आहार-विहार प्राकृतिक यौगिक उपचार


शीत ऋतु में शरीर को निरोग और सबल बनाए रखने के लिए आहार विहार सम्बन्धी नियमों का पालन अति आवश्यक है। यदि इस ऋतु में अपने खान-पान पर पूरा ध्यान दिया जाये। प्राकृतिक सिरदर्दचिकित्सा के अरोग्यदायी नियमों को अपनया स किया जाए ता न शरीर ऋतजन्य रोग विकारों के प्रकोप से सुरक्षित रहता है। त्वचा नवम्बर से फरवरी महीने तक की अवधि को विकार असामान्यतया शीत ऋतु माना जाता है इसलिए शांत ऋत में अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस ऋतु में जरा सी लापरवाही से ही कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं और यदि कोई रोग पहले से हो तो उससे सम्बधि तकलीफ बढ़ जाती है। लेकिन यदि शीत ऋतु के प्रारम्भ से पूरी सावधानी बरती जाए न तो अधिक सर्दी लगेगी न किसी तरह की परेशानी बढ़ेगी और न ही कोई ऋतुजन्य रोग विकार ही कष्ट का कारण बन पाएगा। शीत ऋतु में अपनी आय और शारीरिक शाराारक अवस्था को ध्यान में रखकर सभी को उचित मात्रा में संतुलित व पौष्टिक आहार ग्रहण करना ताजे हैगीला चाहिए, प्रतिदिन नियमित रूप से योगासन का अभ्यास करना चाहिए तथा आवश्यकतानुसार प्राकृतिक उपचार का लाभ प्राप्त करना चाहिए। नियमित ऐसा करने से शीत ऋत के रोग विकारों से बचाव होता है। इसका प्रकोप दर होता है तथा शक्ति स्फूर्ति में बढोतरी होकर शरीर स्वस्थ सबल बना रहता है। यौगिक उपचार बनाए शीत ऋतु में वातावरण का तापमान घटने से का और ठंडी हवा के प्रकोप के कारण खांसी अपने अस्थमा श्वास संबंधी रोग बुखार निमोनिया, प्राकृतिक सिरदर्द. माईग्रेन छींक आना, नाक बंद होना अपनया जकान जोडो का दर्द, गठिया, लकवा, ब्लड न प्रेशर बढ़ना, ब्लड शुगर बढ़ना, बार-बार मत्र सुरक्षित आना, युरिक एसिड बढ़ना, त्वचा का सूखापन, त्वचा का फटना, होंठों का फटना आदि रोग को विकार प्रायः लोगों को त्रस्त करते हैं। इसलिए प्राकतिक चिकित्सा :- शीत ऋत में निरोग ध्यान रहने के लिए तथा इस ऋत के रोग विकारों से ' से मक्ति पाने के लिए आवश्यकतानुसार प्राकृति रोग उपचार को अपना बढ़ 1. कब्ज न होने दे और कब्ज हो तो इसे दूर करने पूरी न का उपाय कर2. पट पर ठडा पट्टा का प्रयाग करने के बाद एनिमा लें। 3. पेट की गरम ठंडी कोई सेक के बाद एनिमा लें। 4. गरम पाद स्नान, बन कीट स्नान, गरम ठंडा कीट स्नान लें। 5. पूरे शारीरिक शरीर का भाप स्नान ल। 6. पूर शरार पर मिट्टा शाराारक का लेप करें। 7. पूरे शरीर को तेल से मालिश हो उचित करें। सबद में मिस टककर 20 मिनट तक करना धूप में रहें। धूप स्नान लें। कर8. सुबह म सिर ढ़ककर 30 मिनट तक क्या करें :- 1. सुबह में सूर्योदय से पहले जग जाएं। 2. सुबह उठते-उठते ही 2-3 गिलास पानी पिएं इसके बाद थोडी देर टहलें फिर शौच जाएं। 3. प्रतिदिन मंह में पानी भरकर आंखों पर ताजे पानी से छींटे मारें। ऐसा करने से आंखे स्वस्थ रहती है और आंखों की रोशनी भी बढ़ती है। 4. हमेशा स्नान करते समय रोयेंदार तौलिया गीला करके पूरे शरीर को खूब रगड़ें फिर ताजे पानी से स्नान करें। 5. यदि पानी अधिक ठंडा हो तो उसे अपने शरीर के तापमान के बराबर का गरम कर लें फिर स्नान करें। 6. प्रतिदिन लिए आवश्यकतानुसार नियमित रूप से 1 घंटा सैर करें। 7. प्रतिदिन बचाव योगाभ्यास, आसन, प्राणायाम और ध्यान करें। शक्ति 8. जोगिंग एक्सरसाइज आदि करें। 9. प्रतिदिन बना 10 से 12 गिलास पानी आवश्य पियें कम पानी से शरीर के विकार बाहर नहीं निकल पाते हैं। 10. प्यास लगने पर पानी ही पिएं, चाय कॉफी कोल्ड डिंक्स सॉफ्ट ड्रिंक्स आदि ना लें। 11. भोजन करते समय पानी न पिएं भोजन करने के एक घण्टा बाद पानी पिएं इसके अलावा पानी पीते रहें। 12. खुलकर भूख लगने पर ही भोजन करें और पेट को थोड़ा खाली रहने दें, इससे माना जाताना में भोजन न करें थोडी-थोडी मात्रा में अच्छी तरह चबा चबाकर भोजन करें। 14. भोजन करने के बाद 5 से 10 मिनट तक वज्रासन में बैठे इससे पाचन क्रिया ठीक रहती है। 15. हल्का व सुपाच भोजन लें। 16. भोजन करने के तीन चार घंटे बाद तक पानी के अलावा और कुछ न लें। 17. रात में सोने से 2 घन्टे पहले भोजन कर लें। 18. सप्ताह में एक दिन पेट को आराम दें उपवास करें उपवास में नींबू पानी शहद नींबू पानी गड फलों का रस सब्जियों का जुस आदि लें। 19. दिन में एक दो बार नीब पानी पिएं नीब पानी में और कछ न मिलाएं। 20. रात में सोते समय खिड़की खुली रखे जिससे स्वच्छ हवा अन्टा आ और टषित दवा बाहर जा सके। 21. मुंह ढक्कर न सोंए क्योकि इस कार्बनडाईऑक्साईड ही सांस के द्वारा अन्दर जाती रहती है। जिससे रक्त दूषित होता है। कई बीमारीयों को उत्पन्न करता है। 22. सोते समय उनी कपडा गरम कपडा टाईट कपडा पहनकर न सोए। 23. रात में ठंड से बचाव के लिए कंबल रजाई आदि को उपयोग में लाए। क्या न करें :- 1. ज्यादा गरम पानी से न नहाएं क्योकि इससे शरीर को नुकसान पहुचता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है और कई बीमारीयां उत्पन होती है। 2. कमरे का तापमान बढ़ाने के लिए कमरा गरम करने के लिए हीटर आदि का इस्तेमाल न करें इससे त्वचा और फेफड़े पर बुरा प्रभाव पड़ता है। 3. तेज धूप में ज्यादा देर तक न रहें क्योंकि तेज धूप से त्वचा में रूखापन आता है और कई तरह की तकलीफ परेशान करती है। 4. दिन मे न सोएं और रात में देर तक न जगें। 5. मल मूत्र के वेग को न रोकें। 6. अपना वजन बढ़ने न दें यदि वजन ज्यादा हो तो खान-पान मे संयम, व्यायाम आदि से वजन कम करें। 7. ज्यादा देर तक बिना पानी पीए न रहें। 1.- 1 मौसमी फल, सलाद. हरी सब्जियां, अंकरित अनाज आदि प्रचूर मात्रा में खाएं। 2. फलों मे अनार. संतरा, अमरूद. आंवला आदि लें3. गाजर, मूली, टमाटर, चुकंदर, शलजम, खीरा आदि का सलाद लें। 4. हरी सब्जियों मे पत्तागोभी, सेम गाजर मूली, बथुआ, हरी मैथी आदि। 5. चना मंग, मोठ मैथी आदि को अंकुरित करके खाएं। 6. तिल, अलसीमूंगफली, नारियल, गुड़ आदि का सेवन करेंइनके सेवन से शक्ति बढ़ती है और ठण्ड कम लगता है और स्वास्थ्य के लिए बहद फायदमन्द है। 7. ड्राई फूट खाएं जिसमे बादाम, काजूअखरोट, पिस्ता, किशमिश, मुनक्का, छुहाराखजूर पोषक तत्वों के उत्तम स्त्रोत हैं। इसमें मिनरल्स विटमिन्स और एंटीऑक्सीडट तत्व प्रचूर मात्रा में प्राप्त होते हैं। शीत ऋतु में इनका सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है8. हर्बल चाय पीएं, दालचीनी अदरक और तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर, गुड़ मिलाकर पीने से सर्दी से बचाव होता है9. एनर्जी ड्रिंक के रूप मे गुनगुने पानी मे गड मिलाकर नींबू का रस डाल लें। 10. नेचुरल फलेवर्ड वाटर पीएं, तुलसी की पत्तियों, अदरक दाल चीनी, मुलेठी, काली मिर्च अजवाइन मेथीदाना आदि में से कोई एक लेकर 2 लीटर पानी मे थोडी देर उबालकर रख लें। इसे थोडी-थोडी मात्रा में पिएं, यह पानी पीने से सदी से होने वाली तकलीफों से बचाव होता है। आहार चिकित्सा (क्या न खाएं-पीएं) :1. चाय, कॉफी, कोल्ड ड्रिक्स, सॉफ्ट ड्रिक्सव होता है सोडा, शराब आदि न लें। 2. चीनी मिठाईयां, कसरत चॉकलेट, केक पैस्ट्री, आईसक्रीम आदि न लें। 3. घी तेल में तले हुए भारी गहिष्ठ मसालेदार मिलती चटपटे पदार्थ न खाएं। 4. मैदा से बने पदार्थ बिस्कुट, ब्रेड, नूडल्स, पिज्जा, बर्गर आदि न लें। 5. नॉनवेज न खाएं। 6. सिगरेट, तम्बाक. गुटखा आदि से दूर रहें। 7. अधिक गरम अधिक ठंडे और फ्रीज में रखे पेय पदार्थ तथा बासी भोजन न करें। 8. नमक का प्रयोग कम से कम करें। यौगिक चिकित्सा :- शीत ऋतु में उत्पन्न होने वाली सभी स्वास्थय समस्याओं में योगाभ्यास पूरा लाभ मिलता है इसलिए प्रतिदिन आसनों ' प्राणायामों और ध्यान आवश्य करना चाहिए। सर्य नमस्कार आसन अपने शरीर की क्षमता के अनुसार तडासन हस्ताआनासन सर्वागासन मत्स्यासन और श्वासन का अभ्यास प्राणायाम के अभ्यास के क्रम में मरिष्क कपालभारती अन अनुलोम विलोम तथा दीर्घ श्वासन का अभ्यास शांत व स्वच्छ वातावरण में करना चाहिए। पदाआसन सुखासन करें यह प्राणायाम शरीर में गरमी बढाता है। जुकाम श्वास रोग जोड़ों के दर्द सिर दर्द साइनोसाइटिस मधुमेह आदि में लाभ दोला।प्रचूर कुछ उपयोगी सुझाव :- अशीत ऋतु में पूर्ण इस अरोग्य के लिए निम्नलिखित बातों पर आवश्यक ध्यान रख। घर से बाहर निकले :- घर से बाहर घूमने फिरने से ठंड कम लगती है। अतः किसी न 1 किसी प्रयोजन से बाहर अवश्य जाएं। जेब में हाथ डालकर न चलें :- शीत ऋतु में ज्यादातर लोग अपनी जेब में हाथ डालकर चलते हैं जो उचित नहीं हैअतः हाथों को खुला छोडकर चलें ऐसा करने से मांसपेशियों की । कुछ उप निम्नलिाख , कसरत हो जाती है। जिससे रक्त संचार तेज होता । है। और उष्मा उत्पन्न करने मे शरीर में मदद मिलती है तथा ठंड कम लगती है। पदार्थ गरम कपडे पहने :- शीत ऋतु के शुरू व अन्त में सर्दी कम होती है तो कभी ज्यादा ठण्ड लगती पैर गरम रखें :- एक कहावत है पैर गरम पेट कम नरम, सिर ठंडा, जुराब पहनें, पैर ढककर रखें क्योंकि पैर ठंडा रहने पर ठंड अधिक लगती हैं और 4 में सोने वाली पीक धूप का आनन्द लें :- शीत ऋतु में धूप बहुत सहावनी होती है धूप से विटामिन डी प्रचूर मात्रा क्षमता में मिलता है त्वचा को पोषण मिलता है शरीर को प्राकतिक ऊर्जा मिलती है और हडिडयां मजबत बनाती है। तेज धूप में न रहें वह शरीर को नकसान पहुंचाती है। मालिश करें :- सबह खाली पेट सरसों के तेल से मालिश करें। धप में मालिश करने से ज्यादा दर्द है। तथा शरीर सुडौल, सुगठित होता है। लाभ मिलता है। मालिश से स्वास्थ्य ठीक रहता लाभ प्रचूर मात्रा मे पानी पिएं :- शीत ऋतु में अधिकतर लोग पानी पीने में आलस्य करते हैं इस ऋतु में प्यास कम लगती है जबकि कम पानी पीने से शरीर मे पानी की कमी हो जाती है फलतः रक्त गाढ़ा हो जाता है रक्त संचार में बाधा पहुंचती है। शरीर से टॉक्सि नहीं निकल पाते हैं। त्वचा फटने लगती है कमजारी आती है और कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं। यदि ज्यादा ठंड हो तो पानी को गनगना करके पीना चाहिए। करीबन 10-12 गिलास पानी अवश्य पीएं।