थायरॉइड से ज्यादा खतरा

                                                थायरॉइड से ज्यादा खतरा 


 


 



थायरॉइड की समस्या इस समय बहुत तेजी से बढ़ रही है। पुरुषों से ज्यादा महिलाएं इस रोग का शिकार हो सकती हैं। वैसे तो थायरॉइड रोग अनवांशिक होता है और माता-पिता द्वारा या शरीर में आयोडिन की कमी से भी ऐसा हो जाता है। मगर कई बार आपके आस-पास मौजूद चीजें थायरॉइड के रोग को बढ़ाने में मदद करती हैं। जी हां! आपके आस-पास मौजूद बहुत-सी चीजों में कुछ ऐसे हानिकारक टॉक्सिन्स होते हैं जो थायरॉइड की समस्या को बढ़ाते हैं। आइये आपको बताते हैं उन टॉक्सिन्स के बारे में और वे जहां मौजद होते हैं उस जगह के बारे में । -1 परकोलोरट्स :- साडासा के अनुसार हम मा 'से लगभग सभी लोगों के शरीर में म ''परकोलोरेट्स पाया जाता है। परकलोरेट्स वह है जो रॉकेट, जेट फ्यूल और कार एयर बैग्स चिलकर को बनाने में इस्तेमाल किया जाता है। यह टॉक्सिन हमारे पीने के पानी और खाने में भी पिस्टीसाइड्स पाया जाता है। सीडीसी के अध्ययन के सी के अध्ययन के ताबिक यह टॉक्सिन थायरॉइड ग्रंथि को 'प्रभावित कर लो थायरॉइड के लक्षणों को पैदा करता है। - पीसीबी एस :- पोलीक्लोरीनेटेड। 'बाइफिनायल एक औद्योगिक रसायन है जो कि 1970 से बैन है लेकिन फिर भी आज उसके नमने हमारे वातावरण मिलते हैं। ऐसा देखा फ्लेिम गया है कि पीसीबी थायरॉइड उत्तेजक हार्मोन (के स्तर को बढाता है जिससे थायरॉइड ग्रंथि की क्रियाशीलता कम हो जाती है। इस टॉक्सिन थायरॉइड के कारण हमारे लिवर के एंजाइम भी प्रभावित होते हैं। ।। डॉयक्सिन :- पीसीबीएस और डॉयक्सिन को हार्मोन ग्रंथि के लिए रूकावट पैदा करने वाला माना जाता है। इसके ऑरेंज का प्राइमरी टॉक्सिन घटक है। एजेंट दिखाई ऑरेंज की के कारण थायरॉइड संबंधी 'शायॉट यी समस्याएं पैदा होती हैं। । सोया :- सोया के सेवन से थायरॉइड ग्रंथि की । सामान्य क्रियाओं पर खास असर पड़ता है। ' सोया उत्पादों का जरूरत से ज्यादा प्रयोग भी मा थायराइड का कारण हो सकता है। यह उस उस प्रक्रिया को रोक देता है जिससे आयोडीन थायरॉइड हार्मोन में बंदलता है। शोधों में भी । 'पाया गया है कि जिन नवजात शिशुओं को सोया से बना दुध दिया जाता है उनमें आगे चिलकर थायरॉइड की समस्या हो सकती है। पिस्टीसाइड्स :- पेस्टीसाइड्स के कारणों थायरॉइड की समस्या होने का खतरा बना थायराइड की समस्या होने का खतरा बना रहता है। जो लोग अपने रोजमर्रा के कामों में पिता पेस्टीसाइड्स का प्रयोग करते हैं वे अन्य लोगों के मुकाबले थायराइड की समस्या से जल्दी ग्रस्त होते हैं क्योंकि यह थायराइड ग्रंथियों से 'निकलने वाले हार्मोन के निर्माण पर अस डालता है। । फ्लेिम रीटारडैटस :+ फ्लेम रिटारडैटस व पॉलीब्रोमानिटेड डाइफिनायल ईथर (पीबीडीई क्रियाओं एस) यह टॉक्सिन थायरॉइड ग्रंथि की क्रियाओं में बाधा पहुंचाता है। यह रसायन आपके आहार-विहार एवं स्वास्थ्य विशेषांक ।। फर्नीचर के गद्देदार हथ्थों, कंप्यूटर स्क्रीन और - टीवी स्क्रीन पर पाए जाते हैं। । प्लास्टिक :- प्लास्टिक हमारे शरीर के लिए बहुत नुकसानदेह है। प्लास्टिक की बोतल से किसी भी प्रकार का पेय पीने से हमारे शरीर में जहरीले रसायन का प्रवेश हो जाता है। नल के पानी को सुरक्षित बनाने के लिए एक ऐन्टमोनी - लेवल सेट किया जाता है जिसके बाद ही पानी को पीने योग्य माना जाता है। शोध के मुताबिक प्लास्टिक की बोतल में जूस या फ्रंट ड्रिंक का ऐन्टमोनी लेवल नल के पानी के मुकाबले 2.5 गुना ज्यादा था जो कि थायरॉइड ग्रंथि के रोगों को बढ़ा सकता है। पीएफओए :- पीएफओए एक प्रकार का प्रभावित रस रसायन है जो कि खाना पकाने वाले बर्तनों पर लगाया जाता है। यह खाना पैक करने वाले कागजों और अन्य चीजों में पाया जाता है। यह वाला करता है जिसकी वजह से थायरॉइड के लक्षण थायरॉइड ग्रंथि की क्रियाओं को प्रभावित एजेंट दिखाई देते हैं।


हल हैलोजेन :- फ्लूयोराइड और क्लोराइड के कारण शरीर में आयोडीन की मात्रा नहीं पहुंच । पाती है और थायरॉइड हार्मोन को सक्रिय रखने वाले टी4 और टी3 से से संपर्क खत्म हो जाता है। ये हैलोजेन आपके खाने, पानी, दवाओं या वातावरण में मौजूद होते हैं क्योंकि यह दिखने L में आयोडीन की तरह होते हैं तो यह आयोडीन के घटकों की जगह लेकर शरीर में प्रवेश करा जाते हैं। भारी धातु :- मरकरी, लेड और एल्मुनियम शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए खतरनाक हो सकते हैं साथ ही यह थायराइड के स्थिति को पैदा करता है। गट परी - । नहीं होता है लेकिन शरीर में इसकी मात्रा का पिता ब्लड टेस्ट या यूरीन टेस्ट के जरिए लगाया जा सकता है। एंटीबैक्टेरियल उत्पाद :- ट्राइक्लोजन एक एंटीबैक्टेरियल तत्व है जो साबन, लोशन और टूथपेस्ट में पाया जाता है। शोधों के मुताबिक इनकी थोड़ी मात्रा शरीर के लिए सुरक्षित है। लेकिन ज्यादा मात्रा थायरॉइड ग्रंथि की क्रियाओं को नुकसान पहुंचाती है। यह हार्मोन को बाधित करने का काम करते हैं जो शरीर के लिए नुकसानदेह होता है।