आहार-विहार

शीत ऋतु में शरीर को निरोग और सबल बनाए शीत ऋतु में वातावरण का तापमान घटने से 10. प्यास लगने पर पानी ही पिएं, चाय कॉफी रखने के लिए आहार विहार सम्बन्धी नियमों का और ठंडी हवा के प्रकोप के कारण खांसी कोल्ड डिक्स सॉफ्ट ड्रिक्स आदि ना लें। 11. पालन अति आवश्यक है। यदि इस ऋतु में अपने अस्थमा श्वास संबंधी रोग बुखार निमोनिया, भोजन करते समय पानी न पिएं भोजन करने के खान-पान पर पूरा ध्यान दिया जाये। प्राकृतिक सिरदर्द, माईग्रेन छींक आना, नाक बंद होना एक घण्टा बाद पानी पिएं इसके अलावा पानी चिकित्सा के अरोग्यदायी नियमों को अपनया जुकान जोड़ो का दर्द, गठिया, लकवा, ब्लड पीते रहें। 12. खुलकर भूख लगने पर ही भोजन जाय और प्रतिदिन योगाभ्यास किया जाए तो न प्रेशर बढ़ना, ब्लड शुगर बढ़ना, बार-बार मूत्र करें और पेट को थोड़ा खाली रहने दें, इससे शरीर अतजन्य रोग विकारों के प्रकोप से सुरक्षित आना, यूरिक एसिड बढ़ना, त्वचा का सूखापन, भोजना रहता है। त्वचा का फटना, होंठों का फटना आदि रोग में भोजन न करें थोड़ी-थोड़ी मात्रा में अच्छी नवम्बर से फरवरी महीने तक की अवधि को विकार प्रायः लोगों को त्रस्त करते हैं। तरह चबा चबाकर भोजन करें। 14. भोजन असामान्यतया शीत ऋतु माना जाता है इसलिए प्राकतिक चिकित्सा :- शीत ऋत में निरोग १ _ करने के बाद 5 से 10 मिनट तक वज्रासन में बैठे शीत ऋतु में अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रहने के लिए तथा इस ऋतु के रोग विकारों से । इससे पाचन क्रिया ठीक रहती है। 15. हल्का व रखना चाहिए। इस ऋतु में जरा सी लापरवाही से मुक्ति पाने के लिए आवश्यकतानुसार प्राकृति सुपाच भोजन लें। 16. भोजन करने के तीन चार ही कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं और यदि कोई रोग उपचार को अपना" घंटे बाद तक पानी के अलावा और कुछ न लें। पहले से हो तो उससे सम्बधि तकलीफ बढ़ 17. रात में सोने से 2 घन्टे पहले भोजन कर लेंजाती है। लेकिन यदि शीत ऋतु के प्रारम्भ से पूरी !' 1. कब्ज न होने दे और कब्ज हो तो इसे दूर करने 18. सप्ताह में एक दिन पेट को आराम दें का उपाय करें2. पेट पर ठंडी पट्टी का प्रयोग उपवास करें उपवास में नींब पानी शहद नींब सावधानी बरती जाए न तो अधिक सर्दी लगेगी न. करने के बाद एनिमा लें। 3. पेट की गरम ठंडी पानी गड फलों का रस सब्जियों का जूस आदि किसी तरह की परेशानी बढ़ेगी और न ही कोई सेक के बाद एनिमा लें। 4. गरम पाद स्नान, लें। 19, दिन में एक दो बार नीब पानी पिएं नीब ऋतुजन्य रोग विकार ही कष्ट का कारण बन , कीट स्नान, गरम ठंडा कीट स्नान लें। 5. पूरे पानी में और कछ न मिलाएं। 20, रात में सोते पाएगा। शरीर का भाप स्नान लें। 6. पूरे शरीर पर मिट्टी समय खिडकी खुली रखे जिससे स्वच्छ हवा शीत ऋतु में अपनी आयु और शारीरिक का लेप करें। 7. पूरे शरीर को तेल से मालिश अन्दर आए और दूषित हवा बाहर जा सके। अवस्था को ध्यान में रखकर सभी को उचित = १ गतः कर8. सुबह में सिर ढककर 30 मिनट तक 21. मुंह ढक्कर न सोंए क्योकि इस मात्रा में संतुलित व पोष्टिक आहार ग्रहण करना धूप में रहें। धूप स्नान ले। कार्बनडाईऑक्साईड ही सांस के द्वारा अन्दर क्या करें :- 1. सुबह में सूर्योदय से पहले जग जाती रहती है। जिससे रक्त दूषित होता है। कई जाएं। 2. सुबह उठते-उठते ही 2-3 गिलास बीमारीयों को उत्पन्न करता है। 22. सोते समय पानी पिएं इसके बाद थोड़ी देर टहलें फिर शौच उनी कपडा गरम कपडा टाईट कपडा पहनकर न जाएं। 3. प्रतिदिन मुंह में पानी भरकर आंखों पर सोए। 23. रात में ठंड से बचाव के लिए कंबल ताजे पानी से छींटे मारें। ऐसा करने से आंखे रजाई आदि को उपयोग में लाएस्वस्थ रहती है और आंखों की रोशनी भी बढ़ती क्या न करें :- 1. ज्यादा गरम पानी से न नहाएं है। 4. हमेशा स्नान करते समय रोयेंदार तौलिया क्योकि इससे शरीर को नुकसान पहुंचता है। गीला करके पूरे शरीर को खूब रगड़ें फिर ताजे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता घटती है और पानी से स्नान करें। 5. यदि पानी अधिक ठंडा कई बीमारीयां उत्पन होती है2. कमरे का हो तो उसे अपने शरीर के तापमान के बराबर तापमान बढ़ाने के लिए कमरा गरम करने के चाहिए, प्रतिदिन नियमित रूप से योगासन का गरम कर लें फिर स्नान करें। 6. प्रतिदिन लिए हीटर आदि का इस्तेमाल न करें इससे त्वचा अभ्यास करना चाहिए तथा आवश्यकतानुसार प्राकृतिक उपचार का लाभ प्राप्त करना चाहिए। नियमित रूप से 1 घंटा सैर करें7. प्रतिदिन और फेफड़े पर बुरा प्रभाव पड़ता है। 3. तेज ऐसा करने से शीत ऋतु के रोग विकारों से बचाव योगाभ्यास, आसन, प्राणायाम और ध्यान करें। धूप में ज्यादा देर तक न रहें क्योंकि तेज धूप से होता है। इसका प्रकोप दूर होता है तथा शक्ति 8. जोगिंग एक्सरसाइज आदि करें। 9. प्रतिदिन त्वचा में रूखापन आता है और कई तरह की स्फूर्ति में बढ़ोतरी होकर शरीर स्वस्थ सबल बना 10 से 12 गिलास पानी आवश्य पियें कम पानी तकलीफ परेशान करती है। 4. दिन मे न सोएं रहता है। से शरीर के विकार बाहर नहीं निकल पाते हैं। और रात में देर तक न जगें। 5. मल मूत्र के वेग आहार-विहार चटपट १५ को न रोकें। 6. अपना वजन बढ़ने न दें यदि सोडा, शराब आदि न लें। 2. चीनी मिठाईयां, कसरत हो जाती है। जिससे रक्त संचार तेज होता वजन ज्यादा हो तो खान-पान में संयम, व्यायाम चॉकलेट, केक पैस्ट्री, आईसक्रीम आदि न लें। है। और उष्मा उत्पन्न करने में शरीर में मदद आदि से वजन कम करें। 7. ज्यादा देर तक 3. घी तेल में तले हुए भारी गहिष्ठ मसालेदार मिलती है तथा ठंड कम लगती है। बिना पानी पीए न रहें। चटपटे पदार्थ न खाएं। 4. मैदा से बने पदार्थ गरम कपडे पहने :- शीत ऋतु के शुरू व अन्त बिस्कुट, ब्रेड, नूडल्स, पिज्जा, बर्गर आदि न लें। में सर्दी कम होती है तो कभी ज्यादा ठण्ड लगती आहार चिकित्सा (क्या खाए पीएं) :- 1. 5. नॉनवेज न खाएंमौसमी फल, सलाद, हरी सब्जियां, अंकुरित 6. सिगरेट, तम्बाकू, है इसलिए गरम कपडे पहनने में लापरवाही न अनाज आदि प्रचूर मात्रा में खाएं। 2. फलों में युद * गुटखा आदि से दूर रहें। 7. अधिक गरम, ॐ । अधिक ठंडे और फ्रीज में रखे पेय पदार्थ तथा । अनार, संतरा, अमरूद, आंवला आदि लें। पैर गरम रखें :- एक कहावत है पैर गरम पेट 3. गाजर, मूली, टमाटर, चुकंदर, शलजम, खीरा । बासी भोजन न करें। 8. नमक का प्रयोग कम नरम, सिर ठंडा, जुराब पहनें, पैर ढककर रखें आदि का सलाद लें। 4. हरी सब्जियों में से १ क्योंकि पैर ठंडा रहने पर ठंड अधिक लगती हैंपत्तागोभी, सेम गाजर मूली, बथुआ, हरी मैथी यौगिक चिकित्सा :- शीत ऋतु में उत्पन्न होने यौगिक चिकित्सा :- शीत ऋतु में उत्पन्न होने और सर्दी में होने वाली तकलीफे भी ज्यादा आदि। 5. चना मूग, मोठ मैथी आदि को वाली सभी स्वास्थय समस्याओं में योगाभ्यास अंकुरित करके खाएं। 6. तिल, अलसी, पूरा लाभ मिलता है इसलिए प्रतिदिन आसनों धूप का आनन्द लें :- शीत ऋतु में धूप बहुत मूंगफली, नारियल, गुड़ आदि का सेवन करें। प्राणायामों और ध्यान आवश्य करना चाहिए। सहावनी होती है धूप से विटामिन डी प्रचूर मात्रा इनके सेवन से शक्ति बढ़ती है और ठण्ड कम सूर्य नमस्कार आसन अपने शरीर की क्षमता में मिलता है त्वचा को पोषण मिलता है शरीर लगती हैं और स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमन्द के अनुसार तडासन हस्ताआनासन सर्वांगासन को प्राकृतिक ऊर्जा मिलती है और हड्डियां है। 7. ड्राई फूट खाएं जिसमें बादाम, काजू, मत्स्यासन और श्वासन का अभ्यास प्राणायाम के मजबूत बनाती है। तेज धूप में न रहें वह शरीर अखरोट, पिस्ता, किशमिश, मुनक्का, छुहारा, अभ्यास के क्रम में मस्ष्कि कपालभारती को नुकसान पहुंचाती है। खजूर पोषक तत्वों के उत्तम स्त्रोत हैं। इसमें अनुलोम विलोम तथा दीर्घ श्वासन का अभ्यास मालिश करें :- सबह खाली पेट सरसों के तेल मिनरल्स विटमिन्स और एंटीऑक्सीडेंट तत्व शांत व स्वच्छ वातावरण में करना चाहिए। से मालिश करें। धप में मालिश करने से ज्यादा प्रचुर मात्रा में प्राप्त होते हैं। शीत ऋतु में इनका पदाआसन सुखासन करें यह प्राणायाम शरीर में लाभ मिलता है। मालिश से स्वास्थ्य ठीक रहता सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है। गरमी बढ़ाता है। जुकाम श्वास रोग जोड़ों के दर्द है। तथा शरीर सडौल, सुगठित होता है। 8. हर्बल चाय पीएं, दालचीनी अदरक और सिर दर्द साइनोसाइटिस मधुमेह आदि में लाभ तुलसी की पत्तियों को पानी में उबालकर, गुड़ होता है। प्रचूर मात्रा में पानी पिएं :- शीत ऋतु में मिलाकर पीने से सर्दी से बचाव होता हैअधिकतर लोग पानी पीने में आलस्य करते हैंकुछ उपयोगी सुझाव :- अशीत ऋतु में पूर्ण 9. एनर्जी ड्रिंक के रूप में गुनगुने पानी में गुड़ इस ऋतु में प्यास कम लगती है जबकि कम ३ अरोग्य के लिए निम्नलिखित बातों पर आवश्यक मिलाकर नींबू का रस डाल लें। 10. नेचुरल पानी पीने से शरीर में पानी की कमी हो जाती हैफलेवर्ड वाटर पीएं, तुलसी की पत्तियों, अदरक ध्यान रखें। फलतः रक्त गाढ़ा हो जाता है रक्त संचार में दाल चीनी, मुलेठी, काली मिर्च अजवाइन घर से बाहर निकले :- घर से बाहर घमने बाधा पहुंचती है। शरीर से टॉक्सि नहीं निकल मेथीदाना आदि में से कोई एक लेकर 2 लीटर फिरने से ठंड कम लगती है। अतः किसी न पाते हैं। त्वचा फटने लगती है कमजारी आती हैपानी में थोड़ी देर उबालकर रख लें। इसे किसी प्रयोजन से बाहर अवश्य जाएं। और कई रोग उत्पन्न हो जाते हैं। यदि ज्यादा ठंड थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पिएं, यह पानी पीने से सर्दी जेब में हाथ डालकर न चलें :- शीत ऋतु में हो तो पानी को गुनगुना करके पीना चाहिए। से होने वाली तकलीफों से बचाव होता है। ज्यादातर लोग अपनी जेब में हाथ डालकर चलते करीबन 10-12 गिलास पानी अवश्य पीएं।। आहार चिकित्सा (क्या न खाएं-पीएं) :- हैं जो उचित नहीं है।