स्वच्छ भारत अभियान शहर और सफाई।

- - एक कदम स्वच्छता की ओर शहर और सफाई। शहरों में साफ-सफाई की व्यवस्था को लेकर करवाए गए केंद्र सरकार के स्वच्छ सर्वेक्षण के नतीजों से जाहिर है कि देश में स्वच्छता को लेकर एक माहौल बन रहा है और इस मामले में बेहतर करने की इच्छा भी पैदा हो रही है। इस साल शहरों की रैकिंग में आया बड़ा उलटफेर इसका सूचक है। इस बार मध्य प्रदेश का इंदौर पहले नंबर पर है, भोपाल दूसरे पर, जबकि तीसरा स्थान विशाखापत्तनम का है। पिछले साल मैसूर अव्वल था और चंडीगढ़ दूसरे स्थान पर। शहरों की स्वच्छता के मूल्यांकन के लिए इस साल पांच कसौटियां तय की गई थीं। कचरा जमा करने की प्रक्रिया, ठोस कचरे का प्रबंधन, शौचालय निर्माण, सफाई की रणनीति, और इस पर लोगों से संवाद के तरीके। रैंक निर्धारण में नगर-निगम द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों, स्वतंत्र रूप से मूल्यांकन करने वालों की जांच और नागरिकों की राय को आधार बनाया गयाइस बार नए शहरों ने ऊपर जगह बनाकर सबके लिए मिसाल कायम की है। जैसे, इंदौर में स्वच्छता के लिए बड़े पैमाने पर और योजनाबद्ध प्रयास किए गए। नगर-निगम ने सैकड़ों कर्मचारियों और आधुनिक मशीनों के जरिए सफाई व्यवस्था को सुचारु बनाया। इंदौर में हर घर से कचरा उठाने के लिए नगर-निगम का वाहन पहुंचता है। रिहायशी इलाके में दिन में एक बार, जबकि व्यावसायिक इलाकों में दो बार कचरा कलेक्ट किया जाता है। सूची से पता चलता है कि कुछ शहर आगे बढ़े तो कुछ पीछे भी गए। जैसे दिल्ली का एनडीएमसी इलाका पिछले साल चौथे नंबर पर था, लेकिन इस बार सातवें नंबर पर फिसल गया है। उत्तर प्रदेश, बिहार और पंजाब के कई शहर काफी पिछड़े हुए हैं। सफाई व्यवस्था तभी चुस्त-दुरुस्त हो सकती है, जब स्थानीय प्रशासन के स्तर पर एक मजबूत कार्य संस्कति हो। कुछ राज्यों के शहर अगर गंदे हैं, तो इसकी वजह यह हैकि वहां के स्थानीय निकाय काहिली, भ्रष्टाचार और क्षुद्र राजनीति से ग्रस्त हैं। दिल्ली में आलम यह है कि नगर-निगम के कई कर्मचारी काम पर ही नहीं जाते। उनमें से कई ने तो अपनी जगह दूसरों को काम पर रख लिया है। और खुद किसी और धंधे में लगे हैं। कई निगमों के पास पर्याप्त फंड नहीं हैंकि वे आधुनिक उपकरण वगैरह खरीद सकें। कुछ शहरों को प्रकति की मार भी झेलनी पड़ती है। जैसे पंजाब से लेकर बिहार तक के मैदानी इलाकों की मिट्टी भुरभुरी है। यहां धूल बहुत उड़ती है। इसे ध्यान में रखकर योजना बनानी होगीकई शहरों पर ग्रामीण जनसंख्या का दबाव रहता है, जिससे सफाई का काम अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाता है। सफाई सिर्फ एक भावना नहीं है। उसका संबंध कई ठोस चीजों से है। अगर इन पहलुओं पर ध्यान दिया जाए और केंद्र व राज्य सरकारें शहरों की मदद के लिए तत्पर हों तो स्वच्छता मिशन की गति और तेज हो जाएगी। इस वर्ष के टॉप 10 साफ शहर :- 1. इंदौर (एमपी), 2. भोपाल (एमपी), 3. विशाखापट्टनम (एपी), 4. सूरत (गुजरात), 5. मैसूर (कर्नाटक), 6. तिरुचल्लापल्ली (केरल), 7. एनडीएमसी नई दिल्ली (दिल्ली), 8. नवी मुंबई (महाराष्ट्र), 9.तिरुपति (केरल), 10. वडोदरा (गुजरात) इस वर्ष के 10 सबसे गंदे शहर :- 1. गोंडा (यूपी), 2. भुसावल (महाराष्ट्र), 3. बगहा (बिहार), 4. हरदोई (यूपी), 5. कटिहार (यूपी), 6. बहराइच (यूपी), 7. मुक्तसर (पंजाब), 8. अबोहर (पंजाब), 9. शाहजहांपुर (यूपी), 10. खुर्जा (यूपी) - - -