दिमागी दौर में बरतें थोड़ी सावधनी

दिमागी दौरा (ब्रेन स्ट्रोक) यानी आज के समय ब्लॉकेज की आशंका बढ़ जती है। की एक जानलेवा बीमारी। हार्ट अटैक, कसर, इसके लक्षण :- इसके लक्षण अलग-अलग डायबिटीज जैसी बीमारियों को जितना गभारती लोगों में अलग-अलग होते हैं। कई मामलों में तो नियंत्रित में लिया जाता है, इसे उतनी गंभीरता से नहीं मरीज को पता ही नहीं चलता कि वह दिमागी लिया जाता, जबकि उम्रदराज लोग ही नहीं युवा दौरा का शिकार हुआ है। इन्हीं लक्षणों के आधार भी इसकी चपेट में तेजी से आ रहे हैं। आकलनों पर डॉक्टर पता लगाते हैं कि स्ट्रोक के कारण के अनुसार हर छह में से एक व्यक्ति को जीवन मस्तिष्क का कौन-सा भाग क्षतिग्रस्त हुआ है। में कभी न कभी दिमागी दौरा होता ही है और इसका इलाज भी काफी मंहगा होता है। इसलिए अक्सर इसके लक्षण अचानक दिखाई देते हैं। जरूरी है कि इसके लक्षणों को पहचानकर तरंत इन बातों पर दें ध्यान :- अचानक संवेदनशून्य ही इसका उपचार शुरू कर दिया जाए। हो जाना या चेहरे, हाथ या पैर में, विशेष रूप से दिमागी दौरा क्या है :- मस्तिष्क की लाखों शरीर के एक भाग में कमजोरी आ जाना। कोशिकाओं की जरूरत को पूरा करने के लिए समई समझने या बोलने में मुश्किल होना। एक या कई रक्त कोशिकाएं हृदय से मस्तिष्क तक ६ दोनों आंखों की क्षमता प्रभावित होनाचलने में लगातार रक्त पहुंचाती रहती हैं। जब रक्त की मार मुश्किल, चक्कर आना, संतुलन की कमी हो आपूर्ति बाधित हो जाती है, तब मस्तिष्क की जाना। अचानक गंभीर सिरदर्द होना। दद होनाकोशिकाएं मृत होने लगती हैं। इसका परिणाम किन्हें है उप किन्हें है अधिक खतरा :- टाइप-2 अधिक खतरा :- टाइप-2 होता है दिमागी दौरा या ब्रेन स्ट्रोक। यह मस्तिष्क डायबिटीज के मराजा में इसका खतरा काफी में ब्लड क्लॉट बनने या ब्लीडिंग होने से भी हो बढ़ जाता हैहाई ब्लड प्रेशर और हाइपर टेंशन सकता है। रक्त संचरण में रूकावट आने से कुछ व • के मरीज इसकी चपेट में जल्दी आ जाते हैं। ही समय में मस्तिष्क की कोशिकाएं मृत होने • मोटापा दिमागी दौरा का एक प्रमुख कारण बन लगती हैं, क्योंकि उन्हें ऑक्सीजन की आपूर्ति सकता है। धूम्रपान, शराब और गर्भ निरोधक गोलियों का सेवन दिमागी दौरा को निमंत्रण देने रूक जाती है। जब मस्तिष्क को रक्त पहुंचाने वाली नलिकाएं फट जाती हैं, तो इसे ब्रेन हैमरेज वाले कारण माने जाते हैं। कोलेस्ट्रॉल का बढ़ता ट्राल का बढ़ता स्तर और घटती शारीरिक सक्रियता भी इसका कहते हैं। इस कारण पक्षाघात होना, याददाश्त कारण बन सकती है। जाने की समस्या, बोलने में असमर्थता जैसी इसलिए स्थिति आ सकती हैकई बार ‘दिमागी दौरा' क्यों होती है यह समस्या :- मस्तिष्क को रक्त - मस्तिष्क को रक्त जानलेवा भी हो सकता है। इसे ब्रेन अटैक भी पहुचान " पहुंचाने वाली नलिकाओं के क्षतिग्रस्त होने के कारण या उसके फट जाने के कारण दिमागी कहते हैं। दौरा होता है। इन नलिकाओं के क्षतिग्रस्त होने * इस मौसम में बढ़ जाता है खतरा :- जिन्हें । ब्लड प्रेशर की शिकायत है, सर्दियों में सुबह कारण नलिकाओं की दीवारों में वसा, संयोजी उनका ब्लड प्रेशर खतरनाक स्तर तक बढ़ जाता ऊतकों क्लॉट कैल्शियम या अन्य पदार्थों का है। इससे दिमागी दौरा का खतरा कई गुना बढ़ जमाव हो जाता है। इस कारण नलिकाएं सिकुड़ रखेजाता हैएस लोगों को इस मौसम में विशेष जाती हैं, जिससे उनके द्वारा होने वाले रक्त सावधानी बरतनी चाहिए। सर्दियों में प्लेटलेट्स संचरण में रूकावट आती है या रक्त कोशिकाओं आपस में चिपकने वाले हो जाते हैं, इससे भी की दीवार कमजोर हो जाती है भोजन ले, जिसमें नमक, कोलेस्ट्रॉल, ट्रांस फैट पौष्टिक भोजन भी है कारगर :- यूं तो पोषक पदार्थों का सेवन सबके लिए जरूरी है, लेकिन विशेष रूप से उनके लिए बहुत जरूरी है, जो दिमागी दौरा से पीड़ित हैं। पोषक भोजन खाने से न सिर्फ मस्तिष्क की क्षतिग्रस्त हुई कोशिकाओं की मरम्मत होती है, बल्कि भविष्य में स्ट्रोक होने की आशंका भी कम हो जाती है। ऐसा भोजन लें, जिसमें नमक, कोलेस्ट्रॉल, ट्रांस फैट और सेचुरेटेड फैट की मात्रा कम हो और एंटी ऑक्सीडेंट, विटामिन ई, सी और ए की मात्रा अधिक हो। साबुत अनाज खाएं, क्योंकि यह फाइबर के अच्छे स्रोत हैं और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में काफी फायदेमंद साबित होते हैं। अदरक का सेवन करें, क्योंकि इससे रक्त पतला रहता है और थक्का बनने की आशंका कम हो जाती है। ओमेगा फैटी एसिड वाले खाद्य पदार्थ जैसे तैलीय मछलियां, अखरोट, सोयाबीन आदि अपने खाने में शामिल करें। यह कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करते हैं और खून जमने का खतरा कम हो जाता है। जामुन, गाजर, टमाटर और गहरी हरी पत्तेदार सब्जियां जरूर खाएं क्योंकि इनमें एंटी ऑक्सीडेंट की मात्रा बहुत अधिक होती है। समय पर चाहि उपचा ही मरीज को तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए। प्राथमिक स्तर पर इसके उपचार में रक्त संचरण को सुचारू और सामान्य करने व जाती है ताकि मस्तिष्क की को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जा सकेकई अत्याधनिक अस्पतालों में थ्रोम्बोलिसिस के लाल पन्ना पल है जिये यो थ्रोम्बोलिसिस कहते हैं। यह मस्तिष्क में मौजूद ब्लट क्लॉट ब्लड क्लॉट को नष्ट करने का एक अल्ट्रा साउंड तरीका है। इस उपचार में केवल दो घंटे लगते हैं। इसलिए स्ट्रोक अटैक के तीन घंटे के भीतर जो उपचार उपलब्ध कराया जाता है उसे ‘गोल्डन पीटिकटते हैंत सकारत्मक बदलाव लाएं :- तनाव न लें, मानसिक शांति के लिए ध्यान लगाएं। धूम्रपान ३ और शराब के सेवन से बचेंनियमित रूप से व्यायाम और योग कर। अपना उचित भार बनाए रखेहृदय रागा आर मधुमह सावधानी बरतेसोडियम का आधक मात्रा में सेवन न करेंगर्भ निरोधक गोलियों का सेवन कम करें।