दिल के दौरों से बचाव ताकि दिल धड़कता रहे

         


           दिल के दौरों से बचाव


          ताकि दिल धड़कता रहे


 


दिल का दौर पड़ने के बाद पहले की स्थिति ! 1 में लौटे व्यक्ति की मृत्यु की भविष्यवाणी करने । के लिए डॉक्टरों द्वारा एक बड़ी ही खास १ तकनीक का प्रयोग किया जाता है, जिसके । जरिए उन्हें यह पता लगाने में बेहद आसानी । 1 होती है कि मरीज अपनी मृत्यु से कितनी दूर है। उस खास तकनीक को ‘लेट पोटेंशियल' कहा । जाता है। इसे अमेरिका के एक चिकित्सक ने । ईजाद किया और आहिस्ता-आहिस्ता य प्रयोग पद्धति भारत में फैली यह तकनीक ए दरअसल हृदय-गति अंकित करने वाले या । एक रूप है जिन हृदय-रोगियों को दिल का दौर पड़ चुका है, उनके लिए यह तकनीकी बेहद उपयोगी है। '। फिलहाल इस तकनीक की सुविधा 'दिल्ली के 'हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया' श्री बी पन्त अस्पताल' तथा 'एमपी हार्ट सेंटर |। में ही उपलब्ध है। अन्य बड़े शहरों में भी यह सुविधा जल्द ही उपलब्ध होगी और । * अधिक-से-अधिक रोगी इस से लाभान्वित हो। सकेंगे। 'कोई भी मरीज जब अपनी ईसीजी कराता है तो उसके हृदय की गतिविधियों से पैदा हुए विद्युत-विभव ईसीजी मशीन के ग्राफ परे अंकित हो जाते हैं। इस ग्राफ में जो मुख्य अवयव होता है, उसे क्युआरएस कहते हैं।



यह क्यूआरएस हृदय के निलय (वेटिकल) में संकुचन द्वारा उत्पन्न विद्युत टुकराव के फैल ! जाने को दर्शाता है। सामान्य ईसीजी की जॉच के द्वारा दिल के निलय में संकुचन के कारण वित्तीय । जो बदलाव आते हैं, उनका ग्राफ कंप्यूटर के स्क्रीन पर तो आ जाता है, किन्तु ‘लेट एस ट्रैसिंग पर निम्न फैलाव नहीं आ पाते, जबकि ‘लेट । पोटेंशियल' तकनीक वाली मशीन में निम्न । फैलाव भी आ जाते हैं। यह निम्न फैलाव क्युआरएस ट्रेसिंग के टर्मिनल पॉइंट पर पाए। जाते हैं। । यहाँ इसका जिक्र जरूरी है कि जिन मरीजों के दिल में ‘लेट पोटेंशियल' पाए जाते है, उनके दिल की धड़कनें नियमित नहीं होती। सिमझने और वह काफी तेज़ भी होती हैं। इसे 'कंटिन्युअस सस्टेन्ड वेन्ट्रीकुलर टैकीकार्डिया' कहते हैं। इसकी मौजूदगी में अगर फौरी तौर 'पर कोई उपचार नहीं किया जाए तो मरीज की । |अचानक मृत्यु सम्भव है। जाँच के दौरान अगर । मरीज में (दिल का दौरा पड़ने के बाद) 'लेय पोटेंशियल' न पाए जाए तो उसे कंटिन्युअस । सस्टेन्ड वेंट्रिकुलर टैकीकार्डिया' होने की 'आशंका काफी कम होती है और अचानक । उसकी मौत नहीं हो सकती। जिस मरीज में इस तिरह के लक्षण दिखाई देते हैं, उनको समुचित उपचार के जरिये बचाया जा सकता है और इस तरह दिल के रोगी अचानक मरने से बच सकते हैं। उपचार में कोताही होने से रोगी की अप्रत्याशित मत्य अवश्यम्भावी हो जाती है।अत: सही उपचार जरूरी है।एक छोटा सा ऑपरेशन और खतरे खत्म चिकित्सा :- विज्ञान आज नित नए प्रयोगों के सहारे आगे बढ़ रहा है। दिल मरीजों को अब डरने की जरूरत नहीं है। एक साधारण ऑपरेशन के जरिये दौरे रोके जा सकते हैं। यह ऑपरेशन गले की मुख्य धमनी में कोलेस्ट्रॉल का जमाव हटाने के लिए किया जाता है। । ब्रिटेन के चिकित्सा अनुसन्धान परिषद् की वित्तीय मदद से इस ऑपरेशन पर पिछले कई वर्षों से चिकित्सकीय परीक्षण चल रहे हैं। ये परीक्षण 14 यूरोपीय देशों के 4,000 से अधिक पर मरीजों पर किए जा चुके हैं। परीक्षणों का उद्देश्य ये साबित करता है कि गर्दन की धमनी से कोलेस्ट्रॉल का जमाव हटाना जीवन-रक्षको साबित हो सकता है। । कैरोटिड धमनी से कोलेस्ट्रॉल को हटाने पर । पहली बार 50 के दशक में विचार किया गया था, किन्त इन चिकित्कीय परीक्षणों के प्रारम्भ होने से पहले इस ऑपरेशन के प्रभावों को । सिमझने का कोई सार्थक प्रयास नहीं किया ' ।। ।। यूरोपीय कैरोटिड शल्य :- चिकित्सा , परीक्षण के आयोजक समूह अध्यक्ष चार्ल्स । वाटलो का इस सन्दर्भ में कहना है कि इस । लेय घटने की पांच प्रतिशत संभावना जरूर रहती ऑपरेशन के दौरान मरीज को दिल का दौरा है पर इस से आगामी दो-तीन वर्षों में पड़ने । वाले दिल के दौरों की संख्या लगभग पचास । प्रतिशत कम की जा सकती है। धमनियों में अवरुद्ध कर देता है, जो दिल का दौर पड़ने की कोलस्ट्रोल का जमाव रक्त के प्रवाह को मख्य वजह है। धमनी में कोलस्ट्रोल का जमावं हटाकर शरीर के विभिन्न हिस्सों में रक्त संचार ' में सुधार किया जा सकता है। ‘सिन्हा सदन' लोअर छिन्नमस्ता, राधानगर