सेंधा नमक के फायदे

नमक हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी है। इसके जाता है। यह सफेद और लाल रंग में पाया जाता है। निम्नलिखित हैंबावजूद हम सब घटिया किस्म का नमक खाते हैं। सफेद रंग वाला नमक उत्तम होता है। यह हृदय के 1. धनिया चाय (Coriander Tea) :यह शायद आश्चर्यजनक लगे, पर यह एक 'लिए उत्तम, दीपन और पाचन में मददरूप, त्रिदोष' 'धनिया के बीज में phytonutrients होते हैंहकीकत है। भारत में अधिकांश लोग समुद्र से बना शामक, शीतवीर्य अर्थात् ठंडी तासीर वाला, पचने। जो कि शरीर को विटामिन देते हैं और अपनी नमक खाते हैं। श्रेष्ठ प्रकार का नमक सेंधा नमका में हल्का है। इससे पाचक रस बढ़ते हैं। रक्त प्रतिरक्षा प्रणाली को भी बढ़ाते हैंधनिया में मौजदा है, जो पहाड़ी नमक है। आयुर्वेद की बहुत-सी विकार आदि के रोग जिसमें नमक खाने को बटन मी विकार आदि के रोग जिसमें नमक खाने को एंटीबायोटिक यौगिक वायरल संक्रमण से लड़ने दवाइयों में सेंधा नमक का उपयोग होता है। मना हो उसमें भी इसका उपयोग किया जा सकता =ी पत्रिने हैंआमतौर से उपयोग में लाये जाने वाले समुद्री नमक हैयह पित्त नाशक ] है। यह पित्त नाशक और आंखों के लिए कैसे तैयार करें :- एक गिलास पानी में एक बड़ा से उच्च रक्तचाप का भय रहता है। इसके विपरीत हितकारा हा दस्त, कृामान्य विपीन हितकारी है। दस्त, कृमिर्जन्य रोगों और रह्युमेटिज्म चम्मच धनिया के बीज डालकर उबाल लें। इसके सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप पर नियंत्रण । में काफी उपयोगी होता है। बाद इसमें थोड़ा दूध और चीनी मिलाएं। धनिया रहता है। इसकी शुद्धता के कारण ही इसका सेंधा नमक के विशिष्ठ योग : हिंगाष्ठक चूर्ण, पूण की चाय तैयार है, इसे पीने से वायरल बुखार में उपयोग व्रत के भोजन में होता है। सेंधा नमक की लवण भास्कर और शंखवटी इसके कुछ विशिष्ठ बहुत आराम मिलता है। सबसे बड़ी समस्या है कि भारत में यह काफी कम ग्य 2. डिल बीज का काढ़ा :- Brew of Dill मात्रा में होता है, लेकिन वह भी शद्ध नहीं होता है। काला नमक : यह भी हृदय के लिए उत्तम, दीपन " seed प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने और भारत में 80 प्रतिशत नमक समुद्री है, 15 प्रतिशत आर पाच और पाचन में मददरूप, वायु शामक है। पेट फूलने । पेट फूलन। शरीर को आराम देने के अलावा डिल बीज शरीर जमीनी और केवल पांच प्रतिशत पहाड़ी यानि कि । की समस्या में मददरूप है। इसके सेवन से डकार, र के तापमान को कम करने में भी उपयोगी होते हैंपापा सेंधा नमक। सबसे अधिक सेंधा नमक पाकिस्तान छ 'शुद्ध आती हैं और छोटे बच्चों की कब्ज को इसका कारण इनमें Flavonoids 0smond 1 समस्या में इसका उपयोग होता है। की मुल्तान की पहाड़ियों में है। 'Pins उपस्थिति होते हैंडिल बीज का काढ़ा एतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहादीप । काला नमक बनाने के लिए सेंधा नमक और में खनिज पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या साजाखार सम प्रमाण में लसाजोखार का उपयोग रोगाणुरोधी एजेंट का कार्य करता है(सैन्धव नमक' कहा जाता है जिसका मतलब है। पापड़ बनाने में होता है और यह पंसारी की दुकान या मतलब है पापड़ बनाने में होता है और यह पंसारी की दुकान कैसे तैयार करें :- एक कप उबलते पानी में डिल 'सिंध या सिन्ध के इलाके से आया हुआ'। अक्सर पर आसानी से मिलता हैं। इस मिश्रण को पानी में बीज डालें और उबलने दें इसके बाद इसमें एक यह नमक इसी खान से आया करता थासेंधा घोलें। अब इसे धीमी आंच पर गर्म करें और पूरा चुटकी दालचीनी डालें। तत्पश्चात् गर्म चाय की नमक को 'लाहौरी नमक' भी कहा जाता है। पानी जला दें। अंत में जो बचेगा वह काला नमक तिरह पिएं। क्योंकि यह व्यापारिक रूप से अक्सर लाहौर से है। नमक आवश्यक है पर उसे कम से कम मात्रा 3. तुलसी के पत्ते का काढ़ा :- (Brew of होता हुआ पूरे उत्तर भारत में बेचा जाता था। में खाना चाहिए। Basil leaves) वायरल बुखार के लक्षण होने पर समुद्री और सेंधा नमक के दाम में इतना वायरल बुखार के लिए घरेलू उपचार :- प्राकृतिक उपचार के लिए सबसे प्रभावी और अधिक अंतर है जिसके कारण लोग समुद्री नमक तापमान में अचानक परिवर्तन या संक्रमण का दौर व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली औषधि है। खरीदते हैं। समुद्री नमक जहां नौ रुपए किलो है। होने पर अधिकतर लोग बुखार से पीड़ित होते हैं। तुलसी के पत्ते। बैक्टीरियल विरोधी, वहीं सेंधा नमक का दाम 40 रुपए प्रति किलो है। ऐसा ही एक मौसमी संक्रमण वाला बुखार होता है। कीटाणुनाशक, जैविक विरोधी और कवकनाशी सेंधा नमक समुद्री नमक से कम नमकीन होता है। वायरल बुखार (Viral Fever) इस बुखार से गुण तुलसी को वायरल बुखार के लिए सबसे साफ है कि इसका अधिक उपयोग करना पड़ता 'निपटने के लिए कुछ एंटीबायोटिक दवाओं या कुछ 'उत्तम बनाते हैं। है। इसीलिए लाख उपयोगी होने के बावजद लोग ओटीसी (ओवर-द-काउंटर) का सहारा लिया। कैसे तैयार करें :- आधे से एक चम्मच लौंग इसकी जगह समुद्री नमक से ही चला लेते हैं। पर जाता है। आप चिकित्सक के पास जाएं उससे पाउडर को करीब 20 ताजा और साफ तुलसी के अगर उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियां हुई तो इसके पहले कुछ घरेलू नुस्खे से बुखार को कम या इससे, पत्तों के साथ एक लीटर पानी में डालकर उबाल इलाज में जो हजारों रुपये खर्च होंगे, इसकी तलना पूरी तरह आराम पाया जा सकता है। वायरल बुखार लें। पानी को तब तक उबालें जब तक कि पानी में दाम का ये फर्क कछ भी नहीं है। सिर्फ के लिए प्राकृतिक इलाज सुरक्षित और आसानी से घट कर आधा न रह जाए। इस काढ़े को हर दो घंटे आयोडीन के चक्कर में ज्यादा नमक खाना उपलब्ध है। में सेवन करें। समझदारी नहीं है, क्योंकि आयोडीन हमें आल।। आइए आपको बताते हैं वायरल बुखार के इलाज 4. चावल स्टार्च (Rice starch) :- वायरल अरवी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल के लिए कुछ आसान घरेलू उपचार, जो कि बुखार के इलाज के लिए प्राचीन काल से आम अर्श-अश्मरी-अस्थमा विशेषांक उपाय है चावल स्टार्च (हिंदी में कांजी के रूप में लोग हजारों रुपए खर्च करके शरीर तथा मन को लाभ :- 1. गाय के घी को पैरों के तलवों में जाना जाता है।) यह पारंपरिक उपाय प्रतिरक्षा ताजगी देने वाले मसाज तथा अन्य ट्रीटमेंट लेने लगाकर कांसे की कटोरी से गोल-गोल घुमाकर प्रणाली को बढ़ा देता है। यह विशेष रूप से जाते हैं। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी मसाज करने से वात विकार से उत्पन्न फटी वायरल बुखार से पीडित बच्चों और बड़े लोगों प्राचीन तथा अत्यंत उपयोगी चिकित्सा के बारे में एडियां, हाथ-पांव के तलवों का छीलना, के लिए एक प्राकतिक पौष्टिक पेय के रूप में बताएंगे जो आप आसानी से घर में करके अपना हाथ-पैरों के जलन जैसी मां न्य कार्य करता है। समय तथा पैसे भी बचा सकते हैं तथा तनाव, 2 पैरों में सारे एक्यप्रेशर पॉइंटस होने की वजह कैसे तैयार करें :- एक भाग चावल और आधा थकावट व दूसरी शारीरिक समस्याओं से से तलवों में उपचार करने से हम तरोताजा आसानी से छुटकारा पा सकते हैं। इसे आयुर्वेद में पटप करते हैं। भाग पानी डालकर चावल के आधा पकने तक आस पकाएं। इसके बाद पानी को निथार कर अलग पादाभ्यंगम कहते हैं यानि पैरों के तलवों की , 3. विद्यार्थियों में आजकल स्ट्रेस, एकाग्रता की कर लें और इसमें स्वादानुसार नमक मिलाकर विशिष्ट तरीकों से की जाने वाली मसाज। कमी, कमजोर याद शक्ति, आंखों के चश्मे जैसी गर्म-गर्म ही पिएं। इससे वायरल बुखार में बहु आधुनिक संसाधनों तथा सुजोक, एक्यूप्रेशर व समस्याएं आम हैंबच्चों में प्रतिदिन रात को आराम मिलता है। झोन थेरेपी जैसे चिकित्सा पद्धति के हवाले से सोने से पूर्व यह चिकित्सा करने से याददाश्त 5. सूखी अदरक मिश्रण (Dry ginger यह बात हम सभी जानते हैं कि पैरों के तलवों में बढ़ती है तथा पढाई में एकाग्रता भी बढ़ती है व mixture) :- अदरक स्वास्थ्य के लिए बेहद . सारे शरीर के अवयवों के प्रतिबिंब बिंदु या मर्म म चश्मे के नम्बर जल्दी नहीं बढ़ते हैं। लाभकारी है। इसमें एंटी 'लेमेबल, बिंदु (Marma Points) समाए हैं। इन पर दबाव 4. अत्यधिक तनाव, चिंता व टेंशन की वजह से एंटीऑक्सिडेंट और वायरल बुखार के लक्षणों देने से या विशिष्ट तरीके से मसाज करने से यह । अनिंद्रा, उच्च ताप, चिड़चिड़ापन, आंखों के को कम करने में सहायक होता हैइसमें 33 बिंदु उत्तेजित होकर शरीर में ऊर्जा को बढ़ाते हैंनीचे डार्क सर्कल जैसी बीमारियां होती हैंतब तथा रक्त संचार गतिमान करते हैं जिससे हमें Analgesic गुण होते हैं इसलिए वायरल बुखार शारीरिक थकान तथा मानसिक थकान में राहत कांसे की कटोरी से पांव में प्रतिदिन मसाज करने से पीड़ित लोगों की परेशानी को दूर करने के मिलती है तथा हमें तरोताजा वह प्रसन्नता से रक्तचाप नियंत्रित रहता है व मानसिक लिए शहद के साथ सूखी अदरक का उपयोग करना चाहिए। महसूस होती है। मसाज, पेडीक्योर, पेडीमसाज समस्या दूर होकर ताजगी मिलती है। कैसे करें तैयार :- एक कप पानी में दो मध्यम 5. त्वचा रोग, सोरायसिस, खुजली, दाद, खाज, जैसे शब्द आजकल फैशन में हैं किंतु आयुर्वेद : आकार के सूखे टुकड़े अदरक या सौंठ पाउडर सदियों पहले ही इन सारी चिकित्सा का उल्लेख पित्ती उछलना, एलर्जी जैसी समस्याओं में इस को डालकर उबालें। दसरे उबाल में अदरक के कर चुका है जिसे आज भी अगर हम अपनाएं तो मसाज के करने से काफी लाभ होता है। त्वचा साथ थोड़ी हल्दी, काली मिर्च, चीनी आदि को है से हम अपने तन व मन को स्वस्थ रख सकते हैं। संबंधित समस्याओं में पैर के तलवों में ऊपर की उबालें। इसे दिन में चार बार थोड़ा-थोड़ा पिएं। कैसे करें मसाज :- 1. गाय के घी को पैरों के तरफ ज्यादा देर मसाज करनी चाहिए। इससे वायरल बुखार में आराम मिलता है। तलवों में लगाकर कांसे की कटोरी से 6. शरीर की गर्मी बढ़ने से होने वाली बीमारियों 6. मेथी का पानी (Fenugreek Water) :. अलग-अलग पद्धतियों से तलवों में घिसा जाता में यह मसाज काफी उपयोगी है। त्वचा व चेहरे रसोई घर में आसानी से उपलब्ध मेथी के बीज में है है यह सेशन 15 मिनट से लेकर 40 मिनट तक का कालापन, कील-मुहांसे, डेंड्रफ की समस्या डायेसजेनिन, सपोनिन्स और एल्कलॉइड जैसे होता है। विविध शारीरिक तथा मानसिक में भी यह मसाज काफी कारगर हैऐसी औषधीय गुण शामिल है। मेथी के बीजों का समस्याओं के अनुरूप पैरों के विविध भागों में समस्याओं में पैरों के बीच में ज्यादा देर मसाज प्रयोग अन्य बहुत-सी बीमारियों के इलाज में भी विशिष्ट तरकि से मसाज किया जाता है। किया जाता है और यह वायरल बुखार के लिए 2. कांसा, तांबा व जस्ता धातु मिलाकर बनाई गई 7. आंखों की जलन, सूजन, कमजोर दृष्टि होना, बेहतरीन औषधि है। धातु है जो शरीर से उष्णता या गर्मी को कम सिर दर्द, बाल झड़ना जैसी समस्याओं में भी यह करने में मदद करता है। कैसे तैयार करें :- आधा कप पानी में एक बड़ा मसाज बेहद लाभदायी है। ऐसी समस्याओं में चम्मच मेथी के बीज भिगोएंसबह में वायरल 3. आजकल कांसे की कटोरी, कांसे से चम्मच पांव के दोनों साइड पर ज्यादा देर मसाज करनी बुखार के इलाज के लिए नियमित अंतराल पर व मसाज के अन्य उपकरण भी बनाए जाते हैंचाहिए। इस पेय को पिएं। कछ और राहत के लिए मेथी शरीर पर मसाज करने से शरीर में बढ़ी हुई गर्मी 8. कांसे की कटोरी से पैरों के तलवों पर मसाज के बीज, नींबू और शहद का एक मिश्रण तैयार कम होती है तथा शरीर में वात दोष पर नियंत्रण करने से किडनी संबंधित समस्याओं में भी राहत कर उसका प्रयोग भी किया जा सकता है। हाता है जिससे थकान, स्ट्रेस, दर्द, जलन पैरों की मिलती हैं व शरीर की सजन दर होती है कांसे की कटोरी से पैरों की मसाज करने के जकड़न, पैरों का दुखना, फटी एडियां, आंखों से विषैले पदार्थ आसानी से बाहर निकलते हैं। लाभ :- आजकल दौड़-धूप की जिंदगी में की जलन, सिर दर्द, माइग्रेन, अनिंद्रा आंखों की 9. कांसे की कटोरी से पैरों के तलवों पर मालिश स्टेस, तनाव, थकावट जैसी समस्याएं आम हो रोशनी कम होना, बाल झड़ना, पाचन संबंधित करने से रक्त संचार सुचारू होकर गठिया. गई हैं। बच्चे, जवान तथा बुजुर्ग सभी इन समस्याएं, जोड़ों के दर्द से मुक्ति मिलती है। पैरालिसिस, जोड़ों के दर्द जैसे वात रोगों में भी समस्याओं से ग्रसित हैं इसलिए आजकल शहरों मस्तिष्क तथा नर्वस सिस्टम शांत होता है जिससे राहत मिलती है।