maa ke prasanta


एक बच्चा अपने जन्म के साथ ही अपने लिए प्रसन्नता प्रकृति के अनुपम उपहार लेकर आता है। उसके जन्म के साथ ही उसकी माँ के स्तनों से दूध की धार बहने लगती है। उसी दूध से बच्चे का पोषण हंसेंगे होता है। माँ अपने बच्चे को देखकर अत्यंत प्रसन्न बढ़कर और कोई बड़ी खुशी हो ही नहीं सकती। जन्म के कुछ समय बाद ही बच्चा स्वाभाविक मुस्करानारूप से मुस्कराना और हंसना प्रारंभ कर देता है। अपने बच्चे की मुस्कराहट और हंसी देखकर माँ विभाजित खुशी से फूली नहीं समाती। उसकी इन क्रियाओं तरीके को देखकर माँ भी मुस्कराती और हंसती है तथा उससे प्यार करती है। प्रत्यत्तर में बच्चा फिर हंसना मुस्कराता और हंसता है। इस प्रकार माँ और बच्चे के बीच हंसी-खुशी और प्रसन्नता का एक स्थायी परिवेश निर्मित हो जाता है। प्रसन्नता की अवस्था में शरीर में उपयोगी हार्मोस अथवा रसायनों का उत्सर्जन संभव होता है। एक माँ जब प्रसन्न होती डायफ्राम है तो उसके दूध में भी उपयोगी हार्मोन अथवा तथा रसायन अपने आप मिल जाते हैं जो स्तनपान करने मिलती वाले शिशु की रोगावरोधक क्षमता का विकास है करने के साथ-साथ शिशु के रोगी होने पर उसे शीघ्र रोगमुक्त करने में भी सहायक होते हैं। हंसी एक सहज-स्वाभाविक क्रिया है, लेकिन है एक अद्वितीय क्रिया। यह एक मूल प्रवृत्ति है जो केवल जितनी मानव में ही पायी जाती है। कहा गया है कि साहित्य, संगीत और कला से विहीन मनुष्य पशु के समान है, यह बात कुछ हद तक ठीक है, लेकिन व्यावहारिक स्तर पर देखें तो जो व्यक्ति हास्य प्रकृति द्वारा मनुष्य को प्रदत्त इस अमूल्य उपहार इसे ‘हंसी' का अपने जीवन में उपयोग नहीं कर पाता हमारे वह सबसे बड़ा पशु है। मनुष्येतर प्राणियों में सिर्फ चिंपाजी ही एक ऐसा प्राणी है जो कुछ सीमा तक हंसने जैसी क्रिया कर सकता है अन्यथा पूरी सृष्टि में मनुष्य ही एकमात्र प्राणी है जिसे प्रकृति ने यह अमूल्य निधि प्रदान की है। अतः हास्य रूपी इस अमूल्य निधि का भरपूर प्रयोग कीजिए और अपने हार्मोन मनुष्य होने का प्रमाण दीजिए। हंसने का संबंध स्वाभाविक प्रसन्नता से है। जब हम प्रसन्न होते हैं तभी हंसते ) हैं। ऐसा हमारी सहस्राब्दियों की कंडीशनिंग के । कारण भी होता है। अतः यदि हम बिना बात भी होकर हंसेंगे तो स्वाभाविक रूप से प्रसन्नता की प्राप्ति होगी और प्रसन्नता की मनोदशा में शरीर की मिलकर परिवर्तन होगा। हास्य के कई सोपान हैं जैसे 5 मुस्कराना, हंसना और ठहाके लगाना। इन तीनों सोपानों को भी कई श्रेणियों और तरीकों में पानों को भी कई श्रेणियों और तरीकों में विभाजित किया जा सकता है, लेकिन हास्य जिस तरीके से भी प्रकट किया जाए उसका हंसने वाले । के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव ही पड़ेगा। हंसना एक संपर्ण व्यायाम है जिससे शरीर की सभी नाड़ियां खुलती हैं तथा शरीर की थकावट दूर होकर ताजगी उत्पन्न होती है। खुलकर हंसने से फेफड़ों, गले और मुंह की अच्छी कसरत हो जाती है। पेट एवं छाती के स्नायु मजबूत होते हैं। डायफ्राम मजबूत होता है तथा इससे मुंह, गले "" लिए तथा फेफड़ों संबंधी व्याधियों के उपचार में मदद। मिलती है। हंसने से रक्त संचार की गति तीव्र होती है जिससे खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती । है। इस पूरी प्रक्रिया से चेहरे पर रौनक आ जाती । है। जो जितना अधिक हंसता-हंसाता है उसका निर्मित चेहरा उतना ही अधिक दमकता है। शरीर में हसन जितनी अधिक मात्रा में ऑक्सीजन का अवशोषण हसन । होता है उतनी ही अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है " और जितनी अधिक ऊर्जा उत्पन्न होगी हम उतने ही अधिक स्वस्थ तथा रोगमुक्त होंगे। इस प्रकार हास्य जीवन का उपचारक एवं पोषक तत्व हैं और हास्य जीवन का उपचारकप पोषक न इसे जीवन का रस कहा जा सकता है। हास्य द्वारा । के हमारे शरीर की जीव-रासायनिक संरचना में " परिवर्तन आता है। हंसने से तनाव उत्पन्न करने । वाले हार्मोन कार्टिसोल तथा एपिनप्राइन के स्तर में कमी आती है जिससे शरीर तनावमुक्त हो जाता है। विचारों और तनाव मुक्ति का अर्थ है स्वास्थ्य। इसके अतिरिक्त हंसने से शरीर में एण्डोर्फिन नामक हार्मोन की मात्रा में वृद्धि होती है जो शरीर के लिए स्वाभाविक रूप से दर्द निवारक और रोग सीख सकते मगर हम उनसे चुप रहना । अवरोधक का काम करता है। कहने का तात्पर्य यह है कि हंसने से शरीर के लिए उपयोगी हार्मोंस का उत्सर्जन प्रारंभ हो जाता है जो हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। इस प्रकार हंसना अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक और पर्याय है। कहा जाता है कि गर्भावस्था में माँ को प्रसन्न रहना चाहिए क्योंकि इससे गर्भस्थ शिशु के विकास पर अच्छा असर पड़ता है। गर्भस्थ शिशु पर ही नहीं जन्म के बाद भी माँ के मनोभावों का उस पर गहरा प्रभाव पड़ता है। विशेष रूप से तब तक जब तक वह माँ का दूध पीता है। वैज्ञानिक शोधों से स्पष्ट हो चुका है कि स्तनपान के दौरान महिलाएं यदि प्रसन्न रहती हैं अथवा हंसती हैं तो इस दौरान उनके शर उनके शरीर में स्थित अंत:स्रावी ग्रंथियां सक्रिय है होकर कई प्रकार के एलर्जी रोधी रसायन अथवा हो हार्मोस उत्सर्जित कर देती हैं जो माँ के दूध में मिलकर स्तनपान करने वाले बच्चे को पोषण के साथ-साथ एलर्जी तथा अन्य रोगों से सुरक्षा प्रदान करे करने में सक्षम होते हैं। आप एक माँ हैं तो अवश्य मुस्कराई रूपांतरित कर देगा। इससन रूपांतरित कर देगी। इससे न केवल आपका स्वास्थ्य अच्छा हो जाएगा अपितु आपके बच्चे को भी लाभ मिलेगा। हास्य द्वारा सकारात्मक । दृष्टिकोण की सृष्टि कीजिए और सकारात्मक दृष्टिकोण द्वारा नकारात्मक दृष्टिकोण अथवा । गंभीरता रूपी केचुली सदा के लिए उतार फेकिये। बहाने बनाना छोड़िये और थोड़ा मुस्कराइये। इसके बाद हंसिये और जोर-जोर से ठहाके लगाइये। यही जीवन का अमूल्य रस है और माँ और बच्चे के लिए प्रकृति प्रदत्त अनुपम उपहार भी। याद रखिये हमेशा अपने शिशु के अच्छे स्वास्थ्य विषयक भाव अपने मन में बनाए रखें और यह भाव भी कि । उन्हें कैसे प्राप्त किया जा सकता है। अपने परिवेश को जीवंत बनाए रखें और ऐसी परिस्थितियां निर्मित करने का प्रयास करें जहां हमेशा हसन मुस्कराने के हसन या मुस्कराने का हंसने या मुस्कराने का अवसर मिले उसे हाथ से न जो जाने दें अपितु उसका भरपूर इस्तेमाल करें। हंसने या मुस्कराने में कंजूसी न बरतें। दिल खोलकर ठहाके लगाएं। हर मिलने-जुलने वालों का स्वागत ए एक मुस्कराहट के साथ करें। मन में किसी के प्रति भी कटुता या मालिन्य न रखें क्योंकि यह । आपके ही नहीं आपके शिशु के लिए भी है हानिकारक होगा। विषम परिस्थितियों में भी मन से प्रसन्न रहने का प्रयास करें। सदैव सकारात्मक विचारों से ओतप्रोत रहें। निराशाजनक विचारों से बचने का प्रयास करें और सदैव आशावादी बने रहें। याद रखें आपकी हर हंसी और मुस्कराहट में निहित है आपके लाडले शिशु का उत्तम स्वास्थ्यो ।