कहने का तात्पर्य यह है कि हंसने से शरीर के लिए उपयोगी हार्मोंस का उत्सर्जन प्रारंभ हो जाता है जो हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। इस प्रकार हंसना अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक और पर्याय है। कहा जाता है कि गर्भावस्था में माँ को प्रसन्न रहना चाहिए क्योंकि इससे गर्भस्थ शिशु के विकास पर अच्छा असर पड़ता है। गर्भस्थ शिशु पर ही नहीं जन्म के बाद भी माँ के मनोभावों का उस पर गहरा प्रभाव पड़ता है। विशेष रूप से तब तक जब तक वह माँ का दूध पीता है वैज्ञानिक शोधों से स्पष्ट • श्री सीताराम गुप्ता हो चुका है कि स्तनपान के दौरान महिलाएं यदि एक बच्चा अपने जन्म के साथ ही अपने लिए प्रसन्नता से है। जब हम प्रसन्न होते हैं तभी हंसते प्रसन्न रहती है अथवा हंसती है तो इस दौरान प्रकृति के अनुपम उपहार लेकर आता है। उसके हैंऐसा हमारी सहस्राब्दियों की कंडीशनिंग के उनके शरीर में स्थित अंत:स्रावी ग्रंथियां सक्रिय जन्म के साथ ही उसकी माँ के स्तनों से दूध की कारण भी होता है। अतः यदि हम बिना बात भी होकर कई प्रकार के एलजी रोधी रसायन अथवा धार बहने लगती है। उसी दूध से बच्चे का पोषण हंसेंगे तो स्वाभाविक रूप से प्रसन्नता की प्राप्ति हार्मास उत्सर्जित कर देती हैं जो माँ के दूध में होता है। माँ अपने बच्चे को देखकर अत्यंत प्रसन्न होगी और प्रसन्नता की मनोदशा में शरीर की मिलकर स्तनपान करने वाले बच्चे को पोषण के होती है क्योंकि एक माँ के लिए बच्चे के जन्म से जीव-रासायनिक संरचना में स्वास्थ्य के अनकल साथ-साथ एलजी तथा अन्य रोगों से सुरक्षा प्रदान बढ़कर और कोई बड़ी खुशी हो ही नहीं सकती। परिवर्तन होगा। हास्य के कई सोपान हैं जैसे करने में सक्षम होते हैं। आप एक माँ हैं तो अवश्य जन्म के कुछ समय बाद ही बच्चा स्वाभाविक मुस्कराना, हंसना और ठहाके लगाना। इन तीनों मुस्कराइये क्योंकि मुस्कराहट आपके जीवन को रूप से मुस्कराना और हंसना प्रारंभ कर देता है। सोपानों को भी कई श्रेणियों और तरीकों में रूपांतरित कर देगी। इससे न केवल आपका अपने बच्चे की मुस्कराहट और हंसी देखकर माँ विभाजित किया जा सकता है, लेकिन हास्य जिस स्वास्थ्य अच्छा हो जाएगा अपितु आपके बच्चे को खुशी से फूली नहीं समाती। उसकी इन क्रियाओं तरीके से भी प्रकट किया जाए उसका हंसने वाले भी लाभ मिलेगा। हास्य द्वारा सकारात्मक को देखकर माँ भी मुस्कराती और हंसती है तथा के स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव ही पडेगा। दृष्टिकोण की सृष्टि कीजिए और सकारात्मक उससे प्यार करती है। प्रत्युत्तर में बच्चा फिर हंसना एक संपूर्ण व्यायाम है जिससे शरीर की दृष्टिकोण द्वारा नकारात्मक दृष्टिकोण अथवा मुस्कराता और हंसता है। इस प्रकार माँ और बच्चे सभी नाडियां खुलती हैं तथा शरीर की थकावट गंभीरता रूपी केंचुली सदा के लिए उतार फेकिये। के बीच हंसी-खुशी और प्रसन्नता का एक स्थायी दूर होकर ताजगी उत्पन्न होती है। खुलकर हंसने बहाने बनाना छोड़िये और थोड़ा मुस्कराइये। इसके परिवेश निर्मित हो जाता है। प्रसन्नता की अवस्था से फेफड़ों, गले और मंह की अच्छी कसरत हो बाद हंसिये और जोर-जोर से ठहाके लगाइये। यही में शरीर में उपयोगी हार्मोस अथवा रसायनों का जाती है। पेट एवं छाती के स्नाय मजबत होते हैं। जीवन का अमूल्य रस है और मां और बच्चे के उत्सर्जन संभव होता है। एक माँ जब प्रसन्न होती डायफ्राम मजबत होता है तथा इससे मंह, गले लिए प्रकृति प्रदत्त अनुपम उपहार भी। याद रखियेहै तो उसके दूध में भी उपयोगी हार्मोन अथवा तथा फेफड़ों संबंधी व्याधियों के उपचार में मदद हमेशा अपने शिशु के अच्छे स्वास्थ्य विषयक रसायन अपने आप मिल जाते हैं जो स्तनपान करने मिलती है। हंसने से रक्त संचार की गति तीव्र होती भाव अपने मन में बनाए रखें और यह भाव भी कि वाले शिशु की रोगावरोधक क्षमता का विकास है जिससे खून में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती उन्हें कैसे प्राप्त किया जा सकता हैअपने परिवेश करने के साथ-साथ शिशु के रोगी होने पर उसे है। इस परी प्रक्रिया से चेहरे पर रौनक आ जाती को जीवंत बनाए रखें और ऐसी परिस्थितियां शीघ्र रोगमुक्त करने में भी सहायक होते हैं। हंसी हैजो जितना अधिक हंसता-हंसाता है उसका निर्मित करने का प्रयास करें जहां हमेशा एक सहज-स्वाभाविक क्रिया है, लेकिन है एक चेहरा उतना ही अधिक दमकता है। शरीर में हँसने मुस्कराने के अवसर उत्पन्न हों। जब भी अद्वितीय क्रिया। यह एक मूल प्रवृत्ति है जो केवल जितनी अधिक मात्रा में ऑक्सीजन का अवशोषण हंसने या मुस्कराने का अवसर मिले उसे हाथ से न मानव में ही पायी जाती है। कहा गया है कि होता है उतनी ही अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है. जाने दें अपितु उसका भरपूर इस्तेमाल करें। हंसने साहित्य, संगीत और कला से विहीन मनुष्य पशु और जितनी अधिक ऊर्जा उत्पन्न होगी हम उतने या मुस्कराने में कंजूसी न बरतें। दिल खोलकर के समान है, यह बात कुछ हद तक ठीक है, ही अधिक स्वस्थ तथा रोगमुक्त होंगेइस प्रकार ठहाके लगाएं। हर मिलने-जुलने वालों का स्वागत लेकिन व्यावहारिक स्तर पर देखें तो जो व्यक्ति हास्य जीवन का उपचारक एवं पोषक तत्व हैं और एक मुस्कराहट के साथ करें। मन में किसी के प्रकृति द्वारा मनष्य को प्रदत्त इस अमूल्य उपहार इसे जीवन का रस कहा जा सकता है। हास्य द्वारा प्रति भी कटुता या मालिन्य न रखे क्योंकि यह ‘हंसी' का अपने जीवन में उपयोग नहीं कर पाता हमारे शरीर की जीव-रासायनिक संरचना में आपके ही नहीं आपके शिशु के लिए भी वह सबसे बड़ा पशु है। मनुष्येतर प्राणियों में सिर्फ परिवर्तन आता है। हंसने से तनाव उत्पन्न करने हानिकारक होगा। विषम परिस्थितियों में भी मन चिंपाजी ही एक ऐसा प्राणी है जो कछ सीमा तक वाले हार्मोन कार्टिसोल तथा एपिनप्राइन के स्तर में से प्रसन्न रहने का प्रयास करे। सदैव सकारात्मक हंसने जैसी क्रिया कर सकता है अन्यथा पूरी सृष्टि कमी आती है जिससे शरीर तनावमुक्त हो जाता हैविचारों से ओतप्रोत रहनिराशाजनक विचारा र में मनुष्य ही एकमात्र प्राणी है जिसे प्रकृति ने यह और तनाव मुक्ति का अर्थ है स्वास्थ्य। इसके बचने का प्रयास करें और सदैव आशावादी बने अमूल्य निधि प्रदान की है। अतः हास्य रूपी इस अतिरिक्त हंसने से शरीर में एण्डोर्फिन नामक रहे। याद रखें आपकी हर हंसी और मुस्कराहट अमल्य निधि का भरपूर प्रयोग कीजिए और अपने हार्मोन की मात्रा में वद्धि होती है जो शरीर के लिए में निहित है आपके लाडले शिशु का उत्तम मनुष्य होने का प्रमाण दीजिए। हंसने का संबंध स्वाभाविक रूप से दर्द निवारक और रोग स्वास्थ्य। मो.: 09555622323
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