माइग्रेन भयानक सिर दर्द

माइग्रेन को आधे सिर दर्द का दर्द, अर्ध सुन्नता या झुरझुरी महसूस होती है। 13. सिर में चोट लगना, मल-मूत्र व कपाली तथा शिरशूल भी कहा जाता है। यह 6. चक्कर आते हैं तथा चाल में लड़खड़ाहट अपानवायु को रोकना, नेत्र गोलक पर दबाव एक कष्टदायी शिरोरोग है। इस रोग का संबंध होती है। पड़ना, तथा बार-बार साइनस की शिकायत खोपड़ी के अन्दर और चारों ओर स्थित 7. सप्ताह में ऐसा दर्द दो बार से अधिक होने होना। धमनियों के आकार में परिवर्तन से है। रक्त की लगता है। 14. अधिक क्रोध करना, मन का अशान्त शिराएं सिकुड़ जाएं तो माइग्रेन की उत्पत्ति 8. सिर के आधे भाग में टपकन की तरह दर्द रहना, ऊँचा बोलना, तथा ईष्र्या करना। धैर्य की होती है। यदि सूजन हो जाती है तो दर्द बढ होता है। कमी होना तथा अंहकार की अधिकता होना। जाना ३ जनत" शिराल में सर्य के उदय 9. कभी-कभी निर्णय लेने की शक्ति में कमी 15, मस्तिष्क की नाडियों में सूजन होनाहोने पर दर्द शरू होता है। कछ लोगों को आ जाती है। बोलने में परेशानी होती है। यौगिक उपचार :- 1. शुद्धि क्रियाएं - चन्द्रमा निकलने पर सिर दर्द शुरू होता है 10. जो लोग जिद्दी व महत्त्वाकांक्षी होते हैं, (अ), रात को सोते समय सरसों के तेल की परन्त ऐसे रोगी कम ही होते हैं। यह रोग वंश उनमें यह रोग अधिक पाया जाता है। दो-दो बंदे नाक में डालें। परम्परा से भी आता है। कारण :- शरीर में पित्त की प्रधानता होने से (आ). रबर या सूत्र नेति तथा जलनेति करें, माइग्रेन में अचानक मस्तिष्क की रक्त माइग्रेन होता है। बाद में कपालभांति करें। वाहिनियों में सिकुड़न आ जाती है। ऑक्सीजन 2. शराब व पुराने पनीर में टिरेमाइन होता है, (इ) कुजलक्रिया सप्ताह में दो बार करें। बाद की कमी हो जाती है। कुछ देर बाद यह स्थिति उनका सवन करनामें सप्ताह में एक बार करेंउसके बाद ठीक हो जाती है। वास्तव में मस्तिष्क के 3. मानसिक तनाव की लम्बी अवधि के बाद वगळता कोषाणुओं में रक्त का संचार सही ढंग से नहीं शिथिलता होने के बाद यह रोग होता है। # शिथिलता होने के बाद यह रोग होता है। (2), आसन :- ताड़ासन, नावासन, ॐ जन 4. मासिक धर्म शुरू होने से ठीक पहले धनुरासन, जानुशिरासन, उष्ट्रासन, भुजगासन, कोषों में रक्त की बाढ़-सी आ जाती है। उसका माहला के खून में सेक्स हामाना का बढ़ना। मकरासन, पवनमक्तासन, सर्वांगासन तथा असर आँखों पर आता है। आँखों के सामने 5. गर्भ निरोधक गोलिया खानामत्स्यासन। । 6. अत्यधिक परिश्रम करना व थकान बने (3), प्राणायाम :- अनुलोम-विलोम 5 धब्बे नजर आने लगते हैं। चमचमाती रेखाएं 6. झिलमिलाने लगती है। कुछ देर तक धंधला रहनामिनट, कपालभांति 80 आवृत्तियां, 15 दिखाई देता है। घण्टों तक यही अवस्था बनी • भूख 7. भूखे रहना, ज्यादा व्रत करना, ज्यादा आवृत्तियों से बढ़ाकर, भस्त्रिका 50 आवृतियां रहती है। उसके बंद होते ही सिरदर्द आधा रह चिकनाई वाले पदार्थ खाना, प्याज, चॉकलेट, तथा धामी 21 बारजाता है। खट्टे फल तथा समुद्री पौधों से बने पदार्थ (4), योगनिद्रा :- दो सप्ताह तक 15-30 लक्षण :- 1. उल्टी की तीव्र इच्छा होती है। मिनट तक मेरा माइग्रेन ठीक हो रहा है, के g मौसम के तापमान से कमरे में अचानक भाव के साथ शरीर ढीला छोड़ें। सिरदर्द का दौरा पड़ता है। 15 मिनट के बाद 8 बदलाव आना। पूरी तीव्रता से दर्द होता है। (5). ध्यान :- 5-15 मिनट ओम् ध्वनि 4 9. विटामिन 'ए' का ज्यादा प्रयोग करना, अति 2. तेज रोशनी या भीड़ वाले स्थान में दर्द होने । यो ने पाल ठण्डे पदार्थों का सेवन करना, कैफीन का नीली तरंगों का ध्यान करें। लगता है। अति संवेदनशील व्यक्ति को सिरदर्द व अधिक सेवन करना, कब्ज रहना तथा एलजी (6). आहार :- तला-भुना व गरिष्ठ भोजन ज्यादा होता है। करने वाले पदार्थ खाना। 3. महिलाओं में मासिक धर्म से पूर्व प्रीमेंन्स्टूल न करेंनारियल पानी, सिंघाड़ा, हरी सब्जी, 5 10. तीखी गंध सूंघना तथा तेज धूप में घूमना। दलिया, परवल, रसीले फल, बादाम, पेठे का टेंशन से पहले माइग्रेन के झटके आते हैं। 11. देर रात तक जागना, नींद पूरी न होना। मासिक धर्म में दर्द बढ़ता है। रस, गर्मी में ठण्डा दूध, जौ का सत्तू का सेवन 4. आँखों के बीच फडकन होती हैध्वनि के 12. खून की कमी, गुर्द के विकार, ब्रेन ट्यूमर, ट्यूमर, करें। ज्यादा देर भूखे न रहें। " सिर व कंठ में जाने वाली धमनियों में रुकावट, प्रति संवेदनशीलता होती है।