वज्रासन

पाचन प्रणाली और स्नायु प्रणाली को स्वस्थ बहुत ही जल्दी दूर हो जाती है। जो लोग बहुत 7. रीढ़ सीधा रहने से मूलाधार से सहस्राट तक रखने का एक अनूठा और सशक्त साधन देर तक खड़े रहते हैं-जैसे रसोई में काम करते प्राणों का संचार ठीक से होता है और सातों चक्र है-वज्रासन। योगासनों में अधिकतर आसन ऐसे समय महिलाएं, स्कूलों-कॉलेजों के शिक्षक, प्रभावित होते हैं। इससे श्वसन क्रिया भी ठीक से हैं जिनसे शरीर के सभी अंगों का व्यायाम हो उन्हें वज्रासन का अभ्यास करना चाहिए। शीघ्र होती रहती है अतः अस्थमा श्वास रोगों में भी जाता है। सभी मांसपेशियां, जोड़, ग्रंथियां ही उनकी थकावट दूर होगी और पीड़ा भी वज्रासन लाभकारी है। प्रभावित होते हैं। शरीर की चयापचय क्रिया बढ़ समाप्त होगी। 8. वज्रासन से बड़ी आंत सक्रिय होती है अतः जाती है। मांसपेशियों की क्रियाशीलता व लचक 2. वज्रासन में बैठने से मणिपुर चक्र प्रभावित कब्ज नहीं होती। कब्ज को दूर करने का सर्वोतम बढ़ती है। ऐसे सभी आसन आप लगातार लम्बे होता हैमणिपर चक्र से जड़े सभी अंग उपाय है। वज्रासन में बैठने से पिण्डलियों पर समय तक नहीं कर सकते। इसीलिए आसन माग गरून जि ए आसन अमाशय, यकृत, पैक्रियाज, छोटी आंत, बड़ी जबर्दस्त दबाव पड़ता है और इसी से कब्ज दूर को शांत वटी जबर्टन दबाव पड़ता है और इसी करते समय कुछ ऐसे आसन हैं जिनके द्वारा आंत सभी स्वस्थ होते हैं। कैसे? जब हम होती है। मांसपेशियां एवं मन को शिथिल किया जाता है, वज्रासन में बैठते हैं तो पिंडलियों व जंघाओं पर 9. वज्रासन से गुर्दे, मूत्राशय, मूत्रनलियां भी शरीर को विश्राम देने के लिए। योगासन खाली दबाव पड़ने से पैरों की नसों में गर्मी उत्पन्न होती सक्रिय होती हैं और मूत्र रोगों से बचाव होता हैपेट ही किए जाते हैं और आसन करने का है, रक्त का संचार तीव्र गति से पेट की ओर होने प्रोटेस्ट ग्रंथि के रोग भी दूर होते हैं। सर्वोतम समय होता है प्रात:काल। शौच और । लगता है, पेट के सभी अंग क्रियाशील हो जाते 10. वज्रासन से पाचन क्रिया ठीक होती है, शरीर स्नान के बाद खाली पेट। परन्तु एक आसन ऐसा ' हैं। इससे पाचन शक्ति सुदृढ़ हो जाती है। शक्तिमान बनता है और रोग प्रतिरोधक प्रणाली भी है जो दिन में कभी भी किया जा सकता है, पेट चाहे खाली हो या भरा हुआ क्योंकि यह ? 3. वज्रासन में बैठने के कारण अमाशय को भी सशक्त हो जाती हैविश्राम का आसन है। यह आसन शरीर को अधिक रक्त मिलना आरम्भ हो जाता है तो 11. वज्रासन से पेल्विक क्षेत्र पर भी दबाव पड़ता विश्राम देने के साथ-साथ व्यायाम के भी अनेकों वुवन२ आवुचन-संकुचन की प्रक्रिया सुचारू रूप से है जिसमें महिलाओं की ओवरीज-गर्भाशय और लाभ पहुंचाता है। इसीलिए यह आसन व्यायाम गया होने लगती है और भोजन का पाचन शीघ्र होने पुरुषों की रैस्टीज ग्रंथियों पर भी दबाव पड़ता हैऔर विश्राम का अनोखा संगम है। लगता है। वज्रासन ही एकमात्र ऐसा आसन है जो जिससे उनमें रक्त प्रवाह की गति बढ़ जाती है। इस क्रिया में सहायता पहुंचाता है। वीर्य निर्माण तेजी से होता हैवीर्य गाढ़ा होता है। वज्रासन करने की विधि :- जमीन पर कोई 4. वज्रासन में बैठकर हम कोई अन्य शारीरिक पुरुषों की स्तम्भन शक्ति सदढ़ होती है। भी दरी, मोटी चादर अथवा गद्दा बिछाकर बैठ क्रिया नहीं कर रहे होते हैं। इसीलिए पाचन महिलाओं का बांझपन-पुरुषों की नपुंसकता दर जाएं। दोनों पैरों को सीधा कर लें। अब दोनों , शक्ति पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ता हैहोती है। हार्मोन प्रणाली ठीक से काम करती हैहाथों को दायीं ओर रखकर पैरों को बायीं ओर प्रायः कहा जाता है कि भोजन के पश्चात् 12. वज्रासन से हृदय भी स्वस्थ रहता है। रक्त घुमाते हुए घुटनों को मोड़ लें। अपने पैरों की वज्रासन में केवल पांच मिनट बैठने से ही एक संचार ठीक रहता है। उच्च निम्न रक्तचाप की एडियां खोल लें परन्तु पैरों के अंगूठे मिलाकर किलोमीटर सैर का लाभ मिल जाता है। समस्या नहीं होती है। रखें। एड़ियों के पंजे दाएं-बाएं लिटा दें। अपने 5. मधुमेह के रोगियों के लिए वज्रासन वरदान 13. हमारे शरीर की सभी गतिविधियां दो नाड़ियों नितम्बों को एड़ियों पर टिकाकर बैठ जाएं। घुटने मिला कर रखें। हाथ घुटनों पर रखें और शरीर है। मधुमेह का मुख्य कारण है भोजन के बाद पर ही निर्भर है- सूर्य नाड़ी और चन्द्र नाड़ी। को पूर्णतया ढीला छोड़ देंयह आसन पलंग व बढ़ी हुई शकरा की बढी हुई शर्करा का पाचन ठीक से न होनावज्रासन से इन दोनों नाड़ियों का संतुलन बनता है। बिस्तर पर बैठकर भी किया जा सकता है। इस इसके फलस्वरूप रक्त में शर्करा के स्तर में जो व्यक्ति दिन में एक घंटा-आधा घंटा आसन में शुरू-शुरू में बैठना कठिन होता है। बढ़ोतरी होती है। वज्रासन में बैठने से भोजन में प्रातः-शाम वज्रासन में बैठने का अभ्यास बना लेते यदि आप अपने पैरों के नीचे तकिया रख लें तो शर्करा का पाचन ठीक से शीघ्रता से हो जाता है। हैं, वे कभी रोगी हो ही नहीं सकते। वज्रासन में बैठकर बैठना आसान हो जाता है। इस आसन में आरम्भ मधुमेह से बचाव यदि गहरे लम्बे श्वासों एवं सरल उपाय है । का अनुलोम-विलोम, प्राणायाम का अभ्यास किया में 5 मिनट तक बैठे। ज्यों-ज्यों आपका अभ्यास भोजनोपरान्त 20-30 मिनट वज्रासन में बैठना। जाए तो प्राणायाम एवं वज्रासन दोनों का लाभ एक बढ़ता जायेगा, आप इस आसन में 20 से 30 6. जब आप वज्रासन में बैठते हैं तो रीढ़ और मिनट तक भी बैठ सकते हैं। साथ मिल जाते हैं। अतः अब आपको विश्वास हो गर्दन स्वतः ही सीधी रहती है अतः रीढ़ के द गया होगा कि वज्रासन है तो आराम का आसन लाभ :- 1. यह विश्राम का आसन है, थकावट नहीं होते। कमर दर्द, सरवाइकल पीड़ा और परन्त इससे व्यायाम के पूरे लाभ मिल जाते हैं। को दूर करता है। पिंडलियों के दबने से थकावट स्लिप डिस्क से बचने का इलाज है वज्रासन। जोधपुर (राजस्थान) 342008 मो. : 9928490550