैं कि Endometriosis आनुवांशिक होता है। गंभीर एंडोमीट्रियोसिस होने पर ओवरसीज ट्यूब्स के अलावा कई बार ब्लैडर व आंत तक आपस में चिपक जाते हैं। ऐसे मुश्किल और बिगड़े Cases बच्चदाना व अडदाना निकालना पड़ता ह या आंत व ब्लैडर को अलग करना पड़ता है। एडोमांटियांसिस का आम लक्षण हे ददे जो कि जा कि अक्सर पेट, कमर तथा निलम्ब के हिस्सों में होता होता है। कुछ अन्य लक्षणों में अप्रजननशीलता, मासिक स्राव से पहले दाग या दो मासिक धर्म के समय के १ बीच खून आना, परवाना करते समय दर्द या मासिक धर्म के दौरान पेशाब करते समय दर्द का Intervention एहसास होना और उस दर्द का लगातार बढना। इसके अलावा रोगिणी महिला में आंत की सजन के लक्षण भी हो सकते हैं। इस रोग से पीड़ित महिलाओं को बहुत शारीरिक एवं मानसिक कष्ट होता है। कई महिलाएं दर्द से इतनी बेहाल हो जाती है कि आफिस न जाकर घर पर ही दर्द से परेशान रहती हैं और कोई काम नहीं कर पातीं। घर में पति रहता है आर काई काम नहीं कर पाता। घर म पति व बच्चों से चिड़चिड़ापन और डांट फटकार करती हैं। जिन्हें गर्भधारण नहीं हो पा रहा उन्हें बांझपन से सम्बन्धित तनाव हो जाते हैं और वे चिंता, डिप्रेशन, फ्रस्टशन म घुलन लगता हदद का स्थिति में महिला पति का हाथ लगाना भी सहन नहीं करती। परिणामत: कई प्रकार की उलझनें दाम्पत्य जीवन में उतपन्न होती हैं। जब तक गर्भाशय में हार्मोनल बदलाव हो रहे हों तब तक एंडोमीट्रियोसिस होगा। जैसे ही मीनोपाज होगा, हार्मोन बनने बंद हो जाएंगें और एंडोमीटियोसिस होना रूक जाएगा। बहुप्रचलित पद्धति में शल्य क्रिया काफी प्रधान हैफिर भी इस रोग में जो भी दवा दी जाती है उसका मतलब रजोनिवृति यानि Menopause जैसी स्थिति पैदा करना है क्योंकि तभी हार्मोन्स की पूति शरार पर्ति शरीर में कम होती है और एंडोमीट्रियोसिस नि नियन्त्रण में आता है। बहुप्रचलित औषधि कोर्स समाप्त हान पर आर माहवारा नियामत हान स Side effect भा खत्म हा जाता है जो दवाय इस साल रोग की साधारणतया दी जाती हैं उनके Side Effects जैसे कि चेहरे पर बालों का उगना (HIRSUTISM), चेहरे पर दाने होना, बालों का ' झड़ना और मोटापा हो सकता है। औषधियों के अलावा Hormonal Injections भी देते हैं जिन्हें 6 माह से अधिक इस्तेमाल कराया जाए तो Osteoporosis के लक्षण हो सकते हैं। इन दवाओं और Injections का लक्ष्य होता है रजोनिवृति के लक्षण लाना जब माहवारी कम हो जाती है या बंद हो जाती है तो एंडोमीट्रियोसिस भी कम हो जाती हैएंडोमीट्रियोसिस का इलाज अन्य पद्धतियों जैसे कि एक्यपंचकर अरोमा थेरैपी रोकी व आस्टियो पैथी तथा चीनी जड़ी बूटियों द्वारा भी किया जाता है। हालांकि मुख्य प्रचलित प्रणाली चाहे इसे स्वीकार न भी करें परन्तु कई Cases हैं जिन को अन्य प्रणालियों से भी बिना Surgical Intervention या पीड़ादायक या Side Effect युक्त औषधियों से छटकारा मिला। महिला रोगों की चमत्कारिक चिकित्सा Homeopathy में है। होम्योपैथी में Endometriosis यानि metises नाशाहा यानि Inflammation of the Uterus की विभिन्न औषधियां, विभिन्न रोगावस्था अनुसार निर्धारित हैं। यदि दर्द या लक्षण कम हो तो दर्दनाशक दवायें देते हैं। चूंकि हार्मोन्स , एंडोमीट्रियासिस को नियमित चक्र प्रदान करते हैं, इसलिये मासिक चक्र की ही तरह एंडोमीट्रियोसिस के लक्षणों के उपचार में भी प्रोजेस्टरोन और एस्ट्रोजन हामोन दिए जाते हैं परन्तु यह उपचार तब तक काम करता है जब तक औषधि लेते रहो। ज्यों ही इलाज (गोलियां) लेना बंद किया तो गर्भधारण की क्षमता के लौटते ही एंडोमीट्रियोसिस के लक्षण भी लौट सकते हैं। हार्मोनल इंजेक्शन के भी गोलियों जैसे Side Effects होते हैं और 6 माह से अधिक समय तक इन इंजेक्शन के सेवन से ओस्टियोपोरोसिस (हड्डियों के मुरमुरा एवं कमजोर होने का रोग) होने का खतरा रहता है। फिर क्यों न रोग अवस्था एवं लक्षणानुसार सुरक्षित होम्योपैथिक औषधियों का प्रयोग करें। प्रमुख औषधियां है : एपिस मैल : डंक मारने जैसी, जलनशील दर्दै जो कि गर्मी से बढ़ती हों, छने या दवाब से भी बढ़े। साल , समय होती है और नितम्ब तथा पीठ तक जाएं। बुरी खबर सुनने या Damp Weather के दौरान बढ़े और आगे को झुकने एवं खुल कर मूत्र आने पर कम हो। . सिमिसिफ्यूगा : अंडेदानी भाग पर दर्द जो ऊपर और पट्टों तक जाए। एक नितम्ब से दूसरे पर और मासिक स्राव से पहले। सुबह और सर्दी में दर्द जो गर्माइश और खाने के बाद कम हो। जितना अधिक स्राव (Menses) हो उतनी अधिक तकलीफ। आर्सेनिक एल्ब : दायीं ओर पेट तथा पेडू में, ठण्ड और ठंडी पेय पीने और मध्यरात्रि के बाद, सीलन वाले मौसम में दर्द बढ़े। सीपिया : जब योनि में दर्द नीचे की ओर जाएसाक्षिा पास ५५ लापाजार जाए। दर्द जो योनि (Vagina) से बच्चेदानी तक हो। नहाने और सीलन वातावरण में बायीं ओर का दर्द जो गर्माइश और दवाब से कम हो। " इसी प्रकार अन्य अनेक औषधियां जैसे कि ब्रायानिया, हाइड्राकाटाइल, टिलिया यूरोया आदि हैं जो रोगावस्था या लक्षणों के आधार पर दी जाती हैं।