उम्र के साथ-साथ शरीर में कई प्रकार के बदलाव सेवन करेंस्रोत है। फल जैसे कि बेर, नाशपाती, सेब, संतरा आते हैं। इन बदलावों के साथ हमारी जीवन-शैली १ पोटीन .- वदावस्था में मांसपेशियां कमजोर आदि फाइबर के अच्छे स्रोत है। सब्जियों में भा बदल होने लगती हैं इस कारण प्रोटीन युक्त आहार का ब्रेक्ली, मूली, गाजर, बीन, खीरा, कद् आदि भी जाती हैं परन्तु हम कई बार इन जरूरतों को नजर सेवन करना चाहि जिसमें दालें ना दाल अच्छे स्रोत हैं। दलिया, मुसली, . सुपाच्य होती है। दाल को बहुत ज्यादा गाढा नहीं प्रयाग करना चाहिए। य भा फाइबर क सात करना पड़ता है कई प्रकार की अनचाही हा लेना चाहिए। मंग, मसर, लोबिया आदि दालें मौसम के अनुसार हरी सब्जियों का प्रयोग करना अस्वस्थ्यता का। प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं। कहीं राजमा, चना चाहिए जिनमें लौकी, तोरी, टिण्डे का प्रयोग अगर में अस्वस्थता लम्बे समय तक चले तो आहार भी पोटीन यक्त है परन्त यह पचने में समय अच्छा है। दूध का एक गिलास इस अवस्था में ले लेती है। सबसे ज्यादा ध्यान देने लेती। अतः पयोगको सके तो दिन बहुत जरूरी है। आयुर्वेद में यह जीवनीय कहलाता वाली अवस्था होती है। वृद्धावस्था यह तो आमतौर में प्रयोग करें। अंडा. मीट और मछली भी प्रोटीन ह जा। टा पी और मळली भी पोरीन है जो कि जीवन प्रदान कहने वाला होता है। दूध, पर सभी कहते हैं कि बच्चे और जवान को सब का अच्छा सोत है। यदि शाकाहारी भोजन के साथ कैल्शियम का अच्छा स्रोत है और इस अवस्था में वृद्धावस्था म हर प्रकार का इनका उपयोग भी किया जाए तो मांसपेशियों की हड्डियां कमजोर होने लगती है इसलिए इसका आहार नहीं पच पाता है। इसका कारण है शरीर में उपयुक्त व पर्याप्त प्रोटीन मिल जाता है। प्रयोग जरूरी है। आहार बदलाव। इन बदलावों में सही प्रकार के 2. कार्बोहाइड्रेट :- कार्बोहाइड्रेट शरीर की सभी __बादाम, अखरोट, किशमिश आदि ड्राई फूड्स आहार की जानकारी होना आवश्यक है। __ भी कई प्रकार के माइक्रो न्यूट्रिइन्टस और कई प्रकार की क्रियाओं के लिए आवश्यक होते है। - ___ आइये पहले जानते हैं कि क्या बदलाव आते हैं कार्बोहाइड्रेट्स जो कि अनाज जैसे गेहूं आदि से प्रकार के माइक्रो एलिमेट्स का स्रोत है। इनको भी वृद्धावस्था में। आज की चिंता और तनावग्रस्त नियमित मात्रा में प्रयोग करें। फलों में सभी प्रकार पर्याप्त मिल जाते हैं। भोजन में इनका सम्मलित जीवनशैली के कारण ज्यादा लोग इस अवस्था में के मौसमी फल खाएं। मौसम के अनुसार मिलने होना आवश्यक होता है। दिन में एक समय रोटी पहुंचते-पहुंचते बहुत से रोगों के शिकार बन जातेवाले फल, साग सब्जी सबसे उत्तम रहते हैं। एक और एक समय चावल का प्रयोग करना चाहिए। हैं जिनमें मधुमेह, उच्चरक्तचाप, घुटनों का दर्द तो यह मौसम के अनुसार शरीर की जरूरतों को इसके अलावा बेसन, ज्वार, सागी का उपयोग भी आदि बेहद ही आम है। इनके अलावा जो बदलाव सप्ताह में एक-दो बार उपयोग करना चाहिए। इस पूरा करते हैं साथ ही किफायती भी रहते हैं। दांतों आते हैं वो हैं सामाजिक जैसे कि सेवा निवृत्ति के . की परेशानी ज्यादातर लोगों को इस अवस्था में तंग प्रकार आहार में विटामिन के साथ-साथ रुचि बाद अपना ज्यादातार समय खाली-खाली सा पाते करती है इसलिए ठीक प्रकार से पका व तरल उत्पन्न होती है। हैं। उनका रोजाना का नियमित क्रम टूट जाता है आहार को ज्यादा लें। और इस तरह उनका खाया शारीरिक क्रियाएं: का 3. फैट्स :- फैट्स के नाम से सब डर जाते हैं मैदा, चीनी का प्रयोग कम से कम करें। तली नियम के अनुसार उम्र का असर दांतों पर भी ह परन्तु और मसालेदार व्यंजन महीने में एक या दो बार से पड़ता है। कई व्यक्तियों को दांतों की वजह से फट्स का भा जरूरत शरार का होता हयह हमार ज्यादा ना करें। खाने में दही का प्रयोग सर्दियों में ठोस आहार लेना मुश्किल होने लगता है। घुटनों शरीर का ठण्ड म ऊजा प्रदान करता है। साथ ही दिन में करें क्योंकि आयुर्वेद के अनुसार दही पचने की वजह से चलने-फिरने में दिक्कत बढ़ने लगती शरीर क विभिन्न प्रकार का काशिकाआ का बनाय के समय लेता है। साथ ही सर्दियों है। बढ़ता वजन भी शरीर पर गलत प्रभाव डालता रखने में मदद करता है। फैट्स के स्रोत में घी, दूध, तेज रहती है और यह सर्दियों में अच्छे से पचता है। है। इनके अलावा आर्थिक निर्भरता भी कई लोगों माट, पनार आदि आ जात है। नियमित मात्रा में सर्दियों में छाछ या मट्ठा का प्रयोग rom में आने स्नाय का पतिया इसका सेवन शरीर के लिए उपयोगी रहता है। एक बार में पेट भर भोजन ना करें अपित ध्यान देने में असमर्थ बना देती है। क्योंकि जीवन सोयाबीन, सूरजमुखी का तेल साथ ही सरसों का थोटी थोटी देर में शोटी शो और आप नहीं साथ ही तेल खाना बनाने में उपयोगी कह सकते हैं। सरसों आयर्वेद के अनसार कक्षि (पेट) को 3 भाग में आर्थिक तौर मजबती खासकर महिलाओं के लिए का तेल मेिगा-3 फैट्टी एसीड्स का स्रोत माना विभाजित कर भोजन करें। एक भाग ठोस पदार्थ. ती बन जाती । भारतीय महिला दस जाता है जो कि हृदय के लिए अच्छा होता है। एक भाग तरल व एक भाग खाली रहने दें जिसमें उम्र में या तो अपने बच्चों या फिर अपने पति पर 4. फाइबर :- इस अवस्था में ज्यादातर को कब्ज पाचन क्रिया होने के लिए उपर्युक्त स्थान रहें। निर्भर रहती है। आइये जानते हैं सामाजिक, की तकलीफ होने लगती है। इसके लिए आहार से आहार के साथ-साथ रोजाना कुछ देर का व्यायाम, शारीरिक में आर्थिक व्यवस्थता को ध्यान में रखते फाइबर का प्रयोग आवश्यक है। आटे को ज्यादा योग या टहलना जीवनशैली में जरूर रखें। इससे हुए वृद्ध अवस्था में किस प्रकार के आहार का ना छानें उसमें मिला चोकर फाइबर का एक अच्छा तन व मन दोनों प्रसन्न रहते हैं।
आहार और वृद्धावस्था