अश्म यानी पत्थर और अश्मरी यानी पथरी। वेदना शुरू होकर आगे नाभी के नीचे पेडू तक विश्वविद्यालय आज के वक्त में पथरी के मरीज बहुत सारे असहनीय पीड़ा होती है। इसे अंग्रेजी में पखिव देखने में आते हैं। आयुर्वेद में आठ महाव्याधी स्पासमोडिक पेन (Spasmodic pain) कहते हैं। जीह्वा बताये हैं, जिसमें पथरी का भी स्थान है। पथरी में इसमें जीर्ण ज्वर या वॉमिटींग भी हो सकती है। होने वाली वेदना असहनीय होती है। जिस प्रकार मूत्र में जलन या रूक-रूककर मूत्र प्रवृत्ति होना बंदक की गोली लगने से पशु या पक्षी सामान्य लक्षण है। मूत्र की गंध बकरे के मूत्र तडपते-तडपते दम तोड़ते हैं कुछ ऐसी ही पीड़ा जैसी होती है। कभी-कभार मूत्र मटमैला या रक्त मरीज को होती है। हम इसे अंग्रेजी में शटिंग पेन वर्ण भी हो सकता है। पथरी होने की वजह तथा (Shooting nain) कह सकते हैं। पथरी शरीर में हमारी अपने शरीर के प्रति लापरवाही हैआज कहीं भी हो सकती है। हम सभी सामान्यतया गुर्दे के जमाने के पिज्जा-बर्गर ज्यादा नमीकन खाना, यानी किडनी और पित्ताशय यानी के गॉल ब्लेडर अंडे-मांस-शराब का सेवन, बासी भोजन, गंगाधर की पथरी के बारे में ही जानते हैं। अंदाजन रात्रि-जागरण, ट्टटी-पेशाब को रोकना आदि। तीस-पैंतीस साल पहले मैंने पान की दुकान करने अगर किन्हीं कारणों से वाय-पित्त और कफ वाले इब्राहिम नाम के युवक के मसूड़े में से बिगड़ने से पेट में गैस बनने से अनेक प्रकार के मुम्बईपथरी निकाली थी। रोग होने की शुरुआत होती है। इसमें पथरी भी जीभ के नीचे और यकृत में पथरी हो सकती समाविष्ट है। नामक है। वायु-पित्त और कफ से पथरी होती है, यह जनसामान्य के लिए यह ज्ञान पर्याप्त है। मुझे लिखा हमारे आयुर्वेद में चरक-सुश्रुत आदि सभी आधुनिक विज्ञान से कोई भी शिकायत नहीं है। ऋषियों ने कहा है। आज का आधुनिक एलोपैथी आधुनिक विज्ञान की आवश्यकता सोनेग्राफी विज्ञान भी इस तथ्य को मानता है। वायु की और एक्स-रे जांच करवाने से और मूत्र परीक्षण निम्नांकित पथरी को ओक्सोलेट (0xalate stone) पित्त (Urine exam) करवाने से पथरी के स्थान, की पथरी को यूरेटस (Urates) और कफ की संख्या और कद (Size) का पता चलता है और दुबारा पथरी को काबोनेट स्टोन (Carbonate stone) बाद में लेजर किरणों से या लिथोटोप्सी से पथरी कहते हैं। शरीर के अंदर ही तोड़ी जाती है और वॉटर थैरेपी 1इसके अलावा वीर्य की भी पथरी होती है। देकर या ग्लूकोज के बोतल चढ़ाकर पेशाब में इसे शुक्राश्मरी (शुक्र यानी वीर्य-अश्मरी यानी निकाली जाती हैपथरी) कहते हैं। हमारे मन की गति पवन से भी अगर पथरी का साइज 2 से. मि. से ज्यादा वर्ष ज्यादा होती है। श्रृंगार रस से भरपूर फिल्म देखने है तो इन्ट्रावेनस पायलोग्राफी जांच से पता चलता से या अश्लील फिल्में देखने से या किसी स्त्री है, ऐसे केस में ऑपरेशन करना जरूरी हो जाता । 2को देखने से मन तड़पने लगता है। मन में विकारों है। पित्ताशय (Gall Blader) पथरी को प्योस्कोप " की बाढ़ आती है जिसके कारण स्वप्नदोष से निकाली जाती है। यह सभी हमारे लिए अत्यंत 7 है जिसके काणा प्वप्नदोष २ ३ गटान (Night Discharge) होता है या शुक्राश्मरी आशीर्वाद स्वरूप है। मिलाकर होती है। इस विषय की चर्चा अन्य चिकित्सा आपातकालीन स्थिति में यह करना जरूरी है पद्धतियों में नहीं है। किन्तु पथरी दुबारा नहीं होगी, अवश्य होगी पथरी में कमर की बाई या दाहिनी ओर से कितनी बार लेजर-लियोटोप्सी क्रिया (Coloration) करवाओगे। पथरी निकालना आसान हो गया है। किन्तु दुबारा या बार-बार यह ना हो इसलिए आयुर्वेद के सिवा कोई रास्ता नहीं है। सही पथ्य-पालन के साथ औषधि सेवन करके तथा जीवन सही तरह से आयुर्वेद के स्वस्थ वृत्त में बताये हुए नियमों का पालन करके व्याधि मुक्त होकर आसानी से जिन्दगी बसर कर सकते हैं। पथरी गुर्दे (Kidney) की हो या (Gall Blader) पित्ताशय की हो या शरीर के कोई भी अंग में पथरी दुबारा नहीं हो सकती।जिनके कारण जामनगर आयुर्वेद विश्वविद्यालय बना। वे स्व. राजवैद्य रसिकभाई पखिव के गुरु जी स्व. प्रभाशंकर गढ्डावाला ने जीह्वा के नीचे से पथरी निकाली थी। प्रभाशंकर जी ने अपने गांव के लोहार और सुनार से महर्षि सश्रत के बनाये हए तरीके से यंत्र और शस्त्र बनवाये थे और पूना तथा मुंबई में ऐलोपैथी और रक्त अन्य चिकित्सा पद्धति का शल्य चिकित्सा का तथा समाजसेवियों की उपस्थित में पथरी के और आज गोलियां (cafrackके ऑपरेशन किया थेट , कार्यक्रम की अध्यक्षता स्व. लोकमान्य बाल , गंगाधर तिलक ने की थी। तिलक जी ने प्रभाशंकर भाई को आधनिक सश्रत कहकर सम्मानित किया था। यह समाचार उस जमाने के मुम्बई-पूना से प्रकाशित 'सांझ वर्तमान' अखबार में छपे थे। इस विषय में मैंने आधुनिक सुश्रुत नामक लेख भी निरामय गुजरात मासिक में मुझे लिखा है। अब कुछ प्रयोग देखिए। मुझे स्वस्थ रहकर सोनेग्राफी सौ वर्ष जीना है। ऐसी प्रतिज्ञा कीजिए और परीक्षण निम्नांकित प्रयोग में से कोई भी दो-तीन प्रयोग , अवश्य पांच-छह माह कीजिए। कभी पथरी और दुबारा ना हो इसलिए साल भर भी प्रयोग कर सकते हैं 1. शुद्ध शिलाजीत एक-एक ग्राम सुबह और रात को सोते समय गाय के दूध या जल के साथ लें। (मैंने स्वयं पांच-पांच ग्राम शिलाजीत 2-3 ज्यादा वर्ष तक लिया है।) । 2. छोटी इलायची, हींग और गाय का घी या गाय प्योस्कोप के दूध के साथ पीना चाहिए। : एक ' गटान 3. एक ग्राम मिश्री और एक ग्राम जल खार मिलाकर दिन में दो-तीन बार जल के साथ पीना चाहिए।
अश्म यानी पत्थर