नमक का उपयोग सही अनुपात में किया जाए तो हम कई बीमारियों से बच सकते हैं। मसूड़ों में सूजन आने पर गर्म पानी में नमक डालकर कुल्ला करने से सूजन कम होती है। हल्दी, नमक, सरसों के तेल में पेस्ट बना कर ऊंगली से मालिश करने से भी लाभ होता है। चोट या हड्डी टूटने पर जो सूजन आती है उसकी नमक डालकर सिकाई करने से सूजन कम हो जाती है। मिर्च यह आधुनिक जीवन में लाइफस्टाइल परी तरह से बीज. सोयाबीन डालें। यह ब्लडप्रेशर में लाभकारी कटु, उष्ण होने के कारण कफ-वात शामक तथा बदल गया है। व्यस्तता भरी जिन्दगी में सही सिद्ध होता है। पित्तवर्धक होता है। इसका अरुचि, अग्निमांघ एवं संतुलित भोजन सही समय पर नहीं लेते हैं। जंक 4 मोटापा में जौ का आटा, बाजरा का आटा, अन अनाह में उपयोग होता है। यह रक्त में लाल कणों फड का सेवन ज्यादा रहता है और अधिक समय मक्का का आटा मिलाकर खायें व गेहं का अनपात क अपात को बनाने में सहायक होती है। सफेद मिर्च बैठ कर गजरता है। व्यायाम व शारीरिक श्रम कम कम करें। (दक्षिणी मिर्च) को घी के साथ प्रयोग से नेत्र होने के कारण कई बीमारियां उत्पन्न होने का डर मधुमेह में चने का आटा अति उत्तम रहता है। ६ दृष्टि में लाभकारी होता है। हृदयोबल्य में हितकारी रहता है। अगर हम नियमित रूप से व्यायाम व 1 मधुमेह के रोगियों को खाने में मैथी दाना अवश्य आहार का सेवन करें तो बीमारियों से बचा जा , होता है। डालें। गेंहू का उपयोग कम करना चाहिए। इनके धनिया : यह पाचक, दाहनाशक, नेत्ररोग, सकता है। कुछ भोजन में बदलाव करके और । ज्वर, अतिसार, तृष्णा (प्यास) को दूर करता है। जीवनशैली में बदलाव करके हम स्वस्थ उपयाग स ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है। जीवनयापन कर सकते हैं। कछ सामान हमारे पास हमारे रसोई घर में उपस्थित वस्तओं में धानया रुचकर व अग्नि प्रदीपक का कार्य भी रसोई में ही होता है जिसका उपयोग कर स्वस्थ रह औषधियों के गुण भी पाए जाते हैं। उन गुणों के करता ह सकते हैं। भोजन में हम सभी रोटी, दाल, चावल, बारे में थोड़ी जानकारी हो, तभी हम सभी 14. हल्दी : यह कई रोगों में उपयोग किया जाता सलाद का सेवन करते हैं। इन्हीं सब का अपने रोगानुसार उपयोग कर बीमारियों से बच सकते है। हल्दी में बहुत ज्यादा गुण होता है। यह रक्त स्वादानुसार बदल कर संतलित खाना चाहिए। है। जैसे - दोषों को दूर करता है तथा त्वचा से संबंधित रोगों सर्वप्रथम हम आटा के बारे में बताते हैं। लम्बे 6. जीरा अफरा, पेट दर्द, हिचकी, वमन, अर्श में उपयोगा सिद्ध हाता हैहमारा पाचन शक्ति को समय तक एक हा प्रकार का आटा खाने से भी मन पाचन. भख न लगना इत्यादि रोगों में जीरा पारटर भा बढ़ाता हा हल्दा हमार शरार क सभा अगा पर उब जाता है इसलिए उसमें (आटा) कुछ फेरबदल या भूना हुआ जीरा का उपयोग करते है। गले की काय करता हैकई बामारया का दूर करता ह जरूरा हाता है जिससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता आवाज बैठने पर इसके गरारे भी करते हैं। जस- नत्रा का जलन, लालिमा, पानी आना आदि बढ़ती है। 7. हींग श्रेष्ठ गुण होते हैं। यह पाचन, गैस - रोगों में हल्दी के पानी में कपडा भिगोकर रखने से गर्भावस्था : गर्भावस्था में गेहूं के साथ सोयाबीन (अफरा) कृमि (कीड़े) नाशक, सूजन कम जलन शांत होती है। नेत्र पर हल्दी लेप करने से का प्रयोग करना चाहिएआटे में हरी पत्तेदार करती (शोधहर), दमा, श्वास नलिका शोध में, : जलन शांत होती है। सब्जा का प्रयोग मौसम अनसार अवश्य करें जैसे- भख लगने (दीपन) आदि गण यक्त होती है। 15. दन्त राग : दात म दद हान या मसडा म पालक,मेथी, बथुआ आदि का प्रयोग करने से विशेषतः पेट फलने पर इसका उपयोग अति उत्तम सूजन आने पर सरसों के तेल में पीसी हुई हल्दी व गभस्थ शिश का पोषण ठीक रहता है और माता सिद्ध होता है। छोटे बच्चों में हींग का लेप नाभि के चुटकी भर नमक मिलकर मजन कर तुरत आराम का स्वास्थ्य ठीक रहेगा और स्फूर्तिदायक रहता है। चारों तरफ करने से पेट की गैस में आराम आता है होता है। 1. बच्चों के लिए गेहूं में चना, सोयाबीन, मकई, और पेट दर्द तुरंत ठीक हो जाता है। 16. सौंफ : इसके उपयोग से पेट का अफरा, बाजरा अवश्य डालें। एक स्वाद की रोटी लगातार 8. अजवायन यह पेट (उदर) रोग में अत्यंत उल्टी, गले की खराश, खाने में रुचि पैदा करना खान से बच्चे जल्दी उब जाते हैं इसलिए बच्चे के लाभकारी होता है। इसके उपयोग उदर स्थित वाय सौंफ के गुण हैं। सौंफ का चूर्ण सेवन करने से स्वाद अनुसार आटे में बथुआ, गाजर, मूली भी (गैस) शांत, अपचन शांत करती है। कब्ज को खूनी पेचिश व मुगत रोग शांत होते हैं। इसके आंक मिला सकते हैं। आटे में हींग, जीरा, अजवायन दूर करती है। अजवायन की फंकी मारने से पेट सेवन से जलन (पेट की) तुरंत शांत होती है। अवश्य स्वादानुसार डालें जिससे बच्चों का पाचन दर्द तुरंत ठीक हो जाता है। अजवायन को पानी में सौंफ मुगत दुर्गध को दूर करती है। नाक से खून ठीक प्रकार से होगा और गैस और अपचन की उबालकर गरारे करने से गला दर्द, दंत रोग शांत आने पर सौंफ के साथ सूखा धनिया, कुछ दाने शिकायत नहीं होगी। बढ़ते हुए बच्चों में शरीर व होते हैं। अजवायन के पत्तों का उपयोग सब्जी के दक्षिणी मिर्च के साथ सेवन करें। क्वाथ के रूप में मस्तिष्क का विकास ठीक प्रकार से होगा और रोग रूप में भी किया जा सकता है। बड़ा आराम मिलता है। क्वाथ बनाने की प्रक्रिया में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। 9. मैथी के सेवन से पाचन शक्ति बढ़ती है। यह किसी कुशल चिकित्सक से जानकारी अवश्य लें। 2. रजोनिवृत्ति अवस्था में हार्मोन्स में बदलाव बलकारी, शोधहर, आमवात नाशक, अपचन और साफ चूण का मिश्रा क साथ सवन करन स धिक होता है जिससे कई बीमारियों को जन्म भख को बढाती है। मैथी सगंधित होने के कारण हिचका शात हाता हा मिल सकता है। इनसे बचने के लिए हम सभी को रुचिकर होती है। यह भोजन के स्वाद को भी रसोई घर में उपस्थित सभी मसाले गुणकारी कछ अपने भोजन व जीवनशैली में बदलाव लाना बढ़ाती है। मैथी दाना का लेप बनाकर लगाने से होते हैं। उनके गुणों का सही ज्ञान उचित समय पर चाहिए। इस अवस्था में शुगर, हाई ब्लडप्रेशर, हाई सूजन कम होती व दर्द शांत होता है। करने से उचित लाभ होता है। सभी मसालों में कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों की शिकायत होने 10. लौंग के उपयोग से पेट संबंधित रोग शांत औषधीय गुण पाए जाते हैं जिनके प्रयोग से हम लगती है। इसलिए ऐसी अवस्था में आटा में होता है। इसके उपयोग से लाल नाव व आमाशय सभी रोग मुक्त रह सकते हैं। इन्हीं गुणों की सोयाबीन, अलसी, मैथी दाना, जौ, जई का मिश्रण (पेट) का स्राव बढ़ता है जिससे भोजन का ठीक जानकारी देने की तुच्छ कोशिश की गयी है करवा सकते हैं। इससे कोलेस्ट्रॉल कण्ट्रोल रह प्रकार से न पचना व अधिक गैस का बनना इत्यादि और अधिक जानकारी के लिए कशल सकता है। रोग शांत होते हैं। लौंग के तेल से दांत का दर्द तुरंत चिकित्सक-वैद्य से सम्पर्क कर ज्ञान ले सकते है। 3. उच्चरक्तचाप में गेहूं के साथ अलसी के शांत हो जाता है।
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