सोरायसिस

                                                     सोरायसिस


सोरायसिस यह एक त्वचा सम्बधी रोग है, जो एक असाध्य रोग माना जाता है। त्वचा के कई ऐसे रोग होते हैं जो लम्बे समय तक रोगी को परेशान करते हैं, और कई प्रकार के लम्बे उपचार के बाद भी ठीक नहीं होते हैं। सोरायसिस भी इसी प्रकार का त्वचा रोग है। यह शरीर का एक आटो इम्यून रोग' है। सोरायसिस क्या है :- यह एक चमड़ी पर होने वाली एक ऐसी बीमारी है, जिसमें त्वचा पर मोटी परत जम जाती हैं या ऐसे समझें कि त्वचा की सतह पर परत का अधिक बनना ही सोरायसिस होता है। त्वचा पर यह बीमारी सामान्यतः हमारी त्वचा पर लाल रंग की परत के रूप में उभरकर आती है। त्वचा की सबसे बाहरी परत (एपिडर्मिस) की अरबों कोशिकाएं प्रतिदिन झड़कर नई कोशिकाएं बनाती हैं और एक महीने में पूरी नई त्वचा का निर्माण होता है। इस रोग में कोशिकाओं का मिलने निर्माण बहुत तेजी से होता है और नई कोशिकाएं एक महीने की जगह 4-5 दिनों में बनकर मोटी चमकीली परत के रूप में दिखाई त्वचा पड़ती है। इस रोग के लक्षण शरीर के कई हिस्सों में दिखाई पड़ते हैं। जैसे- कोहनी, खोपड़ी, पीठ, पेट, हथेली, पांव के तलवे आदि। यह रोग 1-2 प्रतिशत लोगों में ही पाया जाता है और यह एक आधुनिक रोग भी हो सकता है। यह रोग कभी भी और किसी को भी हो सकता है। यह एक प्रकार का बार-बार होने वाला रोग है। यह रोग सर्दियों में ज्यादा होता है। (सोरायसिस को छाल रोग भी कहते हैं। सोरायसिस कैसे होता है, और लक्षण :- हमारे शरीर में दिन-प्रतिदिन बदलाव होते रहते हैं, जिसका हमें अंदाजा भी नहीं होता है, जैसे हमारे बाल, नाखून, इत्यादि रोज बढ़ते हैं। उसी विशेषज्ञ प्रकार हमारी त्वचा में भी परिवर्तन होता है। जो त्वचा महीने में बनती है उसका निर्माण असामान्य रूप से बहुत तेजी होकर 4-5 दिनों पीठ कई में ही होने लगता है। शुरुआत में त्वचा पर दिखाई रूखापन आ जाता है, लालिमा के साथ सोरायसिस छोटे-छोटे दाने निकल जाते हैं। ये दाने मिलकर है। छोटे-छोटे या फिर बड़े चकत्तों का रूप ले लेते सप्ताह हैं। चकत्तों की त्वचा मोटी हो जाती है और (इसमें खुजली होने लगती है। खुजलाने से त्वचा बगलपर से चमकीली पतली परत निकलती है और जांघों त्वचा लाल त्वचा पर खून की कुछ बूदें भी दिखाई देती हैं। रोग आमतौर पर यह रोग खान-पान की कमी तथा (बीमारी प्रदूषण के कारण भी होता है। शरीर को अगर सोरायसिस परत पौष्टिक आहार नहीं देते हैं और खाने में शरीर सबसे घी-तेल बिल्कुल ना के बराबर खाते हों तो यह जाता अरबों रोग हो सकता है। शरीर की त्वचा की अगर बुखारकोशिकाएं सही देखभाल नहीं करने से भी रोग हो सकता जैसे है। त्वचा को चिकनापन और पर्याप्त नमी नहीं (मिलने के कारण भी यह रोग हो सकता है। इस नई बहुत तेज धूप में बाहर अधिक रहने से भी यह प्रतिशत रोग हो सकता है। इससे निजात पाने के लिए शरीर त्वचा की सही प्रकार से देखभाल करना बहुत तेज जरूरी है। परत , सोरायसिस कितने प्रकार का होता है :- उपचार तलवे सोरायसिस के अधिकतर मामलों में एक (व्यक्ति को एक समय में एक ही प्रकार का हाथ जाता सोरायसिस होता है। सोरायसिस ठीक होने के से सकता बाद आपको अन्य प्रकार का सोरायसिस हो निकल सकता है। सोरायसिस के विभिन्न प्रकार के (होने भेद होते है। :।



(1), Plague सोरायसिस :- यह इसके । सोरायसिस का सबसे आम प्रकार है। इस प्रकार में कोहनी, घुटने, सिर की त्वचा और रोग रहते पीठ पर लाल मोटी परत जम जाती है, जिसमें कुछ जैसे सूजन और दर्द भी होता है। इसको त्वचा रोग परेशानी उसी विशेषज्ञ Vulgaris सोरायसिस भी कहते है। दैनिक (2). Guttate सोरायसिस :- यह अक्सर सोरायसिस निर्माण कम उम्र के बच्चों के हाथ-पांव, गले, पेट या पीठ पर छोटे-छोटे लाल दानों के रूप में दिखाई पड़ते हैं। प्रभावित त्वचा Plague सोरायसिस की तरह मोटी परतदार नहीं होती है। यह अक्सर अपने आप या उपचार से 3-4 सप्ताह में ठीक हो जाता है। (3). Inverse सोरायसिस :- इसमें बगल, स्तन के नीचे के हिस्से में, काख या जांघों में, लाल र अधिक पसीने या त्वचा घिसने के कारण यह रोग बढ़ जाता है। (4). Pustular सोरायसिस :- यह सोरायसिस का गम्भीर प्रकार है, जिसमें पूरे शरीर पर छाले बन जाते हैं, जिसमें मवाद भर जाता है। समय पर उपचार ना होने के कारण बुखार, जी मिचलाना, कमजोरी और बदन दर्द जैसे लक्षण नजर आते हैं। (5). Erythrodermic सोरायसिस :इस प्रकार के सोरायसिस में शरीर के 80 प्रतिशत हिस्से तक फैलाव हो जाता है। इसमें शरीर का तापमान बदल जाता है। हृदय गति तेज हो जाती है और जलन के साथ त्वचा की परत निकलती है। इस गंभीर प्रकार में तुरन्त उपचार होने पर रोगी की मृत्यु हो सकती है। (6). Nail सोरायसिस :- इसमें रोगी के हाथ और पैर के नाखूनों में सोरायसिस फैलने से नाखून विकृत हो जाते हैं और अपनी जड़ से निकल जाते हैं। (7).Psoriatic Arthritis सोरायसिस :- 10 वर्षों से अधिक सोरायसिस होने पर इसके दुष्प्रभाव के कारण शरीर के जोड़ों में दर्द और सूजन आ जाती है। अधिकांश रोगियों में रोग के लक्षण ठंड के समय बढ़ जाते है पर कुछ रोगियों को गर्मी के महीने में अधिक परेशानी होती है, जिसके कारण रोगी की दैनिक गतिविधि में मुश्किल आ जाती है। सोरायसिस का उपचार :- सोरायसिस होने पर चिकित्सक के बताएं निर्देशों का पालन करते हुए पर्याप्त उपचार करायें ताकि रोग नियंत्रण में रहे। 1. गले के इफेक्शन से बचें। 2. तनाव रहित रहें। 3. गले का इंफेक्शन और तनाव सीधे तौर पर सोरायसिस को प्रभावित करता है। 4. धूमपान का सेवन कभी ना करें, इससे शरीर में विटामिन-सी खत्म होता है। 5. शराब या अन्य प्रकार के नशे से दूर रहें। जो ये उसे 6. कभी भी कब्ज ना होने दें।। 7. सदियों में कम से कम 3 लीटर पानी और गर्मियों में 5-6 लीटर पानी जरूर पिएं। 8. ठंडा पानी ना पिएं। 9. खाना-खाने के 1 घंटे बाद पानी पिएं।। 10. खाना बनाने में सरसों या जैतुन का तेल का ही प्रयोग करें। 11. सोरायसिस वाले स्थान पर रूखापन ना 17रहने दें, बहुत अच्छी क्वालीटी की नमी 18 वाली क्रीम लगाएं। 1912. खाने में पौष्टिक आहार का अधिक ठीक सेवन करें। 13. टोमेगा 3+6 का सेवन करें इससे त्वचा होती में नमी बनी रहेगी। 14. खाने में सेंधा नमक ही इस्तेमाल करें। 15. इस रोग को ठीक करने से सबसे बड़ा उपचार मददगार हो सकता है वह है एलोवेरा। एलोवेरा 400 तरह का होता है और उसमें से विशेष 100 प्रतिशत अच्छा 1 ही प्रजाति का है। उसका गुण है त्वचा की तीसरी परत में। बिना जाकर रोग को खत्म करना। इसमें अच्छा । एलोवेरा की क्रीम और मधुमक्खी के छत्ते से इस बनी क्रीम काफी कारगार है। 16. कास्टिक युक्त साबुन कभी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। 17. सुबह की हल्की धूप फायदेमंद है। 18 तेज धूप से बचें। 19. यदि रोगी इस गंभीर रोग से सचमुच ठीक होना चाहता है तो शरीर को अन्दर और बाहर दोनों तरफ से उपचार की आवश्यकता होती है। रोग कोई भी गम्भीर नहीं होता है बल्कि सही उपचार नहीं मिलने से रोग गंभीर अवस्था में पहुंच जाता है। (किसी भी प्रकार के रोग व उपचार हेतु मुझे फोन द्वारा सम्पर्क कर सकते हैं।) विशेष :- एलोवेरा बहुत ही फायदेमंद है। लेकिन इसमें 11 जहरीले तत्व भी होते हैं। बिना जानकारी या सलाह के इस्तेमाल ना । करें। इस पत्रिका के माध्यम से मिलने वाले रोगी से परामर्श शुल्क नहीं लिया जाएगा।