बुजुर्गों का आहार-विहार कैसा हो?

विश्राम हेतु मानव का बचपन चिन्तारहित खाने-पीने, खेलने बोतल का होता है। जवानी में शक्तिशाली सब कुछ पचाने वाला मदमस्त होकर जीता है, परन्तु 2वृद्धावस्था की ओर अग्रसर होते हुए जैसे ही उमर ढलान में आती है शरीर के सभी अंग निष्क्रिय व तेजहीन होने लगते हैं। इन्द्रियों में 3शिथिलता एवं धीमापन आ जाता है। जठराग्नि मन्द हो जाती है। इस अवस्था में विभिन्न प्रकार । के भोजन खाने का जी करता है, परन्तु पचता नहीं है। यदि खा लें तो पेट में अपच, खट्टी 4टटी 4डकारें आती हैं। बस फिर वही जवानी के दिन याद आते हैं। यह ऐसी अवस्था होती है कि तन बुढ़ापे की राह में डगमगाने लगता है परन्तु मन गर्म जवानी की छलांगें लगाना चाहता है। मन अत्यन्त चंचल हो जाता है तथा इधर-उधर भटकता है। इस उम्र में शरीर कमजोर होने के कारण विभिन्न 5प्रकार का बीमारिया कारवा की तरह निर्बल रहित शरीर रूपी अभिमन्यु को घेर लेती हैं तथा एक पीसकर साथ हमला करती हैं। बस यही समय होता है कि हर मनुष्य को जो इस अवस्था में प्रवेश कर रहा है, उसे अपने शरीर की बहुत देखभाल । करनी चाहिए तथा खाने-पीने और रहन-सहन । । उपवनतथा में संयम बरतना चाहिए। यदि अपनी देखभाल नहीं की तो नास्ता दवाइयों के साथ शुरू होता है। 7तथा हर खाने के साथ दवाइयां भोजन का अंग बन जाती हैं। फिर भी स्वास्थ्य काबू में नहीं रहता है तथा जीवन नरक तुल्य हो जाता है। यदि 8आप अपना सुखमय जीवन जीना चाहते हैं तो आइए जीवन में कुछ नियम बनाएं तथा अपना योग खानपान बदलें तथा अपने रहन-सहन में दूर परिर्वतन लाएं। ऐसा करने से अपना जीवन o सुखमय जी सकते हैं। कुछ नियम इस प्रकार र अपनाएं :। कछ दैनिक नियम :- 1. नित्य प्रातः हरी हेतु जाता है, ठीक इसी प्रकार मनुष्य का जीवन बोतल का सूर्य तप्त 2 गिलास पानी पीने की 10आदत डालें तो पाखाना साफ आयेगा। 2. इस उम्र में कब्ज अधिक परेशान करती है। अतः रात्रि में एक गिलास गर्म दूध अथवा गर्म 11पानी के साथ एक चम्मच त्रिफला चूर्ण लें। दिन 3. या एक हरा आंवला पीसकर उबालकर पिएं समाज या साधारण पानी में मिलाकर पिएं। इससे पेट । साफ हो जायेगा। पानी में शहद डाल सकते हैं। बजर्ग 4. पेट साफ 4. पेट साफ न हो तो रात्रि में 2 चम्मच ईसबगोल पार की भूसी एक गिलास गर्म दूध के साथ लें। कब्ज़ अधिक सताये तो 20 मि.ग्रा. अरण्डी का तेल मन्द गर्म दूध से लें। प्रातः पेट पूर्णरूपेण साफ हो तलाजायेगा। परन्तु यह प्रयोग आवश्यकता होने पर हैकरें। 5. यदि रात्रि में दूध पीने की आदत है तो क्रीम रहित दूध में 10-11 किसमस या 5-7 मुनक्का शाकाहरी पीसकर डालें और उबाल कर सहाता-सा गर्म 5पीने की आदत डालें। इससे पेट साफ रहेगा। 6. बजर्गों को रोज प्रातः उठकर धीरे-धीरे बाग, होते । उपवन, वाटिका में भ्रमण जरूर करना चाहिए केलातथा लम्बी गहरी श्वांस लें। पका 7. प्रातः साफ-सुथरी जगह में कपालभाति, लेना भस्त्रिका तथा अनुमोल-विलोम प्राणायाम । 3धीरे-धीरे सहज गति से करे। 8. किसी योग शिक्षक से योगासन सीखकर जरूर करें अथवा आसान शारीरिक व्यायाम करें। तरह योग से शरीर लचीला व सक्रिय होगा तथा रोग क्रिया दूर रहेंगे। 4o पात. ध में निकाल मा मालिश करना चाहिए। शीतकाल में दोपहर की 5धूप तथा ग्रीष्मकाल में 7-8 बजे की धूप में मौसमीबैठकर तेल मालिश कर सकते हैं। 6 10. शीतकाल में बादाम या काली सरसों के तेल से मालिश करें तथा ग्रीष्मकाल में नारियल तेल से मालिश करनी चाहिए। 11. सुबह-सायं ध्यान साधना करनी चाहिए तथा दिन में अच्छी पुस्तकों को पढ़ें। इस उम्र में समाज सेवा व देश सेवा के कार्यों में लगना चाहिए। बजर्ग नाश्ते में क्या खाएं :- जब उम्र 45-50 पार करने लगे तभी से खान-पान पर ध्यान देना चाहिए। हमारी जठराग्नि उम्र के साथ शनैः-शनैः मन्द होने लगती है। अतः भारी, ठोस, तला-भुना, तेलीय खाना पचाने में मुश्किल होता है। बुजुर्गों को सदैव हल्का सुपाच्य नाश्ता करना चाहिए। 1. प्रातः नाश्ता शीघ्र पचने वाला, हल्का तथा शाकाहरी होना चाहिए। नाश्ता करने के बाद 5-7 मिनट टहल लें। 2. अच्छा होगा मौसम के अनुसार प्राप्त फलों का नाश्ता करें। फल शुद्ध होते हैं तथा शीघ्र पचते हैं। कभी पका सेव, पका केला, पका अमरूद, पके अंगूर, पकी नाशपाती, पका पपीता, पका आम, सन्तरा, शरीफा, चीकू आदि जो भी फल उपलब्ध हों उनको नाश्ते में लेना चाहिए। । 3. एक दिन में एक बार में एक तरह का ही फल खाना चाहिए। कभी भी मिक्स फ्रंट यानी कई तरह के फल एक साथ न खाएं उससे पाचन क्रिया में दिक्कत होती है। 4. यदि फल पसन्द न आए तो उसका रस निकाल कर पिएं। 5. नाश्ते में गाजर चुकन्दर, पालक, बथुआ, सेव, मौसमी, सन्तरे का रस पी सकते हैं। 6. प्रातः नाश्ते में गेहूं का दलिया बनाकर खाएं।