वैज्ञानिकों का तो कैंसर के अतिरिक्त मोटापे के कारण होने विचार है कि लगभग अस्सी प्रतिशत कैंसर के वाले रोग जैसे उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह रोग वातावरण में उपस्थित कारणों से होता है एवं आदि की संभावना भी कम हो जायेगी। लगभग पचास प्रतिशत कैंसर का रोग खानपान डायट्टीरी फाइबर : बहुत से अध्ययनों से ज्ञात की गलत आदतों के परिणाम हैं। यदि खाने में हआ है कि यदि किसी व्यक्ति के भोजन में कैंसर के नाम से हर व्यक्ति को एक भयानक पर्याप्त सावधानी बरतें तो बहुत हद तक कैंसर से 'टायगीरी फाटवा' की पाय - बीमारी का अहसास होता है। कैंसर शब्द का बचे रह सकते हैंखानपान एव कसर के सम्बन्ध बड़ी आंत का कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती अर्थ है केकडा, कैंसर का रोग भी केकडे की में आवश्यक जानकारी इस प्रकार है : है। शायद इसी कारण विदेशों में जहां पर तरह ही शरीर में रेंग कर बढता है। यह रोग शरीर भोजन में वसा की मात्रा : यह पाया गया है कि मांसाहारियों की संख्या अधिक है. में बड़ी आंत के किसी भी अंग को ग्रसित कर सकता है तथा जो व्यक्ति भोजन में वसा का अधिक प्रयोग के कैंसर के रोगियों की संख्या हमारे देश से किसी भी आय में हो सकता है। पर अधेडावस्था करते हैं उनको स्तन, योनि, बड़ी आंत, प्रोस्टेट बहुत ज्यादा है। डायट्टीरी फाइबर के प्रयोग से के बाद इस रोग की संभावना उम्र के साथ बढती के कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती हैं। जबकि हृदय रोगों से भी बचाव होता है। यह फाइबर, जाती है। हमारे देश में कैंसर के रोगियों की ओमेगा-3- फैटी एसिड शरीर का कैंसर से दालों चोकर युक्त आटे, सब्जियों तथा फलों में संख्या में हर वर्ष वृद्धि हो रही है। ऐसा अनुमान बचाव करता है। वैसे असंयोजित वसा (पूफा) पर्याप्त मात्रा में होते हैं। है कि प्रत्येक वर्ष 5 लाख नये कैंसर के मरीजों लेने से शरीर का हृदय रोगों से बचाव होता है पर विटामिन '' . यदि भोजन में विटामिन 'ए' का पता लगता है। खाने में सिर्फ 'पूफा' वसा लेने से भी कैंसर होने की मात्रा कम है तो फेफडों एवं अन्य अंगों के परुषों में मंह. फेफड़ों ग्रासनली. आमाशय का भय बढ़ जाता है। कैंसर से बचने के लिए बैंगा टोने का भय बढ़ जाता है। कैंसर से बचने के लिए कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है तथा प्रोस्टेट ग्रन्थि, बड़ी आंत और लिवर का कैंसर भोजन में वसा एवं वसायुक्त खाद्य पदार्थों का विटामिन 'ए' के प्रयोग से अनेक अंगों के कैंसर तथा महिलाओं में योनिद्वार, स्तन, मुंह, बड़ी सवन नियान्त्रत कर द जिसका - बड़ी सेवन नियन्त्रित कर दें जिसके लिए भोजन में से बचाव होता है। यह विटामिन पीले फलों. आंत. आमाशय, फेफडों, अंडाशय, गर्भाशय में घी, तेल कम मात्रा में प्रयोग करें। स्क्रीम्ड दूध सब्जियों, दध तथा मछलियों में पर्याप्त मात्रा में कैंसर अधिक होता है। कैंसर की बीमारी में एवं उससे ही बने दुग्ध पदार्थों का सेवन करें। होता है। पना व्यवहार बदल देती हैं और मासाहारा रड माट का सेवन कम कर, मास का विटामिन 'सी' : यदि शरीर में इस विटामिन जल्दी-जल्दी विभाजित होने लगती हैं जो ट्यमर कम वसा में पकायें एवं पकाने के पहले उसकी की - का रूप लेकर अन्य अंगों में फैल सकती हैं। चर्बी निकाल दें। तलने वाले घी या तेल को तल का संभावना बढ़ जाती है। विटामिन 'सी' कैंसर वैज्ञानिकों की धारणा है कि कोशिकाओं का ज्यादा देर तक या अत्यधिक गर्म न करें तथा एक कर तथा एक कारक पदार्थ नाइट्रोसामाइन को आमाशय में व्यवहार दो चरणों में बदलता है जिसके अन्त में बार गर्म घी, तेल को बार-बार गर्म कर प्रयोग में कर कैंसर का रोग हो जाता है। पहले चरण में किन्हीं न लाएं क्योंकि इससे ऑक्सीजन के फ्री रेडिकल अ क्साजन क फ्रा राडकल अमरूद, आंवला, संतरा, मौसमी तथा सब्जियों कारणों से कोशिकाओं के गुण सूत्रों में परिवर्तन बन जाते हैं जो कि कैंसर कर सकते हैं। में प्रचुर मात्रा में होता है। होता है। जिनको 'आनकोजीन' कहते हैं। यह कैलोरी : वैज्ञानिकों ने पाया है कि शाकाहारियों का 'आनकाजान' कहत ह। यह कलारा : वज्ञानिका न पाया ह कि शाकाहारिया विटामिन 'ई' एवं सिलेनियम : सिलेनियम - परिवर्तित गुण सूत्र सुप्तावस्था में ही रह सकते में मांसाहारियों की अपेक्षा कैंसर होने की एक सक्ष्म पोषक तत्व है। शरीर में इसकी कमी हैं, यदि दूसरे चरण में यह उत्तेजित न किये संभावना कम होती है। साथ ही खाने में कैलोरी से अनेक प्रकार के कैंसर एवं रोग हो सकते हैं। जायेंउत्तेजित होने पर कोशिकायें जल्दी-जल्दी की मात्रा कम करने से स्तन, पित्ताशय, यह एक ऑक्सीडेन्ट विरोधी तत्व है, जो कि विभाजित होने लगती हैं और कैंसर का रोग अंडाशय. गर्भाशय एवं प्रोस्टेट ग्रन्थि इत्यादि के शरीर को कैंसर के अतिरिक्त अनेकानेक उत्पन्न कर देती हैं। कैंसर होने की संभावना कम हो जाती है। यदि बीमारियों जैसे हृदय रोग, पक्षाघात, मधुमेह, परिवर्तित 'आनकोजीन' का उत्तेजन और भोजन में कैलोरी की मात्रा नियन्त्रित कर दी जाये उच्च रक्तचाप, जोड़ों की बीमारियों, बुढ़ापा इत्यादि से रक्षा करता है। सिलेनियम एवं सावधानियां : 1. खाने में फाइबर की मात्रा 5. भोजन में विटामिन 'सी' को पर्याप्त मात्रा में विटामिन 'ई' एक दूसरे के पूरक हैं। सिलेनियम बढ़ा दें। इसके लिए ताजी सब्जियां, फलों एवं लें। यह फलों, मुख्य रूप से अमरूद, आंवले, हरी सब्जियों, फलों एवं अन्न में प्रचुर मात्रा में चोकर वाले आटे एवं दालों का प्रचुर मात्रा में संतरा इत्यादि तथा हरी पत्ते वाली सब्जियों में होता है। सेवन करें। प्रचुर मात्रा में होता है। खाद्य पदार्थों का प्रदूषण : मूंगफली, मक्का, 2. विटामिन 'ए' तथा कैरोटिन चावल, ज्वार, गेहूं इत्यादि खाद्य पदार्थों में पाया का सेवन खाद्य पदार्थ के रूप में जाने वाला एक फफंद अफ्लाटाक्सीन उत्पन्न अधिक करें। यह फलों, मुख्यतः करता है, जो कि यकृत को नुकसान पहुंचा पीले फलों जैसे आम, पपीता, सकता है एवं उसमें कैंसर उत्पन्न कर सकता है। गाजर एवं अन्य सब्जियों तथा इसके अतिरिक्त भी भोज्य पदार्थ को प्रदषित मछलियों में पर्याप्त मात्रा में पाया करने वाले पदार्थ शरीर के लिए हानिकारक हो सकते हैं। सडे गले, प्रदूषित भोजन को ग्रहण 3. भार 3. भोजन में क्रुसी फेरस फैमिली न करें। की सब्जियों जैसे बन्द गोभी, फूल गोभी, मूली, शलजम शराब : अत्यधिक शराब पीने से मुख्यतः त: इत्यादि की मात्रा बढ़ा दें। साथ ही लिवर एवं ग्रास नली के कैंसर होने की संभावना हो भावना दोनों समय अन्य सब्जियां खाने में नियमित रूप 6. विटामिन 'ई' एवं सिलेनियम को जो बढ़ जाती हैअनुमान है कि विश्व भर में होने से लें। ऑक्सीडेन्ट विरोधी तत्व हैं, का अधिक मात्रा में वाले कैंसर के रोगियों में लगभग 3 से 4 प्रतिशत , 14. कैंसर होने की संभावना कम करने के लिए प्रयोग करें। रोगियों में कसर का कारण शराब ह। अत्यधिक घी, तेल, मांस, अचार का सेवन खाने को बहुत अधिक तापमान में न पकायें। कैंसर से बचने के लिए भोजन में न करें।
कैंसर से बचाव खान-पान में सावधानी