कितना कारगर है पथरी का होम्योपैथिक

 जब शरीर के किसी भाग में कैल्शियम एकत्र रोग का निदान :- पथरी का निदान रोगी के रोग का निदान :- लक्षणों के आधार पर आई. होकर छोटे-छोटे पत्थर के टुकड़ों का रूप ले लक्षणों के आधार पर पेशाब की जांच में वी.पी. एक्स-रे और अल्ट्रासाउण्ड निदान से रोग लेता है, तो इन पत्थर के टुकड़ों को कैल्शियम ऑक्जालेट के कण पाए जाने पर की जांच की जा सकती है। चिकित्सकीय भाषा में स्टोन या पथरी कहा सादा या आई.वी.पी. एक्स-रे या अल्ट्रासाउण्डपथरी के रोगों का खान-पान :- किसी भी जाता है। । के आधार पर किया जा सकता है। पेशाब रुकने तरह की पथरी वाले रोगी को पानी अधिक से पथरी क्यों बनती है? या बार-बार आने की तकलीफ प्रोस्टेट ग्रंथि में अधिक मात्रा में पीना चाहिए। बीज वाले फल व कैल्शियम मेटाबोलिज्म की स्वाभाविक प्रक्रिया वृद्धि प्रायः वृद्धावस्था में ही होती है और इसे 'सब्जियां जैसे टमाटर, बैंगन, अमरूद और हरी में बदलाव आने के कारण ही पथरी का रोग रेक्टल एग्जामिनेशन (मलद्वार से परीक्षण) द्वारा पत्तियों वाली भाजी का प्रयोग न करें। गरिष्ठ उत्पन्न होता हैकैल्शियम की स्वाभाविक जांच जा सकता है। जबकि पथरी का निदान आहार के स्थान पर हल्का सुपाच्य आहार ही लें। प्रक्रिया में अंतर अनियमित दिनचर्या और एक्स-रे द्वारा ही किया जा सकता है। पथरी का होम्योपैथी उपचार :- पथरी रोग कैल्शियम युक्त पदार्थों का अधिक मात्रा में पित्ताशय की पथरी :- जैसे कि नाम से ही का होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली में बहुत ही सेवन करने से आता है। अनियमित दिनचर्या से स्पष्ट है, इसमें पथरी पित्ताशय (गाल ब्लैडर) में सफल इलाज है। रोग की कोई एक विशेष 'आशय असमय सोना, जागना, खाना-पीना तथा बनती है। कभी यह पित्त नलिका में भी बनती हैऔषधि नहीं है बल्कि रोगी के पूरे लक्षणों के 'मल-मूत्र का त्याग करना है। । जो पित्ताशय से पित्त लेकर छोटी आंत में खुलती आधार पर जिस दवा का भी चुनाव किया जाता पथरी के प्रकार :- पथरी मुख्यतः दो प्रकार की है। यह एक या अनेक टुकड़ों में हो सकती है। है वही दवा पथरी को या तो गला देगी या पथरी होती है। 'मानव शरीर में पेट के दायीं ओर ऊपर के हिस्से घुलकर निकल जाएगी। अनेक मरीज होम्योपैथी 1. मूत्र संस्थान की पथरी (रीनल स्टोन). । में पसलियों के नीचे यकृत (लीवर) होता है। औषधियों के सेवन से बिना ऑपरेशन कराएं पूर्ण 2. पित्ताशय की पथरी (बिलियार स्टोन)। इसमें भोजन में वसा ((चर्बी) को पचाने वाला रूप से पथरी से मुक्ति पा चुके हैं। । मूत्र संस्थान की पथरी :- मानव शरीर में दो पाचक र पाचक रस पित्त पैदा होता है जो पित्ताशय में । शल्य क्रिया के द्वारा पत्थर का टुकड़ा तो शरीर गुर्दे होते हैं, बायीं ओर तथा दायीं ओर। ये गर्दे इकट्ठा हाता है। मुख्य पित्तवाहिनी नलिका छोटी से निकाल दिया जाता है किन्त शरीर की वह आंत, जिसे डयूडेनम कहते हैं मैं पित्त पहुंचकर क्रिया जिसके बिगड़ जाने से सामान्य कैल्शियम शरीर में फिल्टर का कार्य करते हैं। दोनों गुर्दो से भोजन की चर्बी को पचाता है। पित्ताशय की एकत्र होकर पथरी का रूप ले लेता है जिस तरह अलग-अलग दो मूत्रवाहिनी नलियां मूत्राशय में पथरी में पत्थर के टुकड़े या तो पित्ताशय में बनते पहले थी वैसे ही बनी रहती है। परिणामस्वरूप जाकर खुलती है। पथरी दायें या बायें गुर्दे में से हैं या फिर पित्तवाहिनी नलिका में बनते हैं। किसी एक में या कभी-कभी दोनों गुर्दो में भी हो अनेक रोगियों में ऑपरेशन के बाद भी पुनः रोग के लक्षण :- पित्ताशय की पथरी में भी पथरी बन जाती है। जबकि होम्योपैथी औषधियों सकती है। इसके अलावा पथरी मूत्रवाहिनी ।" यकृत वाले हिस्से में पेट के ऊपरी भाग में से शरीर की वह प्रक्रिया ही दुरुस्त कर दी जाती नलिकाओं या मूत्राशय के किसी भाग में भी हो दाहिनी तरफ असहनीय दर्द होता है। इस दर्द को है जिसके चलते शरीर में पथरी बनती है। । सकती है। बिलिथरी कोलिक (पित्तशूल) कहते हैं। यह दर्द । पथरी के रोगी को दी जाने वाली होम्योपैथी रोगी के लक्षण :- रोगी के मूत्र संस्थान या गुर्दो ६॥ कभी-कभी पीछे पीठ की तरफ भी चला जाता औषधियों में लाइकोपोडियम, कल्केरिया कार्ब, में पथरी होने पर रोगी को असहनीय दर्द होत का है। दर्द के साथ-साथ उल्टी होती हैं व जी 'ब्रायोनिया. चैलीडोनिमेजस. कोनियम, जिसे 'रीनल कोलिक' के नाम से पुकार मिचलाता है. हल्का बखार भी रहता है। यह रोग कोडिअसमेजस. बल्वेरिस व वल्गरिस यदि पथरी गुर्दे में है तो पीठ के उस भाग में फलों की अपेक्षा उनी म परुषों की अपेक्षा उन प्रौढ़ महिलाओं में अधिक सासीपैरिल. कैन्थरिस, बेलाडोना व लेपेशिसि नकलीफ होती है। जिस दिशा में पथरी है। दर्द होता है जिनको जल्दी-जल्दी अधिक संतान इत्यादि के नाम प्रमख है। इन औषधियों का प. रात्रि में ही अधिक होता है और उत्पन्न हो जाती हैकभी-कभी दर्द असहनीय शक्ति (पावर) और मात्रा रोगी की स्थिति व कभी-कभी यह पेट के निचले हिस्से तक भी नहीं होता लेकिन यकृत वाले भाग में हल्की अवस्था के अनसार चिकित्सक के द्वारा ही चला जाता है। यदि पथरी मूत्रनलियां या मूत्राशय सूजन व कड़ापन होता है व छूने या दबाने पर दर्द निति की जाती है। कभी-कभी दवा का में है, तो दर्द के साथ-साथ रूक-रूककर का अनुभव होता है। यदि कामन वाइल डक्ट - उपयुक्त चुनाव होने पर भी यदि उसकी मात्रा बार-बार पेशाब आता है। पेशाब करने में दर्द (मुख्य पित्तवाहिनी नलिका) में पथरी है तो दर्द । और शक्ति का चुनाव सही नहीं हुआ है तो वह और जलन होती है। यह रोगी के लिए बहुत के साथ-साथ भूख न लगना, आंखें या पेशाब । दवा सही होने पर भी पूर्ण लाभ देने में अक्षम कष्टदायक स्थिति होती हैकभी-कभी तो पीली होना एवं शरीर का पीला पड़ होगी। .