गर्भपात का होम्योपैथिक इलाज

 होम्योपैथिक औषधियां स्त्री रोगों में बहु करिश्माई प्रभाव दिखती हैं। स्त्रियों की कोई भी सक स्राव की स्थिति विशेष महत्व रखती है। इन स्थितियों के अनुसार होम्योपैथिक औषधि का चुनाव करें तो निश्चय ही अपेक्षित प्रभाव होता है। आज की जीवन पद्धति, सोच, आचार-विचार के कारण गर्भ 7 धारण में समस्या या गर्भ ठहर जाने पर गर्भपात " निचले यानि Miscarriage या Abortion हो जाना" बहुत देखने में आता है। आधुनिक उपचार । * इस निश्चय ही शल्य चिकित्सा एवं पीड़ादायक होते हैं, फिर उनके after effects भी कष्टदायक होते हैं; परन्तु होम्योपैथी की सूक्ष्म, स्पष्ट एवं हानिरहित औषधियां इस चिंता से सहज ही मुक्ति दिला देती है। कई स्त्रियों को गर्भ के किरते आरम्भिक महीनों में गर्भपात होता है और कइयों को पिछले महीने में। कइयों को एक बार गर्भपात होता है तो उसी अवधि में फिर से गर्भपात हो जाता है। गर्भपात प्रसव की वह अवस्था है 'जिसमें गर्भाशय में पलता बच्चा गर्भाधान की पूर्ण अवधि से पूर्व किसी भी समय गिर जाता है। स्वाभाविक गर्भपात या कृत्रिम गर्भपात होता है। गर्भाधान की प्रथम तिमाही के अंदर होने वाला 30गर्भपात स्वाभाविक कहलाता है जो कि तीव्र सिमीसिफ्यगा ज्वरावस्था, फ्लू, मलेरिया, चेचक या सरा आदि किसी संक्रामक रोग के कारण, अल्परकृता 'पीलिया, कोई क्षयकारी रोग, माता के रक्त में सिमीसिफ्यूगा किसी प्रकार का विष संचार, अचानक मनोघात, किसी प्रकार की चोट, लैंगिंग दुर्बलता, सम्भोग की अधिकता, बच्चेदानी या डिम्बग्रंथियों की प्रदाहक अवस्था तथा अनेक कारणों में से कोई भी हो सकता है। गर्भपात की विभिन्न अवस्थाओं में निम्न होम्योपैथिक औषधियां अपना चमत्कारिक विदनाओं प्रभाव दिलाती हैं :। सिनामोनम सेबाइन्ना : यदि तीसरे महीने में रक्तस्राव होकर कमर के निचले भाग में पीड़ा हो जो Pubes जाती है। त्रिकास्थि से लेकर जांघ अस्थियों तक इलाज "" इस कं मिल गर्भपात ।। पीड़ा हो। रक्त थक्केदार, लाल और चमकता एकोनाइट गर्भपात वाइबरनम प्रनस : आठवें माह में होने वाले चिन्ह गर्भपात की विशेष औषधि। कहा तो यह जाता साथ है कि इस औषधि को लेने वाली स्त्री को एकोनाइट गर्भपात से पूर्ण मुक्ति मिल जाती है। ।। वलय. यदि गर्भपात की आशंका हो और दर्द कमर से घूमते हुए पैर के निचले भाग में हो कर जांघों तक जाए, यह औषधि बहुधा ऐंठनयुक्त पीड़ा से मुक्त करती है। । * इस औषधि का प्रयोग निरंतर एवं प्रारंभिक रोगी महीनों में होने वाले गर्भपात की अवस्था में रि अत्यन्त प्रभावी सिद्ध होता है। चिकित्स्क आर्निका : जब हम कृत्रिम गर्भपात की बात 'अनिके किरते हैं तो ख्याल आता है कि गिर जाने या चोट होम्योपैथी लग जाने या किसी मानसिक आघात के कारण यदि गर्भपात का डर हो तो आर्निका औषधि बाकि चोटों में जैसे लाभदायक होती हैवैसे ही 'गर्भवती स्त्री के चोट लगने से होने वाले गर्भपात की अमूल्य औषधि है।। सीपिया : गर्भावस्था के पांचवें से सातवें माह में यदि गर्भपात की आशंका हो तो सीपिया 30-200 पोटैन्सी की अपना प्रभाव दर्शाती है। सिमीसिफ्यगा : यदि गर्भपात की आशंका के साथ दर्द उदर के इधर-उधर विचरण करे तो उस अल्परकृता 'अवस्था के गर्भपात को रोकने वाली सिमीसिफ्यूगा महान औषधि है। , एपिस मैल : गर्भावस्था के चौथे महीने में गर्भपात का भय हो तो एपिस मैलिफेका 30 या 200 पोटैन्सी की देना निर्देशित है। कोलोफाइलम : यदि कमर और पेट के दोनों ओर तीव्र पीड़ा हो, जरायु इतनी दुर्बल होती है, कि सिकुड़ नहीं पाती और भ्रमकारक प्रसव विदनाओं को रोकने वाली लाभदायक औषधि है।। । सिनामोनम : यदि दबाव पड़ने या पैर-फिसल होकर जाने के कारण हल्का दर्द और अधिक रक्तस्राव हो तो गर्भपात की ऐसी, आशंका एवं अवस्था में लाभदायक औषधि चमकता एकोनाइट : क्रोध या डर के कारण होने वाले गर्भपात की आशंका हो तथा एकोनाइट के बाकी चिन्ह जैसे बेचैनी और मृत्यु का भय, दर्द के जाता साथ अत्याधिक मानसिक उत्तेजना हो तो एकोनाइट ओषाध लाभ देता है । इन औषधियों के अलावा बायोकैमिक औषधियां जैसे कि kali Pnos, स्नायविका अवस्थाओं में, Calcarea Fluor जो कि ContractilePower of Uterus को इकट्ठा । करती हैं, सर्वोत्तम औषधि है। इस प्रकार यदि रोगी के मन, शरीर एवं रोगावस्था का पूरा ध्यान रि कर औषधियों के गुण अनुसार उचित औषधि का चुनाव करें तो अनुभवी एवं शिक्षित चिकित्स्क प्रशंसनीय परिणाम पाता है और 'चाक रोगी, समाज तथा अपनी इलाज विधि यानी होम्योपैथी के लिए यश प्राप्त करता है।