प्रदूषित हवा गर्भवती महिलाओं और गर्भस्थ शिशुओं के लिए खतरनाक दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार 70 फीसदी मामलों में गर्भवती महिला और उसके जैसी

गर्भस्थ शिशुओं के लिए खतरनाक • डॉ. अनुभा सिंह ||al दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार 70 फीसदी मामलों में गर्भवती महिला और उसके जैसी समस्याएं होने लगती हैं। बढ़ता जा रहा है। कई एजेंसियों ने मिलकर हाल परिजन यह बता पाने की स्थिति में नहीं होते कि कई रिसर्च भी ये साबित कर चुकी है कि ही में एक अध्ययन किया जिससे यह साबित हुआ इसका कारण यह रहा। रोजाना देर तक ट्रैफिक में रहने से नाइट्रोजन है कि प्रदूषित हवा का असर गर्भ में पल रहे बच्चे 25 फीसदी तक गर्भपात :- चौंकाने वाला डाइऑक्साइड शरीर के अंदर जाती है जिससे के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है इससे भ्रूण का विकास आंकड़ा यह भी है कि आज की जीवनशैली और प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। लंबे समय तक बाधित होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और कुछ वातावरण के कारण कुल चिह्नित गर्भवती ऐसा होने से फेफड़ों के कैंसर और ब्लड कैंसर दूसरी संस्थाओं द्वारा कराए गए विभिन्न अध्ययनों महिलाओं में से करीब 25 फीसदी को मिसकरेज होने की आशंका और अधिक हो जाती है। यदि में पाया गया है कि भारत, पाकिस्तान और चीन के (गर्भपात) हो रहा है जबकि यह आंकड़ा 15 साल आप स्मोकिंग करते हैं तो कैंसर का खतरा कहीं कुछ शहरों में प्रदूषण का स्तर इतना अधिक है कि पहले तक 10 प्रतिशत के आस-पास था। इसके अधिक बढ़ जाता हैरिसर्च बताती है कि वह खतरा बन चुका है और इसकी स्थिति समय बढ़ने के मुख्य कारणों में बदलती जीवनशैली और पॉल्यूशन में रहने से दिल संबंधी बीमारियां तो के साथ और खतरनाक होती जा रही है। अनचाहे गर्भ के साथ-साथ प्रदूषण भी शामिल है। होती ही हैं साथ ही डेढ़ से तीन साल जीने की उम्र आपको जानकर शायद आश्चर्य हो लेकिन यह प्रदूष - प्रदूषण में लंबे समय तक रहने से स्पर्म काउंट तो भी घट जाती है। कम होते हैं, वहीं महिलाओं को पॉल्यूशन में ना सच है कि भारत में होने वाली मौतों की एक बहुत सांस के मरीजों को तो सबसे अधिक सावधानी रहने से कंसीव करने में अधिक दिक्कतें आती हैं बरतने और प्रदषण से बचने की आवश्यकता है। बड़ी वजह प्रदूषित हवा है। इससे विभिन्न प्रकार वहीं प्रदूषण में अधिक रहने वाली महिलाओं का दृय लिा यह जरूरी है कि चेहरे पर मास्क की सांस से जुड़ी समस्याएं हो जाती हैं। सांस की गर्भपात होने का खतरा भी अधिक रहता है। इतना लगाकर बाहर निकलेंबच्चों को भी इसकी आदत तकलीफ के चलते पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा ही नहीं, समय से पहले डिलीवरी भी इसका बड़ा डलवाएं। प्रदषण से बचाव के लिए शरीर को मौतें भारत में ही होती हैं। प्रदूषित हवा का असर कारण है। मानसिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। इसके अलावा पोषण युक्त करना चाहिए, जिसके लिए प्रचुर प्रदूषित हवा में सांस लेने से हाई ब्लड प्रेशर होने हवा में मौजूद कई तरह के विषाक्त पदार्थों से जहां मात्रा में हरी सब्जियां और फलों का सेवन करना की भी समस्या हो जाती है।लगभग हर वर्ग की रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर चाहिएया चाहिए। गर्भवती महिलाओं को भी इससे परेशानी डॉक्टर अनुभा सिंह का कहना है :- हवा में पड़ रहा है वहीं हाल में हुआ प्रदूषण का स्तर हो सकता है। प्रदूषित वातावरण में सास लेने पर मौजूद खतरनाक रासायनिक तत्व जैसे कार्बन लगातार बढ़त और नई चेतावनी लेकर आया है कि गर्भ में पल रहे बच्चे को दिक्कत होती है। उनका * गर्भपात भी हो सकता है। त्वचा की एलर्जी की भी मोनो-ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के दिल्ली की प्रदूषित हवा का असर यहां की गर्भवती आशंका रहती है। चलते गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर असर मांओं के गर्भ में पल रहे बच्चों पर भी पड़ रहा है। पड़ता है और कई बार तो प्रीमैच्योर बेबी के होने यूं पहचानें गर्भपात को :- रक्त स्राव शुरू होना की आशंका बढ़ जाती है। प्रदूषित हवा के चलते यदि कोई महिला लगातार प्रदूषित वातावरण में इसका प्राथमिक लक्षण माना जा सकता है। नवजात बच्चे के वजन पर असर पड़ता है। शहर में रह रहती है तो उसमें चिड़चिड़ापन, मानसिक अत्यधिक रक्त स्राव होने का सामान्य तौर पर असंतुलन, हीमोग्लोबिन की कमी जैसे विकार बढ़ मतलब है कि गर्भपात हो चुका है, तरंत डॉक्टर को बढ़ रहा प्रदूषण गर्भवती महिलाओं और गर्भस्थ जाते हैं। चूंकि गर्भावस्था में इन सभी चीजों का fe शिशुओं के लिए भी खतरा बना हुआ है। संतुलन आवश्यक होता है, ऐसे में उनमें गर्भपात चिकित्सकों के मुताबिक गर्भपात के विभिन्न की आशंका बढ़ जाती है। जीवनशैली, पर्यावरण शिशु को ये खतरे :- इससे शिशु की मानसिक चिह्नित कारणों में वायु प्रदूषण भी एक है। वाहनों और अनचाहे गर्भ के कारण गर्भपात के मामले बढ़ स्थिति पर असर पड़ता है। शारीरिक विकास के धुएं से होने वाला प्रदूषण महिलाओं में गर्भपात रहे हैं। अस्पताल में रोजाना इसके कई मामले । अवरुद्ध होना। जन्मजात विकृतियों का शिकार या गर्भ में पल रहे शिशु की आने वाली जिंदगी में में सामने आते हैं। प्रदूषण के लगातार संपर्क में रहने हो कई बीमारियों का कारण बन सकता है। से भी गर्भवती के स्वास्थ्य पर कई तरह के प्रभाव फैक्ट फाइल :- गर्भपात का सर्वाधिक खतरा इस सम्बन्ध में हुए दर्जनों अध्ययनों में यह बात पड़ते हैं, जिससे उसके शिशु पर भी असर पड़ता इसकी शुरू अवस्था में होता हैअधिकांश सामने आई है। राजधानी के महिला और जनाना है। यूं तो वायु प्रदूषण का इफेक्ट तुरंत ही शरीर पर महिलाओं को इस समय पता भी नहीं होता कि अस्पताल में आ रहे मामलों पर नजर डालने पर दिखने लगता हैसांस लेने में दिक्कत होना, वह गर्भवती है। 50 फीसदी से भी ज्यादा गर्भपात सामने आया कि दोनों अस्पतालों में रोजाना एलर्जी होना या अस्थमा हो सकता है लेकिन बहुत गर्भावस्था के 16 सप्ताह में हो जाते हैं। 80 इमरजेंसी और ओपीडी में मिलाकर ऐसे करीब लंबे समय तक प्रदूषण में रहने से फेफड़ों का प्रतिशत गर्भपात असामान्य क्रोमोसोम के कारण 25-25 मामले आ रहे हैं। हालांकि, करीब 60 से कैंसर, प्रजनन संबंधी समस्याएं और ब्लड कैंसर होते हैं