अस्थमा कारण और निवारण

कारण और - ७ : योग शिक्षक हरेराम जी अस्थमा श्वसन प्रणाली एक जटिल समस्या है। अवरोध-सा महसूस होना, कफ का अत्यंत दमा मरीज को ठंड के मौसम में काफी परेशानी अत्यधिक म्यूकस का स्राव हमारी श्वास के क्रम गाढ़ा, चिपचिपा होना तथा इसका आसानी से न होती है। ब्रोकियल अस्थमा वाले मरीज को सर्दी को बाधित करता है। दम फूलना, श्वास लेने में निकलना, वर्षा-शीत ऋतु, ठंडी हवाओं और में अस्थमा तेज हो जाए तो मरीज को तुरंत तिकलीफ होना और अत्यधिक श्लेष्मा का गाढ़। ऋत परिवर्तन में कष्ट बढ़ना, हृदय की धडकन इन्हेलर लेना चाहिए। उन्हें यह जानना जरूरी है। रूप में खासी के साथ बाहर निकलना इसक तेज होना, ललाट पर पसीना आना, हाथ-पैर ठंडे कि वैसे क्या तत्व है जिसके कारण उन्हें सांस सामान्य लक्षण हैंकभी-कभी तो श्वास ही भी-कभी तो श्वास हा होना, मानसिक घबराहट आदि देखने को मिलते लेने में परेशानी होती हैकुछ दमा मरीज ऐसे अवरूद्ध होता जान पड़ता है। इसकी मुख्य वजह मुख्य वजह हैं। आहार में चोकर सहित आटे की रोटी, जई के होते हैं जिन्हें श्वास, गंध, इत्र, खुशबूदार तेल, तो बाहरी एलर्जी ही है। मनोवैज्ञानिक व । । 'आटे की रोटी, डबल रोटी, केक-बिस्कुट, पाउडर, डियोडरेंट से एलर्जी होती है, इससे अनुवांशिक कारण भी महत्वपूर्ण है। इससे किसी ।। दलिया, मूंग की दाल का सेवन करें। परहेज जरूरी है। मरीज के कमरों में गिली चीजें भी उम्र के लोग प्रभावित हो सकते हैं। मुख्य रूप से इन रोगियों के अन्दर श्वास लेने में दिक्कत सब्जियां :- पालक, शिलजम, करेला, मेथी, नि बिछाएं। इनके कपड़े, बिछावन आदि धूप में होती है जो शरीर को प्राण ऊर्जा को कम करती ।याज, में प्याज, धनिया, पुदीना, चौलाई, सहिजन, नियमित रूप से सूखाना चाहिए। रेशायुक्त है और व्यक्ति दुर्बल होता जाता है। योगाभ्यास अदरक, लहसुन, आलू, परवल आदि का आहार अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए। उनमें प्राण ऊर्जा का संचार तथा अत्यधिक सेवन करे'मानसिक क्लेश, दुख, क्रोध दमा मरीजों पर बुरा प्रलेष्मा को बाहर निकालने के लिए कार्य 'फल :- पपीता, चीकू, अनार, सेब, खजूर, 'प्रभाव डालते हैं, ऐसे में परिवार के अन्य सदस्यों करता है। अंगूर, अंजीर, शहतूत खाएं। रात्रि का भोजन कम को सौहार्दपूर्ण व्यवहार रखना चाहिए। फेफड़ों योगिक अभ्यास : मात्रा में सोने के 2 घंटे पहले लें। को हवा देने वाली नलियां छोटी-छोटी आसन :- 1. ताड़ासन, 2. तिर्यकता डासन, परहेज :- वासी भोजन, चावल, दही, अंडा, मांसपेशियों से ढकी रहती हैं। इन मांसपेशियों के 3. कटिचक्रासन (5-5 चक्र), 4. शशंकासन, दूध, छाछ, अमचूर, इमली न खाएं। आक्षेप होने के कारण सांस लेने में कष्ट होता है 5. भुजंगासन (क्षमतानुसार), 6. शवासन 'मांस :- मछली, मुर्गों की गोश्त, गुड़, चना, और गला सांय-सांय करता है। केवल दवाइयों से (5 मिनट), 7. सूर्य नमस्कार ( धीरे-धीरे 1 से 5 मिठाई से परहेज करें। ठंडे, शीतल पेय, बर्फ, ही दमा को ठीक कर देने की आशा गलत है। चक्र), 8, धनुरासन, 9. गोमुखासन, 10] आइसक्रिम न खाएं। केला, तरबूज, उड़द की। आहार, आचार व प्राकृतिक नियमों का पालन अर्धमत्येन्द्रासन, 11. शलभासन। । दाल, बादाम, नारियल, छोटी मटर तथा दूध से दमा से स्थाई रोग मुक्ति के लिए आवश्यक है। प्राणायाम :- 1. नाड़ी शोधन, 2. भस्त्रिका, बनी चीजों का सेवन न करें। एलर्जी का पता, दमा रोगी की छाती का सेक करने से आराम 3. कपालभाति, 4. अनुलोम-विलोम, 5. 'करके उससे सदा बचें। प्राणायाम करें जिससे मिलता है। रक्त में इसनोफीलिया की वृद्धि से 'भ्रामरी-उद्गीथ।। श्वास नली और फेफड़ों में जमा कफ निकल 'प्रायः सूखा दमा होता है। पेट साफ रखें, कब्ज न क्रियाएं :- 1. कुजल (सप्ताह में तीन बार), जिाएगा। दौरा पड़ने पर पैर को गर्म पानी में रखें होने दें, देर से पचने वाली गरिष्ठ चीजें न खायें। 12. जलनेति, सूत्रनेति (सप्ताह में दो बार)। । चिंता का समाधान निकालकर सदा प्रसन्न रहने शाम का भोजन सूर्यास्त से पहले कर लें। गरम इस रोग के प्रमुख कारण होते हैं । उनमें का प्रयास करें। एक कली लहसुन पीसकर एक पानी अवश्य पीयें। शुद्ध हवा में घुमने जायें। दमा आनवांशिकता (वंशानगत), दीवारों के पेंट चम्मच सरसों के तेल में मिला लें और चुटकी में खांसी हो तो खांसी में वर्णित चीजों का प्रयोग चुना, चूने के कण, जानवरों के रोएं, सेंट, हेयर भर सेंधा नमक डालकर हल्का गर्म करके सीने 'कर सकते हैं। विटामिन 'ई' का प्रयोग करना स्प्रेि, ध, धल के कण, सौंदर्य प्रसाधन, पालत और पीठ पर मालिश कर दें। ऊपर से गर्म कपडा चाहिए। यह रक्त कणों के निर्माण में लाभ करता जानवरों के बाल, पंख, बीड़ी-सिगरेट, तम्बाक लपेट दें। अपनी कार्यक्षमता से अधिक परिश्रम है। इसकी दैनिक खुराक 15-20 मि.ली. ग्राम है। धुआं, खाने की चीजों आदि से एलर्जी का कार्य न करें। भोजन करके तुरंत न सोयें। यह अंकुरित गेहूं, पिस्ता, सोयाबिन, सफोला अधिक चिंता, क्रोध, उत्तेजना, मानसिक तनाव, बरसात में भीगने से बचें। एस्प्रिन का सेवन तेल, नरियल, घी, ताजा मक्खन, टमाटर, अंगूर, सर्दी-जुकाम, खांसी, सीलन युक्त स्थान, तले 'न करें। सूखे मेवों में मिलता है। गरिष्ठ पदार्थो अधिक मात्रा में खाना आदि । अस्थमा में श्वास नली सिकुड़ जाती है जिसके कैल्शियम :- दमा में कैल्शियम प्रधान भोजन सम्मिलित हैं। कारण मरीज सांस ठीक से नहीं ले पाता है। सर्दी लाभ करता है। इसकी दैनिक मात्रा 0.8 ग्राम है। इस रोग में लक्षणों के रूप में घर-घर की के दिनों में जुकाम, गले में खरास होने वाली शरीर को जितने कैल्शियम की आवश्यकता आवाज़ के साथ कष्टप्रद श्वास-प्रवास, कुंठ में वायरस की मात्रा तेजी से बढ़ती है जिसके कारण होती है वह प्रतिदिन 50 ग्राम तिल खाने से मिल जाता है। यह दूध, पालक, चौलाई, सोयाबिन, जाता है। ऑक्सीजन की कमी से भी सांस लेने में सूखे मेव, आवला, गाजर, पनीर में पाया जाता दमा कई प्रकार के होते हैं :- 1. मानसिक तकलीफ होती है। भारी समान उठाने से, सीढियां तनाव एवं दबाव के कारण, 2. वायरस एवं अन्य चढ़ने से, अत्यधिक भाग-दौड़ करने से सांस छहारा :- यह गर्म होता है। फेफडा और छाती श्वास संबंधी संक्रमण के कारण, 3, अस्थायी लेने में समस्या हो सकती है। उसके अलावा को बल देता है। कफ व सर्दी में लाभदायक है। दमा, 4. जीर्ण दमा, 5. हृदय संबंधी दमा, श्वसन मार्ग या छाती में संक्रमण (सदी, फ्लू) नींबू :- दमा का दौरा पड़ने पर गरम पानी में 6. एलर्जिक दमा।अस्थमा और एलर्जी का पारिवारिक इतिहास, नींबू निचोड़ कर पिलाने से लाभ होता हैदमा दवा नहीं है दमा का उपचार, योग एवं वर घर में धूम्रपान करना, घर की धूल और जीवाणु, के रोगी को नित्य एक नींबू, दो चम्मच शहद जैविक आहार है दमा का उपचार :- आहार जन्म के समय नवजात का वजन कम होना (2 किलो से कम) प्रीमैच्योर बर्थ, भोजन में और एक चम्मच अदरक का रस एक कप गरम में सुबह 6 बजे एक नींबू+एक गिलास गुनगुना उपस्थित एलर्जी तत्व अस्थमा के कारण हो पानी पीते रहने से बहुत लाभ होता हैपानी+आधा चम्मच अदरक का रस+2 चम्मच शहद लेना चाहिए। सुबह के बाद गाजर+हरी सर्व खजूर :- दमा में खजूर लाभदायक है। सकते हैं। गाजर :- दमा में गाजर अथवा इसका रस सब्जी का सूप+दोपहर में 2 रोटी+उबली बच्चों में अस्थमा के लक्षण मंद या तीव्र हो हितकर है। सब्जी+500 ग्राम सलाद+25 ग्राम अंकरित सकते हैं। लगातार खांसी, सांस लेते समय सीने अनाज+दो रसदार फल।में दर्द, छाती में दबाव, सांस छोड़ते समय छाती अंजीर :- दमा जिसमें कफ-बलगम निकलता में सीटी जैसी आवाज आना और बच्चे में ऊर्जा " हो उसमें अंजीर लाभदायक होता है। शाम में सब्जी का सूप, 2 रोटी+उबली की कमी होना इसके मुख्य लक्षण दिखे तो सब्जी+25 ग्राम अंकुरित अन्न चबा-चबाकर टॉया में मेंथी :- दमा हो तो चार चम्मच मेथी एक र डॉक्टर से जांच जरूर कराएं। चिकित्सक द्वारा खाना चाहिए। तेल, वनस्पति घी, तले पदार्थ, ना ग टाटयों को समय पर पट्टीत गिलास पानी में उबालें। आधा पानी रहने पर ठंडे पेय पदार्थ, दही, खट्टे पदार्थ, बर्फ, पौष्टिक भोजन लें। साबुत अनाज, सूप, फल छानकर गर्म-गर्म पीयें।आइसक्रीम, फ्रीज का सामान, मक्का, बैगन, और सब्जियों का सेवन भरपूर मात्रा में कराएंकरेला :- करेले की सब्जी खाने से दमे में लाभ उड़द, भिंडी, आलू, अरबी आदि का सेवन न मेवे, अंडे, शक्कर, वसायुक्त आहार, ठंडे भोज्य होता है। करें। यदि आप अस्थमा के मरीज हैं जो खाने में पदार्थ (आइसक्रीम) आदि से परहेज करें। गेहूं :- इसके छोटे पौधों का रस (Wheatgrass कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। अस्थमा के कारण में एलर्जी भी एक मुख्य juice) देकर पुराना से पुराना दमा ठीक होते हैं। अदरक में एंटी लेमेट्री गुण होते हैं, इसलिए कारण है। हम यहां एलर्जी के बारे में खासकर छोटी इलायची खाना दमा में लाभदायक है। इसका एंटी अस्थमा गुण भी होते हैं। यह श्वास बताना चाहते हैं। एलर्जी इम्युनसिस्टम यानी रोग फेफड़ों द्वारा रक्त का शुद्धिकरण होता है। नली में होने वाले इम्पलेमेशन को कम करता है। प्रतिरोधक प्रणाली की प्रतिक्रया है। यह तब नाक के छिद्र के द्वारा रोगाणुनाशक स्राव होता है, इससे श्वास नली फैल जाती है और हवा इससे दिखती है जब माहौल शरीर के अनुकूल नहीं है। जो शुद्ध वायु को गले, कंठ श्वास-नलिका एवं आसानी से पास हो जाता है। इसका कोई साइड बदलते मौसम में यह सबसे ज्यादा प्रभावी होता श्वास वाहिनियों द्वारा फेफडों को पहुंचाता है। इफेक्ट भी नहीं है, उसे अपने भोजन में आसानी है। एलर्जी का प्रभाव उन लोगों पर अधिक पड़ता दोनों फेफड़े डायफ्राम एवं हसली हड्डी पर से शामिल कर सकते हैं। है जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर हैएलर्जी का अवस्थित होती है। दाएं फेफड़े में तीन खंड तथा सीधा वास्ता जीवनशैली से है। जो शरीर के ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर आहार भीबाएं फेफड़े में दो खंड होते हैं। बाएं फेफड़े के एंटी अस्थमा का कार्य करता है। तीसी में भरपूर उनमें कैलोरी फैट के रूप में शरीर में जमा होने " मेहनत कम करते हैं और कैलोरी ज्यादा लेते हैं, पास हृदय स्थिति होने के कारण वह कुछ छोटा मात्रा में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है। नमक लगता है। इससे बचने के लिए कछ उपाय होता है। श्वास नलिका दो शाखाओं में बंटकर कम खाने से फेफड़े के फंक्शन सही तरीके से निकै दोनों फेफड़ों में जाती है। फेफड़े की सफाई नहीं काम करते हैं। आहार से नमक को कम करने रहने के कारण अस्थमा तथा कफ के शिकार हो का सबसे अच्छा तरीका प्रोसेस्ड और रिफाइंड चीनी, चावल, आलू, मटन, मीठा फल और दूध कम लें। दाल, रोटी, हरी सब्जी, सलाद, फूड का सेवन कम करना और ताजी सब्जियों पनीर, राजमा, सोयाबीन, जर्दी रहित अंडा, छोटी का सेवन अधिक करना है। मैग्नीशियम से भरपूर * मछली, छोटा फार्म चिकेन, दही, छेना अधिक आहार लें। ऐसे आहार लेने से फेफड़े की५ मात्रा में ले सकते हैं। शरीर में 30 फीसदी मांसपेशियां मुलायम होती हैं जिससे फेफड़ों को का कार्बोहाइड्रेड, 30 फीसदी प्रोटीन और फैट आराम मिलता है। काजू, केला और राजमा (वसा) और शेष फाइबर लेना चाहिए। साथ ही मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैं। अक्सर देखा जाता रोज एक घंटा पैदल चलें, व्यायाम करें, योग भी है कि अस्थमा के मरीजों का दूध और उससे बने का दिने पदार्थों से एलर्जी होती है। जिन्हें नहीं होती है, आपली टिमकत हो हैजिन्हें नहीं होता है, आपको दिक्कत हो तो आप डांस से जुड़ सकते उन्हें जरूर दूध का सेवन करना चाहिए।