पथरी का होम्योपैथिक उपचार

 पित्त पथरी में इसे - बहुत उपयोगी पाया है। डॉ. यिंगलिग लिखते है कि 'पित्त पथरी के दर्द में रोगी के लक्षणों का मिल पाना बहुत कठिन होता है उन्होंने इस दर्द में कॉलेस्टरीन 3 एक्स शक्ति के विचूर्ण को बहुत उपयोगी पाया है। पित्त पथरी एवं मूत्र पथरी :- कैल्केरिया कार्ब तथा बरबेरिस ये दोनों दवाएं पित्त पथरी एवं मूत्र पथरी रोग में होम्योपैथिक दवा काफी कारगर उसके लक्षणों का अध्ययन कर उसे सारसापैरिला पथरी दोनों में लाभप्रद है। साबित हो रही है, इसका एक कारण यह भी है कि दिया रात भर कष्ट के पश्चात् उसकी पथरी ओसियम कैनम (तुलसी के पत्ते का रस):इस चिकित्सा पद्धति में होम्योपैथिक किसी रोग निकल गयी। कुछ चिकित्सकों की सलाह है कि रोगी में यूरिक एसिड की प्रवृति पेशाब में लाल 'का उपचार न कर लक्षणों का उपचार करता है। सारसापैरिला 200 शक्ति में भी देकर देखना, तल छट गुर्दे में दर्द खासतौर पर दाहिने तरफ ऐसी इससे कई प्रकार के ऐसे रोग जो आधनिक 'चाहिये। डॉ. हेरिंग इस औषधि के बड़े पक्षधार थे। 'स्थिति में इस दवा का प्रयोग 6, 30 या 200 शक्ति चिकित्सकों की समझ में भी नहीं आता उसका पथरी तथा गुर्दे के दर्द की यह उत्तम दवा है रोगी में इसका प्रयोग करना चाहिये। उपचार एक कुशल होम्योपैथ चिकित्सक आसानी का तकलाफ गर्म खान पनि से बढ़ती है किन्तु गर्म मूत्र पथरी (युरिन स्टोन) पेशाब से कर लेता है यहां पर हमने कुछ दवाओं के रोग -- सेक से उसे आराम मिलता है यह इसका विशेष छट (हाइडैन्जिया):- पेशाब में सफेद तल छद लक्षण है। लक्षणानुसार वर्णन किया है जिसका लाभ पाठक, या खून के गुर्दे का दर्द खास कर बाई पीठ में दर्द उठा सकते हैं परन्तु दवाओं के प्रयोग से पहले मूत्र बले मूत्र पथरी (कैंथरीस) :- मूत्र पथरी के लिये मूत्र नली पर इसका विशेष प्रभाव है। इस दवा के किसी होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह अवश्य कन्थरीस एक बहुमूल्य दवा है खांस कर जब कि पांच से दस बंद टिंचर दिन में तीन चार बार देनालेते ताकि दवा प्रयोग में सुविधा हो। । मूत्र नली में बहुत जोर का दर्द हो डॉ. घोष ने कहां चाहिये। 'पथरा राग का प्रातराधक दवा ( कल्कारया बाहर निकाल देती है। इसी प्रकार मूत्र को बढ़ा कर कम आता है गर्दे का दर्द रिनल कालिक पट तथा ह कि यह दवा मूत्र क वग का बढ़ा कर पथरा का पेशाब बहुत कम (सैलिडैगो):- पेशाब बहुत कार्ब) :- कैल्केरिया कार्ब पथरी रोग की पथरी को निकालने में बरबेरिस तथा मत्राशय तक जाता है इसके प्रयोग से कभी-कभी प्रतिरोधक दवा है दो या तीन सप्ताह के अंतर से लाईकोपोडियम की भी एक अहम भूमिका है। । 200 या उच्चशक्ति में सी एम आदि की एक मात्रा कैथीटर के इस्तेमाल की भी जरूरत नहीं पड़ती देना चाहिए। इसके दर्द के समय रोगी को बहुत गर्दे में पाई जाने वाली पथरी (पोलीगोनम):- टिंचर या 3 शक्ति में दवा का प्रयोग करें। अधिक पसीना आता हैं। डॉ. सैण्डस मिल्स तथा, गर्द में पाई जाने वाली पथरी के लिये पोलीगोनम मूत्र में लाल कण के तल छट बैठना हाजेस लिखते हैं कि पित्त पथरी का कष्ट दूर करने " एक अत्यन्त उत्तम दवा है (लाईकोपोडियम):- इस दवा के रोगी के मूत्र के लिये कैल्केरिया कार्ब अत्यत्म दवा हैं उनका यूरेट आफ सोडा का गुर्दे में बैठने से गुर्दे की|में लाल कण के तल छट बैठ जाते हैकहना है कि इस दवा को पन्द्रह-पन्द्रह मिनट के पथरी (साईलेसिया) :- डॉ. सत्यवृत जी ने लाइकोपोडियम में लाल रंग का तलछट होता है। अंतर देकर देना चाहिए। इससे तीन में दर्ज कर लिखा है कि कभी कभी यरेट आफ सोडा गर्दे में पेशाब करने से पहले कमर में दर्द होता है पेशाब हो जायेगा। बैठ जाता है जिससे गर्दे में पथरी बन जाती है डॉ कर चुकने के बाद दर्द बंद हो जाता है। सुशलर का कहना है कि इस अवस्था में |लाइकापाडियम 200 शक्ति म दन स मूत्र पथरा पथरी तथा गठिये में (आर्टिका यूरेंस क्यू):डॉ. बनेट का कहना है कि पथरी और गति से साइलसिया यूरेट से मिलकर उसे धोल देती है एवं बनने की प्रवृति रूक जाती है। कुछ दिनों तक आर्टिका क्यू में उपयोग करने से उसे शरीर से निकाल देती है इस लिये गर्दे की लाइको से लाभ न हो और यरिक एसिड बनने ठीक हो जाता है। 'पथरी व जोड़ों के दर्द में साईलैसिया लाभप्रद है। की प्रवृति (आर्टिका यूरेन्स) :- अगर मूत्र में पथरी (हाइड्रेजिंया क्यू):- मूत्र पथरी, पथरी के बनने की प्रवृति को रोकने के लिये लाइकोपोडियम से लाभ न हो और रोगी मे यूरिक के लिये (हाइड्रेजिंया क्य) काफी महत्वपर्ण दवा (चाईना):- पथरी के बार-बार बनने की प्रवति एसिड बनने की प्रवृति हो तो इससे लाभ होता है है। यह दवा फिर से होने वाले मूत्र पथरी को रोकने । को रोकने के लिये चाईना 6 में कुछ दिनों तक इस दवा का टिचर म या 6 शाक्त म प्रयाग में सहायक है। दिया जाना चाहिये। डॉ. फैरिंगटन ने लिखा है कि करना चाहिये। । बोस्टन के डॉ. थेयर का कथन है कि पित्त पथरी हर प्रकार की पथरी बिना ऑपरेशन के पथरी सारसापैरिला (अनुभव केस डॉ. केन्ट) की प्रवृति को रोकने के लिये चाईना 6 एक्स का निकालने हेतु (कोलियस एरोमा):- हर प्रकार |:- मूत्राशय की पथरी के लिये सारसापैरिला एक अच्छी दवा है सारसापैरिला के रोगी के पेशाव का क कई महिनों तक प्रयोग करना चाहिये पहले 10 की पथरी को यह दवा निकाल देती है यह दवा दिन तक रोज फिर दो तीन दिन का अंतर देकर दस पथरी में बंद-बंद पेशाब मत्र में रेत की तरह कण तल-छट सफेद होता है तथा लाईकोपोडियम का लाल। इस सम्बन्ध में डॉ. केन्ट का एक अनुभव दिनो तक दे इस प्रकार इसका प्रयाग कुछ लम्ब आना मूत्र में रक्त आना दाहिनी ओर गुर्दे की सूजन विशेष महत्व रखता है उन्होंने लिखा है कि एक है कि एक समय तक करत रहन पर पथरा बनन का प्रवृतिा में इस दवा का प्रयोग किया जाना चाहिए यह दवा वृद्ध व्यक्ति को मूत्राशय में पथरी हो गयी थी। ठीक हो जाती है। पथरी को गलाकर मूत्र मार्ग से निकाल देती है इस शल्य चिकित्सकों ने ऑपरेशन की तैयारी कर गाल स्टीन या पित्त पथरा कालस्टरान 2,3 दवा को मल अर्क में प्रयोग करना चाहिये।