तेलों में छिपा आरोग्यता का रहस्य

 तेल का जीवन से गहरा नाता है। आधार से लेकर मूत्राधिक्य में तिल विशेष लाभदायक है 1. अलसी के तेल में जलन खत्म करने की अपना महत्व है। एक दार 8, कमर और जोड़ों के दर्द में तिल के तेल से अद्भुत शक्ति होती है। शरीर का कोई अंश था जब तेलों के सहारे बड़े से बड़े चिकित्सकीय मालिश करवाएं, आराम मिलेगा। पक्षाघात में भी झुलस गया हो तो इ उपचार किये जाते थे। आधुनिक चिकित्सा आराम पहुंचाता है। भिगोकर नियमित रूप से लगाएं। पद्धति उन तेलों के महत्व को आपकी नजरों में 2. नीम का तेल :- शास्त्र कहता है कि रात्रि में 2. कुष्ठ रोगियों को अलसी का तेल नियमित ओझल अवश्य किया, लेकिन उनकी उत्तम वक्ष के नीचे शवन करना रोग को आमंत्रण देना रूप से सेवन करना चाहिए। इसमें तेल में गुणवत्ता के चलते नजरअंदाज करना असंभव है। है। परन्तु यह उक्ति नीम पर चरितार्थ नहीं होती विटामिन 'ई' होता है और कुछ रोगियों को चरक संहिता में लिखा है कि जैसे चिकनाई के है क्योंकि नीम का वक्ष प्रासादा पक आरोग्यता इसका सेवन करने से विशेष लाभ मिलता है। संयोग से मिट्टी का घड़ा शक्तिशाली हो जाता है वर्धक रोग नाशक वायु का ही उत्सर्जन करता है । 4- गाम अलसी का तेल पिलाने से दस्त या सखा चमडा नर्म हो जाता है उस प्रकार तेल जिससे शरीर को कोई हानि न हो। जो साफ हो जाता है। मल की गांठें निकल जाती हैं। का उपयोग करने से मनुष्य का शरीर भी स्वास्थ्यवर्धक एवं आरोग्यता प्रदान करने वाला आंतों की कमजोरी कब्ज और अंश में तेल बहत शक्तिशाली, सुंदर और अमापूर्णा हो जाता है। है। ऐसा वक्ष नीम का है। लाभ करता है। प्रस्तुत संकलन से पहचान अपने आरोग्यवर्धक नीम का तेल, नीम के बीजों से 45 प्रतिशत तैलीय विरासत को कहा जाता है। 4. आंवले का तेल :- आंवले में गैलिक तक एक स्थिर तेल प्राप्त होता है। इसमें एसिड, टेनिक एसिड, निससि शर्करा, एल्युमिन 1. तिल का तेल :- यह मधुर रस तथा कषाय पोमेटिकऑलिक, स्टेरिक, लिनोलिक व सेल्युलोज तथा कैल्शियम तथा सबसे ज्यादा तित्त अनुरस यकृत होता है। यह अनेक पोषक आरकेडिक अमल, ग्लारकोसाइड, कैल्शियम, तत्वों के साथ-साथ औषधीय गुणों से भरपूर है। पौटेशियम, लोहा, लवण पाये जाते हैंविटामिन 'सी' पाया जाता है। इसके हर दाने में सेहत का राज छिपा है। 1. नीम का तेल त्वचा रोगों में अत्यंत ही । * यह अतिसार, प्रेमह दाह, कामला अम्ल, विटामिन 'ए' और 'सी' को छोड़कर इसमें लाभदायक होता है। इसमें कीटाणुओं को मारने । अम्लपित्त, विस्फोटक, पांडु, रक्त, पित्त, जरूरी सभी पौष्टिक तत्व पाये जाते हैं जो सेहत की तेजोट थमता हैवातरक्त, अर्श, अजीर्रा, अजयी श्वास, खांसी के लिए फायदेमंद है। विटामिन 'बी' और फैटी , इत्यादि रोगों को नष्ट करता है। 2. नीम का तेल पाचरिया रोग में भी गुणकारी है। एसिड्स से युक्त तिल में आवटन, जिंक, प्रोटीन, । "' टथपेस्ट में नीम का तेल मिलाकर बश करने में 1. आंवले के तेल में विटामिन 'सी' तथा लौटा कॉपर, मैग्नीशियम, कैल्शियम, एंटीआक्सीडेंट भी प्रचूर मात्रा में पाये जाते हैं। आयुर्वेद में इसे । * मुंह के कीटाणु मरते हैं। मुंह में दुर्गंध भी नहीं तत्व अधिक मात्रा में होता है। यह तेल से आती है। केशवर्द्धक भी है। रक्त अल्पता के इलाज में कारगर माना गया है। 3. घाव में तेल का प्रयोग कर के ठीक करने की 22. केशों को घना एवं काला रखता है। 2. तिल के तेल से पोषक शक्ति बढ़ती है। अपूर्व शक्ति भी रखता है। 5. अरंडी का तेल :- इसमें एमाइलेज इनवटेज इसका सेवन करने से वीर्य की मात्रा बढ़ती हैतत्व पाया जाता हैबीज वर्षा जल में घुलनशील '° 4. नीम के तेल में थोड़ा-सा कपूर मिलाकर दव्य पाया जाता है। तेल में मुख्यतः राइसिन और स्तंमन शक्ति में भी बढ़ोतरी होती है। 4. _ घाव पर लगाने से घाव जल्दी भरता है। 3. त्वचा के स्नेहन हेतु रूक्ष त्वचा में तिल तेल औलिक अम्ल होता है। स्त्री का शोधन करने का प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त यह 2. - गट 5. नीम का तेल बालों में लगाने से जू तत्काल वाला त्वचा के लिए हितकारी वृश्य व्यस्थापन व्रतारोधक भी होता है। * मर जाती है। शंकुशोधन योनीशोधन, वातहर और कफ हर है। 4. केशों को बढ़ाने तथा काला करने के लिए । 3. अलसी का तेल :- अलसी के बीजों में एक 1. बवासीर के रोगी को अरंडी का तेल बहत तिल के पत्तों व जड़ के क्वाच से बालों को धोना स्थिर तेल पाया जाता है। तेल में प्रधानता लाभ पहुंचता है। इसके दो बूंद सेवन करने के चाहिए। तिल तेल से मालिश करना चाहिए। लिनोलिक एसिड्स के ग्लिसराइड्स तथा धन मल मुलायम होकर बाहर निकलता है। 5. सात दिन में तिल के तेल से दांतों पर रगड़े व्यादि होते है2. यह तेल कब्ज नाशक भी हैइससे दांत मजबूत होते हैं। अलसी का तेल :- वातनाशक, गंदगधि, कुछ 3. गैस, अफरा, दर्द आदि पेट सम्बंधी रोगों में 6. उच्च रक्तचाप तथा बढे हए कॉलेस्ट्रॉल को कसेला, बलकारक, भारी गर्म मलकारक, स्निग्ध लाभदायक है। भी कम करता है। कफ नाशक तथा वक दोष हर है।