कब्ज

 कब्ज एक ऐसी समस्या है, जिसे आज के जाता है। सामान्य रूप से व्यक्ति दिन में शहद व आधे नींबू का रस मिलाकर ले सकते प्रत्येक मानव ने अपने जीवन में कभी ना कभी एक बार, दो बार या अधिक या 2 दिन में एक हैं। इससे आंतों की क्रियाशीलता बढ़ जाती है। अवश्य अनुभव किया होगा। आधुनिक जीवन बार मल त्याग करने का आदी होता है। जब आदार . आद्वार में Fiber की मात्रा अधिक शैली व खान-पान के कारण कब्ज एक आम व्यक्ति अपनी आदत से हटकर अधिक दिनों में होती जाहिराती फल मेवा आदि का समस्या बन गई है। इस समस्या से बच्चे, युवा मल त्याग करने लगे, पेट में कड़ापन, दर्द, प्रयोग अधिक करना चाहिए। स्वाद में भख से व बुजर्ग कोई भी अछूता नहीं है। चुभन आदि महसूस करे तो कब्ज की स्थिति अधिक नहीं खाना चाहिए। कब्ज का मोटा-मोटा अर्थ होता है मल का बन जाती है। जीवन शैली :- खाना खाने के बाद 10-15 बिल्कुल भी त्याग ना होना या बडी कठिनाई से महिलाओं में कब्ज के कारण :- गर्भावस्था में मिला अपने लिए की जरा सीटियों होना। इसके कारण मल त्याग करने में जोर हार्मोन के कारण आँतों की हलचल कम हो का प्रयोग करें। यदि पांच माले जाना हो तो लगाना पडता है। पेट दर्द, चुभन, पेट फूलना, जाती है तथा गर्भाशय का आकार बढ़ने के कम से कम एक माला सीढी का प्रयोग करे। जी मिचलना आदि शिकायतें भी हो जाती हैं। कारण भी कब्ज हो जाता है। मल त्याग करने का दबाव हो तो कोई भी कार्य यदि यह समस्या लम्बे समय तक रहे तो इसके बचाव :- कब्ज की शिकायत होने पर तुरन्त छोडकर मल त्याग करने जाए। गर्भावस्था में गंभीर परिणाम भी हो सकते हैं। ध्यान देना जरूरी है अन्यथा काफी समय तक कब्ज होना आम बात है। अपने आहार-विहार कारण :- इसका प्रमुख कारण आधुनिक में उचित बदलाव करें। कोई भी विरेचक जीवनशैली भी है। सारे काम मनुष्य बैठे-बैठे डॉक्टर की सलाह के बिना ना लें। कब्ज के करता रहता है, जिसके कारण आँतों में पर्याप्त कारण पेट दर्द व अधिक तनाव देने से गर्भपात हलचल ना होने से आहार आँतों में एक जगह का डर बन जाता है। पड़ा रहकर सड़ने लगता है तथा कब्ज हो जाता दवा :- डॉक्टर की सलाह से ही दवा ले। तीव्र है। आहार में फाइबर की मात्रा कम व junk विरेचक अधिक समय तक ना लें। इसकी food की मात्रा अधिक लेने, समय-असमय आदत बन जाती है। भोजन करना, कम चबाकर खाना, हरी सब्जी घरेलू उपचार :- सोने से पहले 8-10 व फलों के स्थान पर पिज्जा-बर्गर आदि का सेवन, चाय-कॉफी का अधिक मात्रा में सेवन मुनक्का का प्रयोग अवश्य करें। दूध में पकाकर भी ले सकते है। सुबह सोकर उठते ही भी कब्ज का एक कारण है। पर्याप्त मात्रा में गुनगुने गरम पानी की आदत डालें। अंजीर को पानी ना पीना भी कब्ज का एक कारण है। रात में पानी में भिगोकर रखें, सुबह अंजीर कुछ रोग भी ऐसे हाते हैं, जिनके चलते मनुष्य खाकर, इसी पानी को पी लें। त्रिफला चूर्ण भी को कब्ज भी हो जाता है जैसे कब्ज के इलाज में काफी अच्छा है। ईसबगोल Hypothyroidism, Gallstone, Parkinson, Depression, Diabetes कब्ज रहने पर बवासीर, भंगदर, गुदा भाग में की भूसी रात में सोते समय दूध में मिलाकर आदि। कुछ दवा जैसे तनाव कम करने की दवा सूजन, अल्सर तथा रक्तस्राव आदि गंभीर ले। अलसी का प्रयोग करें। इसमें Fiber या खून बढ़ाने की iron मुक्त दवा का अधिक - बीमारियां भी घेर सकती हैं। दिन भर में कम से प्रचुर मात्रा में होता है। प्रयोग भी कब्ज पैदा कर देता है। पेट साफ १ कम 8-10 गिलास पानी अवश्य पीना चाहिए। यदि कब्ज लम्बे समय तक रहे. पेट से गैस भी आहार के साथ थोडा पानी व 1 घंटे बाद ना निकले. तीन-चार दिन तक मल त्याग ना करने के लिए विरेचक दवा Laxatives का अधिक प्रयोग भी नुकसानदेह होता है। अधिक भी अधिक मात्रा में पानी पीना चाहिये। हो, गदा द्वार चिर जाए, रक्तस्राव हो, पेट दर्द, चाय-कॉफी व अल्कोहल अधिक मात्रा में पानी :- खाने के साथ कम पानी व 1 घंटे जी मिचलाना आदि शिकायत हो तो तुरन्त सेवन करने से भी कब्ज हो जाता है। मल त्याग बाद अधिक ताजा पानी पीने की आदत बनानी अपने डॉक्टर से सम्पर्क करें। कब्ज को कभी करने का वेग होने पर यदि किसी कारणवश चाहिए। सुबह सोकर उठते ही एक गिलास गर्म भी हल्के में ना लें।