प्रदूषण में स्वस्थ रहना चुनौतीपूर्ण

 प्राणायाम : स्वस्थ रहने में प्राणायाम योगा का कहते हैं। यह क्रिया महीने में दो बार करें। पेट बहुत बड़ा सहयोग रहता है। सभी लोगों को प्रात: आपका ठीक रहेगा और पेट के रोग नहीं होंगे। प्राणायाम में भस्त्रिका, कपालभाति, बड़ी आंत साफ करना : ज्यादातर लोग कब्ज अनुलोम-विलोम तथा भ्रामणी प्राणायाम करना के शिकार रहते हैं। कब्ज सभी बीमारियों की चाहिए। इसके अलावा नित्य प्रातः योगासन करें जड़ है अतः कब्ज कभी न होने दें। दिन में पानी तो बीमारियां नहीं आएंगी। तन-मन प्रफुल्लित अधिक पिएं। भोजन में रफेज की मात्रा पर्याप्त रहेगा और स्वस्थ रहेंगे। आज के प्रदूषित वातावरण में स्वस्थ रहना होनी चाहिए। महीने में एक बार अनिमा लगाकर ध्यान (Meditation) : सभी प्रकार के चनौतीपर्ण हो गया है। उपचार के जितने नए पेट साफ कर लेना चाहिए। अनिमा का प्रयोग टेन्सन को भगाने वाला, मन को सुख-शान्ति अविष्कार नहीं हो पाते हैं उससे ज्यादा प्रकार की किसी चिकित्सक से सीखकर प्रयोग करें। बड़ी पहुंचाने वाला, मानसिक रोगों को अलविदा करने नई बीमारियां जन्म ले लेती हैं। उससे ज्यादा आंत साफ रहेगी तो कोई बीमारी नहीं होगी। वाला ध्यान ही है। ऋषि-मुनियों की खोज आज 'चिंता का विषय महंगा उपचार हो गया है। पौष्टिक आहार : अच्छी सेहत के लिए की आवश्यकता बन गई है। अतः ध्यान सीखकर अधिकांश चिकित्सक व्यवसायी हो गए हैं। पौष्टिक आहार जरूरी है। अतः आपको ऐसा रोज प्रात:-सायं सुखासन, पद्मासन लगाकर प्राइवेट अस्पतालों में कोई गरीब आदमी अपना आहार लेना चाहिए जिसमें प्रोटीन, विटामिन, बैठें, रीढ़ सीधी रखें, दृष्टि को आज्ञा चक्र पर उपचार नहीं करा सकता है। यदि उपचार करा मिनरल, कार्बोहाइड्रेट, रफेज जल, मेद आदि की टिकाकर आंख बंद करके विचार रहित शान्त लिया तो उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा जाती है। आवश्यक मात्रा हो। सदैव मौसम के होकर बैठें या तो दृष्टा के रूप में या साक्षी के सरकारी अस्पतालों में लम्बी लाइनें लम्बा फल-सब्जियां खाएं। हरी शाक-सब्जियां एवं रूप में ध्यान की शरुआत करेंस्थल मे इंतजार इतना कि उपचार की बारी आने से पर्व ताजा खाएं। भोजन ताजा और शुद्ध सात्विक की ओर की याना णा करें। श्रीो भी गार की के जीवन को निगल जाती है। इन पाचक हा एसा खाना चाहिए। बासा भाजन, गर अवधि बढाएं। रोज ध्यान करने से मन में परिस्थितियों में स्वास्थ्य व जीवन को बचाना मासम क फल-साब्जया, गारष्ठ भाजन, तल का मौसम के फल-सब्जियां, गरिष्ठ भोजन, तला सख-शान्ति रहेगीमानसिक रोग नहीं होंगे। चिंता का विषय बन गया है। क्यों न हमें स्वस्थ भोजन, मेदायुक्त भोजन, अधिक मसाले, मीट, . साल, माट, बुद्धि शक्तिशाली बनेगीरहने के कुछ उपाय ढूंढना चाहिए। क्यों न हमें नशीले पदार्थ आदि का त्याग करना चाहिएमानसिक शक्ति को सबल करना : पूर्ण अपना खान-पान, रहन-सहन ठीक करना अन्यथा आप स्वस्थ नहा रह पायग। स्वस्थ तभी होगों जब आपकी बुद्धि तेज होगी चाहिए जिससे हम बीमार पड़े ही नहीं। तो आइए सकारात्मक सोच बनाएं : स्वस्थ रहने के लिए A लिए और बुद्धि को कुषाग्र करने के लिए कुछ उपाय जानते हैं स्वस्थ रहने के कुछ उपाए :सकारात्मक सोच, विचार एवं स्वभाव बनाएं। जरूरी है। इसके लिए नित्य गो घत खाएं, दुध पेट साफ करना : यं तो आपका पेट खाना खाने मन में किसी के प्रति घृणा, उद्विग्नता खिन्नता, पिi दही का सेवन करें बाटी ती 1-1 गोल के तीन-चार घंटे बाद खाली हो जाता है, परन्तु क्रोध, लोभ, मोह आदि न रखें। यह बीमारियों के रोज पानी से लें और शंखपुष्पी सिरप दिन में एक पेट में कछ अनवांछित एसिडस पडे रहते हैं. स्रोत हैं। सकारात्मक ऊर्जा मन और तन को बार लें। महाऋषि की अमृत कलश लेंउनका निकलना जरूरी होता है। अतः प्रात: शौच स्वस्थ रखती है जबकि नकारात्मक ऊर्जा च्यवनप्राश का सेवन करें। उचित नींद लें। समय के बाद पानी हल्का गुनगुना कर उसमें हल्का तन-मन एवं बुद्धि के लिए घातक सिद्ध होती है। पर भोजन करेंनमक मिलाएं। उकड़ बैठ कर क्षमतानुसार 2-4 टेन्सन फ्री बनें : आज का वैज्ञानिक यग टैन्सन भागदौड़ कम करें : जीवन में ज्यादा भागदौड गिलास पानी पिएं तथा खड़े होकर थोड़ा आगे का यग बन गया है। टैन्सन बीमारियों का कारण हापा-तापी मानव को टैंन्सन खड़ी कर देती हैको झुककर बायां हाथ की हथेली पेट में रखकर बन गया है। टैन्सन से |स्वास्थ्य, मन, बुद्धि पर " जीवन को संयमित बनाएं। समय पर उठे। समय पर नास्ता, लंच, डिनर करें। समय पर सोएं। दाहिने हाथ की दो उंगली गले में कान के नीचे बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। टैन्सन से मधुमेह, समय पर सब काम क्रमबद्ध करें। थोड़ा दबायें और उल्टी कर दें।