योग एवं पंचकर्म चिकित्सा व वास्तु

                                   योग एवं पंचकर्म  चिकित्सा व वास्तु 


हँसके अश्कों ने फिर रुलाया मुझे। बिना दिल जलाया था पहले अब जलाया मुझे॥ जी हां, जब शरीर रोगों की गिरफ्त में आता है तो बरबस उपरोक्त पंक्तियां याद आ ही जाती हैं। शरीर विज्ञान के ज्ञाता महाऋषियों ने संसार के लोगों को न केवल स्वस्थ शरीर की महत्ता का ज्ञान कराने का प्रयास किया अपितु योग जैसी अमूल्य विधा से भी अवगत कराया जिस पर भी यदि किसी असावधानी से रोग घेर ले, तो पंचकर्म । जैसा विधान अपना कर मनुष्य अपनी पांचों इन्द्रियों को साध कर स्वस्थ जीवनयापन कर शिखी सकता है। शरीर को स्वस्थ रखने में योग और पंचकर्म की महत्ता से सभी परिचित हैं। भवन के शरीर को स्वस्थ रखने में वास्तु की महत्ता कमोबेस यही है। यदि भवन वास्तु अनुकूल है तो निवास करने वाला भी स्वस्थ रहेगा क्योंकि दिशाएं उसे स्वस्थ जीवन शैली की और प्रेरित करेगी।



North उत्तर दिशा :- योग शरीर और आती जाती सांसों के बीच सामंजस्य बैठाने की प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया को घटित होने में उत्तर दिशा में । विराजमान वास्तु मण्डल के देव भल्लाट, जो स्वस्थ होने के अवसरों में वृद्धि करते हैं, दैवीय कृपा प्रदान करते हैं और देव सोम, शरीर को स्वस्थ करके सौभाग्य प्रदान करते हैं। यहां मनुष्य शरीर के सर्वाधिक प्रतिशत हिस्से में विद्यमान जल तत्व प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। जल है तो जीवन है। जल में स्वयं को किसी भी आकृति में ढालने की अद्भुत क्षमता है। जल किसी भी अवस्था में । बिना अपने अस्तित्व की परवाह किये आगे तत्व ॥ बढ़कर विजय पताका फहराने में सक्षम है। यही लिए हम शरीर के साथ करते हैं। योग और शरीर का आवश्यक सामंजस्य यही सब करके स्वस्थ जीवन शैली का जो निर्माण करते हैं। इस स्थान को खुला, हवादार और वनस्पतियों बाकी दिशाओं की अपेक्षा नीचा रखे। कोई अच्छे भारी निर्माण न करे। फिर देखे कैसे आपके द्वारा की की गई क्रियाएं योग बन जाती हैं।


जो North North East उत्तर उत्तर पूर्व :- यही करते वह दिशा है जहां जल तत्व के साथ वास्तु कैसे मंडलानुसार देव भुजंग, आपकी रोग प्रतिरोधात्मक पंचकर्म शक्ति को बढ़ाने की क्षमताओं से लबालब है। यहीं सकता पर देव आदिति, आपके स्वयं से जुड़े होने की इन इच्छा को बल देते हैं। शरीर को स्वस्थ बनाने में करके इन दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका ही इस दिशा को भवन । योग और पंचकर्म के लिए श्रेष्ठ बनाती है। भवन रहेगाका यह दिशा क्षेत्र आप में स्वस्थ शरीर के लिए अंतर्राष्ट्रीय लगाव और इच्छा उत्पन्न करके आपके स्वस्थ्य हिस्सा जैसी जीवन की कामना करता है। भारी निर्माण यहां तरफ वर्जित है। इसे खुला और हवादार रखें। रहस्य पंचकर्म ।


North East उत्तर पूर्व :- यह भी जल तत्व पारंगत पांचों प्रधान दिशा है। वास्तु मंडलानुसार देव दिति और हस्तविज्ञान कर शिखी के आधिपत्य वाली यह दिशा आपको हल और अपनी अभिव्यक्ति को बांटने की शक्ति, दिमाग में कार्य की स्पष्टता, स्वयं पर संयम और सही भोजन महत्ता और व्यायाम करने की इच्छा को बल देता है। • खुला वातावरण आपके विचारों के खुलेपन को करना दिशाएं जन्म देता है। आप अपना गार्डन यहां बनाकर, अन्य । का भवन में खुलापन रख सकते हैं। जमीन के नीचे आती पानी को संग्रहित करके, बोरिंग करके जल तत्व • प्रक्रिया को के साथ सामंजस्य बैठा सकते हैं। में । अपने East North East पूर्व उत्तर पूर्व :- यह वायु बनाये दैवीय • किसी मनुष्य • जल आपके जीवन दु:आप ढालने नहीं कमी AKASHA AYU AGNI • डॉ. पूर्णिमा शर्मा तत्व प्रधान दिशा है। योग और पंचकर्म करने के लिए खुला हवादार वातावरण होना बहुत आवश्यक है। वास्तु मंडलानुसार यहां देव पर्जन्य, जो प्रजनन की प्रक्रिया को संचालित करते हैं, वनस्पतियों में उत्पत्ति का कारक देव पर्जन्य ही है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वास्थ्यवर्धक वनस्पतियों की महत्ता से तो आप परिचित होंगे ही। देव जयंत, जो किसी भी परिस्थिति में जीत का भाव पैदा करते हैं, भी यहां विराजमान है। तो देखा पाठको! कैसे सही दिशा विशेष में किया गया योग और पंचकर्म आपको स्वस्थ और शक्तिशाली बना सकता है। भवन के सही स्वास्थ्य के लिए आप इन दिशाओं में वास्तुसम्मत निर्माण करके, उपयोग करके न केवल स्वयं स्वस्थ रहेंगे बल्कि स्वस्थ भवन भी आपको उचित लाभ देने में पीछे नहीं रहेगा। और हां, 21 जून को मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस में आप भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लीजिये। ‘मेरी तुलसी' पत्रिका और हमारी तरफ से आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। रहस्य विज्ञान से संबंधित किसी भी विषय में आप पारंगत होना चाहते हैं या वास्तु, ज्योतिष अथवा हस्तविज्ञान के माध्यम से किसी भी समस्या का हल चाहते हैं तो हम हैं आपके साथ।