नाभी चिकित्सा

मुख्यधारा की मंहगी चिकित्सा उपचार के हम प्रायः महत्व नहीं देते जबकि आज मुख्यधारा की त्वचा पर करने से त्वचा स्निग्ध मुलायम भंवरजाल से परेशान जन सामान्य एक ऐसी की चिकित्सा पद्धतियों के नये शोध व परिक्षणों, चमकदार हो जाती है साथ ही शरीर पर झुर्रायां प्राकृतिक उपचार विधि की शरण में जा रहा है ने यह बात सिद्ध कर दी है कि स्टैम्प सैल्स व त्वचा के दाग धब्बे ठीक हो जाते है, उनका जिसे हम सभी नाभी चिकित्सा के नाम से जानते 'अर्थात् नाभी की कोशिकाओं से कई असाध्य से कहना है कि इसके नियमित प्रयोग से त्वचा में है इसकी उपयोगिता एवं आशानुरूप परिणामों ने असाध्य बीमारीयों का उपचार किया जा सकता निखार के साथ रंग साफ गोरा होने लगता है। इसे विश्व के हर कोने में चर्चा का विषय बना है चिकित्सा विज्ञान को माना है कि बच्चे का खैर जो भी हो, नाभी के महत्व को नकारा नहीं दिया है। परन्तु नाभी चिकित्सा हमारे देश की जन्म इन्हीं स्टैम्म सैल्स से होता है इन स्टैम्म जा सकता। हमारे प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा धरोहर है इसके महत्व को हम न समझ सकें सैल्स के पास शरीर के विभिन्न अंगों के निर्माण, पद्धति में कहा गया है कि नाभी पर 72000 परन्तु विदेशी बौध भिक्षु ने इसके महत्व को की सूचना संगृहित होती है एवं ये छोटी से छोटी 'नाडीयां होती है। नाभी पर मणीपूरण चक्र पाया 'समझा बिना दवा दारू के प्राकृतिक तरीके से कोशिकायें अपनी संसूचना के अनुरूप शरीर के जिाता है इसकी साधना से असीम शक्तियां प्राप्त रोगों को पहचानना, एवं उपचार के आशानुरूप विभिन्न अंगों का निर्माण करती है। जैसे कोई की जा सकती। नाभी चिकित्सा हमारे देश की पिरिणामों ने इसे जापान व चीन में चीनी, शॉग हड्डियों का सैल्स है, तो उसे हड्डियों का धरोहर थी, परन्तु इसे हम सम्हाल न सके, उपचार के नाम से स्थापित किया। नाभी निर्माण करना है यदि किसी सेल्स के पास यह मुख्यधारा की चिकित्सा पद्धतियों ने तो इसे चिकित्सा विश्व के हर कोने में किसी न किसी जानकारी है कि उसे शरीर का कोई विशिष्ट अंग अवैज्ञानिक एवं तर्कहीन कहां परन्तु, हमारा नाम से प्रचलन में है। का निर्माण करना है तो वह उसी अंग का निर्माण 'पढ़ा-लिखा सभ्य समाज जो पश्चिमोन्मुखी मानव शरीर में व्यर्थ सी दिखने वाली विचारधारा के अंधानुकरण का अनुयायी था। नाभी, हमारे रोज मर्ज के बोल चाल की भाषा में । सदियों पूर्व से हमारे भारतवर्ष में परम्परागत उसने भी बिना इसकी उपयोगिता को परखे इसे कई बार ना भी शब्द का उपयोग होते हुए भी उपचार विधियों में, नाभी से उपचार की कई महत्वहीन कहना प्रारम्भ कर दिया। इसी का " परिणाम है कि आज मुख्यधारा की चिकित्सा इस शब्द का महत्व उसी तरह से लुप्त प्राय: है। बाते देखने को मिल जाती है परन्तु दु:ख तो इस । 'पद्धतियों के भवर जाल में उलझ कर मरीज जैसा कि हमारे शरीर में व्यर्थ सी दिखने वाली बात का है कि ऐसी जानकारीयां एक जगह पर, नाभी का है। नाभी ना अर्थात नहीं, भी अर्थात हा संगृहित नहीं है चंद जानकार व्यक्तियों ने इसे इितना भ्रमित हो चुका है कि उसे यह समझ में के सम्बोधन से मिलकर बना एक ऐसा शब्द है अपने धन और यश का साधन बना रखा था एवं नित नहीं आता कि उपचार हेतु किस चिकित्सा की। 'जिसका अर्थ ना और हां में होता है ठीक उसी उनके जाने के बाद यह जानकारी उनके साथ शरण में जाये। पश्चिमोन्मुखी विचारधारा के प्रकार जिस प्रकार से नाभी हमारे शरीर का एका चली गयी। यहां पर मैं कुछ उदाहरणों पर प्रकाश अंधानुकरण ने कई जनोपयोगी, उपचार विद्याओं को अहत ही नहीं किया बल्की उनके अस्तित्व महत्वपूर्ण अंग होते हुए भी जन सामान्य इसे डालना चाहूंगा जो इसके महत्व को दर्शाते अनुपयोगी समझता है ऐसे व्यक्ति इसके प्रथम जैसे ओठों के फटने पर हमारे बड़े बजंग कहां को भी खतरे में डाल रखा है। स्वस्थ्य, दीर्घ अक्षर ना का प्रतिनिधित्व करने वाले है। इसके 'करते थे नाभी पर सरसों का तेल लगा लो इससे आरोग्य जीवन एवं रोग उपचार हेतु सदियों से यो जीउन । न चली आ रही उपचार विघाओं का सहारा लिया ओठ नहीं फटेंगे, पेशाब का न होने पर नाभी में 'प्रतिनिधित्व करने वाला समदाय जिनकी संख्या चूहे की लेडी लगाने से पेशाब उतर जाती है। जाता रहा है और इसक सुखद् एवं आशानुरूप अगुलियों पर गिनी जा सकती है इसके महत्व ।"भवात परिणाम भी मिले है। परन्तु दु:ख इस बात का है गर्भवति महिला को प्रशव में अधिक पीड़ा होने कि इन उपयोगी उपचार विधियों पर न तो हमने को समझता है। हम प्रायः अपने बोल-चाल की पर दाई अधाझारे की ज़ड नाभी पर लगा देती भाषा में कहते है, ना भी जाओ तो चलेगा, ना भी 'थी, इससे प्रसव आसानी से बिना किसी हो तो चलेगा आदि-आदि ऐसे वाक्य है जिसमें ' 5 तकलीफ के हो जाया करता था, ऐसे और भी नाभी शब्द का कई बार उपयोग हम अंजाने में कई " कई उदाहरण हमें देखने को मिल जाते है। इसी किर जाते है परन्तु अंजाने में किये गये इस धारा प्रकार का एक उदाहरण और है जिसका प्रयोग प्रवाह वाक्य का कितना महत्व है इस पर कभी । चीन व जापान की परम्परागत उपचार विधि में विचार ही नहीं किया जाता, ठीक इसी प्रकार से । सौन्दर्य समस्याओं के निदान में किया जा रहा है। इसमें नाभी के अन्दर जमा मैल को रेक्टीफाईड हमारे शरीर में दिखने वाली व्यर्थ सी नाभी को ।