औषधीय गुणों से भरपूर तेजपात


तेजपत्ता :- भारतीय मसालों में तेजपात का पत्ता सब्जी में डालने के रूप में काम में लिया जाता है। तेजपात को कहीं-कहीं तामल पत्र के रूप में भी जाना जाता है। तेजपात औषधीय गुण लिए हुए एक अत्यन्त लाभकारी पत्ता है। इसके रासायनिक संगठन में उत्पततेल, युजीनाल एवं आइसोयुजीनाल उड़नशील सुंगधित तेल होता है। तेजपात सर्वाधिक कफ नाशक है। यह खांसी, दमा, जुकाम, माइग्रेन, सर्दी लगना जैसे काम कारक रोगों में शीघ्र व स्थाई लाभ देता है। 1. तेजपत्ते का काढ़ा बनाकर शहद के साथ लेने पर कुकर खांसी तक ठीक होती है। 2. तेजपात के पत्तों को अखरोट के साथ लेप बनाकर स्तन पर लगाने पर स्तनों में आशातीत बुद्धि होती है व स्तन सुडोल बनते हैं। 3. तेजपात का प्रयोग गर्म नींब पानी के साथ करने पर मोटापा तेजी से कम करता है। आधा गिलास 4 । गर्म पानी के साथ दो तेजपत्ता लेने पर 80 से 90 कैलोरी बर्न करता है। यदि इस प्रकार इसको दिन में चार बार लिया जाए तो करीब सिर्फ तेजपत्ता नींबू पानी से 350 कैलोरी बर्न करके एक दिन में 100 ग्राम वजन को कम किया जा सकता है। 4. जिन व्यक्तियों को अस्थमा है उनको तेजपत्ता, लौंग, और मुलेठी का सेवन शहद के साथ करने पर लाभ मिलता है। 5. तेजपत्ता का उपयोग गर्म की शिथिलता मेंकिया जा सकता है। 6. तेजपत्ता पत्र चूंकि मूत्रवर्धक है जिन्हें गर्दे की पथरी व गुर्दे सम्बधित परेशानी है उन्हें इसका प्रयोग करना चाहिए। 7. बुखार में तेजपत्ता को लेने पर यह पेरासिटामोल का काम करता है। 8. सब्जी व रायते में इसका प्रयोग पेट की गैस, कब्ज व अफरा जैसी आम समस्या को दूर करता है। तेजपत्ता का नियमित प्रयोग सब्जी में डालकर व पीने के पानी में दो-तीन पत्ते डालकर किया जा सकता है। अखरोट :- शायद ही ऐसा कोई व्यक्ति हो जिसे अखरोट खाना पंसद न होअखरोट में पाया जाने वाला उड़नशील तेल मस्तिष्क के न्योरोटांमीटर को सक्रिय करता है। अखरोट मस्तिष्क के न्योरोन्स को लुबिकेशन देता है। इसमें उपस्थित तेल शरीर के उन सूचना तंत्रों की ऑयलिंग करता है जो कि कभी-कभी काम आते हैं या कम ही काम आते हैं। । अव शरीर व मस्तिष्क में गर्मी पैदा कर वन संचालन में शामिका निभाता है। इसका सेवन लकवा पारवि इसका सेवन लकवा, पारकिन्सस रोगियों के लिए अत्यन्त लाभकारी है। 2. अखरोट को भून कर खाने पर बच्चों की याददास्त व मानसिक विकास में काम करता है। 3. गर्भवती स्त्री को सखा अखरोट खिलाने पर बच्चा तन्दुरूस्त व सुन्दर होता है। 4. कुंवारी लड़की अखरोट का सेवन करती है तो स्तनों की बढ़ोतरी व शरीर गठिला, कसाव वाला बनाता है। 5. भीगे हुए अखरोट का नियमित सेवन मोटापा रोग में भी लाभकारी है। " 6. अनिद्रा, तनाव वाले मरीज को रात को अखरोट को भून कर देने पर लाभ मिलता है। 7.ज्यादा अखरोट का सेवन हानिकारक हो सकता 7. ज्यादा अखराट का सवन हानिकारक हा सकता है। अल्सर, कोलायटिस रोगी अखरोट के सेवन से दूरी रखें। चूंकि अखरोट गर्म प्रकृति का है अतः मुहांसे वाले व्यक्ति इसका सेवन न करें। अखरोट में अभिग्रांथी फैशी एसिड होता है जो कि पेट भरने के अहसास को लम्बे समय तक कायम रखता है जिससे भूख कम लगती है। है अवर में विटामिन बी जो बालों को गिरने से रोकने में मदद करता है। 9. इसमें उपस्थित मेलाटोनिन हार्मोन नींद को प्रेरित करने में मदद करता है। यानि की रात को अखरोट खाना नींद रोगियों के लिए फायदेमंद है। 10. अखरोट में मौजूद विटामिन-ई और फलेवनाइड डिमेंन्टिया उत्पन्न करने वाला हानिकारक फ्री-रेडिक्ल्स को नष्ट करने में मदद करते हैं। 11. अखरोट का नियमित इस्तेमाल डायबिटिज के खतरे को 24 प्रतिशत तक कम करता है। 12. प्रतिदिन 50 ग्राम अखरोट का सेवन स्तन कैंसर की संभावना को कम करता है। दाल चीनी :- भारत में दालचीनी का प्रयोग डॉ. वीरेंद्र अग्रवाल मसाले एवं औषधि के रूप में किया जाता है। वैसे इसका सर्वाधिक उपयोग औषधि के रूप में बहुतयात से होता है। यह तीक्ष्ण सुगंध लिए होती है। दालचीनी एक छालनुमा मसाला है जिसमें उत्पततेल, सिनामोन तेल, युजीनाल, सिनाम एल्डीहाइड, केम्फर, सिनफेला माइनटैनिन पाया जाता है। 1. दालचीनी में उड़नशील तेल की वजह से यह गैस्ट्रीक, अफरा व कब्ज जैसे रोगों में बेहद लाभकारी है। 2. पेट में दर्द, मरोड़ एवं उल्टी की स्थिति में दालचीनी की दो बूंद तेल को बताशे में डालकर लेने पर तुरन्त आराम मिलता है। -वात विकार रोग जैसे गठिया, आस्टियोपारासिस, अर्थराइटिस में दालचीनी तेल की मालिश लेकर धूप में बैठने से विटामिन 'डी' व 'बी'12 की पूर्ति होती है। 3. जुकाम के कारण पैदा हुआ सिर दर्द में दालचीनी को घिसकर गर्म करके नाक के आस-पास व माथे पर लेप करने से पुराने माइग्रेन में लाभ मिलता है। 4. बच्चों के पेट में कीडे होने पर इसका प्रयोग नारी को । किया जा सकता है। 5. डेंगू बुखार हो चिकनगुनिया या कोई मौसमी बुखार की स्थिति में दालचीनी का काढा गड या शहद के साथ लेने पर पेरासिटामोल का काम करता है। 6. दालचीनी चूंकि कफ नाशक है इसके काढा का प्रयोग खांसी, जुकाम अस्थमा में किया जा सकता 7. दालचीनी में पाये जाने वाला युजीनाल क्षयजव्रण खासकर स्किन सोरायसिस रोग के साथ-साथ फफूंदीनाशक रोगों में इसका प्रभाव बेहद लाभकारी है। 8. एक गिलास गर्म पानी में 10 बूंद दालचीनी तेल डालकर पीने पर मोटापा व बढ़ी हुई चर्बी को कम करता है। 9. दालचीनी का प्रयोग करते समय इतनी सावधानी बरतनी चाहिए। बबासीर व खूनी पाइल्स में इसका सेवन न करें। .