अस्थमा आयुर्वेदिक उपचार

  दमा यानी श्वास रोग की पहचान देने की 8, अजवायन और स्वरस एक-एक ग्राम दिन में देर से करने से, सेंटेड इत्र, सेन्ट, अगरबत्ती, आवश्यकता नहीं है। रोगी को देखते ही पता तीन बार गरम जल के साथ लीजिएसुगंधी वाले डीओडरेन्ट स्प्रे का उपयोग करने से, चलता है कि यह दमा से पीड़ित रोगी है। यहां 9 सरसों का तेल गरम करके सिंधव नमक चादी के परत वाला मिठाइय कुछ सरल प्रयोग बता रहा हूं। इसमें से दो-तीन मिलाकर –तान मिलाकर छाती-सीने पर और पीठ पर मसाज ओसेंस जैसे मिलावटी ऐसंस, वाले बिस्कुट प्रयोग अजमाकर आराम पा सकते है। कीजिए। बेकरी प्रोडक्ट सेवन करने से, घर में रसोई पकाते 1. धतूरे के पुष्पों का अगार पर डालकर धूप 10 जट के फल को गाय के सी या शादी के समय सब्जी दाल का दिय गया छाक (बधार) लेने से आराम होता है। धतूरे के पुष्पों को लेकर तेल में भनकर बहेडे का छीलका चसिये। जैसे 3 की गंध से सांस (Asthma) के दौरे तुरन्त हो छाया में सुखाकर मिट्टी के बर्तन में संग्रह करना वहन " बहुत सारे नुस्खे हैयहां सिर्फ अजमाये हुए सकते है। चाहिए। आसान और हानि रहित नुस्खे ही बताएं है। आधुनिक विज्ञान इस एलजिक अस्थमा 2. बिना दूध की चाय में अलसी और अजवायन दमा याप्य व्याधी हैयाप्य का अर्थ यह है (Allergic Asthma) या (Allergic तथा पुराना गुड़ डालकर पीने से आराम होता है। विट है कि दवाई खाते रहकर जिन्दगी बसर करो। अपनी bronchitis) कहता हैहमारे आयुर्वेद में इसे 3. धतूरे के फल में 24 घंटे तक लवंग छेद जिव्हा के गुलाम मत बनो दमा वाले रोगी लंबी र श्वास रोग नाम दिया है और श्वास रोग के पांच करके रख दें। बाद में संभालकर रखे, दीर्घायु वाले शरीर से होते हैं, किन्तु जब दमा का ? प्रकार है। इसकी चर्चा करना लेख को विस्तृत आवश्यकतानुसार 2-3 लवंग चूसे। श्वास का दौरा पड़ता है तब हर पले यमराज १ - करना होगा। इसलिए हमारी नजर के सामने हमेशा दिखने वाले श्वास व्याधि की बात रखी 4, थुवर के दूध में साबूत देशी चने 24 घंटे दर्शन करते रहते हैंकम से कम तकलीफ हो भिगोकर रखिए बाद में सुखाकर 2-2 चने गरम इसलिए परहेज करना अत्यंत आवश्यक है। है। इसे आयुर्वेद में 'तमक श्वास' नाम दिया है। जल के साथ निगलने से आराम होता है। दमा (Asthma) दोनों फेफडों को पधानित इस श्वास राग का सामान्य चिकित्सा जो हम घर बैठे कर सकते हैं, वो मैंने शुरू में ही बतायी है5. यह प्रयोग हजारों मरीजों पर अजमाया हुआ करने वाली अत्यंत दु:खदायक रोग है। इसमें विशिष्ठ चिकित्सा अनुभवी एवम् सरकार मान्य है। साजीखार (Soda bicarb) 40 ग्राम साबुत सांस की नलिकायें अवरूद्ध होने से नलिकाएं : चिकित्सक से ही करवानी चाहिए। आयुर्वेद में हल्दी एरण्डीतेल में भूनी हुई 20 ग्राम और काली सकरी हो जाती है, इसके कारण सांस फूलने । | श्वास कास चिंतामणी रस-श्वास कुठार मिर्च 20 ग्राम सभी को एकजूट करके पीस लगती है। छाती में व्हिसलींग-सिटी बजाने जैसी लीजिए, और एक-एक ग्राम जितना यह चूर्ण सांय-सांय की आवाज होती है। बैठने से अच्छा रस-अभ्रक, अस्म-मल्कसिंदूर-रस, सिंदूरकनकासव-वासारिष्ट-कन्टकार्यावलेह इत्यादि चार-गुने शहद के साथ 2-3 बार चाटे सेवन लगता है लेटने में परेशानी होती है। सीने में बहुत सारे असरकारक किन्तु महंगे योग है। करें। अवश्य फायदा होगा। भारीपन-जकड़न आंखों के आगे धुंधलापन इसको किस मरीज को देना है यह चिकित्सक ही 6. धतूरे के पत्ते को धोकर गाय का मक्खन अंधेरा छा जाता है। इसमें सूखी या बलगम युक्त व तय करेगा। चपड़कर थोड़ा-सा सिंधव नमक छिडकिये और खांसी भी होती है। मैं आधुनिक एलोपैथ का विरोधी नहीं हूं। * ऊपर एक पत्ता रखकर मिट्टी के मासम का बदलाव आर सास का चाला-दामन आपात्कालीन परिस्थिति में एलोपैथिक दवाये बर्तन में रखकर आग लगाकर भस्म बना का साथ है। चार मौसम खत्म होने के पिछले जैसे के नेबलाइझर पंप द्वारा गले में छिड़काव लीजिए। सुबह-रात को आधे से एक ग्राम शहद आठ दिन और नया मौसम शुरू होने के पहले करने वाली औषधियां इंजेक्शन स्पेश्यालिस्ट मिलाकर सेवन करेंआठ दिन इसको मौसम या ऋतु परिवर्तन का डॉक्टर से सलाह मशवरा करके अवश्य लेनी 7. धतरे की मोटी शाखा को खतरकर 40 से 60 संधि काल कहते हैं। इसमें दिन या रात किसी भी चाहिए। आखिर मैं जान है तो जहान' है ऐसा चने रहे इतनी जगह कर उसमें चने रखकर वक्त दमे का दौरा हो सकता है। बादल छायी समझकर रोग को मिटाने के वास्ते सभी प्रयत्न बरोबर छीलका रखकर बांध दीजिए। 40 दिन के ऋतु में भी यह होता ही है। इसके अलावा कोहरे करने चाहिए। आयुर्वेद एलोपैथ, होम्योपैथ बायोकम, नेचुरोपैथ आदि सभी चिकित्सा बाद चने निकालकर छाव में सुखा लीजिए। हर में घूमने से, दही-चावल का अधिक सेवन करने के ' पद्धतियों का जन्म मानव कल्याण के लिए तो रोज आवश्यकतानुसार सिर्फ एक चना जल के से बासी भोजन करने से, ठंडे पेय से, मैदे और . ' हुआ हैसिर्फ सही चिकित्सक द्वारा चिकित्सा साथ सेवन करें। दस-प्रदह दिन यह प्रयोग करना बेसन के खाद्य पदार्थ, अचार, फास्ट फूड शन गोरा बना बेसन के खाद्य पदार्थ, अचार, फास्ट फूड, करवानी चाहिए।