मरीज) कैंसर के रोगियों की संख्या दिन-ब-दिन बढती रहने से कई समस्याएं हल हो सकती हैं। धम्रपान । जा रही है। अगर गले के कैंसर की बात करें, तो या तम्बाकू का सेवन करने वाले लोगों को थ्रोट इसमें भी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। आज की कैंसर ज्यादा होता है। इसमें वे लोग भी आते हैं 1 हो गई है कि लोग आसानी से जो अप्रत्यक्ष रूप से धुम्रपान करने वालों के कैंसर के शिकार हो रहे हैं। हालांकि गले के संपर्क में आते हैं। स्त्रियों में भी इसके लक्षण किंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए एक खुशखबरी दिखाई देते हैं। तम्बाक के सेवन से प्रवास नली ये है कि अब ऑपरेशन के बाद भी वह बोल की कार्य प्रणाली पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। पाएंगे। यह संभव हो पाएगा एक विशेष यन्त्र के के इससे कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। यदि कोई द्वारा। इस यन्त्र के इजादकर्ता हैं डॉक्टर विशाल । व्यक्ति एल्कोहॉल के साथ धूम्रपान भी करता हैराव। इन्हीं तमाम पहलुओं पर प्रकाश डाल रही ये पर का या ३ का उतना बढ़ जाता हैं- संजय सिन्हा |हिं। एल्कोहॉल और निकोटिन का एक साथ सेवन विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर वर्ष निकसानदेह है। इसके अलावा सड़क पर उडने कैंसर के 1.4 करोड़ नए मामले सामने आ रहे हैं। ट या केमिकल ट के कसर से हो रहा कारण भी थोट कैंसर हो सकता है। सल्फर हैं। 50 प्रतिशत मामलों में खराब जीवनशैली, हाडऑक्साइड कोमियम और आर्सेनिक में खराब जीवनशला, 'डाइऑक्साइड, क्रोमियम और आर्सेनिक भी तंबाकू और ओबेसिटी के कारण कैंसर हो रहा *सर का खतरा बढ़ाते हैंपिछले कुछ वर्षों में है। पिछले कुछ वर्षों से थ्रोट या माउथ कैंसर के धमपान न करने वाले लोगों में भी मंह या गले के माउथ कसर क धुम्रपान न करने वाले लोगों में भी मंह या गले के बढ़ गए हैंबगलार के प्रख्यात कैंसर के लक्षण दिखाई देने लगे हैं। तंबाक के डाक्टर विशाल राव क 'अलावा थोट कैंसर के कछ और भी कारण हैंअनुसार मिजोरम में कैंसर पीड़ित लोगों की दांतों की उचित देखभाल न करने या दांतों में होने संख्या सर्वाधिक है। वहां प्रति लाख व्यक्तियों में वाली समस्या को टालने से भी भविष्य में यह ।त लाख व्यक्तिया में वाली समस्या को टालने से भी भविष्य में यह 273 लोग कैंसर से ग्रस्त हैं। भारत में ब्रेस्ट या समस्या हो सकती है। विटामिन 'ए' की कमी भी समस्या हो सकती हैविटामिन 'ए' की कमी भी सर्वाइकल कैंसर से भी ज्यादा मौतें मुंह या गले इसका एक कारण है इसके अलावा कैंसर के केसर के कारण होती हैं। महानगरों, छोटे आनवंशिक भी हो सकता है। आजकल एकदम शहरों, गांवों तक थ्रोट या माउथ कैंसर के मामले शरुआती अवस्था में रोग की पहचान होना संभव तेजी से बढ़ रहे हैंहाल के वर्षों में 20-25 वर्ष है। ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी लक्षण की आयु वालों को भी यह बीमारी अपनी चपेट मिलने पर शीघ्र योग्य चिकित्सक से संपर्क करें। में ले रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है तंबाकू वह लेरिंगोस्कोपी, बायोप्सी आदि करके इस रोग |मान्य की सही पहचान करेगा। आपको यह ध्यान कोशिकाएं शरीर में दुगनी गति से फैलने लगती रखना होगा कि कैंसर की पहचान जितनी जल्दी हैं और इन पर नियंत्रण मुश्किल हो जाता है। श्रोत होगी, इलाज से फायदा भी उतना ही अधिक केसर वॉयस बॉक्स, वकिल कार्ड और मुह के होगा। अतः जरा सी भी शंका होने पर, अन्य हिस्सों जैसे टॉन्सिल्स में भी हो सकता है। चिकित्सक से तुरंत संपर्क करें। आजकल बहुत जानकारी और जागरूकता किसी समस्या से से कैंसर शीघ्र इलाज से ठीक हो जाते हैं और बचने की जरूरी शर्त है। शरीर के प्रति सजग रोगी लंबी आयु तक जीवन जीता है। जैसे गले में स्वरयंत्र के कैंसर के शीघ्र निदान के बाद शल्य क्रिया कर दी जाए तो रोगी सामान्य आयु तक जिंदा रहता है। अब कैंसर के 80 से लेकर 90 प्रतिशत रोगियों का इलाज सफलतापूर्वक हो जाता है। शल्य क्रिया के अलावा विकिरण डिएशन) द्वारा भी इलाज करते हैं को काफी फायदा होता है। कुछ खास स्थितियों कैंसर रोधी दवाइयां भी रोगी को दी जाती हैं। आपको बताता चलूं कि बंगलोर के प्रख्यात अंकोलॉजिस्ट डॉक्टर विशाल राव ने एक ऐसा यन्त्र बनाया है जिससे गले के कैंसर के मरीज ऑपरेशन के बाद भी बोल पाएंगे। यह यन्त्र बाजार में उपलब्ध दूसरे यंत्रों की तुलना में अलग इसलिए है कि इसकी कीमत बहुत कम है। इसकी कीमत महज पचास रुपए है। डॉक्टर राव मुताबिक, गले के कैंसर से पीड़ित कोलकाता रहने वाले एक व्यक्ति की हालत बहुत खराब थी। वह न ही ठीक से खा पाते थे, न ही बोल पाते थे। उनकी माली हालत भी ऐसी नहीं थी कि वह महर्ग उपचार का लाभ उठा सकेइसी बीच वह बंगलोर गए और सिर्फ पांच मिनट के उपचार के बाद ही इस यन्त्र की मदद से वह खाने और बोलने लगे। डॉक्टर राव ने उस दिन को याद करते हुए कहा उस मरीज ने मुझे गले लगा लिया। उसे यकीन नहा नहीं हो रहा था कि इतनी आसानी से उसे र उसकी आवाज वापस मिल जाएगी। डॉक्टर राव बंगलोर के हेल्थकेयर ग्लोबल केसर सेंटर में सर और गर्दन के शल्य चिकित्सक हैं। इन्होंने एयूएम वॉइस प्रोस्थेसिस नामक यन्त्र बनाया हैइस यन्त्र उन मराजा को मदद मि आ उन्हें खाने और बोलने में परेशानी होती हैलेकिन इस यन्त्र की सहायता से वह फिर से खाने और बोलने लगता है। दूसरे यंत्रों की कीमत जहा 15 से 30 हजार है और इसे हर 6 महीने पर बदलना पड़ा है
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