वर्षा ऋतु में डेंगू

                                                            वर्षा ऋतु में डेंगू 



क्या डेंगू अब धीरे-धीरे पैर पड़ोसी राज्यों में तो पसार उसे रहा ही है अब आपको घर में भी दस्तक देने में देरी होती नहीं। आइए हम सावधान हो जाए और समझे। डेंगू होती एक विषाणु जनित रोग है। इस रोग में तेज बुखार सचेत जोड़ों में दर्द तथा माथा में दर्द होता है। कभी-कभी काटती रोगी के शरीर में आन्तरिक रक्तस्त्राव भी होता है। क्योंकि यह चार प्रकार के विषाणुओं के कारण होता है इसलिए तथा इस रोग का वाहक एडिस मच्छर की दो कर प्रजातियां हैं। साधारणतः गर्मी के मौसम में यह रोग जल महामारी का रूप ले लेता है जब मच्छरों की जमाव जनसंख्या अपने चरम सीमा पर होती है। यह उतना संक्रमण सीधे व्यक्यिों से व्यक्यिों में प्रसरित नहीं मच्छर होता है तथा यह भी आवश्यक नहीं कि मच्छरों होता द्वारा काटे गए सभी व्यक्यिों को यह रोग हो। डेंगू फिर एशिया, अफ्रिका, दक्षिण तथा मध्य अमेरिका के में कई उष्ण तथा उपोष्ण क्षेत्रों में होता है। डेंगू के के चारों विषाणुओं में से किसी भी एक से संक्रमित काफी व्यक्ति में बाकी तीनों विषाणुओं के प्रति प्रतिरोध को क्षमता विकसित हो जाती है। पूरे जीवन में यह रोग क्षेत्रों दुबारा किसी को भी नहीं होता है। डेंगू का मच्छर सप्ताह केवल दिन में काटता है। डेंगू बुखार फ्लैवि वायरस बारह के कारण फैलता है और यह वायरस हमारे शरीर की में पहुंचाने का काम करते हैं। एडस, ईजिप्टाई, ही मच्छर, ये मच्छर इंसानो के आस पास रहते हैं और व्यक्ति दिन में काटते हैं। ये मच्छर पीला बुखार और छोड़ता चिकिनगुनिया जैसे वायरस भी फैलाता है। ये हैमच्छर आकार में छोटा होता है और इसके शरीर हैपर सफेद धब्बे से होते हैं जैसा कि आप जानते हैं होता मादा मच्छर ही काटती है और वो भी इसलिए कि बीमारी को क्युलेक्स है पर पीछे या पैसे है और बड़ी ते क्या उसे अंडे तैयार करने के लिए खून की जरूरत होती है। एडस, ईजिप्टाई मादा मच्छर चालाक होती है। वह न तो घुनघुन करके अपने शिकार को सचेत करती है और आमतौर पर पीछे या पैरों में काटती है और बड़ी तेजी से उड़ जाती है और क्योंकि वायरस उसकी लाला ग्रन्थि में होता है इसलिए काटते समय शिकार के शरीर में प्रवेश कर जाता है। मच्छर पैदा होने का मुख्य कारण है। जल जमाव व गंदगी। शहर में जितना अधिक जल जमाव होगा या गंदगी फैलेगी मच्छरों का प्रजनन उतना ही होगा। जल जमाव वाले जगहों पर मादा मच्छर के अण्डा देने से सबसे पहले लार्वा तैयार होता है उसके बाद पीयूपा का निर्माण होता है। फिर लार्वा उससे मच्छर पैदा होता है। इस प्रक्रिया में 20 से 25 दिन लग जाता है। मच्छरों के प्रजनन के लिए 25 से 30 डिग्री सेल्सियस का तापमान काफी अनुकूल माना जाता है। मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए जरूरी है कि आस-पास के क्षेत्रों को साफ रखा जाए। नाला-नालियों की सप्ताह में एक बार जरूर साफ किया जाए। घर या बारह पानी नहीं लगने दिया जाए। घरों के कुलर की समय-समय पर सफाई जरूरी है। मच्छर जैसे ही किसी व्यक्ति के शरीर में काटता है तो वह व्यक्ति के रक्त में मीरोजोइट्स नामक तरल पदार्थ छोड़ता है। जिससे रक्त का आर.बी.सी टूटने लगता है। इससे लोगों को जाड़ा देकर बुखार आने लगता है। मच्छर काटने पर व्यक्ति का लीवर भी प्रभावित होता है। मच्छर की प्रजाति के आधार पर ही बीमारी पैदा होती है। फीमेल एनोफ्लिक्स मच्छर को काटने से मलेरिया होता है। वहीं फीमेल क्युलेक्स के काटने से फ्लेरिया की बीमारी होती है। एडिस मच्छर के काटने से डेंगू एवं चिकनगुनिया होने का भय रहता है। मच्छरों से बचाव के लिए शहर में डी.डी.टी. का छिडकाव किया जाना चाहिए। रोगियों को रक्त का परिक्षण करते रहना चाहिए। डेंगू बुखार से बचाव करें :- डेंगू बुखार एक प्रकार के डेन वायरस की वजह से होता है। यह वायरस एडीज नामक मच्छर के काटने से फैलता है। एडीज मच्छर दिन के समय काटते। डेंगू में सामान्यतः बुखार 102 से 104 डिग्री फरेनहाइट जो लगातार 2 से 7 दिन की अवधि तक रहता है। .. देवलोक गया बुखार के साथ तेज सिर दर्द, आँखों के आसपास दर्द, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, शरीर पर चकत्ते बनना आदि लक्षण दिखाई दे सकते हैं। किसी व्यक्ति में डेंगू का संक्रमण जब बार-बार होता है तब डेंगू गंभीर रूप में परिवतिर्त हो सकता है। गंभीरता के लक्षणों में प्रमुख रूप से हाथ अथवा शरीर पर खून के चकत्ते बनाए, मसूड़ों से खून आना, खून की जांच में प्रतिदिन प्लेटलेट में कमी होते जाना आदि है। डेंगू बुखार फैलाने वाले एडीज नामक मच्छर घरों के पीछे, घरों की छत पर रखे पानी से भरे कंटेनर में पैदा होते है। ये पानी भरे कंटेनर हो सकते है। सीमेंट की टंकी, डुम, नांद, मटके, टायर, शीशी में लगाया हुआ मनीप्लांट, फ्रीज के नीचे रखी ट्रे, मटके के नीचे की ट्रे, आदि है। इसके अतिरिक्त भी घर की छत एवं घरों के पिछवाड़े अनुपयोगी टूटी-फूटी सामग्री, जिनमें वर्षा का पानी भर जाता है, में एडीज मच्छर पैदा होते है। यदि कंटेनर में पानी को देखें तो उसमें कीड़े (लार्वा) दिखाई देते है, ये कीड़े (लार्वा) ही सात दिवस में मच्छर बन जाते हैं। इससे स्पष्ट है। कि डेंगू बीमारी के फैलाव को रोकने के लिए मच्छरों की उत्पत्ति रोकना आवश्यक है। अतः कंटेनर में से सप्ताह में एक बार पानी की निकासी करें, कंटेनर खाली कर सुखाकर फिर पानी भरें। पानी की यदि कमी है तो पानी को छानकर उपयोग किया जा सकता है। घर की छतों पर व घरों के पिछवाड़े ऐसी अनुपयोगी सामग्री न रखे जिसमें वर्षा का पानी जमा होता हो। बचाव गंभीर डेंगू एवं साधारण डेंगू दोनों तरह के डेंगू के बचाव के लिए होम्योपैथिक दवा। होम्योपैथिक दवा :- होम्योपैथिक में डेंगू से बचाव के लिये होम्योपैथिक में कारगर दवा है। देवश्लोक शर्मा के अनसार पाँच दिन तक रोज सबह खाली पेट इयपेटोरियम परफोलिटेम 200 (EUPATORIUM PERFOLIATUM 200C) की गोलियां डेंगू से बचा सकती है। बड़े लोग 5.6 गोली और बच्चे 2.3 गोली ले सकते हैं और डेंगू एक माह से भी ज्यादा फैला रहें तो एक माह के बाद आप फिर दुबारा सबको घर में दे सकते है। गर्भवती महिला और बच्चे को यह औषधि आवश्य खिलाएं।