प्राकृतिक उपचार से संभव है

प्राकृतिक उपचार से संभव है नीम के पानी से योनि की सफाई करने से जीवाणु व कवक नष्ट हो जाते हैं। इस प्रभावित क्षेत्र को हरे रंग की प्रकाश में या सूर्य की रोशनी में हरे रंग के सीसे के पीछे 25 से 30 मिनट तक रखना चाहिए। इससे संक्रमण में कमी आ जाती है। मूत्राशय, ग्रीवा या योनि से निकलने वाले त्याज्य से होने वाली खाज के कारण जलन होती है। इसे उदर के निचले भाग में नियमित मिट्टी का 'पैक' दिन में दो या तीन बार लगाने से कम किया जा सकता विश्व की लगभग दस प्रतिशत स्त्रियां योनिद्वार एलर्जी नायलान या चुस्त कपडे पहनने के कारण है। गरम या ठंडे पानी से नितंब स्नान करने से में होने वाली खाज से पीड़ित हैं। वास्तव में यह भी हो सकती है। कभी-कभी यह स्थिति पीलिया, निश्चित ही जलन कम होती है। कोई रोग नहीं है अपित् लक्षण है। प्रारंभिक यूरेमिया तथा अन्य विषाक्त स्थिति के कारण भी मधमेह (डायबिटीज ये लिटस), स्थिति में इस खाज से खुजला कर राहत पाई जा होती है। बहुत सी मानसिक समस्याएं यौन क्रिया ग्लाइकोसरिया, यूरेमिया, पीलिया तथा अन्य सकती है किंत बाद में इसके कारण योनिद्वार में कलापों को प्रभावित करती हैं और परिणामतः विषाक्त परिस्थितियों तथा विशिष्ट आहार के जलन की शिकायत होती है। यह जलन इस हद मनस्ताप की स्थिति पैदा होती है। योनिद्वार का क्षेत्र कारण होने वाली खाज के उपचार के लिए पहले तक बढ़ जाती है कि ग्रस्त स्त्री चौबीसों घंटे घर मनस्ताप नाडी के थकान तथा खुरदुरे थक्के बनने इन शिकायतों को दूर करने का प्रयत्न करना में ही रहना चाहती हैं। वह बाहर नहीं निकलती का स्थान भी हो सकता है। यौन खिन्नता तथा चाहिए। एक बार जब ये समस्याएं दूर हो जाती हैं हैं। रात्रि में यह समस्या उसे अधिक बेचैन करती अपराध बोध के कारण भी योनिद्वार में खाज हो तो खाज को दर किया जा सकता है। त्वचा रोग है। सोते समय वह खाज महसूस होने पर खुजला सकती है। जैसे छाल रोग, खुजली, कवक संक्रमण का सकता है जिस कारण सुबह उठन पर वहा खून पर बार बार खाज उत्पन्न होने के कळ न उपचार विभिन्न प्राकृतिक ढग स करना चाहिए। के धब्बे जमे दिखलायी देते हैं। कछ अंदरूनी कारण होते हैं. किंत जल्दी ही इन रोगियों को वाष्प स्नान, मिट्टी लेप का स्नान. कारण :- योनिद्वार में होने वाली खाज के मुख्य खजलाना शरू कर देने से वहां की त्वचा पर पानी में डूब कर स्नान, धूप स्नान, रीढ़ स्नान तथा स निकलने वाले कप्रभाव पड़ता है। इसके कारण ही दसरे परिवर्तन क्रोमेटोथेरेपी करनी चाहिए। योनिद्वार में होने वाली त्याज्य पदार्थ में संक्रमण हैं। इस त्याज्य पदार्थ की होते हैं जो पाथमिक कारणों को अस्पष्ट कर सकते खाज को दूर करने में आहार महत्वपूर्ण भूमिका नद्वार क्षेत्र में घर्षण होता है। जिससे हैं। इसके अतिरिक्त त्वचा कळ स्थानीय दस्तेमाल निभाती है। इन लक्षण से प्रभावित स्त्रियों को कुछ वहां घाव-सा बन जाता है और सूजन आ जाती होने वाली दवाइयों के प्रति संवेदनशील हो सकती दिन होने वाली दवाइयों के प्रति संवेदनशील हो सकती दिन फलों तथा सब्जियों के रस का सेवन करते हुए। लगभग 80 % है। खाज की स्थिति ज्यादा दिन तक चलने पर उपवास रखना चाहिए। इसमें वह फल एवं स्त्रियों में इसी कारण योनिद्वार में खाज होती है। अगर एक से अधिक कारक उपस्थित हैं, तो सा अगर से अधिक कारक उपस्थित है तो सब्जियों का रस आधी-आधी मात्राओं में ले लेकिन 15 से 20% स्त्रियां ऐसी भी हैं, जिनमें पारंभिक कारण की जांच कनि दोसती तथा सकती हैं। पेट को स्वच्छ रखने के लिए उपवास योनि संक्रमण नहीं होता, बल्कि अन्य कारणों से लंबी अवधि तक चलने वाले जलन के कारण का के दिनों में प्रतिदिन गरम पानी का एनिमा लगाना यह रोग होता है। भी जांच द्वारा पता लगाना कठिन हो जाता है। चाहिए। उपवास रखन स कवल प्रभावित अग का कुछ दशाओं में योनिद्वार में होने वाली खाज सफल उपचार दो मुख्य सिद्धांतों पर आधारित है। हो नों ए आधारित हैही विषाक्तता दूर नहीं होती, अपितु संपूर्ण शरीर त्वचा रोग के कारण हो सकती है, जिसका प्रथम सिद्धांत के अंतर्गत अंदरूनी कारणों को दूर व की विषाक्तता दूर हो जाती है। इससे जलन दूर हो योनिद्वार से संबंध नहीं होता है। ये त्वचा रोग करना है तथा द्वितीय कारण के अनुसार खुजलाने जाती है। रस उपवास की अवधि समाप्त हो हैं-छाल रोग (सोरायसिस), सेबोरिक डर्मिटिटिस या अन्य मलहम वगैरह से होने वाली त्वचा क्षति जान क, र जाने के पश्चात् मौसमी फल, सलाद, अंकुरित और खुजली आदि। पशु, प्राणी तथा वनस्पति को रोकना है। अन्न, सब्जियों के सूप या छाछ लेनी चाहिए। पके खाने का उपयोग कुछ दिनों के बाद शुरू परजीवियों के संक्रमण के कारण भी खाज होती कवक (फंगस) या परजीवी द्वारा फैले करना चाहिए। रोगिणी को सभी प्रकार है। लेकिन ये योनिद्वार के बजाय जघनों में खाज संक्रमण से हुए योनिद्वार में खाज को दूर करने का का संरक्षित आहार (प्रोसेस्ड फूड), रिफाइंड उत्पन्न करती हैं। मूत्र नली की स्थितियों में जैसे सर्वोत्तम उपचार उस अंग की भली प्रकार सफाई और अस्वाभाविक तथा श्वेत शर्करा, मैदा मूत्र और पायूरिया (योनिद्वार से निकलने वाला करना है। चाहे एनिमा की मदद लें अथवा प्राकृतिक . एवं चाय, अंडा, मांस, मसाला तथा तैलीय वस्तुएं त्याज्य पदार्थ) का असंयत होना तथा अत्यधिक आहार की, पेट को हमेशा साफ रखना चाहिए। नहीं खानी चाहिए। शराब के सेवन तथा धूम्रपान अम्लीय मूत्र कभी-कभी खारेपन के कारण भी इसके लिए आवश्यक है कि रोगिणी सदैव स्वच्छ पर तो पूर्णरूपेण रोक लगा देनी चाहिए। प्राकृतिक योनिद्वार में खाज की स्थिति उत्पन्न करती कपड़े पहने। मूत्र करने के बाद योनि को सामान्य उपचार करने पर लंबी अवधि तक योनिद्वार में है। योनिद्वार में खाज की स्थिति त्वचा के ठंडे पानी से भली प्रकार धोयें। अगर खाज की ग होने वाली खुजली से बचा जा सकता है। फिनॉल और क्रॉसोल युक्त एंटीसेप्टिक, स्थिति ज्यादा गंभीर है तो स्त्री को चाहिए कि वह ९ इससे लंबी अवधि तक स्वास्थ्य ठीक रहता है। दुर्गधनाशक पदार्थों और साबुन के प्रति अत्यधिक नीम की पत्तियों के साथ उबले पानी से योनि को संवेदनशील होने से भी होती है।