स्वास्थ्य के लिए योगासन

स्वास्थ्य के लिए योग मनुष्य के तन, मन, बुद्धि एवं आत्मा को स्वस्थ रखने के लिए एक आवश्यकता है। आज के प्रदूषित वातावरण, प्रदूषित सब्जियां, फल, अनाज, जल आदि के कारण स्वस्थ रहना एक चुनौती बन गयी है। ऐसे हालातों में स्वस्थ रहने के लिए योगासन बहुत जरूरी है। योग के सूत्रानुसार योग के आठ अंग बताए गए हैं इसीलिए इसे 'अष्टांग' कहा गया है। योगासन (आसन) उनमें से एक है। चौरासी लाख योनियों में इतने ही आसन बताए गए हैं, परन्तु उनमें से 84 आसन मख्य हैं जिन्हें हमें जरूर अपनाना चाहिए। योगासन से हम तन, मन एवं बद्धि को स्वस्थ रख सकते हैं तथा दीर्घायु को प्राप्त कर सकते हैं। योगासन के कुछ नियमः 1. योगासन प्रातः शौचादि के बाद करें 2. योगासन नौ वर्ष की आय से कम उम्र वाले बच्चों को नहीं करना चाहिए 3. योगासन खाली पेट आरामदायक वस्त्रों में ही करें। 4. कुछ आवश्यक योगासनों के पूरक आसन भी करें। 5. किसी भयंकर बीमारी, शारीरिक कमजोरी, गर्भावस्था और गर्मी में योगासन न करें 6 योगासन किसी विशेषज्ञ से सीखकर ही करें 7. योगासन के कछ नियम हैं. उनका जरूर पालन करें। योगासन से लाभ : इम्यून पावर का बढ़ना :- जो नित्य योगासन - तथा मेडीटेशन करता है उसकी आंतरिक शक्ति बढ़ती है। इम्यून पावर बढ़ने से शरीर में कोई भी रोग आसानी से नहीं होता है। योगी बहुत कम अथवा कभी बीमार नहीं होते हैं। 1. सबल पाचन संस्थान :- नित्य योगासन करने । से पेट की मांसपेशियों तथा आंतों पर सीधा प्रभाव पड़ता हैभोजन आसानी से पचता है। जठराग्नि तीव्र होती है अतः भूख खुलकर लगती हैयोगासनों से पेट के रोग नहीं होते हैं। * 2. कब्ज तथा बवासीर से छुट्टी :- नित्य - योगासन करने वालों को कब्ज की शिकायत नहीं होती है और पाखाना खुलकर आता है और जब पेट साफ रहता है तो कभी बवासीर की शिकायत नहीं होती है। 3 गैस, एसीडिटी, अपच से छटकारा :- नित्य योगासन करने से पाचन तंत्र सबल एवं नियमित सक्रिय रहता है। खाना आसानी से पचता है अत: योगी को कभी गैस एसीडिटी, अपच की शिकायत नहीं होती है। संस्थान पर प्रभाव का योगसन करने से श्वास फारनेयेलेबहुत ही स 4. शक्तिशाली शरीर :- नित्य योगासन करने वाले योगी शारीरिक रूप से शक्तिशाली होता है। उसके सभी अंग हृष्ट-पुष्ट होते हैं। शरीर में चुस्ती-फुर्ती अधिक होती है। आलस्य दूर भागता है। 5. रक्त संचरण संस्थान पर प्रभाव :- योग साधना तथा योगासन करने से नाडियों की वर्जिस हो जाती है। नाड़ियों में लचीलापन आता है। कोलेस्ट्रॉल एक जगह एकत्र नहीं होता है और रक्त संचार सुचारू रूप से प्रवाहित होता है। योगासन करने वालों को उच्च रक्तचाप अथवा निम्न रक्तचाप की शिकायत नहीं होती है। हृदयाघात की संभावना भी खत्म हो जाती है। योगासन नित्य करने वाल का हृदय राग नहा हात ह। 6. श्वसन संस्थान पर प्रभाव :- योगासन करने से श्वास पीनियललंबी एवं गहरी ली जाती है अतः कार्बन डाइऑक्साइड पूरा बाहर आ जाता है। योगासन , ठीक करने से श्वास रोग नहीं होते हैं, हिमोग्लोबिन स्वस्थ बढ़ता है। योगासन से फेफड़े सबल होते हैं। श्वास रोग रोगों से छुटकारा मिलता है तथा टीबी की संभावना नहीं रहती है। 7. अच्छी नींद आना :- योगासन 15 करने से शरीर की परी कसरत हो जाती है। भोजन पांचों ठीक से पचता है। टेंसन दर होती है अतः नींद त्वचा आराम से आती है। योगी हमेशा गहरी नींद सोता हैं है। 8. शरीर के दर्द :- आम आदमी को कभी सिर दर्द, रीढ़ दर्द, कमर दर्द, घुटना दर्द होता रहता हैं। योगासन करने वाले का शरीर बलिष्ठ होता है स्पर्श और सभी दर्दो से मुक्त रहता है। 9. शरीर :- नित्य योगासन करने से शरीर में पर्याप्त लचीलापन रहता है। आपके सभी अंग लचीले रहता मुड़ने योग्य होता है अतः कहीं दर्द नहीं होता है। 10. शरीर में चुस्ती-फुर्ती :- योगासन करने से हैं.. सुस्ती-आलस्य कोसों दूर भागता है। योगी वालाहृष्ट-पुष्ट, चुस्त एवं फुर्तीला होता है। श्रीमद्भगवद्गीता का श्लोक है-'तस्मात योगी योगासन भवार्जुनः।' अतः आप भी योगी बनें। 11. लम्बी आयु :- योगी के शरीर के सभी संस्थान योगासन करने से सुचारू रूप से कार्य करते हैं और योगी स्वस्थ रहकर लम्बी आयु को चिन्ताप्राप्त होता है। योगासन करने वाला अल्पाय में नहीं व्यक्ति मरता है। निरोगी काया :- योगासन करने वाले का व्यक्ति शरीर गठीला, लचीला, सक्षम एवं सबल होता है। उसका उसकी आन्तरिक शक्ति मजबूत होती है अतः स्वस्थ उसका शरीर निरोगी होता है। कोई भी रोग शरीर में समाज आसानी से नहीं व्यापता है। 13. प्रबल काम बहत शक्ति :- योगासन करते रहने से प्रजनन संस्थान न योगासन सबल एवं निरोगी रहता है। कामांगों में कभी विकार नहीं आता है अतः योगासन करने वाला फारनेयेले. स्त्री-पुरुष प्रसंग का पूर्ण आनंद लेता है। योगी की लम्बी आयु तक कामाग्नि प्रचण्ड रहती है तथा उसकी संतानें हृष्ट-पुष्ट पैदा होती हैं। 14. सबल इंडोक्राइन ग्लैंड्स :- नित्य योगासन करने से शरीर की सभी ग्रंथियां, पिट्युचरी पीनियल. थॉयराइड, पैरा थॉयराइड, थॉयमुस, एडीनल, तिल्ली, प्रजनन, पैंक्रियाज, यकृत आदि , ठीक से अपना रस नाव करती हैं जो शरीर को स्वस्थ रहने में मदद करती है अतः इनसे संबंधित रोग नहीं होते हैं। 15. सबल स्नायु संस्थान :- शरीर में स्थित पांचों ज्ञान इन्द्रियों नाक, कान, आंख, जिह्वा तथा त्वचा के धर्म-स्वभाव सुचारू रूप से कार्य करते हैं क्योंकि योगासन करने से सभी इन्द्रियां, सूचना देने वाले स्नायु स्वस्थ एवं सबल होते हैं। एक लम्बी आयु तक सूंघना, सुनना, देखना, स्वाद, स्पर्श जानना सभी ठीक रहता है। 16. मानसिक संवेगों से मक्ति :- योगासन करने वाला व्यक्ति तन, मन व बुद्धि से स्वस्थ रहता है। उसके अंदर भय, क्रोध, उद्विग्नता, उग्रता, मोह, संताप, चिन्ता आसानी से प्रवेश नहीं करते हैं। इन मानसिक संवेदनाओं पर योगी (योग करने वाला) नियंत्रण रखता है। 17. विभिन्न रोगों से मुक्ति :- योग साधना एवं योगासन करने वाले लोगों को अनेक रोगों जैसे कि . मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप, अपच, गैस, एसिडिटी, बवासीर, अल्प रक्तता, चिन्ता, संताप आदि शरीर में घर नहीं करते हैं तथा व्यक्ति स्वस्थ रहता है। 18. मानसिक स्तर पर परिवर्तन :- योगी व्यक्ति शारीरिक रूप से तो हृष्ट-पुष्ट रहता है। उसका मन, बुद्धि तथा स्वभाव भी सक्रिय व स्वस्थ हो जाता है। ऐसे व्यक्ति से परिवार और समाज के लोग भी खश रहते हैं। योगासन के बहत फायदे हैं. कछ अवर्णनीय हैं अतः योगासन कर स्वस्थ रहें।