शीतकालीन आहार-विहार से हमारा तात्पर्य अंकुरित दालें :- चना, मूग, मोठ, सोयाबीन, सर्दी-जुकाम मिटते हैं। पालक, गाजर व चुकन्दर शरद से शिशिर तक अर्थात् आश्विन से माघ मटर अंकुरित होने के बाद किशमिश व बच्चे का रस मिलाकर पानी से कब्ज टूटता हैआंतों माह तक के आहार-विहार से है। ऋतु के नारियल के टुकड़े डालकर खाएं। त्वचा व बालों को बल मिलता है। संक्रमण से बचाव होता हैअनुसार खान-पान न करने से हम रोग ग्रस्त हो में निखार आता है। ऑक्सीजन प्राप्त होती है। 5. ब्रोकली :- विटामिन ‘ए’ ‘बी’ ‘सी’ की जाते हैं। शीतकाल में पृथ्वी के साथ चन्द्रमा का फाइबर की अच्छी स्रोत हैं। स्वस्थ पाचन तंत्र बढ़िया स्रोत है। त्वचा की नमी बरकरार रहती है। संबंध अधिक रहता है। इस ऋतु में वनस्पतियों में बनता है। विटामिन 'बी' 'सी' भी मिलता है। इसका विटामिन 'इ' सूरज की तेज किरणों से अम्लरस की अधिकता हो जाती है। पित्त प्रकृति नाश्ते व लंच के बीच भूख नहीं लगने देती। बचाता हैझुर्रियां व बारीक रेखाएं नहीं उभरती वालों के लिए यह मौसम हानिकारक माना गया वजन व संतुलित रखने वाले आहार :- 1. हैं। त्वचा की रंगत, बेहतर होती है। चेहरे पर पेस्ट है। सूर्य की गर्मी से पित्त दोष कुपित हो जाता हैछिलके वाली दालें जो प्रोटीन से भरपूर होती है। भी कर सकते हैं तथा सब्जी बनाकर खाएं भी।रक्त दोष, फोड़े-फुसी, चकत्ते, खाज-खुजली, फोलिक एसिड तथा विटामिन ‘ए’ ‘बी’ होने से 6. लहसुन :- ठण्ड से उत्पन्न रोग दूर होते हैं। ज्वर, रक्तपित्त, दाह, सिरदर्द, अम्लपित्त, अजीर्ण, कॉलेस्ट्रॉल कम हो जाता है। 2. सलाद खाने से शरीर गर्म रहता है। त्वचा खूबसूरत बनती है। जुकाम व अरुचि जैसे रोग उभर आते हैं। कम कैलोरी व अधिक फाइबर मिलता है। 3. त्वचा रोग दूर होते हैं। लहसुन का तेल लगाने से आहार :- जो दोष प्रकुपित (बढ़ जाते) हो जाते पीले व खट्टे फलों में विटामिन 'सी' होता है। मुंहासे ठीक होते हैं। त्वचा का Ph का सन्तुलन हैं उसके लिए दोषों के शामक रस लेने चाहिएजो मधुमेह, कैंसर, खून की कमी मोतिया बिन्द, बना रहता हैशरीर पर बनी बारीक रेखाएं व जैसे शामक रस मधुर, तिक्त, कषाय, मीठे, दमा, गुर्दे की पथरी दूर करके रोग प्रतिरोधक झुर्रियां दूर हो जाती हैं। सुपाच्य तथा पेय पदार्थ अधिक उपयुक्त होते हैं। शक्ति को बढ़ता है। 4. अंकुरित अन्न। 7. अदरक :- यह एन्टी ऑक्सीडेंट से भरपूर हैखाद्य पदार्थों :- मूंग, साठी चावल, लाल निम्नलिखित आहार देता है ये लाभ :- आयु की बढ़ती निशानी को रोकता हैत्वचा की चावल, गेहूं, जौ, घी, दूध, मक्खन का सेवन 1. नींबू :- नींबू में विटामिन 'सी' होता है। रंगत बेहतर होती है। त्वचा कोमल बनती हैलेना चाहिए। हरे साग सब्जी :- करेला, इसके रस का सेवन करने से भीतर से त्वचा अदरक का रस त्वचा की ट्रेनिंग करने में चौलाई, कमलगट्टा, पालक, भिण्डी, लौकी, साफ होती है और त्वचा चमकदार होती हैसहायक हैठण्ड के रोग दूर होते हैंअदरक तोरई, फूलगोभी, टमाटर, बीन्स, परवल, लहसुन, शरीर को पोषण मिलता है। फ्लेवनायड होने के रस+शहद चाटने से खांसी दूर होती है। सोया, मूली, आंवला, सेम, मेथी, सिंघाड़ा आदि। कारण शरीर गर्म रहता है। 8. अखरोट :- जोड़ों का दर्द, दमा, गठिया, सलाद :- गाजर, खीरा, ककड़ी, टमाटर, मूली, 2. बादाम, ब्रोकली, लहसुन, अदरक, गाजर व दिल, याददाश्त में उपयोगी है। इसमें ओमेगा 3 चुकन्दर व गोभी का सेवन करें। तिल के सेवन से त्वचा खिलखिला उठती है। की शक्ति होती है50-60 ग्राम नित्य सेवन फल :- अनार, अंगूर, नींबू, मुनक्का, नारियल 3. तिल :- सौन्दर्य में वृद्धि होती है। ऊर्जा करें। पानी, छाछ-लस्सी तथा फूट जूस उपयोगी है। मिलती है। तिल के तेल की मालिश करने से 9. मूंगफली :- यह एक्टीऑक्सीडेंट से भरपूर खाली पेट अमरूद न खाएं। सूखी त्वचा में नमनीयता आती हैठण्डा से होती है। यह ऊर्जा देती है। दिल के लिए उपयोगी जलपान विहार से पहले लें :- सूर्य किरणों से बचाव होता है। पोषक तत्व प्राप्त होते हैं सफेद होती हैइसमें खनिज लवण की पूर्ति होती हैतपित जल तथा चन्द्र किरणों से भावित निर्मल तिल खाने से जोड़ों का दर्द मिटता है। प्रोटीन, मैगनीशिया फास्फोसस, सोडियम प्रचुर मात्रा में जल पीना चाहिए। गर्म जल में नींबू का रस कैल्शियम, विटामिन 'बी' कम्पलेक्स तथा उपलब्ध होता है। मिलाकर प्रात:काल में सेवन करना चाहिए। कार्बोहाइड्रेट मिलता है। काले तिल से लौह तत्व 10. खजूर :- यह एक्टीऑक्सीडेन्ट, विटामिन, हरी-सब्जियों के लाभ :- 1. सभी खनिज भी मिलता है। प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। खनिज लवण की अच्छी स्रोत है। ऊर्जा देती है। तत्व प्राप्त होते हैं। 2. पाचन तंत्र में सुधार होता 4. गाजर :- विटामिन ‘ए’ से भरपूर है। त्वचा प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है। रात को भोजन के है। 3. लावन्य में वृद्धि होती है। 4. शरीर में को सेहतमंद बनाती है। इसका विटामिन 'सी' 5-6 घन्टे के दूध के साथ 4-5 खजूर का सेवन पौष्टिकता आती है। 5. मानसिक तनाव कम चमक व पोषण देता है। कद्दूकस करके गाजर करें। होता है। 6. कॉलेस्ट्रॉल काब में होता है। 7. में शहद मिलाकर चेहरे पर लेप करने से चेहरे 11. बादाम :- इसका विटामिन ई उसे वजन पर नियन्त्रण सहजता से होता है। 8. पर निखार आता है। शरीर में कोलेजन की एंटीऑक्सीडेंट पावर हाउस बनाता है शक्ति देता पसीने की दुर्गन्ध दूर होती है। प्रक्रिया तेज होती हैझुर्रियां मिटती हैं। है, त्वचा के रखरखाव में इसका जादुई असर करें। दें। होता है। त्वचा खिली-खिली रहती है। फेसमास्क बनाने के लिए गेहूं का आटा मिलाना चाहिए। यह एक हल्के ब्लीचिंग एजेंट की तरह काम करता हैबादाम का तेल होठों की रंगत वापस लौटाता है। न खाएं :- पित्त को कुपित करने वाले पदार्थ, तले-भुने, नमकीन, चटपटे, ज्यादा गर्म, मिर्च मसाले, खटाई, अण्डे, मांस, मंदीरा से बचें। मूंगफली खाकर तुरन्त पानी न पीयें। मैदे की चीजें न खाएं। तला हुआ बर्गर, पिज्जा, स्नेक्स, चॉकलेट, चिल्ली सांस, पास्ता न खाएं। विहार :- 1. संयम के साथ शरद ऋतु का आनन्द लें। |2. अधिक तेज धूप का सेवन त्वचा रोग बढ़ाता है। 3. अधिक व्यायाम भी हानिकारक होता है। सूर्य नमस्कार 4. घर साफ-सुथरा रखें। औषधीय प्रकृति द्रव्यों का धुंआ |5. शरीर की स्वच्छता का ध्यान रखें। 6. हरड़ का प्रयोग शक्कर के साथ उपयोगी है7. चन्द्र किरणों में परिवार सहित भ्रमण करें। 8. प्रात:कालीन सूर्य की धूप में सरसों के तेल की सप्ताह में एक बार मालिश करें9, दिन में सोना हानिकारक है। 10. त्रिफला चूर्ण, निशोथ चूर्ण, अमलतास का गूद, मुनक्का, च्यवनप्राश, मूसली पाक, आमलकी रसायन, ब्राह्मारसायन, वसन्त कुसुमाकर चिकित्सा की सलाह से लें। 11. फूलों की माला का आभूषण के रूप में प्रयोग करें। 12. खुले आसमान के नीचे न सोएं। 13. पूर्वी हवा व ओस से बचें। 14. रात्रि जागरण व अति सहवास से बचें। उषा पान करें। 15. सब्जी धोकर काटे न कि काटकर धोएं। शरद ऋतु में होने वाले रोगों में उपचार :- 1. जुकाम/इन्फ्लुएंग्जा :- दालचीनी का तेल मिश्री के साथ थोड़ा-सा खाने तथा दालचीनी के तेल की कुछ बूंद छिड़कर सूंघने से लाभ मिलता है। नए जुकाम में दालचीनी की छाल का डेढ़ मासा चूर्ण गर्म पानी से लेने पर आराम आता है। 2. सिरदर्द :- सर्दी के कारण कफ रूकने से होने वाले सिरदर्द में दालचीनी जल के साथ पीसकर कछ गर्म करके सिर पर लेप करने से सिर दर्द दूर हो जाता है। ||3. पाचन की गड़बड़ी :- त्रिफला चूर्ण सोते समय गर्म |जल से लेकर पेट साफ रखें। 4. पित्त का शमन :- निराहार नींबू का रस थोड़े गर्म जल में शहद मिलाकर पीने से रक्त विकार, कब्ज, भूख मरना " आदि में यह प्रयोग उपयोगी है। 5. चर्म रोग :- गाजर का रस उपयोग करने से चर्म रोग नहीं हो पाते।
आहार शरद में आहार-विहार