आधनिक उपचार वा औषधि का प्रयोग निरंतर एवं प्रामक औषधियों के गुण अनुसार जैसे कि पहले भी कई लेखों में लिख चुके हैं पीड़ा हो। रक्त थक्केदार, लाल और चमकता एकोनाइट : क्रोध या डर के कारण होने वाले कि होम्योपैथिक औषधियां स्त्री रोगों में बहु गर्भपात की आशंका हो तथा एकोनाइट के बाकी करिश्माई प्रभाव दिखती हैं। स्त्रियों की कोई भी वाइबरनम प्रनस : आठवें माह में होने वाले चिन्ह जैसे बेचैनी और मृत्यु का भय, दर्द के सक स्राव की स्थिति गर्भपात की विशेष औषधि। कहा तो यह जाता साथ अत्याधिक मानसिक उत्तेजना हो तो विशेष महत्व रखती है। इन स्थितियों के अनुसार है कि इस औषधि को लेने वाली स्त्री को एकोनाइट ओषाध लाभ देता है होम्योपैथिक औषधि का चुनाव करें तो निश्चय गर्भपात से पूर्ण मुक्ति मिल जाती है। ।। इन औषधियों के अलावा बायोकैमिक ही अपेक्षित प्रभाव होता है। आज की जीवन वलय. यदि गर्भपात की औषधियां जैसे कि kali Pnos, स्नायविका पद्धति, सोच, आचार-विचार के कारण गर्भ 7 आशंका हो और दर्द कमर से घूमते हुए पैर के अवस्थाओं में, Calcarea Fluor जो कि धारण में समस्या या गर्भ ठहर जाने पर गर्भपात " निचले भाग में हो कर जांघों तक जाए, यह ContractilePower of Uterus को इकट्ठा यानि Miscarriage या Abortion हो जाना " औषधि बहुधा ऐंठनयुक्त पीड़ा से मुक्त करती है। करती हैं, सर्वोत्तम औषधि है। इस प्रकार यदि बहुत देखने में आता है। आधुनिक उपचार । * इस औषधि का प्रयोग निरंतर एवं प्रारंभिक रोगी के मन, शरीर एवं रोगावस्था का पूरा ध्यान निश्चय ही शल्य चिकित्सा एवं पीड़ादायक होते महीनों में होने वाले गर्भपात की अवस्था में रि कर औषधियों के गुण अनुसार उचित औषधि हैं, फिर उनके after effects भी कष्टदायक अत्यन्त प्रभावी सिद्ध होता है। होते हैं; परन्तु होम्योपैथी की सूक्ष्म, स्पष्ट एवं किा चुनाव करें तो अनुभवी एवं शिक्षित चिकित्स्क प्रशंसनीय परिणाम पाता है और आर्निका : जब हम कृत्रिम गर्भपात की बात 'चाक हानिरहित औषधियां इस चिंता से सहज ही अनिके मुक्ति दिला देती है। कई स्त्रियों को गर्भ के किरते हैं तो ख्याल आता है कि गिर जाने या चोट रोगी, समाज तथा अपनी इलाज विधि यानी होम्योपैथी के लिए यश प्राप्त करता है। ॥ आरम्भिक महीनों में गर्भपात होता है और कइयों लग जाने या किसी मानसिक आघात के कारण हो , को पिछले महीने में। कइयों को एक बार गर्भपात यदि गर्भपात का डर हो तो आर्निका औषधि.होता है तो उसी अवधि में फिर से गर्भपात हो बाकि चोटों में जैसे लाभदायक होती हैवैसे ही जाता है। गर्भपात प्रसव की वह अवस्था है गर्भवती स्त्री के चोट लगने से होने वाले गर्भपात जिसमें गर्भाशय में पलता बच्चा गर्भाधान की की अमूल्य औषधि है।।पूर्ण अवधि से पूर्व किसी भी समय गिर जाता है। सीपिया : गर्भावस्था के पांचवें से सातवें माह में स्वाभाविक गर्भपात या कृत्रिम गर्भपात होता है। यदि गर्भपात की आशंका हो तो सीपिया । गर्भाधान की प्रथम तिमाही के अंदर होने वाला 30-200 पोटैन्सी की अपना प्रभाव दर्शाती है। ।। गर्भपात स्वाभाविक कहलाता है जो कि तीव्र सिमीसिफ्यूगा : यदि गर्भपात की आशंका के ज्वरावस्था, फ्लू, मलेरिया, चेचक या सरा आदि साथ दर्द उदर के इधर-उधर विचरण करे तो उस किसी संक्रामक रोग के कारण, अल्परकृती अवस्था के गर्भपात को रोकने वाली पीलिया, कोई क्षयकारी रोग, माता के रक्त में सिमीसिफ्यूगा महान औषधि है। ।। किसी प्रकार का विष संचार, अचानक मनोघात, एपिस मैल : गर्भावस्था के चौथे महीने में 'किसी प्रकार की चोट, लैंगिंग दुर्बलता, सम्भोग गर्भपात का भय हो तो एपिस मैलिफेका 30 या ।की अधिकता, बच्चेदानी या डिम्बग्रंथियों की 200 पोटैन्सी की देना निर्देशित है। प्रदाहक अवस्था तथा अनेक कारणों में से कोई कोलोफाइलम : यदि कमर और पेट के दोनों भी हो सकता है। ओर तीव्र पीड़ा हो, जरायु इतनी दुर्बल होती हैगर्भपात की विभिन्न अवस्थाओं में निम्न कि सिकुड़ नहीं पाती और भ्रमकारक प्रसव होम्योपैथिक औषधियां अपना चमत्कारिक वेदनाओं को रोकने वाली लाभदायक औषधि है। प्रभाव दिलाती हैं :। सिनामोनम : यदि दबाव पड़ने या पैर-फिसल ।सेबाइन्ना : यदि तीसरे महीने में रक्तस्राव होकर जाने के कारण हल्का दर्द और अधिक रक्तस्राव । कमर के निचले भाग में पीड़ा हो जो Pubes हो तो गर्भपात की ऐसी, आशंका एवं अवस्था में जाती है। त्रिकास्थि से लेकर जांघ अस्थियों तक लाभदायक औषधि है।
गर्भपात का होम्योपैथिक इलाज