सेहत का खजाना रसोई

 सेहत का खजाना रसोई दर्द तुरंत शांत हो जाता है। 1. नमक- आलू का उपयोग सही अनुपात में किया जाए तो हम कई बीमारियों से बच सकते है। अगर मसूड़ों में सूजन आने पर- गर्म पानी में नमक डालकर कुल्ला करने से सूजन कम होती है। हल्दी, नमक, सरसों के तेल में पेस्ट बना कर ऊँगली से मालिश करने से भी लाभ होता है। चोट में या हड्डी टूटने पर जो सूजन आती है उसकी नमक डालकर सिकाई करने से सूजन कम हो आधुनिक जीवन में लाइफस्टाइल आज पूरी तरह बीज, सोयाबीन डालें। यह ब्लडप्रेशर में लाभकारी जाती है और भी कई तरह से नमक का उपयोग से बदल गया है। व्यवस्था भरी जिन्दगी में सही होता सिद्ध होता हैहोता है। 2. मिर्च- यह कटु, उष्ण होने के संतलित भोजन सही समय पर नहीं लेते हैं जंक 5. मोटापा- में जौ का आटा, बाजरा का आटा, कारण कफ वाट शामक तथा पित्तवर्धक हाता ह। फड का सेवन ज्यादा रहता है और अधिक समय मक्का का आटा मिलाकर यें व गेंहू का अनुपात यह अरुचि, अग्निमांघ एवं अनाह में उपयोग होता बैठ कर गजरता है और व्यायाम व शारीरिक श्रम कम करें। है। यह रक्त में लाल कणों को बनाने में सहायक कम होने के कारण कई बीमारियां उत्पन्न होने का 6.मधुमेह में चने का आटा अति उत्तम रहता है। होती है। सफेद मिर्च (दक्षिणी मिर्च) को घी के डर रहता है। अगर हम नियमित रूप से व्यायाम व आहार का सेवन करें तो बीमारियों से बचा जा मधुमेह के रोगियों को मैथी दाना अवश्य डालें। साथ प्रयोग से नेत्र दृष्टि में लाभकारी होता है। सकता है। कुछ भोजन में बदलाव करके और गेंहू का उपयोग कम करना चाहिए। इनके उपयोग हदोरबल्य में हितकारी होता है। 3. धनिया- यह से ब्लडशुगर नियंत्रित रहता है। जीवनशैली में बदलाव करके हम स्वस्थ जीवन पाचक, दाहनाशक, नेत्ररोग, ज्वर, अतिसार, तृष्णा यापन कर सकते हैं। कछ सामान हमारे पास हमारे रसोई घर में उपस्थित वस्तओं में (प्यास) का दुर करता है। रा धनिया रुचिकर व अग्नि प्रदीपक का कार्य भी करता है। 4. हल्दी औषधियों के गुण भी पाए जाते है। उन गुणों के रसोई में ही होता है जिसका उपयोग कर स्वस्थ यह कई रोगों में उपयोग किया जाता है हल्दी में रह सकते हैं। भोजन में हम सभी रोटी. दाल. बारे में थोड़ी जानकारी हो, तभी हम सभी चावल, सलाद का सेवन करते हैइन्ही सब कर रोगानुसार उपयोग कर बिमारियों से बच सकते हैं। बहुत ज्यादा गुण होता है यह रक्त दोषों को दर करता है तथा त्वचा से संबंधित रोगों में उपयोगी अपने स्वादानुसार बदल करना और संतलित ना जससिद्ध होता है। हमारी पाचन शक्ति को भी बढ़ाता चाहिए सर्वप्रथम हम आटा के बारे में बताते है। 7. जीरा- जीरा अफरा, पेटदर्द, हिचकी, वमन, है। हल्दी हमारे शरीर के सभी अंगों पर कार्य लम्बे समय तक एक ही प्रकार का आटाने से भी अर्श पाचन, भू न लगना इत्यादि रोगों में जीरा , __ करता है। कई बीमारियों को दूर करता है जैसे - मन उब जाता है इसलिए उसमें (आटा) कुछ पाउडर या भूना हुआ जीरा का उपयोग करते है। फरबदल जरुरा होता है। जिससे हमारी रोग गले की आवाज बैठने पर इसके गरारे भी करते है। नत्र राग नत्रा का जलन, लालिमा. पाना आना प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। आदि रोगों में हल्दी के पानी में कपडा भिगोकर 8. हींग- हींग श्रेष्ठ गुण होती है यह पाचन, गैस रने से जलन शांत होती है। नेत्र पर हल्दी लेप 1. गर्भावस्था में गेंह के साथ सोयाबीन का प्रयोग (अफरा) में, कृमि (कीड़े) नाशक,सूजन कम करने से जलन शांत होती है। करना चाहिए। आटे में हरी पत्तेदार सब्जी का करती (शोथहर), दमा, श्वास नलिका शोध में, प्रयोग मौसमनुसार अवश्य करें जैसे- भू लगने(दीपन)आदि गुण युक्त होती है। दन्त रोग- दर्द होने या मसूड़ों में सूजन आने पर सरसों के तेल में पीसी हुई हल्दी व चुटकी भर पोषण ठीक रहता है और माता सिट होता है। छोटे बच्चों में हींग का लेप नाभि नमक मिलकर मंजन करे तुरंत आराम होता है। का स्वास्थय ठीक रहेगा और स्फूर्तिदायक रहता के चरों तरफ करने से पेट की गैस में आराम आता 12. सौंफ- इसके उपयोग से पेट का अफरा, उल्टी, गले की राश, नेि में रूचि पैदा करना सौंफ 2. बच्चों के लिए गेंहू में चना, सोयाबीन, मकई, 9. अजवायन- यह पेट (उदर) रोग में अत्यंत के गुण है। सौंफ का चूर्ण सेवन करने से नी बाजरा अवश्य डालें। एक स्वाद की रोटी लगातार लाभकारी होती है इसके उपयोग उदर स्थित वायु पेचिश व मुगत रोग शांत होते है। इसके आरक ने से बच्चे जल्दी उब जाते है इसलिए बच्चे के (गैस) शांत, अपचन शांत करती है। कब्ज को सवन से जलन (पेट की) तुरंत शांत होती है। स्वादनुसार आटे में बथुआ, गाजर, मूली भी मिला करती है। अजवायन की फंकी मारने से पेट दर्द सौंफ मुगत दुर्गंध को दूर करती है। नाक से न सकते है। आटे में हींग, जीरा, अजवायन अवश्य तुरंत ठीक हो जाता है। अजवायन को पानी में स्वादनुसार डालें। जिससे बच्चों का पाचन ठीक उबालकर पानी को कोसा कोसा रहने पर गरारेआने पर सौंफ के साथ सूखा धनिया, कुछ दाने प्रकार से होगा और गैस की और अपचन की करने से गला दर्द, दंत रोग शांत होते है। दक्षिणी मिर्च के साथ सेवन करें क्वाथ के रूप में गी। बढते हए बच्चों में शरीर व अजवायन के पत्तों का उपयोग मनी में बड़ा आराम मिलता है। क्वाथ बनाने की प्रक्रिया मस्तिष्क का विकास ठीक प्रकार से होगा और भी किया जा सकता है। किसी कुशल चिकित्सक से जानकारी अवश्य लें। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। 10. मेथी- मैथी के सेवन से पाचन शक्ति को सौंफ चूर्ण को मिश्री के साथ सेवन करने से 3. रजोनिवति अवस्थाः में हामोन्स में बदलाव बढ़ाती है। यह बलकारी शोधहर आमवात हिचकी शात हाता है। अधिक होता है जिससे कई बीमारियों को जन्म नाशक, अपचन और भू को बढ़ाती है मैथी रसोई घर में उपस्थित सभी मसाले गुणकारी मिल सकता है। इनसे बचने के लिए हम सभी को सुगंधित होने के कारण यह रुचिकर होती है। होते है उनके गुणों का सही ज्ञान उचित समय पर कुछ अपने भोजन में व कुछ जीवनशैली में यह भोजन के स्वाद को भी बढ़ाती है। मैथी दाना करने से उचित लाभ होता है। सभी मसालों में बदलाव लाना चाहिए। इस अवस्था में शुगर, हाई का लेप बनाकर लगाने से सूजन कम होती व दर्द ब्लडप्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों की शांत होता है। औषधीय गुण पाए जाते है। जिनके प्रयोग से हम शिकायत होने लगती है। इसलिए ऐसी अवस्था में 11. लौंग - लौंग के उपयोग से पेट संबंधित रोग सभी रोग मुक्त रह सकते है। इन्हीं गुणों की आटा में सोयाबीन, अलसी, मैथी दाना, जौ, जई शांत होता है। इसके उपयोग से लाल साव व जानकारी देने की तुच्छ कोशिश की गयी है और का मिश्रण करवा सकते है। इससे कोलेस्ट्रॉल अमाश्य पेट का साव बढ़ता है जिससे भोजन का इसस कालस्ट्राल अमाश्य पेट का स्राव बढ़ता है जिससे भोजन का अधिक जानकारी के लिए कुशल चिकित्सक वैध कण्ट्रोल रह सकता है। ठीक प्रकार से न पचना व अधिक गैस का बनना से सम्पर्क कर ज्ञान ले सकते है।