हाई और ली

हाई और ली लाइन लक्षण और जिलाव के उपाय अपने रोजाना के भोजन में शामिल कर लें तो हम उच्च रक्तचाप के साथ-साथ अन्य बीमारियों से भी मुक्त रह सकते हैं। खाने-पीने की अच्छी आदतों के साथ-साथ यदि हम अपनी रोजाना की दिनचर्या पर भी ध्यान दें जैसे रात में जल्दी सोना, सुबह जल्दी उठना, सुबह के समय बिना कुल्ला किए एक लीटर तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना, पूरी तरह भूख लगने पर ही खाना, भूख से थोड़ा दिन प्रतिदिन लोगों की बदलती जीवनशैली में बाकी हिस्सों में पहुंचाने के लिए दिल को जरूरत कम खाना, खाना खाते समय पानी न पीना व दो घंटे के बाद दो गिलास पानी पीना, खाने को अच्छी उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) की शिकायत से ज्यादा दबाव डालकर उन संकरी और कठोर तरह से चबा कर खाना, दिन में न सोना, आम हो गई है। कभी ऐसी धारणा थी कि उच्च धमनियों में खून को धकेलना पड़ता है। साधारण - शांत-सहज और खुश रहना, रोजाना नियमित रूप रक्तचाप केवल बढापे की बीमारी है, परंतु अब तौर पर हाई ब्लडप्रेशर का कोई लक्षण नहीं होता सार " से व्यायाम करना, टहलना, दौड़ना आदि में से सारे स्थिति तेजी से बदल रही है। 30 साल का युवक ॐ यवक और व्यक्ति को काफी समय तक इसका पता ही र भी आज यह कहता सुनाई दे सकता है कि उसे नहीं चलता है, लेकिन बाद में अनेक लक्षण सामने नहा ता कुछ को अपने व्यवहार में लाकर भी उच्च ना ब्लडप्रेशर है यानी उसका रक्तचाप सामान्य से आन लगा - रक्तचाप की परेशानी से छुटकारा पा सकते हैंमें आने लगते हैं जैसे सिर दर्द, चक्कर आना, रक्तचा अधिक है। शारीरिक क्रिया के दौरान अशुद्ध खून शिथिलता. सांस में परेशानी नींद न आना जरा सी हाई ब्लडप्रेशर को अधिक समय तक पहले दिल के एक भाग से फेफड़ों में प्रवेश करता महनत करने पर सांस फूलना, नाक से खन नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे है, फिर वहां से शुद्ध होकर दिल में वापस आ निकलना आदि। हाई ब्लडप्रेशर का एकमात्र कारण धमानया म जम कालस्ट्राल का मात्रा बढ़ता है, जाता है। फिर दिल का दूसरा भाग खून को पंप हमारा अनियमित जीवन और हमारे खाने-पीने की जिससे धमनियां सख्त हो जाती हैं और उनमें करके उसे शरीर के बाकी हिस्सों में भेजता है। आदतों में असावधानी है। खान-पान में संयम न रूकावट आ जाती है। इस स्थिति को दिल जब खून को पंप करता है तो यह क्रिया एक बरतने से कोलेस्टोल (एक प्रकार की वसा) एथिरोस्किलरेसिस कहते हैं। इस स्थिति में दिल उचित दबाव के साथ की जाती है जिससे कि धमनियों की भित्ति पर चिपक जाती है जिससे पर खून पंप करने में ज्यादा जोर पड़ता है और वह धमनियां संकरी होने लगती हैं। नतीजतन दिल का कमजोर हो जाता है। अगर एथिरोस्किलरोसिस आखिरी छोर पर पहुंचने के बाद भी खून में इतना खून को पंप करने का बोझ बढ़ जाता है। दिल को खून सप्लाई करने वाली वाहिनियों में हो दाब बना रह सके कि वह फिर से दिल तक लौट अनियमित जीवन तथा खानपान के साथ-साथ जाए तो दिल के उस हिस्से की जिसे वह वाहिनी कर आ सके। इस पूरी प्रक्रिया में धमनियों की भित्ति पर जो दाब स्थापित होता है वही रक्तचाप . और भी कई कारण हाई ब्लडप्रेशर के लिए रक्त की सप्लाई करती है, पेशियां मृत हो जाती हैं। है। साधारण तौर पर यह दाब 120 होता है जिसे उत्तरदायी हैं। चिंता, क्रोध, ईर्ष्या, भय आदि इससे पंपिंग की व्यवस्था में गड़बड़ हो जाती है मानसिक विकार भी उच्च रक्तचाप का कारण यानी हार्ट अटैक हो जाता है। जब किसी धमनी में ऊपरी दाब या सिस्टोलिक कहते हैं। दो बार पंपिंग होते हैं। बार-बार या जरूरत से अधिक खाना भी मामूली-सी रूकावट हो और जरूरत पड़ने पर करने के बीच में जो समय होता है उतने समय में उच्च रक्तचाप का कारण हो सकता है। मैदा से उससे अधिक खून पंप करना हो तो मश्किल हो दिल आराम कर लेता है यह समय करीब आधा बने खाने के पदार्थ चीनी मसाले तेल घी जाती है। जिस प्रकार श्रम या व्यायाम के समय सेकंड का होता है। इसी दौरान धमनियों पर दाब अनार अचार, मिठाइयां, मांस, चाय, सिगरेट व शराब हृदय पेशियों को ज्यादा खून की सप्लाई की काफी घट जाता है और लगभग 90 हो जाता है, आदि का सेवन करने से भी उच्च रक्तचाप की जरूरत होती है जिसके न हो पाने पर सीने में तेज इसे निचला दाब या डायस्टोलिक कहते हैं। यहां शिकायत हो सकती है। नियमित खाने में रेशे दर्द महसूस होता है। इसे एजाइना कहा जाता ह। स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसके बढ़ने कोल सलाट का अशात प्रादीन जीवन यह ज्यादा श्रम या तनाव के कारण होता है। इसे का मतलब होता है कि दिल पर बोझ पड़ रहा है। व्यायाम का अभाव पेट और पेशाब संबंधी पगनी रहा हव्यायाम का अभाव, पेट और पेशाब संबंधी पुरानी खत्म होने में कुछ मिनटों का समय लगता है और जब तक धमनियां एकदम चिकनी और खुली बीमारी से भी हाई ब्लडप्रेशर का रोग हमें अपनी आराम करने पर यह ठीक हो जाता है। उच्च रहती है तब तक खून एक निश्चित और स्थिर गिरफ्त में ले सकता है। आजकल हम लोग जो रक्तचाप के लक्षण सामने आते ही चिकित्सक से दबाव से बहता रहता है। जब तक शरीर की भोजन करते हैं वह हमारी सेहत के लिए कतई मिलना चाहिए व उसकी सलाह (भोजन, श्रम, धमनियां व खून की नलिकाएं अपने स्वाभाविक ठीक नहीं है। बारीक पिसे आटे की रोटियां. दवा आदि) का पालन गंभीरता से करना चाहिए। रूप में रहती हैं यानी जब तक ये लचीली रहती हैं, पालिश किया हआ चावल, घी, तेल, मसालेयक्त अगर आप सिगरेट, शराब की आदत से पीडित हैं इनके छेद खुले रहते हैं तब तक खून को आगे सब्जियां, चाय, शीतल पेय, केक, बिस्किट-ब्रेड, तो इनसे निजात पाने में चिकित्सकों की मदद लेनी बढ़ाने के लिए दिल को जरूरत से ज्यादा दबाव बरगर, पिज्जा जैसे भोजन आज हमारी आधुनिक चाहिए। दवा की तुलना में खानपान के समय डालने की जरूरत नहीं पड़ती और रक्त अपनी जीवनशैली में शामिल हैं। लेकिन यही उच्च जीवन की दिनचर्या में बदलाव रक्तचाप के इलाज स्वाभाविक गति में हृदय से निकलकर धमनियों रक्तचाप और उससे संबंधित कई बीमारियों की में ज्यादा लाभदायक होता है। और खून की नलिकाओं की ओर से शरीर के हर जड हैयदि चोकर युक्त मोटे आटे की रोटी, लो ब्लडप्रेशर के लक्षण और निजात के उपाय भाग में पहुंचता रहता है। लेकिन जब धमनियां छिलके समेत फल और सब्जियां, पालक, मेथी, आजकल की तनाव भरी जिंदगी में ब्लडप्रेशर की कठोर और संकरी हो जाती हैं तो खून को शरीर के बथुवा, तुरई, लौकी, पैठा, नींबू आदि को हम शिकायत होना आम बात है। चक्कर आना, आंखों में अंधेरा होना, हाथ पैर ठंडे पड़ना, कुछ पल के 50 ग्राम देशी चने व 10 ग्राम किशमिश को भरपूर भोजन करना चाहिए, साथ ही पैदल चलना लिए बेहोशी, लेटने, खड़े होने और बैठने में ब्लड रात में 100 ग्राम पानी में किसी भी कांच के बर्तन या फिर व्यायाम करना उनके लिए बेहद प्रेशर के स्तर में बदलाव होना, ये सभी निम्न में रख दें। सुबह चना को किशमिश के साथ लाभदायक सिद्ध होता है। रक्तचाप के लक्षण हैं। अच्छी तरह से चबाकर खाएं और पानी को पी  टमाटर के रस में थोड़ी-सी काली मिर्च और दालचीनी के पाउडर को प्रतिदिन गर्म पानी के लें। केवल किशमिश का प्रयोग भी कर सकते हैं। नमक डालकर पिएं। इससे कुछ ही समय में निम्न साथ लेने से भी आपको इस समस्या में लाभ गाजर के 200 ग्राम रस में पालक का 50 रस रक्तचाप में लाभ होगा। मिल सकता है, इसके लिए सुबह-शाम यह प्रयोग भी आपके लिए फायदेमंद हो सकती है। इसके लो ब्लडप्रेशर को सामान्य बनाए रखने में करें। लिए लगभग 200 ग्राम गाजर के रस में एक चुकंदर का रस काफी फायदेमंद साबित होता है। लो-ब्लडप्रेशर के चौथाई पालक का रस मिलकाकर पिएं। यह प्रतिदिन सुबह-शाम इसका सेवन करने से एक कारण अगर चक्कर आपके लिए बेहद लाभदायक सिद्ध होगा। सप्ताह में ब्लडप्रेशर में सुधार होता है। आने की शिकायत छाछ में नमक, भुना हुआ जीरा और हींग * इन सभी उपायों के अलावा अदरक के हा, आवल के रस में मिलाकर इसका सेवन करते रहने से भी ॥ छोटे-छोटे टुकड़े उनमें नींबू का रस और सेंधा को शहद मिलाकर खान ब्लडप्रेशर नियंत्रित रहता है। से बहुत जल्दी राहत नमक मिलाकर रख दें। अब इसे प्रतिदिन भोजन * खजूर को दूध में उबालकर पीने से भी निम्न से पहले थोडी-थोडी मात्रा में खाते रहें। दिनभर मिलती है। इसके रक्तचात की समस्या में लाभ होता है। आप खजूर में 3 से 4 बार भी इसका सेवन आप कर सकते अलावा आंवले का मुरब्बा भी ब्लडप्रेशर के रोगियों के लिए एक बेहतर विकल्प है। खाकर भी दूध पी सकते हैं। हैं। ऐसा करने से रक्तचाप की समस्या कुछ ही * लो ब्लडप्रेशर के मरीजों को पोषक तत्वों से दिनों में समाप्त हो जाएगी।