स्वास्थ्य और वास्तु अनुसार आहार-विहार

• डॉ. पूर्णिमा ‘जब छाए मेरा जादू कोई बच न पाए।' career चुनने में मदद करती है। उपस्थिति ही आपको शरीर संगठन और अज्ञान जी हां! जब भी आप किसी व्यक्ति को स्वस्थ उत्तर पूर्व :- यहां वास्तु मंडल के देव भुजंग के अंधेरों का नाश करके स्वस्थ रहने में मदद और तंदरून देखें और आपके दिमाग में और देव आदिति आपको धरती में और धरती के करती है। ये पांचों इन्द्रियों को प्रभावित करते हैं। उपरोक्त पंक्तियां गूंजने लगे, तो लगेगा जाद है। ऊपर स्वास्थ्यवर्धक वनस्पतियों से आपको यहां व्याप्त वायु तत्व, जीवनदाई प्राणवाय के यह जादू सिर चढ़ कर बोलेगा यदि जिसे हम अवगत कराके आपको स्वयं से जोड़ने कीअवगत कराके आपको स्वयं से जोड़ने की रूप में प्रवाह होता है। देख रहे हैं वह उम्र में हम से बड़ा हो। हमारा मन प्रक्रिया का अंजाम देते हैंये आपको रोग प्रक्रिया को अंजाम देते हैं। ये आपकी रोग पूर्व दक्षिण पूर्व :- यही वह दिशा क्षेत्र है जो निश्चित तौर पर प्रश्न करने में पीछे नहीं रहेगा. प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर आपको स्वस्थ आपके स्वास्थ्य को आपके लिए प्रतिष्ठा का मैं ऐसा क्यों नहीं? दरअसल यह निश्चित ही रहने में मदद करते हैं। इस स्थान का खुलापन प्रश्न बना देती हैवास्तु मण्डल के देव सत्य जाट नहीं है यह परिणाम के उचित आपके स्वस्थ रहने का परिणाम बन जाता है। और भृश कि उपस्थिति गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत आहार-विहार और वान का जो आपको वध खुली हवा में सांस लेते हुए आप स्वतः ही स्वप्न को बल देती प्रतीत होती हैशरीर में जहां रस रहने में और अच्छा स्वास्थ्य पाने में मदद करता को सच करते प्रतीत होते हैं। एक कदम और की आवश्यकता है वहीं अपद्रव्य का सही है। आइये आज इसी पर चर्चा करते हैं। आगे बढ़ाते ही हम उत्तर पूर्व दिशा में पहुंच जाते विसर्जन भी आवश्यक है, यही गुरुत्वाकर्षण का आपका आहार, आपका विहार तय करता है है। सिद्धांत लागू होना आवश्यक है। और आपका विहार, आहार के साथ संयुक्त वास्तु मण्डल के देव दिति और शिखी की दक्षिण पर्व :- स्वास्थ्य तभी साथ देता है जब होकर आपको स्वस्थ रहने में मदद करता है और उपस्थिति आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति और दिनचर्या को निभाने की भावना भी प्रबल हो। नानाला पटान ना ३ जागरूक बना देती हैआपकी जठराग्नि भोजन वास्तु मंडलानुसार इस दिशा में विद्यमान देव जिसमें यह भाव, विचार और कार्य सम्पन्न हो। को पचाकर शरीर के लिए उपयोगी रस तत्त्व को आकाश और अनिल न केवल देव भंश की स्वस्थ रहने की पहली शर्त है निश्चित दिनचर्या। धमनियों में प्रवाह के लिए सज्ज करती है। आप गुरुत्वाकर्षण की शक्ति को बल प्रदान करके आपकी दिनचर्या ही आपका आहार तय करती इस विषय पर स्वयं अपने आप से संवाद करन अपद्रव्य विसर्जन का क्रिया को र घाटा तय करती इस विषय पर स्वयं अपने आप से संवाद करने अपद्रव्य विसर्जन की क्रिया को बल प्रदान करते ५ . ३ पटक खलीला में लगते हैं। देव गुरु बृहस्पति की उपस्थिति यहां हैं बल्कि प्रक्रिया को घटित होने में सहायता भी सांस लेते हए ताजगी का अहसास कराती है। आपको सही निर्णय लेने में मदद करती है। यहां करते हैंयह क्रोध की शांति जाट टालिये का जल तत्व आपके शरीर में विद्यमान जल वाली व्यवस्था अवश्य है परंतु यह लाभदायक उत्तर :- वास्तु शास्त्र के अनुसार यही वह स्थान तत्व के साथ संवाद स्थापित कर आपको रोगों भी है, बशर्ते क्रोध जैसी अवस्था को हम हावी है जहां सर्य की किरणें बहत दर से और बहत से बचाता है। अगला कदम आपको पूर्व उत्तर न होने दें अपित उसमें निहित बल मा ३ मनभावन होकर पहंचती हैं। यहां का निर्माण पूर्व में ले आता है। यहां वास्तु मंडल के देव से उपयोग कों और लाभानिन टोंन्मा और चार्ट बटन कम होने के पर्जन्य और जयंत आपको उनके द्वारा और दक्षिण दक्षिण पर्व :- सपाच्य और उचित कारण वायु का Energy level आपमें नई उनकी सहायता से उत्पन्न वनस्पतियों के बारे में पोषक पदार्थों से युक्त भोजन ही अच्छे स्वास्थ्य ताजगी और स्फर्ति भरने में सक्षम हैयहां की जानकारी प्रदान करके आपकी जीत निश्चित की रचना में सहायक होता हैअग्नि ही पाचक ढलान आपको विनम्र बनाती है। यहां वास्त करते हैं। शरीर का स्वस्थ होना, स्वस्थ सांसों से की भमिका निभाने में सक्षम हैशरीर में पाचन मण्डल के देव भल्लाट और सोम आपको अपने और जल की निश्चित मात्रा से तय होता है। की क्रिया जठराग्नि के माध्यम से और वास्तु खान-पान और स्वास्थ्य के बारे में खलेपन से चलती हवा में जल और जल में हवा की मात्रा मंडलानुसार देव पृषा और देव वितथः भोजन में सोचने और उस पर अमल करने की शक्ति एक-दूसरे में समाई रहती है। यह सब यहां प्रचुर बल और शक्ति के माध्यम से अच्छे स्वास्थ्य प्रदान करते हैं। बुध ग्रह की उपस्थिति आपको मात्रा में उपलब्ध है। की रचना कर शरीर में बल उत्पन्न करते हैं। बद्धि प्रदान करती है। आप अपने आहार को सूर्य ही पृथ्वी पर जीवन का कारण है। जी हां, कभी-कभी किया गया दिखावा भी प्रेरणा स्रोत लेकर सतर्क हो जाते हैं। क्या खाना है और क्या हम पूर्व दिशा में आ गए हैं। सूर्य की किरणों में बन जाता है और हम एक स्वस्थ जीवनशैली की नहीं, यह सब आप बड़ी आसानी से तय कर जबरदस्त रोग प्रतिरोधक शक्तियां निहित हैं। ओर कदम बढ़ा लेते हैंदक्षिण दिशा में वास्तु लेते हैं। वास्तु पुरुष के कंधे, यहां आपके कंधे शरीर की सभी क्रियाएं सूर्य द्वारा प्रदत्त विटामिन मंडलानुसार देव गृह क्षतः और देव यम की मजबूत करते प्रतीत होते हैं। आपकी निश्चित ‘डी’ की बदौलत ही संचालित होती हैं। वास्तु उपस्थिति हमें शरीर के अच्छे स्वास्थ्य के लिए दिनचर्या आपको एक अच्छा और बेहतरीन मण्डल के देव महेन्द और सूर्य की यहां अपनी जिह्वा पर संयम और नियमों का पथ | दिखाती है। दक्षिण पूर्व दिशा में उपस्थित अग्नि पश्चिम :- अच्छा आहार-विहार ही तत्व भी इसी ओर इंगित करता है। अग्नि तत्व फलने-फूलने यानी स्वस्थ रहने की प्रक्रिया को का संयमपूर्वक उपयोग ही लाभदायक है। संयम जन्म देता है। स्वस्थ शरीर ही सच्चा धन हैऔर नियम ही कार्य कुशलता को जन्म देते हैं, वास्तु मंडलानुसार देव पुष्पदंत और देव वरुण फिर चाहे वह स्वस्थ रहने की प्रक्रिया हो या आपको वह सब प्रदान करते हैं, जिनकी वास्तव ||जीवन में आगे बढ़ने की ललक।में आपको आवश्यकता हैएक पर्यवेक्षक की दक्षिण दक्षिण पश्चिम :- वास्तु मंडलानुसार भांति आपकी सभी गतिविधियों पर निगाह रखते देव गंधर्व और देव शृंगराज हमें स्वास्थ्य के लिए हैं ताकि आपका अच्छा स्वास्थ्य लगातार बना क्या संजोना चाहिए और किस द्रव्य को विसर्जन रहे। के लिए छोड़ देना चाहिए, की नसीहत देते हैं। पश्चिम उत्तर पश्चिम :- आपका आहार शरीर विज्ञानुसार शरीर में द्रव्य को लेकर संजनि आपका व्यवहार बनाता। वास्तु मंडलानुसार देव |और विसर्जन की क्रिया लगातार चलती रहती है। असर और देव आपके भोजन के अनुसार दिशाओं पर आधारित विज्ञान वास्तु भी इससे आपकी प्रकति की संरचना करते हैं। भोजन के अनभिज्ञ नहीं है। इस दिशा में व्याप्त पृथ्वी तत्व द्वारा ही आपकी आध्यात्मिकता और विषयों की न केवल शरीर की पांचों इन्द्रियों बल्कि शरीर के गाई पानी जाती है जो ये माध्यम से five senses को भी प्रभावित करता त्यागने की शक्ति, शरीर में डिटॉक्सीफिकेशन है। पृथ्वी तत्व के यही गुण दिशाओं में व्याप्त के दाग २ व्याप्त के द्वारा स्वास्थ्य लाभ, यह सब इसी दिशा देवों की गुणवत्ता के साथ मिलकर स्वस्थ शरीर के का निर्माण करके उसे सतत कार्य करने का उत्तर पश्चिम :- किसी भी विषय के प्रति लत अभ्यास कराते हैं। और recovery इसी दिशा में विराजमान वास्तु दक्षिण पश्चिम :- यदि शरीर स्वस्थ है तो मंडलानुसार देव पापयक्षमा व देव रोग द्वारा ही इसका अर्थ है कि उसके पैर मजबूत हैं। भवन । सम्भव है। ऋतु प्रतिकूल भोजन करके अस्वस्थ वहीं सुदृढ होता है जिसकी नींव मजबूत होती है। होने के पश्चात् अपराध बोध और फिर पूनः दक्षिण पश्चिम दिशा वास्तु पुरुष के पैर हैंस्वस्थ व्यवस्था का अंग बनाना, इनकी विशेषता सम्पूर्ण शरीर का भार इन्हीं पर टिका है। वास्तु है। पृथ्वी तत्व के प्रभाव से ओत-प्रोत यह दिशा, मंडलानुसार देव मृग और देव पितृ आहार-विहार वायु के विशेष प्रभाव के साथ आपके स्वास्थ्य के संदर्भ में इससे जुड़े सम्पूर्ण ज्ञान के लिए जिज्ञासा और फिर उस पर अमल करके उसमें का को तब भी संभाल पाने में सक्षम है जब आप पारंगत होने की प्रक्रिया को आकाश में स्थित इसकी आवश्यकता सबसे ज्यादा महसूस करते पूर्वजों की ऊर्जा के आशीर्वाद से ग्रहण करने की हैअवस्था को अंजाम देते हैं। पृथ्वी तत्व की यहां उत्तर उत्तर पश्चिम :- आकर्षण एक ऐसा उत्तर उत्तर पश्चिम :- आकर्षण एक ऐसा उपस्थिति और गण ग्रहण करने की क्षमता पर शब्द है जो आपके आहार-विहार के साथ हमेशा भला किसे संदेह होगा। से जुड़ा हुआ है। भावनात्मक भोग की पश्चिम दक्षिण पश्चिम :- आकाश ही वह अभिव्यक्ति और एक गाइड की भूमिका यहां तत्व है जो न केवल वनस्पतियों की उत्पत्ति में वास्तु मंडलानुसार देव नाग और देव मख्य बल्कि जो पशु, पक्षी उन वनस्पतियों या अन्य निभाते हैं। यहां न केवल आप अपने लिए क्या भोजन योग्य द्रव्यों, अपद्रव्यों का इस्तेमाल करते जरूरी और क्या अच्छा है ये समझने लगते हैंहैं और फिर कभी-कभी या प्रायः स्वयं भोजन बल्कि उन सब के लिए वैसी व्यवस्था की तरफ बन जाते हैं, को भी Space प्रदान करता है। भी आकर्षित होने लगते हैं। कैसे आपका वास्तु मंडलानुसार देव दौओवारीक और देव आहार-विहार स्वास्थ्य और वास्तु आपके लिए आहार-विहार स्वास्थ्य और वास्तु आपके लिए सुग्रीव आपके sub_conscience mind में आपस में सामंजस्य बैठाते हैं। आवश्यकता है तो आहार और विहार के बारे में शास्त्र क्या कहते बस थोड़ी सी सूझ-बूझ की। फिर आपको ‘जब है। कैसे आप उन पर अमल करके स्वस्थ रह छाए मेरा जाद' यह गनगुनाने में जो मजा आने सकते हैं। आपकी ग्रहण करने की क्षमता को वाला है उसका अनभव हमारे साथ शेयर करना कैसे बढ़ाया जा सकता है।