कब्ज

                                                                       कब्ज 



कब्ज एक ऐसी समस्या है, जिसे आज के प्रत्येक मानव ने अपने जीवन में कभी ना कभी अवश्य अनुभव किया होगा। आधुनिक जीवन शैली व खान-पान के कारण कब्ज एक आम समस्या बन गई है। इस समस्या से बच्चे, युवा व बुजुर्ग कोई भी अछूता नहीं है। कब्ज का मोटा-मोटा अर्थ होता है मल का बिल्कुल भी त्याग ना होना या बड़ी कठिनाई से होना। इसके कारण मल त्याग करने में जोर लगाना पड़ता है। पेट दर्द, चुभन, पेट फूलना, जी मिचलना आदि शिकायतें भी हो जाती हैं। यदि यह समस्या लम्बे समय तक रहे तो इसके गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं। कारण :- इसका प्रमुख कारण आधुनिक जीवनशैली भी है। सारे काम मनुष्य बैठे-बैठे करता रहता है, जिसके कारण आँतों में पर्याप्त हलचल ना होने से आहार आँतों में एक जगह पड़ा रहकर सड़ने लगता है तथा कब्ज़ हो जाता है। आहार में फाइबर की मात्रा कम व junk food की मात्रा अधिक लेने, समय-असमय भोजन करना, कम चबाकर खाना, हरी सब्जी व फलों के स्थान पर पिज्जा-बर्गर आदि का सेवन, चाय-कॉफी का अधिक मात्रा में सेवन भी कब्ज का एक कारण है। पर्याप्त मात्रा में पानी ना पीना भी कब्ज का एक कारण है। कुछ रोग भी ऐसे हाते हैं, जिनके चलते मनुष्य को कब्ज भी हो जाता है जैसे Hypothyroidism, Gallstone, Parkinson, Depression, Diabetes आदि। कुछ दवा जैसे तनाव कम करने की दवा या खून बढ़ाने की iron मुक्त दवा का अधिक प्रयोग भी कब्ज पैदा कर देता है। पेट साफ करने के लिए विरेचक दवा Laxatives का । अधिक प्रयोग भी नुकसानदेह होता है। ३. चाय-कॉफी व अल्कोहल अधिक मात्रा में सेवन करने से भी कब्ज हो जाता है। मल त्याग करने का वेग होने पर यदि किसी कारणवश उसे टाल दिया जाए तो भी कब्ज का कारण बन जाता है। सामान्य रूप से व्यक्ति दिन में कभी एक बार, दो बार या अधिक या 2 दिन में एक हैंबार मल त्याग करने का आदी होता है। जब व्यक्ति अपनी आदत से हटकर अधिक दिनों में मल त्याग करने लगे, पेट में कड़ापन, दर्द, प्रयोग चुभन आदि महसूस करे तो कब्ज़ की स्थिति बन जाती है। महिलाओं में कब्ज के कारण :- गर्भावस्था में विलय हार्मोन के कारण आँतों की हलचल कम हो , जाती है तथा गर्भाशय का आकार बढ़ने के कारण भी कब्ज हो जाता है। मल बचाव :- कब्ज की शिकायत होने पर तुरन्त ध्यान देना जरूरी है अन्यथा काफी समय तक बैठे डॉक्टर पर्याप्त दवा विरेचक सब्जी घरेलू सेवन मुनक्का पकाकर गुनगुने रात जैसे , Diabetes कब्ज रहने पर बवासीर, भंगदर, गुदा भाग में दवा सूजन, अल्सर तथा रक्तस्राव आदि गंभीर बीमारियां भी घेर सकती हैं। दिन भर में कम से प्रचुर । कम 8-10 गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए। आहार के साथ थोडा पानी व 1 घंटे बाद । आपक . अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिये। पानी :- खाने के साथ कम पानी व 1 घंटे बाद अधिक ताजा पानी पीने की आदत बनानी कारणवश चाहिए। सुबह सोकर उठते ही एक गिलास गर्म गुनगुना पानी लेना चाहिए। इसमें एक चम्मच शहद व आधे नींबू का रस मिलाकर ले सकते हैं। इससे आंतों की क्रियाशीलता बढ़ जाती है। आहार. आहार में Fihar की मात्रा अधिक दो दिन यी फल देता टिका , प्रयोग अधिक करना चाहिए। स्वाद में भख से अधिक नहीं खाना चाहिए।



जीवन शैली :- खाना खाने के बाद 10-15 विलय ले ली जाट कीटियों का प्रयोग करें। यदि पांच माले जाना हो तो कम से कम एक माला सीढी का प्रयोग करे। मल त्याग करने का दबाव हो तो कोई भी कार्य छोडकर मल त्याग करने जाए। गर्भावस्था में कब्ज होना आम बात है। अपने आहार-विहार में उचित बदलाव करें। कोई भी विरेचक डॉक्टर की सलाह के बिना ना लें। कब्ज के कारण पेट दर्द व अधिक तनाव देने से गर्भपात का डर बन जाता है। दवा :- डॉक्टर की सलाह से ही दवा ले। तीव्र विरेचक अधिक समय तक ना लें। इसकी आदत बन जाती है। घरेलू उपचार :- सोने से पहले 8-10 मुनक्का का प्रयोग अवश्य करें। दूध में पकाकर भी ले सकते है। सुबह सोकर उठते ही गुनगुने गरम पानी की आदत डालें। अंजीर को रात में पानी में भिगोकर रखें, सुबह अंजीर खाकर, इसी पानी को पी लें। त्रिफला चूर्ण भी कब्ज के इलाज में काफी अच्छा है। ईसबगोल की भूसी रात में सोते समय दूध में मिलाकर ले। अलसी का प्रयोग करें। इसमें Fiber प्रचुर मात्रा में होता है। यदि कब्ज लम्बे समय तक रहे, पेट से गैस भी बाद ना निकले, तीन-चार दिन तक मल त्याग ना हो, गुदा द्वार चिर जाए, रक्तस्राव हो, पेट दर्द, जी मिचलाना आदि शिकायत हो तो तुरन्त अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें। कब्ज को कभी भी हल्के में ना लें।