सूर्य के प्रकार से बढ़ाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता

                                     सूर्य के प्रकार से बढ़ाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता 



रोग सूर्य प्रकृति का नि:शुल्क उपहार और विटामिन डी का मुख्य स्त्रोत है। सूर्य की किरणें जीवनदायी होती हैं। सर्दियों में धूप सुहानी हो जाती है और मौसम में सुबह-शाम की धूप अच्छी लगती है। यदि इस मौसम में आप धूप का सेवन करते है तो स्वस्थ और नीरोगी बने रह सकते हैं। प्राचीन आयुर्वेद ग्रंथ अथर्वर्वेद में सवेरे धुप स्नान को हृदय की स्वस्थ बनाए रखने के लिए कारगर बताया गया है। जो व्यक्ति सूर्य उदय के समय सूर्य की लाल रश्मियों का सेवन करता है, उसे हृदय रोग नहीं होता। ग्रंथ में यह लिखा है कि सूर्य उदय के समय सूर्य को लाल किरणों के प्रकाश में खुले शरीर में बैठने से पीलिया रोग में लाभ होता है। सूर्य उदय के समय किरणों के सपंर्क में आने से शरीर पिगेमंर सेल्स पर रासायनिक प्रतिकियां आरभ्भ हो जाती हैं और बीमारी में लाभ हो जाता है। धूप हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाती है। यही नहीं सूर्य की किरणों में रोगाणुनाशक शक्ति भी होती है। धूप का सेवन किसी औषधि से कम नहीं है। इससे केश बढ़ते हैं, जोड़ों का दर्द और सूजन दूर होती है, मोटापे से मुक्ति मिलती हैं। आंखों में होने वाली समस्याएं नहीं होगी। धूप में कम समय रहने से बच्चों की नजर कम नहीं होगी। सूर्य की किरणों से विटामिन डी की आपुर्ति :- एक अनुमान के अनुसार देश के करीब 80 प्रतिशत लोगों में विटामिन डी की कमी है, जिसका मुख्य कारण उनका धूप से बचना। हमारे शरीर में विटामिन डी की मात्रा 30 नेनाग्राम (डी.एन) से कम हो जाए तो उसकी पूर्ति के लिए अलग से दवाई लेनी पड़ सकती है। यदि शरीर को पर्याप्त धूप नहीं मिले तो शरीर में मौजूद कैल्शियम काम नहीं कर पाता। नतीजन उनमें स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होने लगती हैं, जिनमें मासंपेशियों में दर्द, पीठ या कमर दर्द, हाथ पैरों में सुतन्नता आदि मुख्य हैं। यदि शरीर को पर्याप्त धूप न मिले और इस वजह से विटामिन डी की कमी हो जाए तो व्यक्ति अनेक गंभीर और जानलेवा बीमारियों की गिरफ्त में आ सकता है, जिनमें उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह, टी.बी, जोड़ों में दर्द, डिप्रेशन आदि हैं। यदि आप पर्याप्त मात्रा में धूप का सेवन करते हैं इसका फेफड़ों की बनावट और कार्यक्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। सूर्य की रोशनी का सेवन करने से मूड अच्छा रहता है। इसका कारण यह है कि सूर्य की किरणों से हमारे शरीर में एंडफिन हार्मोन पैदा होते हैं, जो मूड खुशग्वार बनता है। हा सूर्य की किरणों से हमारा प्रतिरक्षातंत्र मजबूत में मजबूत होता हैं। पीठ कमर दर्द से मुक्ति :- एक अमरीकी अध्ययन में पाया गया है कि ठंड के दिनों में यदि विटामिन डी की भरपूर खुराक ली जाए तो पीठ और कमर दर्द से आसानी से निजात मिल सकती है। धूप हमारी त्वचा पर जमी विशेष प्रकार की फफंद और बैक्टीरिया को नष्ट करती है। जब धूप त्वचा पर पड़ती है तो कुछ तत्व रक्त में प्रवेश करके उसे नई शक्ति देते हैं। पेशियां अधिक तन जाती हैं तथा बेहतर तर काम करने योग्य हो जाती हैं। एक तरह से तरह से हमारे स्नायुतंत्र को धूप से अतिरिक्त चेतना ना मिलती है। हमारी क्रियाशीलता बढ़ती है। धूप सेवन से हड्डियां मजबूत :- यदि आप पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी का सेवन करते हैं तो आपकी हड्डियों से जुड़ी बीमारियों से बचाव हो सकता है। वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया कि यह विटामिन न केवल मांसपेशियों को मजबूत बनाता है अपितु शरीर में आस्टियोकैल्किन नामक प्रोटीन के निर्माण में भी मददगार होता है। यह बोनमांस को । बढ़ाती है, जिससे फ्रेक्चर का खतरा कम होता है। शोधकर्ता डॉ. स्टीवर्ड के अनुसार विटामिन में । टी शरीर के लिए बहुत जरूरी है क्योकि यह सीधे तौर पर हड्डियों के स्वास्थ्य से जुड़ा है। शरीर में इसकी कमी से हड्डियों की सतह कमजोर हो जाती है, जो असहनीय दर्द का कारण बनता है। शरीर के भार का केन्द्र कमर होती है। रीढ़ की हड्डी पूरी तरह कमर पर टिकी होती है। विटामिन डी की कमी से रीढ़। के लिए शरीर में मरोडा आना बड़ी चुनौती बन जाती है। सूर्य की किरणों या धप इस समस्या से निजात दिलाती है। ज न न. । रोशनी से मिलने वाले विटामिन डी से गंभीर अस्थमा के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। फेफड़ों से ऑक्सीजन के पास होने ) के दौरान जलन होने से अस्थमा होता है। सूर्य की किरणें इस जलन को कम करती हैं। अस्थमा के मरीजों की प्रतिरक्षा प्रणाली काफी कमजोर होती है। अतः विटामिन डी से यह कमी पूरी हो जाती है। किस तरह रक्त कोशिकाओं द्वारा उत्पादित मालिक्यूल के स्तर को प्रभावित करता है। विटामिन डी इस हानिकारक मॉलिक्यूल्स के स्तर को कम करता है। : कैंसर से बचाव :- सुबह के समय सूर्य की . किरणो में स्नान करने से न केवल विटामिन डी । के स्तर को बढ़ावा मिलता है व वजन भी संतुलित रखता है। बॉडी मास इंडेक्स उन लोगों के मकाबले कम होता है, जो दिन के बाद का। हिस्से में धप में आते हैं। सबह के समय की रोशनी से वजन कम होता है। सूरज एक्सपोजर से सामान्य लाभ प्राप्त . होगा। 1. सूर्य के प्रकाश और पूरे खाद्य पदार्थ स्तन! कैंसर को छूट में भेजते हैं। अमेरिकी । चिकित्सक डॉ. जेन किई ने अपने रोगियों का । ३ इलाज करने के लिए सनबाथिंग और पोषण का इस्तेमाल किया। यहाँ तक कि टर्मिनल मामलों में, डॉ. केइमे मेटास्टामाइज्ड कैंसर को पूरी तरह से उल्टा कर सके। 2. सूरज की रोशनी खराब बैक्टीरिया को मार देती है। WWI के बाद जर्मन Solders उन खोजों के बारे में जानते थे जिन्हें 1903 में नोबेल पुरस्कार विजेता, नील्स फाइनन ने बनाया था। वे घावों को सूखने और सूखने के लिए सूर्य के प्रकाश का इस्तेमाल करते हैं। वितरित 3. त्वचा के विकारों पर धूप का लाभकारी प्रभाव होता है, जैसे कि छालरोग, मुहाँसे, एक्जिमा और त्वचा के फंगल संक्रमण। 4. सूर्य का प्रकाश कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। सूर्य खून में उच्च कोलेस्ट्रॉल को स्टेरॉयड हार्मोन में बदलता है और हमें सेक्स, प्रसूति के लिए हार्मोन की आवश्यकता होती है। सूर्य के प्रकाश की अनुपस्थिति में फल विपरीत होता है। (पदार्थ कोलेस्ट्रॉल में बदलते हैं।) 5. सूरज की किरणें निम्न रक्तचाप। यहां तक कि एक एकल जोखिम, उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों में रक्तचाप को काफी कम करता है। किया दूसरी ओर, स्टेट युनिवर्सिटी जैसे फार्मास्यूटिकल ड्रग्स के दुष्प्रभाव होते हैं, जैसे कि कोनेजाइम क्यू 10 के शरीर को लूटते हुए सेलुलर और हृदय ऊर्जा के लिए coQ10 आवश्यक है। 6. खुन और रक्त वाहिकाओं को साफ करने के लिए सूर्य का प्रकाश त्वचा में गहराई से प्रवेश करता है। यूरोप में प्रकाशित चिकित्सा साहित्य से पता चला है कि एथोरसक्लेरोसिस (कठोर धामनियों) वाले लोग सूरज एक्सपोजर के साथ सुधार करते हैं। 7. मानव रक्त में सूर्य के प्रकाश में ऑक्सीजन सामग्री बढ़ जाती है और यह सूर्य का प्रकाश किसे ऊतकों को ऑक्सीजन देने के लिए शरीर की क्षमता को बढ़ाता है। (बहुत व्यायाम के प्रभाव के समान। सूरज की सहनशक्ति, फिटनेस और मांसपेशियों के विकास पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। डिहाईड्रेसन 8. सूरज की रोशनी प्रतिरक्षा प्रणाली के स्वस्थ बनाता है। सफेद रक्त कोशिकाएं, जो सूरज की जोखिम के साथ बढ़ती हैं, उन्हें लिम्फोसाइट्स कहा जाता है, व ये संक्रमण के विरूद्ध शरीर के बचाव में एक प्रमुख भूमिका निभाती हैं। 9. नियमित सूरज की रोशनी में बच्चों की वृद्धि और ऊँचाई बढ़ जाती है, खासकर बच्चे इतिहास में कई संस्कृतियों ने इस तथ्य को मान्यता दी है। अध्ययनों से पता चलता है कि पहले कुछ महीनों में सूर्य के जोखिम की मात्रा का प्रभाव उस व्यक्ति पर कितना लंबा है, इसका प्रभाव है। 10. सूरज की रोशनी अवसाद का इलाज कर सकती है। दोपहर सूर्योदय 100,000 लक्स वितरित कर सकता है। जब हम दिन के सबसे अच्छे भाग के लिए कार्यालयों में बैठते हैं, नीयन और कृत्रिम रोशनी (150-600 लक्स) के तहत, हम स्वयं प्रकृति की रोशनी से वंचित हैं। सूरज की रोशनी के अभाव में मौसमी उत्तेजनात्मक विकार (एसएडी) कहा जाता है, जो अवसाद का एक रूप है। यह सर्दियों के महीनों में अधिक आम है, लेकिन उन लोगों में भी आम है, जो कार्यालयों में लंबे समय तक काम करते हैं। सूरज को एक्सपोजर धीरे से किया जाना चाहिए। यदि आप सूरज के लिए उपयोग नहीं किया जाता है, तो आपकी त्वचा इससे अधिक संवेदनशील हो जाएगी। अपनी सहिष्णुता को धीरे-धीरे तैयार करके सनबर्न से बचें। धूप सेवन का सही समय :- धूप स्नान सही समय सूर्योदय के समय का है। सर्दियों में सूर्योदय से लेकर सुबह नौ बजे तक के बीच धूप का सेवन किया जा सकता है। धूप सेवन की अवधि पाँच मिनट से लेकर आधा घण्टा तक हो सकती हैं। धूप का सेवन लाभदायक तो है पर अति हर चीज की बुरी होती है। ज्यादा देर तेज धूप में रहने से सूर्य की किरणों में अल्ट्रा वायलेट विकिरणों से सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। किसे धूप से बचना चाहिए? :- धूप की वजह से सनबर्न खुजली पैदा करने वाली गांठे आदि समस्या उत्पन्न हो सकती हैं। धूप छपाकी का कारण बन जाती है, जिसमें खुजली चलने वाले चकत्ते पड़ जाते हैं। जिन्हें डिहाईड्रेसन की शिकायत है, उन्हें धूप से बचना चाहिए। बुखार आने पर धूप का सेवन न करें अन्यथा शरीर का तापमान और बढ़ सकता है। इसी प्रकार त्वचा कैंसर, सफेद दाग, एक्जिमा आदि से पीड़ित व्यक्ति धूप में अधिक देर तक न रहे।