एक्यूप्रेशरएक्यूप्रेशर, एक्यूपंचर, नेचुरोपैथी और वास्तु

जीने की लालसा ललचाती है और शरीर की जीर्ण शीर्ण स्थिति दम तोड़ती सी दिखती है। चेहरे पर अवसाद भी साफ दिखने लगता है। मरीज की अवस्था उसे एकबारगी परिस्थितियों के हवाले करती दिखती है और कभी उपरोक्त को भी देख लेते है कि भावना। क्या पता कुछ अच्छा हो ही जाएं। जी हां आज के बदले हुए परिवेश में इसी भावना के साथ लोग इन चिकित्सा पद्धतियों की और आकर्षित होते है। एक्यूप्रेशर, एक्यूपंचर और नेचरोपैथी ये सभी पद्धतियां आपको स्वस्थ जीवन शैली की और लेकर जाती है। वास्तु भवन रूपी शरीर को यही सब कुछ प्रदान करता है। चलिये आज इसी पर चर्चा करते है। झांकते है वास्तु के झ रा छा । स । NE उत्तर पूर्व :- भवन रूपी शरीर में उत्तर पूर्व दिशा वास्तु पुरुष का सिर है। संपूर्ण नाड़ी तंत्र यही से संचालित होता है, बिल्कुल आपके अपने मस्तिष्क की भाँति। जरा-सी चोट आपके सम्पूर्ण स्नायु तंत्र को क्षतिग्रस्त कर सकती हैं बिल्कुल इसी तरह आपके द्वारा किया गया अनअपेक्षित निर्माण सम्पूर्ण भवन के वास्तु को क्षतिग्रस्त कर सकता है। जो विकार आपके शरीर को हो सकते है वही विकार भवन रूपी शरीर को भी हो सकते है। अब विकारों पर भी दृष्टि डाल लेते है। यदि आपने जाने अनजाने में यहां Toilet, kitchen, store, overhead water tank, clock wise stairs का निर्माण करवा दिया है। या इस स्थान को SW द पश्चिम के मुकाबले ऊंचा कर दिया है या फर्श का ढलान दक्षिण पश्चिम की और कर दिया है तो यह बिल्कुल वैसे ही है जैसे आपने अपने सिर पर असहनीय बोझ लाद दिया हो। आपका शरीर इसे सहन नहीं कर पा रहा है, चिंताओं और परेशानियों को मस्तिष्क झेल नहीं पा रहा है। धमनियां फटने को है, बस यही सब कुछ भवन रूपी शरीर के साथ भी हो रहा है। चूंकि आप इस भवन में निवास कर रहे है यह सब आपके साथ, आपके शरीर के साथ, आपके निपारिवारिक, सामाजिक और व्यापारिक संबंधों NW के साथ भी होने लगता है। SW दक्षिण पश्चिम :- भवन की यह दिशा वास्तु पुरुष के पैर है। आपके शरीर का सारा भार आपके पैर ही संभालते है। पैरों का सुदृढ़ और सक्षम होना अत्यंत आवश्यक है ऐसे ही वाक्य भवन की इस दिशा का सुदृढ़ होना और भार सहने में सक्षम होना आवश्यक है। आइये विकारों पर भी विचार कर ले। यदि आपने यहां भारी निर्माण नहीं किया, यहां गार्डन बना दिया या यूं ही खुला स्थान रख लिया, यहाँ फर्श या kitchen छत का ढलान बना दिया, यहां Toilet, Bath room, Kitchen, Underground water यह tank बना दिया है तो ये अपने ही पैरो पर कुल्हाड़ी मारने जैसा ही है। जो कुछ भवन ठोकना रूपी शरीर के साथ हो रहा है वह आपके साथ दिशा भी हो रहा होगा यह निश्चित जानिए। इस श्रेणी F- 1 हैंSE दक्षिण पूर्व :- वास्तु पुरुष का यह दायां किसी हाथ है। आप अपने ज्यादतर कार्य इसी हाथ से करते है। सर्वाधिक भार उठाने की क्षमता और वही कुशलता इसी में है। कुशल हाथ ही अर्थ पूरी उपार्जन कर पाते है। यानी आपकी धन उपार्जन पूर्व क्षमता और सही उपयोग यही से संचालित है। विकारों पर दृष्टि डाले। Toilet, Bath Storage room, Under ground water tank, overhead water tank इत्यादि का निर्माण, यहां विकारों में गिने जाते है। जो हाथ विशेष आपको सखी और समद्ध बनाने में अपना डॉ. पूर्णिमा योगदान दे रहे थे जरा सी नासमझी से वे हाथ नि:सहाय और निर्बल हो गए। NW उत्तर पश्चिम-वास्तु पुरुष का यह बायां हाथ है। जीवन में आगे बढ़ने और संबंधों को बनाये रखने व समाज और धन के सहयोग का लाभ इसी दिशा और इस हाथ की सहायता से ही मिलता है। आपने मिल्ट्री की परेड में ये वाक्य जरूर सुना होगा Left Right Left इसी से आपको इस की अहमियत का अंदाजा हो जाएगा। विकारों की बात करे तो Underground water tank- Anti Clockwise stairs, Toilet, Bathroom, kitchen आदि यहां विकारों की श्रेणी में आते है। East पूर्व-वास्तु पुरुष की यह छाती है। आपके शरीर मे भी आपके सीने की अहमियत आप बखूबी पहचानते हैं। सीना ठोकना जैसे वाक्य आपने सुने ही होंगे। यही दिशा आपके सामाजिक संबंधों, सरकार के साथ आपके संबंधों को परिभाषित करती है। इस दिशा के विकारों में Toilet, Store, Bar, Clock Wise Stairs आदि का निर्माण इस श्रेणी में आता है। यह आपकी मान- मर्यादा और प्रतिष्ठा को लांछित करते है, ठेस पहुंचाते हैं। व्यक्ति बिना हैं। व्यक्ति बिना अधिक धन के जीवन यापन कर सकता है किंतु बिना सम्मान के एक पल भी मृत्यु तुल्य कष्ट का कारण बन सकता है। पश्चिम :- यह वास्तु पुरुष की कमर है। किसी भी शरीर में इनकी क्या उपयोगिता है। यह सर्व विदित है। कमर का दर्द जिसे होता है। वही अधिक सही से बता सकता है। शरीर की पूरी प्रक्रिया कमर पर टिकी है। इस दिशा का पूर्व दिशा की अपेक्षा ऊंचा और भारी होना आवश्यक है। विकारों की श्रेणी में Toilet, Storage of Valuable Items, Guest House, Servant Room, Washing Zone आदि का निर्माण आता है। इस दिशा विशेष का विकार आपको धन से विहीन और शरीर से अकर्मण्य बना सकता है।