वृक्क अकर्मण्यता (गुर्दै फेल होना)

 विधाता ने हमारे शरीर की रचना अद्भुत रूप से की है। हमारे शरीर के पीछे कटि प्रदेश में रीढ़ के दोनों ओर दो वृक्क स्थित होते हैं। इन वृक्कों की लंबाई 10-13 से.मी., चौड़ाई 6 से.मी., मोटाई 2-5 से.मी. तथा वजन लगभग 140 ग्राम होता है। वक्क का निर्माण अनेक नेफ्रोनों द्वारा होता है। प्रत्येक वृक्क में लगभग दस लाख 'नेफ्रोन होते हैं। संसार में हर वर्ष लगभग 8,50,000 व्यक्ति गुर्दे फेल होने से मरते हैं। । • गुर्दे के कार्य :- वृक्क शरीर में जल सन्तुलन की क्रिया को नियन्त्रित करते हैं। • रक्त में पाये गये अधिक मात्रा में मिनरल, कैल्शियम, सोडियम, पोटेशियम आदि लवणों को विसर्जित करता है। ।।• वक्क हमारे रक्त को छानकर शद्ध करके शरीर को वापस करते हैं। |गुर्दे फेल होने के कारण :- गुर्दे फेल |बहुत सारे कारण होते हैं। कुछ कारण इस प्रकार "" हैं :- मधुमेह रोग होना। उच्च रक्तचाप होना। IPhosphorusरक्तचाप हाना। 'रेनल धमनी या रेनल सिरा में गड़बड़ी होना। IAbdominal IT में बयों की अधिकता होना। तन्म्क में |पथरी होना। पौरुष ग्रन्थि का बढ़ना या | |विकारग्रस्त होना। वृक्क में इन्फेक्शन होना। जहरीले जन्तुओं के द्वारा काटने से, जहर से। गे। अधिक एन्टीवॉयटिक दवाएं खाने से। दर्दनाशका अंग्रेजी दवाओं के अधिक सेवन से। अधिक मोटापा होने से। धूम्रपान, मंदिरापान या अन्य मादक द्रव्यों के सेवन से। अधिक मानसिक तनाव, चिन्ता, भय, क्रोध, उद्विग्नता, मोह आदि से। वात-कफ-पित्त की विषमता से। लम्बे समय । तक अंग्रेजी दवाएं खाने से। वंशानुगत, । माता-पिता को रोग रहा हो। बी.एम.आई. में ' असामान्यता। रक्त दोष होने से। गुर्दे सिकुड़ ।जाने से आदि-आदि। ।। गुर्दे फेल होने के लक्षण :- गुर्दे फेल होने को ।'पूर्व शरीर में कुछ लक्षण देखे जा सकते हैं। ।। भूख का धीरे-धीरे कम होना। शरीर बीमार सा । रहना, थकावट रहना। सिर दर्द रहना। त्वचा में , टीस तथा त्वचा का शुष्क होना। चक्कर आना। धीरे-धीरे शरीर का वजन कम होना। त्वचा में पीलापन या कालापन होना। हड्डियों में दर्द रहना। घबराहट होना, बार-बार भ्रमित होना। स्मरण शक्ति कमजोर होना। मांसपेशियों में दर्द, व खिचाव रहना। श्वास लेने में परेशानी, कम 'श्वास आना। उल्टी में 'खून आना या साधारण 3 उल्टी आना। अधिक प्यास लगना। सेक्स के प्रति ! अनिच्छा। स्त्रियों में मासिक धर्म में अनियमितता, मासिक धर्म का रूकना। अनिद्रा, अर्थात् नींद न आना। हाथ व पैरों में सूजन 1 । कछ परीक्षण (Test):- गुर्दो में विकार जानने के लिए कुछ परीक्षण करवाने से पता लगाया जा सकता है। उच्च रक्तचाप की जांच (Lipid|।Profile)। के.एफ.टी.। (Kidney Function Test) क्रायटानिन, सरिम क्रोयटानिन, रक्त में युरिया Blood Urea Nitrogen BUN)। मूत्र को जांच (Urine Analysis)। अन्य परीक्षण '|(C,B.C. Abumin, Calcium, Electrolytes, , Sodium, Potassium, Magnesium, IPhosphorus)। वृक्क विकार का पता चलना। Phosphorus)। वृक्क विकार का पता चलना। IAbdominal Ct. Scan, Abdominal MRI, Abdominal Ultrasound, Kidney Biopsy, " |Kidney Scan, Kidney Ultrasound। ' । वृक्क । वृक्क अकर्मण्यता के पूर्व शरीर में उपद्रव :- जब गुर्द " जब गुर्दे फेल होने की कगार पर होते हैं तो शरीर, में शीघ्र ही कुछ अनबन या अन्य उपद्रव घटित होते हैं। बहुत अधिक रक्तचाप बढ़ जाना। शरीर में खून की अल्पता। पेट या आंतों में रक्तस्राव होना। हड्डी या मांसपेशियों में अधिक दर्द होना। भारत सिंह ‘भरत' रक्त में शुगर में परिवर्तन। हाथ-पैर की नसों का 'क्षतिग्रस्त होना। अधिक सिरदर्द, चक्कर आना, ब हा शी। हृ द य धाड क न म । भारीपन खिंचाव। कोरोनरी आर्टरी में दिक्कत। यकृत का क्षतिग्रस्त होना या फेल होना। शरीर में इनफेक्शन फैल जाना। फैक्चर की संभावनाएं बढ़ना। । 'प्राकृतिक चिकित्सा द्वारा शरीर शुद्धि :प्राकृतिक जीवन निरामय जीवन है। प्रकृति हमारी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करती है। प्राकृतिक जीवन स्वस्थ जीवन है। अतः चलो प्रकृति की ओट में, जीओ प्रकृति की गोद में तथा सदा स्वस्थ रहो।। प्रातः नींब पानी का एनिमा लेकर पेट साफ करें। प्रातः किसी बाग, वाटिका में रोज भ्रमण 3 4 5 पर बैठकर कपालभाति, भस्त्रिका तथा । अनुलोम-विलोम प्राणयाम करें। योगासान करें जवान व्यायाम । रोज 15-20 मिनट का टब में ठंडे पानी में बैठकर कटिस्नान करें। कमर में सुबह-शाम 4-4 घण्टे की मिट्टी पट्टी रखें। बीस मिनट परे शरीर की भाप लें। कमर पर रोज दिन में दो बार गर्म-ठंडी सेंक करें। गरम से शरू करें ठंडे में बन्द करें। 3 मिनट गरम एक मिनट ठंडी पट्टी रखें। उच्च रक्त चाप को नियन्त्रित करें। यदि मधुमेह है तो उसे नियन्त्रित करें। हरी शाक सब्जियाँ उबाल कर खाएं। उसमें गर्म मसालों का प्रयोग न करें। सलाद खाएं, फल खाएं। धूम्रपान तथा अन्य नशीले पदार्थों का त्याग करें। यदि मोटापा है या कॉलेस्ट्राल बढ़ा है। तो उसका उपचार करके नियन्त्रित करें। रात्रि का भोजन हलका सुपाच्य लें। पथ्य :- दिन में कभी तरबूज रस, कभी सेब रस पीयें। इससे लाभ होगा। • हरी सब्जियां में तोरी, घीया, मेथी साग, परवल, मूली, शलगम, ककड़ी, खरबूजा, मीठा सेब, पपीता, नाशपाती, सिघाडे लाभदायक है। रात्रि भोजन में दलिया, खिचड़ी या सब्जी के साथ हल्का चूल्हे का सिका फुलका लें। कुपथ्य :- तली चीजें, तेल, घी, अचार, सभी खटाइयां, सभी तरह के कृतिम पेय, खट्टे फल, नींबू, संतरा, सभी प्रकार की दालें, गुड़, मसरूम, पनीर, अण्डा, माँस, मष्तभोजन, पैकेड, डिब्बा आदि। • बन्द भोजन, सभी प्रकार के नशीले द्रव्य व पदार्थ, अधिक चीनी तथा अधिक नमक, काम, क्रोध, भय, चिन्ता, उद्विग्नता, मोह, लोभ आदि से बचें।। घरेल चिकित्सा :- गुर्दो के सभी प्रकार के विकारों में घरेलू चिकित्सा का भी बहुत बड़ा "" महत्व है। घरेलू चिकित्सा आयुर्वेद चिकित्सा की एक कड़ी है। घरेलू चिकित्सा व आयुर्वेद दोनों का प्रयोग करें। वक्क दोषहर क्वाथ :- 100-100 ग्राम सभी । " अदत, सोंठ, गोखरु (छोटी), वरुण की छाल, । मकोय, पुनर्नवा, पीपल की छाल, पाषाण भेद, अनन्त मूल, तरबूज के बीज, खरबूजा के बीज, ककड़ी के बीज, गिलोय, जीरा, जटामासी, दारुहल्दी, कासनी-पंचाग तथा गुल बनफसासबको कूटकर रख लें। 25 ग्राम दवा 300 मि. • ली. पानी में मन्द आँच उबाल कर 100 मि.ली. बचने पर छानकर रख लें। मधुमेह रोगी फीका काढ़ा तथा अन्य रोगी मिश्री डालकर प्रातः सायं इतनी-इतनी मात्रा ही पीयें। इसके लगातार सवन से वक्क का शीर्थ, वक्क का दर्द, वष्क्क के सभी प्रकार के रोगों में अत्यन्त फायदा होगा। गुर्दे फेल होने से बचा जा सकता है। • वष्क्क शोथ में गोरक्षादि गूगल की एक-एक गोली सुबह-शाम पानी से लें। वक्क शोथ में सुदर्शन वटी तथा आरोग्यवर्धिनी वटी 1-1 गोली सुबह-शाम पानी से लें। पुनर्नवारिष्ट 2-2 चम्मच दिन में तीन बार जल के साथ लें। चन्द्रप्रभावटी की दो-दो गोली दिन में दो बार दूध से लें। • गुर्दा दर्द में तुलसी के सूखे पत्ते 20 ग्राम, अजवाइन 20 ग्राम, सेन्धा नमक 10 ग्राम पीसकर रख लें। दो-दो ग्राम दवा पानी से दिन में दो बार लें। • गुर्दा दर्द में मक्का के भुट्टे के ऊपर के सफेद बाल कूटकर 200 ग्राम पानी में उबालें। 100 ग्राम पानी रहने पर उतार कर पिला दें। पिलाने से तुरन्त लाभ होगा। • गुर्दा दर्द में कलमीशोरा अजवाइन समभाग पीसकर रख लें। एक-एक ग्राम दवा पानी के साथ दिन में दो बार लें, तुरन्त आराम आएगा। , • आकाशवेल 10 ग्राम, गलदावदी 6 ग्राम कटकर 300 मि.ली. पानी में उबालें। पानी आधा रह जाने पर छानकर पिला दें। गुर्दा दर्द में |शीघ्र राहत मिलेगी। . === • कच्चा सुहागा, कच्चा नौशादर, लोटासज्जी, जलाला मी शोग ही हींग काली मिर्च तथा सेंधा नमक कूट-पीसकर दवा रख लें। |कर-पीसकर टला व ले निर्धारित 3-3 ग्राम दवा दिन में तीन बार पिलाएं। गुर्दा दर्द ठीक हो जाएगा। • खस की जड, पलाश के फूल तथा गेरू । बराबर-बराबर लेकर पीसकर 2-2 ग्राम दवा |पानी से सुबह-शाम लें। • उच्च रक्तचाप में पतंजलि की । दिव्यमुक्तावठी 1-1 गोली सुबह-शाम चबाकर । खाकर पानी सेवन करें। • रक्तचापहरी वटी एक-एक गोली दिन में दो बार लें। . • मधुमेह होने पर वसन्तकुसुमाकर की 1-1 विगत । गोली गाय के दूध के साथ लें।। |• मधुमेह गजकेशरी, चन्द्रप्रभावटी तथा शिलाजित्वादि वटी 2-2 गोली सुबह-शाम फीके दूध से लें। • मधुमेहान्तक वटी या मधुमेह हर वटी या इधये मधुमेह नाशिनी वटी की 1-1 गोली |नाशिनी वी की 1-1 गोली सुबह-शाम पानी से लें। कमजोरी की स्थिति में मुक्ताशाक्ति तथा । प्रवाल भस्म मरीज को दें। लिए ' • द्राक्षासव 15-20 मि.ली. सुबह-शाम मरीज |का नोट :- चिकित्सा किसी चिकित्सक की देख-रेख में करे तो अधिक लाभ होगा।